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  • In Spite Of Negative Reports Of RT PCR, If You Have Symptoms, Then Do A CT Scan After 6 Days, Initially The Infection Does Not Show On The Lungs.

भास्कर नॉलेज सीरीज:RT-PCR की निगेटिव रिपोर्ट के बावजूद लक्षण हों तो सीटी स्कैन 6 दिन बाद कराएं, शुरू में संक्रमण फेफड़ों पर नहीं दिखता

2 वर्ष पहलेलेखक: पवन कुमार
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  • लक्षण हैं या संक्रमित के संपर्क में आए हैं तो खुद को मरीज मानकर चलें, खुद को आइसोलेट कर लें
  • बुखार और खांसी 7 दिन से ज्यादा हो और सांस लेने में भी तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें

कोरोना के लक्षणों में कई नई चीजें जुड़ी हैं। लोगों के मन में ये सवाल लगातार उठता है कि उनके लक्षण कहीं कोरोना के तो नहीं। कोरोना की टेस्टिंग पर भी जानकारी का अभाव है। इन्हीं विषयों पर नई दिल्ली एम्स के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल से दैनिक भास्कर के पवन कुमार ने बातचीत की। जानिए एक्सपर्ट की राय...

कोरोना के क्या लक्षण हैं?
कोरोना में लक्षण आम वायरल जैसा ही होता है। सर्दी, खांसी, जुकाम, सिर-बदन में दर्द, थकान।

पहले सिरदर्द या पैरों में दर्द कोरोना का लक्षण नहीं था, बाद में जुड़ा। अब डायरिया और कंजक्टिवाइटिस भी कोरोना के लक्षण हैं। नए लक्षण जुड़ना क्या सामान्य बात है?
आमतौर पर वायरल में यह सभी लक्षण होते हैं। नाक-मुंह या आंख से शरीर में संक्रमण पहुंचने का खतरा रहता है। जिस तरह से वायरस म्यूटेट करता है संभव है लक्षण में भी बदलाव दिखे।

क्या संभव है कि आज मुझे कोई लक्षण हो जो वास्तव में कोरोना का है मगर मुझे पता न चले?
संभव है। क्योंकि यह बीमारी एक-डेढ़ वर्ष पुरानी है। धीरे-धीरे बीमारी के प्रति समझ बढ़ेगी, तब ही स्थायी तौर पर बीमारी के लक्षण तय होंगे।

जो एसिम्प्टोमैटिक हैं, उन्हें कैसे पता चल सकता है कि वे संक्रमित हैं या नहीं?
यह पता लगा पाना बहुत मुश्किल है। इसी वजह से कहा जा रहा है कि हर समय मास्क का प्रयोग करें और कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें।

आज टेस्ट के लिए भी लंबी लाइन लगी हुई है। टेस्ट न करवा पाएं तो क्या करें?
यदि लक्षण हैं या किसी कोरोना मरीज के संपर्क में आए हैं तो खुद को कोरोना मरीज मान कर ही व्यवहार करें। खुद को आइसोलेट करें और डॉक्टर से संपर्क करें।

कौन-से लक्षण गंभीर संक्रमण बताते हैं और कौन से बताते हैं कि संक्रमण माइल्ड है?
मामूली सर्दी-खांसी, बुखार, शरीर में दर्द ये बीमारी के हल्के लक्षण हैं, लेकिन यदि बुखार 7 दिन से ज्यादा हो और खांसी भी ठीक नहीं हो रही है। साथ ही सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो यह समझना चाहिए कि बीमारी गंभीर है।

माइल्ड लक्षण वाले संक्रमण कम फैलाते हैं?
ऐसा नहीं है। संभव है जिसे वो संक्रमित करे उसे माइल्ड संक्रमण न हो। एसिम्प्टोमैटिक मरीज में चूंकि लक्षण न होने से खांसना-छींकना कम होता है, अत: संक्रमण फैलाने का खतरा कम रहता है।

