भास्कर एक्सप्लेनरकतर में कैद नौसेना अफसर क्या कभी नहीं लौट पाएंगे:7 माह बाद भी भारत नहीं छुड़ा पाया, बिना आरोप मुकदमा चलाने की तैयारी

2 महीने पहले
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30 अगस्त 2022 की बात है। कतर में भारतीय नौसेना के 8 रिटायर्ड ऑफिसर अपने घरों में सो रहे थे। इसी दौरान कतर के इंटेलिजेंस ऑफिसर पहुंचते हैं और उन्हें बिना आरोप बताए गिरफ्तार कर लेते हैं। इन्हें अलग-अलग जगहों पर कैद रखा जाता है। ये सभी अफसर कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे।

30 मार्च 2023 यानी 7 महीने बाद भी भारत सरकार इन्हें छुड़ा नहीं पाई है। अब भारत के पूर्व नौसेना अफसरों के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे और उन्हें कतर की अदालतों में मुकदमों का सामना करना पड़ेगा। इससे भारत लौटने की उनकी उम्मीदें फीकी पड़ती जा रही हैं।

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को क्यों गिरफ्तार किया गया? आखिर वो किस कंपनी में काम कर रहे थे? कतर उन्हें क्यों नहीं छोड़ रहा?

कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली कंपनी में काम कर रहे थे भारतीय

कतर में गिरफ्तार किए गए इंडियन नेवी के पूर्व अफसर पूर्णेन्दु तिवारी।
कतर में गिरफ्तार किए गए इंडियन नेवी के पूर्व अफसर पूर्णेन्दु तिवारी।

कतर में जिन 8 पूर्व नौसेना अफसरों को गिरफ्तार किया गया है उनके नाम हैं- कैप्टेन नवतेज सिंह गिल, कैप्टेन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टेन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश।

ये सभी कतर में दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी नाम की निजी कंपनी में काम करते थे।

दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी डिफेंस सर्विस प्रोवाइड करती है। ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमिस अल अजमी इसके प्रमुख हैं। उन्हें भी 8 भारतीय नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में उन्हें छोड़ दिया गया।

यह कंपनी कतर की नौसेना यानी QENF को ट्रेनिंग और दूसरी सर्विस प्रदान करती है। कंपनी खुद को डिफेंस इक्विपमेंट्स को चलाने और उनकी रिपेयरिंग व मेंटेनेंस का एक्सपर्ट बताती है।

इस वेबसाइट पर कंपनी के सीनियर अधिकारियों और उनके पद की पूरी जानकारी दी गई है। हालांकि 8 भारतीयों की गिरफ्तारी के बाद से दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी की वेबसाइट अब मौजूद नहीं है।

नई वेबसाइट में कंपनी का नाम दाहरा ग्लोबल है। इसमें कंपनी से QENF का कोई कनेक्शन नहीं दिखाया गया है, न ही नेवी के पूर्व अफसरों का जिक्र है, जो कंपनी में लीडरशिप रोल में थे।

जेल में बंद कमांडर पूर्णेन्दु को कतर में प्रवासी भारतीय सम्मान मिल चुका है

दाहरा कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर रिटायर्ड कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए साल 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था।

वह यह पुरस्कार पाने वाले आर्म्ड फोर्सेज के एकमात्र शख्स हैं। उस वक्त दोहा में तब के भारतीय राजदूत पी कुमारन और कतर डिफेंस फोर्सेज इंटरनेशनल मिलिट्री कॉर्पोरेशन के पूर्व प्रमुख ने भी पूर्णेन्दु का स्वागत किया था।

इस कार्यक्रम का आयोजन इंडियन कल्चरल सेंटर में हुआ था। उस वक्त भारतीय दूतावास में तैनात इंडियन नेवी के कैप्टन कपिल कौशिक भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे।

दाहरा कंपनी की वेबसाइट में पहले पी कुमारन और दोहा में भारतीय दूतावास में उनके उत्तराधिकारी वर्तमान राजदूत दीपक मित्तल का दिया हुआ एक सर्टिफिकेट भी था, जिसमें दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कंपनी के काम को सराहा गया था।

गिरफ्तार किए गए लोगों में से ज्यादातर 4-6 साल से दाहरा में काम कर रहे थे।

एक महीने तक परिवार और सरकार को गिरफ्तारी की जानकारी ही नहीं थी

कतर की इंटेलिजेंस एजेंसी के स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने इंडियन नेवी के 8 पूर्व अफसरों को 30 अगस्त 2022 को गिरफ्तार किया। हालांकि भारतीय दूतावास को सितंबर के मध्य में पहली बार भारतीयों की गिरफ्तारियों के बारे में पता चला।

30 सितंबर को इन भारतीयों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की अनुमति दी गई।

पहली बार कॉन्सुलर एक्सेस 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के एक महीने बाद मिला। इस दौरान भारतीय दूतावास के एक अधिकारी को इनसे मिलने दिया गया।

इसके बाद इन लोगों को हर हफ्ते परिवार के सदस्यों को फोन करने की अनुमति दी गई। दूसरा कॉन्सुलर एक्सेस दिसंबर में दिया गया।

