भास्कर एक्सप्लेनर30 लाख के इनामी नक्सली दिनेश की गिरफ्तारी की कहानी:नेपाल में सिख बनकर ढाबा चला रहा था, पत्नियां करती थीं वसूली

10 दिन पहले
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21 मई यानी रविवार को रांची एयरपोर्ट के बाहर गहमागहमी थी। झारखंड पुलिस, CRPF जवान और कुछ मीडियाकर्मी इधर-उधर टहल रहे थे। अचानक पूरा फोकस एयरपोर्ट के मेन गेट की तरफ हो गया। वहां सुरक्षाबलों से घिरा एक शख्स बाहर निकला।

लंबे बाल और दाढ़ी, चेहरे पर कोई भाव नहीं। पत्रकारों की तरफ देखकर हाथ हिलाता है। सुरक्षाकर्मी वहीं खड़ी एक गाड़ी का दरवाजा खोलकर उसे बिठा देते हैं। सायरन की आवाज के साथ गाड़ी आगे बढ़ने लगती है। गाड़ी को घेरकर सुरक्षाकर्मी भी दौड़ पड़ते हैं। आस-पास मौजूद लोग हैरान थे कि आखिर ये शख्स कौन था?

रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के बाहर सुरक्षाकर्मियों से घिरा नक्सली दिनेश गोप।
रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट के बाहर सुरक्षाकर्मियों से घिरा नक्सली दिनेश गोप।

ये शख्स 30 लाख का ईनामी नक्सल दिनेश गोप था। पिछले दो दशकों से इसकी तलाश थी और इसे रविवार को नेपाल में पकड़ा गया। सुरक्षाबलों से बचने के लिए वो नेपाल में सिख बनकर ढाबा चलाने का दिखावा करता था।

भास्कर एक्सप्लेनर में नक्सली दिनेश गोप और उसकी गिरफ्तारी की पूरी कहानी…

फरवरी 2022 में एक इनपुट और मुठभेड़

फरवरी 2022 में झारखंड पुलिस को दिनेश गोप के पश्चिमी सिंहभूम में छिपे होने का इनपुट मिला। इसके बाद स्थानीय पुलिस ओर CRPF की एक टीम गुदरी पुलिस स्टेशन के आसपास के इलाके में एक ऑपरेशन चलाती है।

सुरक्षाबलों के जंगल में घुसते ही सामने से ताबड़तोड़ फायरिंग आती है। दोनों तरफ से सैकड़ों राउंड गोलियां चलने के बाद जब माहौल शांत होता है तो पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगता है। ऑपरेशन खत्म होने बाद पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ में मोस्टवांटेड नक्सली दिनेश गोप घायल होने के बावजूद भागने में कामयाब हो गया।

दिनेश झारखंड से भागकर बिहार और वहां से बॉर्डर पार करके नेपाल चला गया। नेपाल जाने के बाद उसने अपने सारे फोन और सिम कार्ड तोड़ दिए। ऐसे में पुलिस उसकी लोकेशन ट्रेस नहीं कर पा रही थी।

पहचान छिपाने के लिए सिख बनकर ढाबा चलाने लगा

दिनेश नेपाल के विराटनगर में वेश बदलकर रहने लगा। पहचान छिपाने के लिए सिर में पगड़ी बांधकर वह सिख बन गया। पिछले 13 महीने से वो एक ढाबा चला रहा था। वह अक्सर झारखंड में अपने लोगों को कॉल करता था, लेकिन तुरंत सिम बदल लेता था।

20 मई 2022 को दिनेश ने रांची के BJP नेता बलराम सिंह को कॉल किया। उसने फोन पर धमकी देते हुए बलराम सिंह से 10 AK-47 राइफल की मांग की। राइफल नहीं देने पर उसने अंजाम भुगतने की धमकी भी दी थी। यही वो कॉल था, जो दिनेश गोप की गिरफ्तारी की वजह बन गई।

