देश के 15वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए 18 जुलाई को चुनाव होगा। क्या आप जानते हैं कि देश के राष्ट्रपति को सीधे जनता नहीं चुनती। राष्ट्रपति चुनाव को इनडायरेक्ट इलेक्शन भी कहा जाता है। अब तक केवल एक ही राष्ट्रपति दोबारा राष्ट्रपति चुना गया है और अब तक केवल एक ही राष्ट्रपति निर्विरोध चुना गया है। इन चुनावों में NOTA का इस्तेमाल भी नहीं होता है। भारत में अब तक राष्ट्रपति तो 14 हुए हैं, लेकिन चुनाव 15 बार क्यों हुए हैं?
इस बार जम्मू-कश्मीर के पास राज्य का दर्जा नहीं होने से उसकी 87 विधानसभा सीटें कुल वोटों से घट जाएंगी, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है।
चलिए जानते हैं राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े आपके हर सवाल का जवाब बेहद आसान भाषा में? जानिए राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े ऐसे कौन से नियम हैं, जो बेहद रोचक हैं?
1.जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करने से BJP को होगा फायदा?
राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के निर्वाचित और सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य हिस्सा लेते हैं। अगस्त 2019 में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को राज्य की जगह केंद्र प्रशासित प्रदेश बना दिया गया, उसे अलग करके लद्दाख को भी UT बना दिया गया। इससे इस बार के चुनावों में जम्मू-कश्मीर विधानसभा की 87 सीटें घट जाएंगी। साथ ही विधानसभा नहीं होने से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की 4 राज्यसभा सीटें भी कुल वोटों से घटेंगी। जम्मू-कश्मीर की 87 सीटें घटने से सांसदों की वोटों की वैल्यू घटकर 708 से 700 रह गई है। इससे कुल वोटों की वैल्यू भी 10.98 लाख से घटकर 10.86 लाख रह गई है। इससे बहुमत का आंकड़ा भी 5.49 लाख से घटकर 5.43 लाख हो गया है। इससे सत्ताधारी BJP की अगुआई वाले NDA के लिए बहुमत का आंकड़ा और पास हो गया है, जिसके पास फिलहाल करीब 5.26 लाख वोट हैं।
2. राष्ट्रपति देश का सबसे बड़ा पद, तो जनता उसे सीधे क्यों नहीं चुनती?
भारत ने ब्रिटेन की तरह संसदीय प्रणाली अपनाई है, अमेरिका की तरह राष्ट्रपति शासन प्रणाली नहीं। अमेरिका में राष्ट्रपति न केवल राज्य प्रमुख (हेड ऑफ स्टेट) होता है, बल्कि सरकार का प्रमुख (हेड ऑफ गवर्नमेंट) भी होता है। वहीं, भारत जैसे देश में राष्ट्रपति राज्य प्रमुख तो होता है, लेकिन सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री होता है। यानी सरकार की असल बागडोर प्रधानमंत्री के हाथ में ही होती है।
इसके अलावा हमारे देश में प्रधानमंत्री और उसके मंत्री संसद का हिस्सा होते हैं। यानी उनका लोकसभा या राज्यसभा में किसी एक का सदस्य होना जरूरी है।
वहीं, अगर राष्ट्रपति को सीधे जनता चुनती है तो देश का सबसे बड़ा चुना हुआ नेता वही हो जाएगा, जबकि हमारे देश में सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। इसी विरोधाभास से बचने के लिए हमारे राष्ट्रपति का चुनाव इनडायरेक्ट होता है और उनको जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही चुनते हैं।
3. क्या कोई भी शख्स राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है?
राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए सबसे जरूरी है कि व्यक्ति भारत का नागरिक हो। उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए। लोकसभा चुनाव लड़ने की पात्रता हो और उसे किसी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।
लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए, उम्र कम से कम 25 साल होनी चाहिए, उस पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं होना चाहिए और देश के किसी भी राज्य की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होना चाहिए।
इन योग्यताओं के साथ कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति पद का कैंडिडेट बन सकता है, लेकिन उस व्यक्ति के वोटिंग चरण में पहुंचने के लिए कम से कम 50 इलेक्टर्स प्रस्तावक और 50 समर्थन करने वाले होने चाहिए।
4. राष्ट्रपति का चुनाव कौन कराता है?
देश के राष्ट्रपति का चुनाव भी चुनाव आयोग ही कराता है।
5. राष्ट्रपति 14 हुए तो राष्ट्रपति चुनाव 15 क्यों?
देश में अब तक 14 राष्ट्रपति हुए हैं। राजेंद्र प्रसाद पहले राष्ट्रपति थे और रामनाथ कोविंद 14वें राष्ट्रपति हैं। दरअसल, राजेंद्र प्रसाद 1952 और 1957 में हुए चुनावों में निर्वाचित हुए थे। इसीलिए राष्ट्रपति 14 हुए हैं, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव 15 हुए हैं।
6. कैसे चुना जाता है भारत का राष्ट्रपति?