कतर सरकार ने 8 महीने बाद भी आरोपों के बारे भी नहीं बताया

कतर सरकार ने 8 भारतीयों पर लगे आरोपों को अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि सॉलिटरी कन्फाइनमेंट में भेजे जाने से यह चर्चा है कि उन्हें सुरक्षा संबंधी अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।

स्‍थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी इजराइल के लिए उनके देश की जासूसी कर रहे थे। हालांकि इसमें भी कोई तथ्य पेश नहीं किया गया है।

यह पूछे जाने पर कि उन पर क्या आरोप लगाए गए हैं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस साल जनवरी में अपनी वीकली ब्रीफिंग में कहा था कि यह सवाल कतर के अधिकारियों से पूछा जाना चाहिए।

परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्हें कतर के अधिकारियों ने आरोपों के बारे में कोई सूचना नहीं दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया है कि कतर ने उन्हें भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

पूर्व नौसेना अफसरों की रिहाई के लिए किए जा रहे प्रयासों पर एक सवाल के जवाब में दिसंबर 2022 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में बताया था कि यह एक संवेदनशील मामला है। उनकी रिहाई हमारी प्राथमिकता में शामिल है।

राजदूत और सीनियर अफसर कतर सरकार के संपर्क में हैं। 8 दिसंबर 2022 को दिए गए इस बयान को 4 महीने का समय हो चुका है।

30 अगस्त 2022 को गिरफ्तारी के बाद से अब तक 8 बार इन लोगों की जमानत याचिका खारिज हो चुकी है।

पूर्व नौसेना अफसर पूर्णेन्दु तिवारी की बहन मीतू भार्गव ने मानवीय आधार पर कतर सरकार से 8 पूर्व नौसैनिकों को रिहा करने की अपील की थी।

मीतू ने 15 मार्च को ट्वीट कर कहा था कि ये सभी उम्रदराज रिटायर्ड नौसेना कर्मी एकांत कारावास में रहने के चलते मानसिक रूप से टूटने की स्थिति में हैं।

साथ ही ये लोग पहले से ही बहुत सारी बीमारियों से जूझ रहे हैं। इससे पहले उन्होंने बताया था कि गिरफ्तार किए गए अधिकांश भारतीयों का वजन 10 से 15 किलोग्राम कम हो गया है।

भारत और कतर के बीच रिश्ता मजबूत होने के बाद भी नहीं बन रही बात

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि भारत सरकार को न तो गिरफ्तारियों के बारे में जानकारी दी गई और न ही आरोप के बारे में बताया गया। यह साफ दिखाता है कि अभी तक भारत सरकार के अधिकारी कतर में सही कूटनीतिक बातचीत के स्तर तक नहीं पहुंच पाए हैं।

दुश्मन देश के मामले में इस तरह की समस्या हो सकती है, लेकिन जैसा कि एक अधिकारी ने कहा कि कतर पाकिस्तान नहीं है। भारत और कतर के बीच दशकों से फ्रेंडली यानी मैत्रीपूर्ण रिश्ते रहे हैं।

नवंबर 2008 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत हुए हैं। मार्च 2015 में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमाद अल थानी ने भारत की यात्रा की थी, जबकि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोहा गए थे।

भारत के विदेश मंत्री जयशंकर अब तक 3 बार कतर का दौरा कर चुके हैं। इससे पहले सुषमा स्वराज 2018 में कतर जाने वाली पहली भारतीय विदेश मंत्री थीं।

मनमोहन सिंह पहले प्रधानमंत्री थे जो नवंबर 2008 में कतर दौरे पर गए थे।
मनमोहन सिंह पहले प्रधानमंत्री थे जो नवंबर 2008 में कतर दौरे पर गए थे।

कतर से ही हम LNG और LPG मंगाते हैं

2021 से भारत कतर के लिए टॉप 4 एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन में से एक और कतर के इंपोर्ट के टॉप 3 सोर्स में शामिल है। दोनों देशों के बीच 15 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है। इनमें 13 अरब डॉलर का LNG और LPG का एक्सपोर्ट होता है।

दोनों देशों की नौसेनाएं एक साथ एक्सरसाइज करती हैं

रक्षा सहयोग को आधिकारिक तौर पर भारत-कतर संबंधों के पिलर के रूप में देखा जाता है। समझौते में भारत द्वारा QENF को ट्रेनिंग देना भी शामिल है।

भारतीय नौसेना और कोस्टगार्ड पोत नियमित रूप से कतर का दौरा करते हैं। दोनों देशों की नौसेनाएं एक साथ एक्सरसाइज करती हैं। पिछले साल दोनों पक्ष 2023 में राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं एनिवर्सरी मनाने पर सहमत हुए थे।

2018 में युद्धाभ्यास से पहले भारत और कतर के नेवी अफसर एक-दूसरे को अपना परिचय देते हुए।
2018 में युद्धाभ्यास से पहले भारत और कतर के नेवी अफसर एक-दूसरे को अपना परिचय देते हुए।

भारतीय नौसेना के पूर्व चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल अरुण प्रकाश कहते हैं कि हम एक ही इलाके में रहते हैं। हम दोनों में किसी मुद्दे पर अंतर नहीं है।

