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पहले तीन कहानियां पढ़िए….
पहली कहानी: 16 दिसंबर को 28 साल के वी सुनील ने अपने पांच महीने के बेटे को फांसी पर लटका कर मार डाला। फिर दूसरे कमरे में जाकर खुद भी आत्महत्या कर ली। तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले में रहने वाले सुनील की लॉकडाउन के दौरान नौकरी चली गई थी। घर चलाने के लिए उन्होंने इंस्टेंट लोन ऐप से लोन लिया था। लेकिन, वो इसे चुका नहीं सके।
हजारों में लिया उनका लोन 2 लाख के कर्ज में बदल गया। लोन देने वाले ऐप के लोग उन्हें फोन करके भद्दी-भद्दी गालियां देते। FIR और बैंक अकाउंट ब्लॉक कराने की धमकी देते थे। इससे परेशान होकर सुनील ने मौत चुनी।
दूसरी कहानी: 12 दिसंबर को 24 साल की किर्नी मोनिका ने जहर खा लिया। दो दिन बाद उनकी मौत हो गई। मोनिका एग्रीकल्चर एक्सटेंशन ऑफिसर थीं। उन्होंने इंस्टेंट लोन ऐप से 5 हजार का लोन लेकर कुछ किसानों की मदद की थी। कुछ ही महीनों में लोन 2.6 लाख के कर्ज में बदल गया।
रकम नहीं चुकाने की वजह से लोन ऐप वालों ने उनकी फोटो को व्हाट्सएप पर उनके सभी कॉन्टैक्ट्स को भेज दिया। उसमें लिखा कि मोनिका ने उनसे लोन लिया है, अगर वे उन्हें कहीं दिखाई देती हैं, तो उनसे लोन की रकम लौटाने के लिए कहें। मोनिका इस बेइज्जती को सह नहीं पाईं और उन्होंने जहर खा लिया।
तीसरी कहानी: 14 दिसंबर को तेलंगाना के नलगोंडा जिले में रहने वाले 36 साल के संतोष ने जहर खा लिया। संतोष रामगुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड में साइट इंचार्ज थे। 23 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया।
संतोष ने अपने दोस्त को भेजे वीडियो में बताया कि वो किस तरह इन लोन ऐप्स के जाल में फंसे। संतोष ने लॉकडाउन के दौरान चार अलग-अलग लोन ऐप्स से कुल 51,176 रुपए उधार लिए। लेकिन चंद महीनों में उनके ऊपर 50 हजार तो सिर्फ ब्याज की रकम हो चुकी थी।
अब खबर पर आते हैं….
तेलंगाना में पिछले दिनों इंस्टेंट लोन ऐप से लोन देने वाली कंपनियों के खिलाफ लगातार मामले दर्ज किए जा रहे हैं। अब तक अकेले हैदराबाद पुलिस इस तरह के 27 मामले दर्ज कर चुकी है। अलग-अलग इलाकों में करीब सौ केस सामने आ चुके हैं। पिछले हफ्ते हुई धरपकड़ में तीन चीनी मूल के लोगों समेत करीब 30 लोग गिरफ्तार हुए हैं। मामला सामने आने के बाद हैदराबाद, साइबराबाद और रचकोंडा के पुलिस कमिश्नर ने गूगल से संपर्क करके इस तरह के करीब 200 ऐप्स को ब्लॉक करने को कहा है।
गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर पर मौजूद ऐसे सैकड़ों लोन ऐप कर क्या रहे हैं?
कौन से ऐप इस गोरखधंधे में शामिल हैं?
तेलंगाना पुलिस के मुताबिक, इस तरह के इंस्टेंट लोन कई ऐप ऑफर कर रहे हैं। इनमें कैश मामा, धनधनाधन लोन, कैश अप, लोन जोन, कैश बस, मेरा लोन, हे फिश, मंकी कैश, कैश एलीफेंट, वाटर एलीफेंट, क्विक कैश, लोन जोन, लोन क्लाउड, किश्त, इंस्टारुपए लोन, फ्लैश रुपए-कैश लोन, मास्टरमेल्नो कैशरेन, गेटरुपे, ईपे लोन, पांडा आईक्रेडिट, ईजी लोन, रूपे क्लिक, ओकैश, कैशमैप, स्नैपिट, रैपिड रुपे, रेडीकैश, लोन बाजार, लोनब्रो, कैश पोस्ट, रूपीगो, कैश पोर्ट, रश, प्रो फॉर्चून बैग, रूपीलोन, रोबोकैश, कैशटीएम, उधार लोन, क्रेडिट फ्री जैसे ऐप इसमें शामिल थे। इनमें से कुछ को ऑनियन क्रेडिट और क्रेडफॉक्स टेक्नोलॉजिस नाम की कंपनियां चला रही थीं।
35% तक इंटरेस्ट लेने वाले ये ऐप काम कैसे करते हैं?
जब इतना ज्यादा इंटरेस्ट लगता है तो लोग लोन लेते क्यों हैं?
इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि ये ऐप्स लोन देने से पहले आपकी इनकम का कोई प्रूफ नहीं मांगते। आपका सिबिल स्कोर चेक नहीं करते। सिबिल वो स्कोर होता, जिससे लोन देने वाली कंपनियां आपकी लोन चुका पाने की कैपेबिलिटी देखती हैं। इससे पता चलता है कि आपने कहीं अपने पिछले लोन चुकाने में कोई डिफॉल्ट तो नहीं किया। कुछ ऐप्स आपकी इनकम प्रूफ और सिबिल स्कोर देखते हैं। लेकिन, ऐसे ऐप्स गिने-चुने हैं।
RBI इन ऐप्स पर कोई कदम क्यों नहीं उठा रहा?
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