भारत में राष्ट्रपति का निर्वाचन इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा किया जाता है। इलेक्टोरल कॉलेज में दोनों सदन यानी लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित सदस्य और सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। सभी सांसदों और विधायकों को 'इलेक्टोरल कॉलेज' कहा जाता है और इनमें से हर एक को 'इलेक्टर' कहा जाता है।
7. UP जैसा बड़ा राज्य हो या सिक्किम जैसा छोटा, हर राज्य के सांसदों की वैल्यू एक क्यों होती है?
राष्ट्रपति चुनाव में हर सांसद के वोट की वैल्यू समान होती है, फिर चाहे उसका संसदीय क्षेत्र छोटा हो या बड़ा। यानी फिर चाहे UP जैसे बड़े राज्य के सांसद के वोट की वैल्यू हो या सिक्किम या गोवा जैसे छोटे राज्यों या किसी अन्य राज्य के सांसद, इनके वोट की वैल्यू बराबर ही होती है।
8. UP के एक विधायक के वोट की वैल्यू 208 और सिक्किम के विधायक के वोट की वैल्यू केवल 7 क्यों होती है?
MLA के वोटों की वैल्यू समान नहीं होती है। राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों यानी MLA के वोट की वैल्यू जनसंख्या के आधार पर तय होती है। यही वजह है कि जनसंख्या के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक की वैल्यू सबसे ज्यादा 208, जबकि सिक्किम के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे कम 7 है।
9. क्या कोई राष्ट्रपति निर्विरोध चुना गया है?
अब तक केवल एक ही राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ही निर्विरोध चुने गए हैं। 1977 में नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध निर्वाचित हुए थे।
10. क्या कोई राष्ट्रपति दोबारा चुना गया है?
अब तक केवल एक ही राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ही दो बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति थे।
11. राष्ट्रपति चुनाव में EVM का इस्तेमाल क्यों नहीं होता है?
राष्ट्रपति चुनाव में EVM का इस्तेमाल नहीं होता है। EVM की जगह इन चुनावों में बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है। EVM आम चुनावों के लिए बनाया गया है। EVM में वोटर कैंडिडेट के नाम के आगे बटन दबाकर अपना वोट डालता है। फिर EVM की काउंटिंग में जिस कैंडिडेट को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं, वो विजेता बनता है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली में निर्वाचित सांसद और विधायक बैलेट पेपर पर अपनी पसंद के कैंडिडेट के आगे 1,2,3,4,5 के हिसाब से प्रेफरेंस वोटिंग करते हैं। यानी राष्ट्रपति चुनाव के लिए आम चुनावों से एकदम अलग तरह के EVM की जरूरत होगी, इसीलिए राष्ट्रपति चुनावों में EVM का इस्तेमाल नहीं होता है।
12. किस रंग के बैलेट पेपर का होता है इस्तेमाल?
सभी राज्यों और UT के निर्वाचित विधायकों और सदन के सभी निर्वाचित सांसदों को वोट डालने के लिए बैलेट पेपर दिया जाता है। सांसदों को हरे रंग का बैलेट पेपर और विधायकों को गुलाबी रंग का बैलेट पेपर दिया जाता है। ऐसा सांसदों और विधायकों के बैलेट पेपर और उनकी वैल्यू को अलग-अलग समझने के लिहाज से किया गया है।
13. राष्ट्रपति चुनाव में एक खास पेन से ही क्यों वोट देना होता है?
राष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग के दौरान सभी सांसद और विधायक हर पोलिंग स्टेशन पर एक ही रंग वाली स्याही और एक ही पेन से वोटिंग करते हैं। 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में बैंगनी रंग की स्याही वाले पेन का इस्तेमाल किया गया था। किसी और रंग की स्याही या पेन का इस्तेमाल करने वाले वोट अमान्य माने जाते हैं।
दरअसल, अलग रंग के पेन के इस्तेमाल से वोटिंग करने वाले विधायकों और सांसदों ने किसे वोट दिया इसका खुलासा होने का खतरा रहता है। इसीलिए वोटिंग में इस्तेमाल होने वाले पेन और स्याही के रंग का फैसला चुनाव आयोग खुद करता है।
14. कैसे डाले जाते हैं राष्ट्रपति चुनाव के वोट?
हर बैलेट पर राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे सभी कैंडिडेट्स के नाम होते हैं। आम चुनावों की तरह इसमें कैंडिडेट्स के नाम के आगे मुहर नहीं लगती। बल्कि इसमें निर्वाचित सांसद और विधायक यानी इलेक्टर्स अपने सबसे पसंदीदा कैंडिडेट के नाम के 1 और फिर दूसरे पसंदीदा कैंडिडेट के नाम के आगे 2 लिखते हुए पसंद के अनुसार कैंडिडेट्स की मार्किंग करते हैं। इसीलिए इसे प्रेफरेंशियल वोटिंग भी कहते हैं।
15. राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कितने वोटों की जरूरत होती है?