हम उनसे बड़ी मात्रा में गैस खरीदते हैं। दोनों नौसेना एक साथ एक्सरसाइज करती हैं। कोई मुद्दा नहीं है जिस पर हमारी दुश्मनी हो।

इन हालात में हमारे नागरिकों को बंद करके रखना और इसका कोई स्पष्टीकरण न देना बहुत आश्चर्य की और फिक्र की बात है।

हमें पूरा यकीन है कि हमारे डिप्लोमैट अपनी पूरी कोशिश कर रहे होंगे। अगर वहां से कोई रिस्पॉन्स नहीं आ रहा है तो फिर रिश्तों को रिव्यू करना चाहिए।

डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी कहते हैं कि जब विदेश में इस तरह के मामले सामने आते हैं तो वहां के कानून के हिसाब से ही कार्रवाई होती है। विदेश मंत्रालय इस मामले में कूटनीतिक तरीके से अपना काम कर रहा है।

कतर की सरकार को आरोप बताने चाहिए और जो भी कार्रवाई है उसे करना चाहिए। कार्रवाई होने में देरी से लोगों के मन में आशंका पैदा हो रही है कि कतर की सरकार आरोप को बता क्यों नहीं रही है। साथ ही 8 पूर्व नौसैनिकों के परिजन भी इससे काफी प्रभावित हो रहे हैं।

हमारे डिप्लोमेटिक चैनल काम तो कर रहे हैं। लेकिन चूंकि कतर विदेशी देश है। काम करने के उनके अपने तरीके हैं। हम भी एक तरीके से ही इसमें इन्वॉल्व हो सकते हैं। ऐसे मेंं कतर की सरकार पारदर्शिता के साथ जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।

भारत सरकार और कतर के बीच रिश्तों में सब कुछ ठीक नहीं

पिछले साल जून में दोनों देशों के बीच रिश्तों में पहली बड़ी चुनौती देखने को मिली थी। इस दौरान एक टीवी शो में ‌BJP प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। कतर पहला देश था जिसने सबसे पहले इस टिप्पणी को लेकर आपत्ति जताई थी।

साथ ही सार्वजनिक माफी की मांग की थी। भारतीय राजदूत को भी कतर सरकार ने समन किया था। उस समय तत्कालीन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू की यात्रा विवादों से घिर गई थी।

अमीर द्वारा आयोजित किया जाने वाला दोपहर का भोजन रद्द कर दिया गया था, जिसमें कतर के पक्ष ने रद्द करने के लिए चिकित्सा कारणों का हवाला दिया था।

पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान से इस्लामिक देशों में फैली नाराजगी को दूर करने के लिए मिनटों के भीतर BJP ने नूपुर शर्मा को बर्खास्त किया था।

नेवी के 8 पूर्व अफसरों को जेल भेजना दूसरी बड़ी चुनौती है, क्योंकि कतर में 8 लाख भारतीय रहते हैं और काम करते हैं।

भारतीय कतर में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। इंदौर में हुए प्रवासी भारतीय दिवस कार्यक्रम में कतर से 210 सदस्यों वाला डेलिगेशन आया था जो मॉरीशस के बाद दूसरा सबसे बड़ा डेलिगेशन था।

भारतीय नौसेना के 8 सदस्यों को छुड़ाने में देरी यह दिखाती है कि भारत सरकार और कतर के बीच रिश्तों में सब कुछ ठीक नहीं है। या इसकी वजह नूपुर शर्मा वाला मामला है।

जून 2022 में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू कतर के दौरे पर गए थे। 5 जून को नायडू कतर के प्रधानमंत्री शेख खालिद बिन खलीफा से मिलते हुए।
जून 2022 में भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू कतर के दौरे पर गए थे। 5 जून को नायडू कतर के प्रधानमंत्री शेख खालिद बिन खलीफा से मिलते हुए।

उपराष्ट्रपति धनखड़ की कतर यात्रा से भी कुछ नहीं बदला

पिछले साल अक्टूबर के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर से बात कर उनकी दिवाली की बधाई स्वीकार की और फीफा वर्ल्डकप के लिए शुभकामनाएं दी थीं।

नवंबर में फीफा के उद्घाटन के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की कतर यात्रा ने यह उम्मीद जगाई थी कि वह जेल में बंद 8 भारतीयों का मुद्दा उठाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

नई दिल्ली ने कतर के अमीर को पिछले साल भारत आने का न्योता दिया था। सूत्रों के मुताबिक सरकार अभी उनके जवाब का इंतजार कर रही है।

देखा जाए तो भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को कब तक रिहा किया जाएगा, इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

भारत और कतर ने सजायाफ्ता कैदियों को ट्रांसफर करने के लिए एक समझौता कर रखा है, ताकि वे अपनी सजा ऐसे स्थान पर काट सकें जहां उनके परिवार उनसे मिल सकें।

हालांकि इस मामले में मामला अभी प्री ट्रायल स्टेज पर है, क्योंकि अभी तक ये ही नहीं पता है कि उन्हें किस आरोप में कैद करके रखा गया है।

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