बलराम सिंह ने दिनेश के खिलाफ गोंदा थाने में FIR दर्ज करवा दी। इसके बाद सूचना मिलते ही झारखंड पुलिस ने कॉल का लोकेशन ट्रेस किया। लोकेशन की पुष्टि होते ही पुलिस की एक टीम उसे गिरफ्तार करने के लिए नेपाल रवाना हो गई।

पहली बार में पुलिस भी नहीं पहचान सकी

झारखंड पुलिस नेपाल पहुंची तो उसे दिनेश गोप का पता नहीं चला। विराटनगर में एक ढाबेवाले पर पुलिस को शक हुआ। इसके बाद पुलिस ने थोड़ी देर उसे नोटिस किया। आसपास से इनपुट मिलने के बाद पुलिस ने दिनेश को हिरासत में लेने का फैसला किया। दिनेश को हिरासत में लेने के बाद पुलिस उसे लेकर रांची पहुंची। यहां पूछताछ के बाद उसे NIA को सौंप दिया गया। NIA अब दिनेश से दिल्ली में पूछताछ कर रही है।

दिनेश गोप से पूछताछ के लिए NIA कोर्ट ने 8 दिनों की रिमांड मंजूर की है। दिनेश को कोर्ट से बाहर ले जाते सुरक्षाकर्मी और NIA अधिकारी।
दिनेश गोप से पूछताछ के लिए NIA कोर्ट ने 8 दिनों की रिमांड मंजूर की है। दिनेश को कोर्ट से बाहर ले जाते सुरक्षाकर्मी और NIA अधिकारी।

कौन है दिनेश गोप?

दिनेश गोप मूल रूप से झारखंड के खूंटी जिले में लापा मोरहाटोली गांव का रहने वाला है। लोकल मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दसवीं पास करने के बाद दिनेश की आर्मी में नौकरी लग गई थी। एक तरफ ज्वॉइनिंग लेटर लेकर दिनेश घर से निकले, दूसरी तरफ उनके भाई की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई।

इसकी सूचना मिलते ही दिनेश ने नौकरी छोड़कर अपराध की दुनिया में एंट्री करने का फैसला किया। शुरुआत में दिनेश अपने भाई के काम-काज को देखने लगा। वह ठेकेदारों से पैसे वसूलता था। जो ठेकेदार या बिजनेसमैन पैसा नहीं देते थे, उसे दिनेश गोप अंजाम भुगतने की धमकी देता था। इस काम के लिए दिनेश गोप ने 2003 में एक आपराधिक गिरोह बनाया, जिसका नाम जेएलटी रखा। जल्द ही आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने की वजह से ये संगठन सरकार की नजर में आ गया। इसके बाद इस संगठन पर बैन लगा दिया गया।

2007 में दिनेश गोप ने इस संगठन का नाम बदलकर PLFI रख दिया। इसी साल दिनेश के संगठन में माओवादी कमांडर मसीहचरण पूर्ति शामिल हो गया। यहीं से PLFI और नक्सलियों के बीच करीबी बढ़ना शुरू हो गई। 2009 में एक रोज पुलिस ने ऑपरेशन चलाकर नक्सली कमांडर मसीहचरण को गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद इस संगठन का पूरा दारोमदार दिनेश के कंधे पर आ गया। 6 साल में दिनेश इस बात को भांप गया था कि जितना मजबूत उसका संगठन होगा, उतना ही ज्यादा वसूली होगी। ऐसे में वह अपने संगठन को मजबूत करने के काम में लग गया।

लालच देकर बेरोजगारों नौजवानों की फौज खड़ी कर दी

दिनेश ने गांव के बेरोजगार नौजवानों से संपर्क कर उन्हें मोबाइल, मोटरसाइकिल और पैसों का लालच दिया। ये नौजवान दिनेश के साथ जुड़ते गए। इस तरह अब बिहार, झारखंड और ओडिशा में दिनेश के नेटवर्क से 8,500 एक्टिव मेंबर जुड़ गए थे। ये नौजवान पैसों की वसूली करके दिनेश गोप को भेजा करते थे।