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कुल वैध वोटों की वैल्यू में से आधे से अधिक वोट हासिल करना जरूरी है। इसे कोटा कहा जाता है।
अगर ये मान लिया जाए कि हर इलेक्टर ने वोट डाला है और हर वोट वैध है तो कोटा = MP के कुल वोटों की वैल्यू + MLA के कुल वोटों की वैल्यू + 1/2
16. इस बार के राष्ट्रपति चुनाव के लिए बहुमत का गणित =
5,43,200 + 5,43,231 +1/2 = 1086431 +1/2 = 5,43,216
राष्ट्रपति 2022 चुनाव के लिए जरूरी बहुमत का आंकड़ा = 5,43,216
17. इस बार क्यों घट गए कुल वोट और बहुमत का आंकड़ा?
2019 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से उनके सांसदों और राज्यसभा सदस्यों की गैरमौजूदगी से इस बार प्रत्येक सांसद के वोट की वैल्यू 708 से घटकर 700 हो गई है।
इससे इलेक्टोरल वोट की कुल वैल्यू 1,098,903 से घटकर 1,086,431 हो गई है। इससे बहुमत का आंकड़ा भी घटकर 5,43,216 हो गया है।
18. राष्ट्रपति चुनाव में पड़ते हैं कितने वोट?
राष्ट्रपति चुनाव में सभी राज्यों के निर्वाचित विधायकों और दोनों सदनों के निर्वाचित सांसदों के वोट वैल्यू के बराबर वोट पड़ते हैं। इस बार के राष्ट्रपति चुनावों में कुल वोट वैल्यू करीब 10 लाख 86 हजार 431 है।
19. राष्ट्रपति चुनाव में टाई होने पर कैसे होता है फैसला?
संविधान में टाई होने पर क्या करना चाहिए इसका जिक्र नहीं है। 1952 में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों को लेकर बने कानून में भी इसका जिक्र नहीं है। किसी भी राष्ट्रपति चुनाव में अब तक टाई की स्थिति नहीं बनी है।
20. नॉमिनेटेड सदस्य क्यों नहीं होते वोटिंग का हिस्सा?
राज्य विधान परिषद और लोकसभा और राज्यसभा के नॉमिनेटेड सदस्य राष्ट्रपति चुनाव का हिस्सा नहीं होते, क्योंकि इन्हें जनता द्वारा नहीं चुना जाता है।
21. क्या राष्ट्रपति चुनाव में लागू होता है दल-बदल विरोधी कानून?
राष्ट्रपति चुनाव में दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता है। अगर कोई सांसद या विधायक अपनी पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर वोटिंग करता है, तो उसकी सदन की सदस्यता जा सकती है, लेकिन क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव सीक्रेट बैलेट से होता है, इसलिए दल-बदल कानून इस चुनाव में लागू नहीं होता है। इसी वजह से राष्ट्रपति चुनाव में कई बार क्रॉस वोटिंग होती है।
22. क्या दोबारा लड़ा जा सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
राष्ट्रपति कार्यकाल खत्म होने के बाद दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा जा सकता है।
23. क्या NOTA का होता है इस्तेमाल?
नहीं, राष्ट्रपति के चुनाव में NOTA का इस्तेमाल नहीं होता है।
24. क्या दो ही उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं?
राष्ट्रपति चुनाव में दो से ज्यादा उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं बशर्ते कि उस उम्मीदवार के 50 प्रस्तावक इलेक्टर्स और 50 समर्थक इलेक्टर्स हों।
25. क्या राष्ट्रपति चुनाव में होता है सीक्रेट बैलेट का इस्तेमाल?
हां, आम चुनावों की तरह ही राष्ट्रपति चुनावों की वोटिंग में भी सीक्रेट बैलेट का इस्तेमाल होता है। आम चुनावों की तरह ही राष्ट्रपति चुनावों में सांसदों और विधायकों के वोट भी सीक्रेट होते हैं।
26. कैसे होती है वोटों की काउंटिंग?
राउंड 1 में केवल पहली पसंद की मार्किंग वाले बैलेट की गिनती होती हैं। अगर किसी कैंडिडेट को पहले राउंड में ही कोटा हासिल हो जाता है, तो वो विजेता घोषित कर दिया जाता है। अगर पहले राउंड में किसी कैंडिडेट को कोटा नहीं मिलता तो एक और राउंड की काउंटिंग होती है।
दूसरे राउंड में सबसे कम वोट पाने वाले कैंडिडेट के वोट ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। यानी ये वोट अब हर बैलेट में सेकेंड प्रेफरेंस मार्किंग वाले कैंडिडेट के वोट में जोड़ दिए जाते हैं। ये प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक कि केवल एक ही कैंडिडेट नहीं बचता है।
27. 1971 की जनगणना के आधार पर क्यों तय होती है वोटों की वैल्यू
देश में जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के क्षेत्र में अच्छा काम किया है, उनके विधायकों के वोटों की वैल्यू नहीं घटे, इसलिए 1971 की जनगणना को ही विधायकों के वोट की वैल्यू को तय करने का आधार बनाया गया है। ये 2026 में देश के अगले परिसीमन तक लागू रहेगा।
परिसीमन से ही देश में जनसंख्या के आधार पर संसदीय और विधानसभा सीटों का निर्धारण होता है।
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