तुर्किये के लाखों लोगों को सोमवार सुबह 7.8 तीव्रता के भयंकर भूकंप ने झकझोर दिया। अब तक 3700 लोगों की जान जा चुकी है। तुर्किये के बाहर सीरिया, लेबनान और इजराइल तक की धरती हिल गई।
भास्कर एक्सप्लेनर में बताएंगे कि तुर्किये में क्यों आते हैं इतने भूकंप और इस बार का भूकंप 1939 के बाद सबसे खतरनाक क्यों है?
3 बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स के बीच फंसा है तुर्किये
तुर्किये में इतना बड़ा भूकंप क्यों आया, इसे समझने के लिए हमें धरती की डिजाइन को समझना होगा। दरअसल, धरती बड़ी-बड़ी टैक्टोनिक प्लेट्स पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं।
टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
तुर्की का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन टैक्टोनिक प्लेट पर बसा है। ये प्लेट यूरोशियन, अफ्रीकन और अरबियन प्लेट के बीच में फंसी हुई है। जब अफ्रीकन और अरबियन प्लेट शिफ्ट होती हैं तो तुर्की सैंडविच की तरह फंस जाता है। इससे धरती के अंदर से ऊर्जी निकलती है और भूकंप आते हैं। सोमवार को तुर्किये में आया भूकंप नॉर्थ एनाटोलियन फॉल्ट लाइन पर आया।
तुर्किये में ज्यादा भूकंप क्यों आते हैं ये तो हमने समझ लिया, लेकिन इस बार का भूकंंप ज्यादा खतरनाक क्यों है, इसे जानने के लिए भूकंप का विज्ञान समझना जरूरी है…
धरती के कई मील भीतर जब टैक्टोनिक प्लेट हिलती हैं तो सैकड़ों परमाणु बम के बराबर एनर्जी निकलती है। ये एनर्जी दो स्टेप में चार तरह की तरंगों के जरिए धरती के बाकी हिस्सों में फैलकर तबाही मचाती है…
पहला स्टेप- ग्राउंड वेव्सः भूकंप के केंद्र से पृथ्वी की सतह तक ऊर्जा दो तरह की तरंगों से पहुंचती है। P वेव और S वेव। P वेव एक स्प्रिंग की तरह होती है, जिसमें एक रिंग अपने से आगे के रिंग को दबाते हैं। इसकी फ्रीक्वेंसी और स्पीड ज्यादा होती है यानी ये एनर्जी को धरती की सतह तक जल्दी पहुंचा देते हैं। S वेव अंग्रेजी के अल्फाबेट S के आकार में बढ़ती हैं। S वेव की स्पीड P वेव से कम होती है।
दूसरा स्टेप- सरफेस वेव्सः एक बार धरती की सतह पर पहुंच कर भूकंप से निकलने वाली बेतहाशा एनर्जी उस पॉइंट से दो तरीके से आगे फैलती है। पहली- रेली वेव (Rayleigh wave) के रूप में और दूसरी लव वेव (Love Wave) के रूप में।
रेली वेव्स समुद्र में उठने वाली लहरों की तरह आगे बढ़ती है। इसमें किसी ताकतवर वाहन के पहिए की तरह उसके चारों ओर एनर्जी निकलती है। यह शांत पानी में पत्थर मारने जैसी लहर होती है और उसी तरह आगे बढ़ती है। यह एक तरह से जमीन को जोतती चली जाती है। इससे भयंकर तबाही मचती है। लव वेव सांप की तरह चलती है। इससे अपेक्षाकृत कम तबाही मचती है। तुर्की में इसी रेली लहर ने तबाही मचाई है।
7.8 तीव्रता का भूकंप कितना स्ट्रॉन्ग होता है?
मेलबर्न यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और भूकंप वैज्ञानिक जानुका अट्टानायके के मुताबिक 7.8 तीव्रता वाले भूकंप को बेहद खतरनाक माना जाता है। इसकी वजह यह है कि इससे करीब 32 पेटाजूल ऊर्जा निकलती है यानी इससे न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहर को 4 दिन से ज्यादा बिजली मिल सकती है। जानुका ने कहा कि 5.9 तीव्रता वाले भूकंप की तुलना में 7.8 तीव्रता वाला भूकंप 708 गुना ज्यादा ताकतवर होता है।
फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ वोल्केनोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी के निदेशक रेनाटो सॉलिडम का मानना है कि 7 तीव्रता वाले भूकंप से हिरोशिमा में हुए परमाणु हमले में निकलने वाली ऊर्जा से 32 गुना ज्यादा एनर्जी निकलती है। हालांकि इस तरह के भूकंप की वजह से होने वाली क्षति दो बातों पर निर्भर करती है- पहली, जहां भूकंप के झटके महसूस हुए वहां का जनघनत्व कितना ज्यादा है, दूसरा भूकंप का केंद्र धरती के कितना नीचे रहा है।
इससे पहले 7.8 तीव्रता का भूकंप 2013 में पाकिस्तान में आया था, जिसमें 825 लोगों की मौत हुई थी। इसके दो साल बाद 2015 में नेपाल में भी इतनी ही तीव्रता वाले भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। नेपाल में इस भूकंप में 9000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
84 साल पहले इतनी ही तीव्रता वाले भूकंप में 30 हजार लोग मारे गए थे
तुर्किये में सोमवार को आया भूकंप 84 साल पहले यानी 1939 में आए भूकंप की तरह ही विनाशकारी है। इंपीरियल कॉलेज लंदन में सिस्मोलॉजी के रिसर्चर स्टीफन हिक्स ट्विटर पर लिखते हैं, 'दिसंबर 1939 में भी सोमवार की ही तरह 7.8 की तीव्रता का भूकंप नॉर्थ-ईस्ट तुर्किए में आया था। उस वक्त करीब 30 हजार लोग मारे गए थे।'
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