एक कम्युनिटी जो भारत में सबसे ज्यादा पैसा भेजती है। तीन देशों में उसके प्रधानमंत्री हैं, दो देशों में राष्ट्रपति और एक देश में उप-राष्ट्रपति। दुनिया की टॉप कंपनियों में उसके CEO हैं। हम बात कर रहे हैं प्रवासी भारतीयों की।
इनका कद इस बात से समझ सकते हैं कि भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और कई ताकतवर कैबिनेट मंत्री इनके स्वागत के लिए 9 जनवरी को इंदौर आ रहे हैं। मौका है 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का।
भास्कर एक्सप्लेनर में 6 सवालों में जानेंगे कि कौन हैं इंडियन डायस्पोरा यानी प्रवासी भारतीय और इस समुदाय को इतना महत्व क्यों दिया जाता है?
सवाल-1: प्रवासी भारतीयों में विदेश जाकर कमाने वाले भारतीय ही शामिल हैं या कोई और भी होता है?
जवाब: Diaspora ग्रीक शब्द है। ग्रीक में इसका मतलब बीजों को बिखेरना (scattering of seeds) होता है। बाद में डायस्पोरा शब्द का यूज ज्यू समुदाय के लोगों के लिए होने लगा, जिन्हें विभिन्न देशों से बाहर निकाल दिया गया और दूसरे देश में बस गए। आज डायस्पोरा यानी प्रवासी शब्द आम तौर पर उन्हीं लोगों के लिए उपयोग किया जाता है जो किन्हीं वजहों से अपने मूल देश से बाहर रह रहे हों।
यानी भारत से जो लोग दूसरे देशों में चले गए उन्हें ही इंडियन डायस्पोरा या प्रवासी भारतीय कहते हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय फिजी, केन्या और मलेशिया जैसे देशों में गए जो खुद भी ब्रिटिश कॉलोनी थे। यह आजादी के बाद विभिन्न सामाजिक स्तरों पर जारी है। अब भारतीय ब्रिटेन, अमेरिका और खाड़ी देशों में जाना पसंद करते हैं।
इंडियन डायस्पोरा को पहले 3 कैटेगरी में बांटा गया था...
भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों के लिए पहली बार साल 2002 में PIO कार्ड को लॉन्च किया गया था। इसका उद्देश्य विदेशों में रह रहे भारतीयों को उनकी थर्ड जेनरेशन से जोड़ना था। OCI कार्ड को 2005 में लागू किया गया था। इसमें PIO कार्ड की तुलना में ज्यादा बेनिफिट दिए गए थे। यह कार्ड जीवनभर के लिए वैलिड था। 2015 में PIO कार्ड स्कीम को भारत सरकार ने वापस ले लिया और इसे OCI में मर्ज कर दिया।
सवाल-2: दुनियाभर में प्रवासी भारतीयों की संख्या कितनी है और कौन-कौन से अहम पदों पर हैं?
जवाब: भारतीय विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के 100 से ज्यादा देशों में 3.2 करोड़ इंडियन डायस्पोरा हैं। देश के बाहर रहने भारतीयों की संख्या पिछले 28 साल में 346% बढ़ी है। 1990 में विदेश में रहने वाले भारतीयों की संख्या 90 लाख थी।
अप्रैल 2022 में लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि 1 जनवरी 2015 से 30 सितंबर 2021 के बीच करीब 9 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी है। यानी हर रोज करीब 350 भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं।
3 बड़े देशों में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री, अमेरिका में उपराष्ट्रपति
इस दुनिया के 3 देशों में ब्रिटेन, पुर्तगाल और आयरलैंड में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री हैं। ब्रिटेन में ऋषि सुनक, आयरलैंड में लियो वराडकर और पुर्तगाल में एंटोनियो कोस्टा प्रधानमंत्री हैं। इसके साथ ही अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हैरिस भी इंडियन इंडियन डायस्पोरा में आती हैं। गुयाना के राष्ट्रपति मो. इरफान अली व सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी भी भारतीय मूल के हैं। वहीं लगभग 30 देशों में 285 से ज्यादा सांसद भारतीय मूल के हैं।
टॉप फॉर्च्यून 500 कंपनियों में 12% भारतीय मूल के CEO
दुनियाभर की टॉफ फॉर्च्यून 500 कंपनियों में 12% CEO भारतीय मूल के ही हैं। इनमें गूगल से लेकर माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां शामिल हैं।
सवाल-4 : किन वजहों से भारतीय प्रवासियों को इतना महत्व दिया जाता है?
जवाब : प्रवासी भारतीय यानी इंडियन डायस्पोरा अपने मूल देश के हितों को विदेशों में आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं यानी वे एक ब्रिज की तरह काम करते हैं। प्रवासियों के लिए अपने मूल देश के विकास में मदद करने का सबसे आसान तरीका है कमाई का एक हिस्सा वहां भेजना।
इकोनॉमिक बेनिफिट
प्रवासियों की ओर से घर भेजे जाने वाली कमाई के लिहाज से साल 2022 सबसे अच्छा रहा है। इस दौरान प्रवासियों ने 100 अरब डॉलर यानी 826 करोड़ रुपए भेजे।
भारत के लिए पॉलिटिकल लॉबिंग
प्रवासियों ने 2008 के भारत-अमेरिका परमाणु समझौता कराने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी। उस वक्त इस समझौते का अमेरिकी कांग्रेस में काफी विरोध हो रहा था। लेकिन अमेरिका में प्रवासी भारतीय एक समूह बनकर सरकार के लिए आगे आते हैं। एक-एक करके विरोध करने वाले अमेरिकी सांसदों से मिलकर उन्हें कन्विंस करते हैं। इसके बाद यह समझौता होता है।
सवाल-5 : भारतीय प्रवासी दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?
जवाब :
सवाल-6 : 9 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस?
जवाब : भारत सरकार हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन करती है। दरअसल, महात्मा गांधी इसी दिन साउथ अफ्रीका से साल 1915 में भारत वापस लौटे थे। महात्मा गांधी को सबसे बड़ा प्रवासी माना जाता है, जिन्होंने न सिर्फ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया बल्कि भारतीयों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया।
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