पुलिस ने 3 राज्यों में 100 से ज्यादा केस दिनेश के खिलाफ दर्ज किए हैं। इनमें हत्या, धमकी, अपहरण, वसूली जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। इसके बावजूद वह पिछले 2 दशक से पुलिस की आंखों में धूल झोंककर बचता रहा।

उसके गिरफ्तारी से बचने की मुख्य वजह अपने गांव और आसपास के इलाके में उसकी लोकप्रियता थी। वह अक्सर गरीब आदिवासियों की बेटी की शादी में पैसे देता, स्कूल और मंदिरों में दान देता था। इसीलिए लोग उसका समर्थन करते थे।

दिनेश की दोनों पत्नियां भी करती थी उगाही

नोटबंदी के बाद 10 नवंबर 2016 को रांची से सटे बेड़ो प्रखंड में दिनेश गोप के 25.38 लाख रुपए जब्त किए गए। दिनेश ये पैसा पेट्रोल पंप के मालिकों के जरिए बैंक में जमा करवाते हुए पकड़ा गया था। पेट्रोल पंप मालिक समेत 4 लोगों को पुलिस ने इस केस में गिरफ्तार किया था।

2018 में झारखंड पुलिस ने ये मामला NIA को सौंप दिया। इसके बाद NIA की टीम ने जब उसके सहयोगियों के यहां छापेमारी की तो उनके पास से 42 लाख से ज्यादा कैश बरामद हुए। साथ ही जांच में पता चला कि गोप ने दोनों पत्नियों और अन्य संबंधियों के दो दर्जन से ज्यादा बैंक खाते में 2.5 करोड़ रुपए से ज्यादा पैसे जमा कर रखे हैं।

इसके बाद NIA ने दिनेश गोप के खिलाफ एक केस दर्ज करके जांच शुरू कर दिया। जांच में पता चला कि गोप की अनुपस्थिति में उसकी दो पत्नी पैसों की वसूली करती हैं। 30 जनवरी 2022 को दिनेश गोप की दोनों पत्नियों हीरा देवी और शकुंतला कुमारी को गिरफ्तार कर लिया गया। NIA ने दिनेश की गिरफ्तारी के लिए उसके नाम पर 5 लाख रुपए इनाम का भी ऐलान किया। झारखंड पुलिस ने भी उस पर 25 लाख रुपए के इनाम का ऐलान किया था। इस तरह दिनेश पर कुल 30 लाख से ज्यादा इनाम था।

झारखंड पुलिस ने PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप के बारे में सूचना पाने के लिए जगह-जगह पोस्टर चिपकाए थे। सूचना देने वालों को 25 लाख रुपए का इनाम देने की बात लिखी है।
झारखंड पुलिस ने PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप के बारे में सूचना पाने के लिए जगह-जगह पोस्टर चिपकाए थे। सूचना देने वालों को 25 लाख रुपए का इनाम देने की बात लिखी है।

गिरफ्तारी के बाद बताया कैसे अब तक बचता रहा

दिनेश ने गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में बताया कि वह अक्सर नंबर बदल-बदलकर एक शख्स से बात करता था। ये शख्स झारखंड पंचायती राज का कर्मचारी है। वह उसके संगठन से जुड़ा नहीं है, लेकिन इसके बावजूद वह दिनेश गोप को आसपास के इलाके की जानकारी देता रहता था।

उसने बताया कि बिहार, झारखंड और ओडिशा के 6 जोनल कमांडर उसे रिपोर्ट करते थे। ये लोग तीनों राज्य में वसूली के काम को देखते थे। उसने बताया कि अपने गुर्गों के जरिए दिनेश ठेकेदारों और व्यवसायियों से सालाना करीब 120 करोड़ रुपए वसूलता था।

इन पैसों को वह अपने करीबी सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के नाम पर बैंकों मे जमा करता था। इससे पहले 23 जुलाई 2022 को NIA ने बताया था कि 3 प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के जरिए भी दिनेश गोप अपने पैसों का हेरफेर करता था।

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