साल 2005 में मध्य प्रदेश में रतलाम जिले के नांदलेट गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ। पैदा होते ही उसके पूरे चेहरे पर लंबे बाल उगे थे। कुछ लोग बाल हनुमान मानकर बच्चे की पूजा भी करने लगे। लेकिन जैसे-जैसे यह बच्चा बड़ा होने लगा ये बाल ही बड़ी समस्या बन गए।
पूरे चेहरे पर बाल होने की वजह से ललित को खाने-पीने तक में परेशानी होने लगी। साथ के बच्चे उसे बंदर कहते, साथ खेलने से भी कतराते थे। घरवालों ने उसे कई जगह दिखाया, लेकिन डॉक्टरों ने इसे दुर्लभ और लाइलाज बीमारी बता दिया। ये कहानी है 17 साल के ललित पाटीदार की, जो अपने पूरे शरीर पर बालों की वजह से सुर्खियों में हैं।
ललित वेयरवुल्फ नाम के सिंड्रोम से जूझ रहे हैं। दरअसल, हमारे शरीर का रंग-रूप, हाथ, पैर, उंगलियां, आंखें हर चीज का साइज तय होता है। यहां तक कि शरीर के किस हिस्से में बाल होंगे इसकी भी कोडिंग होती है। हमारे शरीर की यही जीन कोडिंग अगर बिगड़ जाए तो ग्रोथ बेतरतीब हो सकती है। जैसे- हमारा एक हाथ बहुत लंबा हो जाएगा या चेहरे पर बाल उग आएंगे।
भास्कर एक्सप्लेनर में हम वेयरवुल्फ सिंड्रोम की पूरी कहानी जानेंगे...
100 साल पहले तक कमाई का जरिया था
1884 में अमेरिका के मशहूर शोमैन पीटी बरमन ने एक शो बनाया। ये एक जंगल की कहानी थी, जहां गुफा में वाइल्ड मैन यानी जंगली आदमी रहता था। इसके पूरे चेहरे और शरीर पर घने बाल थे। इसकी भनक वहां मौजूद एक शिकारी को लग गई। शिकारी ने वाइल्ड मैन और उसके बेटे को पकड़ लिया। बेटे के भी पूरे चेहरे पर बाल थे उसका चेहरा कुत्ते जैसा दिखता है। इस शो में वाइल्ड मैन के बेटे को 'जो-जो' नाम दिया गया। जो-जो भौंकता और गुर्राता था। उनके चेहरों को देखकर लोग इसे सच्ची कहानी मानते थे।
असलियत में वाइल्ड मैन का किरदार निभाने वाला शख्स एड्रियन था। वो रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में रहता था। कुत्ते जैसे दिखने वाला उसका बेटा फेडोर जेफ्टिच्यू था। पिता और बेटा दोनों हाइपरट्रिचोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे। इसे ही वेयरवुल्फ सिंड्रोम कहते हैं। 100 साल पहले तक लोग इस बीमारी को कमाई का जरिया मानते थे। एंड्रियन के पिता भी सर्कस में परफॉर्म करते थे और प्रदर्शनी में खुद को 'वाइल्ड मैन फ्रॉम द कोस्ट्रोमा फॉरेस्ट' बताकर दर्शकों का मनोरंजन करते थे।
कैनरी आइलैंड में मिला था पहला मामला
वेयरवुल्फ सिंड्रोम का पहला मामला कैनरी आइलैंड के पास पाया गया। इसे इटली के वैज्ञानिक उलिससे एल्ड्रोवंडी ने डॉक्यूमेंट किया था। 1642 में उनकी मौत के बाद एक किताब में इसे पब्लिश किया गया। इसमें लिखा था कि गोंजाल्वस के परिवार में दो बेटियां, एक बेटा और एक पोता हाइपरट्रिचोसिस से पीड़ित थे।
पिछले 300 साल में जन्मजात वेयरवुल्फ सिंड्रोम के सिर्फ 50 मामले सामने आए हैं। वहीं साइंटिफिक पब्लिकेशन में आमतौर पर इस तरह के 100 के करीब केस डॉक्यूमेंटेड हैं।
स्पेन में गलत दवा से 20 से ज्यादा बच्चों में ये मामला सामने आया था
साल 2019 में स्पेन के 20 बच्चों में वेयरवुल्फ सिंड्रोम का चौंकाने वाला मामला सामने आया था। यह गलत दवा देने की वजह से हुआ था। इस दौरान बच्चों के माथे, गाल, हाथ और पैर में बहुत अधिक बाल उग आए थे।
स्पेन के हेल्थ रेगुलेटर्स ने अपनी जांच में पाया कि 2 साल पहले परिजन अपने बच्चों के पेट दर्द और गैस की शिकायत लेकर अलग-अलग डॉक्टरों के पास पहुंचे थे। डॉक्टरों ने उन्हें ओमेप्राजोल (omeprazole) नाम की दवा सजेस्ट की। मेडिकल शॉप से परिजनों ने इस दवा को खरीदा और बच्चों को खिला दिया। इसके बाद बच्चे ठीक हो गए, लेकिन यही से बच्चों को परेशानी शुरू हुई।
जिन बच्चों ने यह दवा खाई थी, उनके शरीर पर अनचाहे बाल उगने लगे थे। शिकायत के बाद स्थानीय प्रशासन ने इसकी जांच की और कहा कि इन बच्चों को ओमेप्राजोल नाम की दवा की जगह गलती से मिनोक्सिडिल (Minoxidil) दवा दी गई थी। हुआ यूं कि दवा कंपनी माइनोजाइडिल ने अपने सिरप की बोतलों पर पेट दर्द और गैस में उपयोग की जाने वाली ओमेप्राजोल नाम की दवा का लेबल लगाया। इसके बाद स्पेन के कई दुकानों पर उसे बांट दिया था। दरअसल मिनोक्सिडिल गंजेपन को रोकने वाली दवा है यानी इस दवा को खाने से बाल उगने लगते हैं।
मैक्सिको में एक ही परिवार के 30 लोगों को वेयरवुल्फ सिंड्रोम
मैक्सिको के लोरेटों के रहने वाले हेस्युस ऐसेवस एक सुबह उठते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उनके परिवार की एक और बिल्ली की हत्या कर दी गई है। इसके बाद जब वह काम करने के लिए निकलते हैं तो रास्ते में कुछ लोग उनका मजाक उड़ाते हैं और उनकी फोटो लेने से पहले उन्हें शैतानी जानवर कहते हैं। यह 'वुल्फ मैन' यानी हेस्युस ऐसेवस की जिंदगी की आम दिनचर्या है, जो अब विश्व प्रसिद्ध सर्कस परफॉर्मर बन गया है। वुल्फ मैन का पूरा चेहरा घने, काले बालों से ढका हुआ है। यानी वुल्फ मैन वेयरवुल्फ सिंड्रोम से पीड़ित हैं। वुल्फ मैन ही नहीं उनके परिवार के 29 अन्य सदस्य भी इससे पीड़ित हैं। पूरे परिवार को चूए निकनेम से जाना जाता है। इनपर एक डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है, जिसका नाम है 'चुए द वुल्फ मैन'।
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