आरटी-पीसीआर में निगेटिव रिपोर्ट वालों के फेफड़ों में भी संक्रमण मिल रहा है। ऐसे में टेस्ट की विश्वसनीयता कैसे मानें?
अभी सबसे प्रभावी जांच आरटी-पीसीआर है। यदि यह रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी लक्षण हैं तो 6 दिनों के बाद चेस्ट का सीटी स्कैन करा कर संक्रमण जांच सकते हैं। शुरुआती दिनों में सीटी जांच का फायदा नहीं है, क्योंकि तब संक्रमण फेफड़े पर नहीं दिखता है।

कोरोना की पहचान के लिए सबसे विश्वसनीय टेस्ट कौन सा है? कौन से लक्षण दिखें तो ये टेस्ट करवाना चाहिए?
पूरे विश्व में आज भी कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए सबसे विश्वनीय आरटी-पीसीआर जांच ही है। सर्दी, खांसी, जुकाम, बदन दर्द, सिर में दर्द, डायरिया, कंजेक्टिवाइटिस और थकान। इसके अलावा यदि किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हों तो लक्षण न दिखने पर भी पांच दिन बाद जांच करानी चाहिए। लक्षण दिखने के बाद भी यदि जांच रिपोर्ट निगेटिव आती है तो एक से दो दिनों बाद दोबारा जांच करानी चाहिए, क्योंकि लक्षण के बाद भी निगेटिव रिपोर्ट आने के कई कारण हो सकते हैं।

क्या संक्रमण की बेहतर पहचान के लिए किसी और टेस्ट पर भी काम हो रहा है?
कोरोना की दवा और वैक्सीन से लेकर जांच किट पर भी पूरे विश्व में काम हो रहा है, लेकिन अभी आरटी-पीसीआर का प्रभावी विकल्प नहीं है।

बिना कोरोना की पहचान का टेस्ट करवाए क्या कोई एंटीबॉडी टेस्ट करवा सकता है? यदि टेस्ट में एंटीबॉडी मिलें तो क्या इसका अर्थ है कि व्यक्ति संक्रमित होकर ठीक हो चुका है?
यदि शरीर में एंटीबॉडी है तो इसका अर्थ यह हुआ कि संक्रमण पहले हुआ होगा। लेकिन एंटीबॉडी है इसका अर्थ यह नहीं है कि दोबारा कोरोना नहीं हो सकता है। आज के समय में कोई भी एंटीबॉडी जांच बहुत प्रभावी नहीं है। लिहाजा बतौर विशेषज्ञ एंटीबॉडी जांच की सलाह नहीं दे सकता।

संक्रमण का पता चलने के बाद भी सिर्फ लक्षणों से इसके माइल्ड या गंभीर होने का पता चल जाता है या फिर कोई टेस्ट कर इसका पता किया जा सकता है?
जांच से सिर्फ संक्रमण का पता चलता है। इसके बाद लक्षण और चिकित्सीय समझ के आधार पर अनुमान लगा कर मरीज की वर्तमान स्थिति के साथ मरीज के स्वास्थ्य में किस तरह का बदलाव हो सकता है, उसका इलाज किया जाता है।

फेफड़ों में संक्रमण जांचने के लिए सीटी स्कैन की सलाह दी जाती है। सीटी स्कैन का स्कोर संक्रमण की गंभीरता कैसे बताता है?
फेफड़ों में संक्रमण की जांच के लिए गैर जरूरी सीटी स्कैन कराने के लिए भीड़ नहीं लगानी चाहिए। सीटी स्कैन डॉक्टर्स से बिना सलाह लिए न कराएं। लक्षण हो, जांच रिपोर्ट निगेटिव हो, तब भी सीटी स्कैन कराना चाहिए। फेफड़े में संक्रमण किस स्तर तक है, यह डॉक्टर बता सकते हैं।

संक्रमण से उबरने के बाद क्या एंटीबॉडी टेस्ट करवाना चाहिए? ये एंटीबॉडी कितने दिन तक व्यक्ति को संक्रमण से बचा सकती हैं?
बतौर विशेषज्ञ एंटीबॉडी टेस्ट कराने की सलाह नहीं दूंगा क्योंकि बाजार में कोई भी एंटीबॉडी टेस्ट ऐसा नहीं है जो बहुत प्रभावी हो। एंटीबॉडी नहीं मिलने पर मरीज की परेशानी बढ़ जाती है जबकि एंटीबॉडी मिलने पर मरीज लापरवाह हो जाता है, जो सही तरीका नहीं है।

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