क्यों नेपाल में उड़ते ताबूत बन रहे विमान:जो विमान क्रैश हुआ, वो 42 साल पुराना; 30 साल में 28 प्लेन क्रैश

3 महीने पहले
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नेपाल में चार क्रू मेंबर समेत 68 यात्रियों को लेकर जा रहा यति एयरलाइंस का ATR 72-500 विमान रविवार को क्रैश हो गया है। इस हादसे के बाद नेपाल में उड़ानों के जोखिम पर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले 30 साल में नेपाल में यह 28वां विमान हादसा है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र, खराब मौसम, पुराने विमान और अनुभवहीन पायलट नेपाल को उड़ानों के लिए सबसे खतरनाक देश बनाते हैं। नेपाल के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण की 2019 की सुरक्षा रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के पहाड़ पायलटों के सामने ‘बड़ी चुनौती’ हैं।

ऐसे में आज भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि आखिर किन वजहों से नेपाल विमानों के लिए उड़ता ताबूत बन रहा है?

जो विमान क्रैश हुआ वह 42 साल पुराने मॉडल का था
नेपाल में जो विमान ATR 72-500 हादसे का शिकार हुआ, वो ATR एयरक्राफ्ट सीरीज का हिस्सा है। इस विमान के नाम में लगा 72 इसकी पैसेंजर कैपेसिटी को बताता है। इस मॉडल का पहला विमान 1981 में बना था। इसके बाद 100 से ज्यादा देशों की करीब 200 एयरलाइंस में इस विमान को शामिल किया गया। इस मॉडल के एयरक्राफ्ट को फ्रेंच कंपनी एयरबस और इटालियन एविएशन कंपनी लियोनार्दो ने मिलकर बनाया है। ये कंपनी कार्गो और कॉर्पोरेट एयरक्राफ्ट विमान भी बनाती है।

रिपोर्ट के मुताबिक पायलट ने दो बार लैंडिंग के लिए परमिशन मांगी थी। दोनों ही बार परमिशन दे दी गई, लेकिन लैंडिंग से कुछ देर पहले ही विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
रिपोर्ट के मुताबिक पायलट ने दो बार लैंडिंग के लिए परमिशन मांगी थी। दोनों ही बार परमिशन दे दी गई, लेकिन लैंडिंग से कुछ देर पहले ही विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

नेपाल में उड़ान भरना इतना मुश्किल और खतरनाक क्यों है?
नेपाल में उड़ान भरना मुश्किल और खतरनाक होने के कई कारण हैं। जैसे- नेपाल की प्राकृतिक बनावट यानी पहाड़, पुअर रेगुलेशन यानी खराब नियमन और नए विमानों की कमी विमानों के उड़ान के लिए नेपाल को सबसे खतरनाक देश बनाती है। आइए इन्हें पांच पॉइंट में समझते हैं...

1. संकरी घाटियों के चलते विमानों को टर्न लेने में कठिनाई
नेपाल के सिविल एविएशन अथॉरिटी की 2019 की सेफ्टी रिपोर्ट के मुताबिक देश की खतरनाक भौगोलिक स्थिति भी पायलटों के सामने बड़ी चुनौती होती है। नेपाल में लगभग 3 करोड़ लोग रहते हैं। यहां दुनिया के 14 सबसे ऊंचे पहाड़ों में से माउंट एवरेस्ट समेत 8 स्थित हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल का एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट समुद्र तल से 1,338 मीटर ऊपर एक संकरी घाटी में है, इस वजह से विमानों को मुड़ने के लिए काफी तंग जगह मिलती है।

नेपाल के पूर्वोत्तर में स्थित लुक्ला शहर का एयरपोर्ट दुनिया के सबसे खतरनाक एयरपोर्ट में से एक है। यह एयरपोर्ट एवरेस्ट का प्रवेशद्वार भी कहा जाता है। एयरपोर्ट के रनवे को पहाड़ों के बीच एक चट्टान को काटकर बनाया गया है। लुक्ला हवाई अड्डे के रनवे के एक छोर पर विशालकाय पहाड़ तो दूसरे छोर पर खाई है। ऐसे में सिर्फ अल्ट्रा ट्रेंड पायलटों को ही इस हवाई अड्डे पर विमान उतारने और उड़ान भरने की इजाजत है। एक छोटी सी भूल भी विमान में सवार सभी यात्रियों की जान ले सकती है।

नेपाल का लुक्ला एयरपोर्ट।
नेपाल का लुक्ला एयरपोर्ट।

2. मौसम का तेजी से बदलना
इसके अलावा पहाड़ों में मौसम तेजी से बदलता है, जो विमानों की उड़ान को काफी खतरनाक बनाता है। पल-पल बदलते मौसम के कारण पायलटों को विमान को नेविगेट करना मुश्किल हो जाता है। वो भी तब, जब मौसम अचानक बदल जाए और सामने कुछ भी दिखाई न दे।

साथ ही बर्फबारी से रनवे काफी खतरनाक हो जाता है। इन परिस्थितियों में पायलटों से होने वाली थोड़ी सी चूक भी लैंडिंग को जानलेवा बना सकती है।

3. बेहतर रडार और काबिल स्टाफ की कमी
विमान क्रैश होने की दूसरी वजहों में बेहतर रडार तकनीक की कमी होना है। इसकी वजह से पायलटों को दुर्गम इलाके और मुश्किल मौसम में नेविगेट करना मुश्किल हो जाता है। नेपाल एसोसिएशन ऑफ टूर ऑपरेटर्स के अशोक पोखरियाल बताते हैं कि पुराने विमानों में मॉडर्न वेदर रडार नहीं होते हैं। इस वजह से पायलट को रियल टाइम में मौसम की जानकारी नहीं मिल पाती है।

नेपाल में आवश्यक और पर्याप्त कुशल, ट्रेंड और हाईली सेल्फ मोटिवेटेड सिविल एविएशन स्टाफ भी नहीं है। वर्क फोर्स की कमी के कारण कुछ स्टाफ को नियमित ड्यूटी के अलावा भी कई घंटों तक काम करना पड़ता है। देखा जाए तो यह काम की गुणवत्ता को प्रभावित करता है।

4. खराब एविएशन रिकॉर्ड से 28 देशों में उड़ान पर प्रतिबंध
नेपाल के खराब एविएशन रिकॉर्ड की वजह से यूरोपीय कमीशन ने नेपाली एयरलाइंस पर 28 देशों के ब्लॉक में उड़ान भरने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है।

5. एविएशन अथॉरिटी भ्रष्टाचार के आरोपों से भी घिरी
नेपाल की एविएशन अथॉरिटी भ्रष्टाचार के आरोपों से भी घिरी हुई है। 2019 में यूरोपीय एयरोस्पेस कंपनी एयरबस ने नेपाल एयरलाइंस कॉर्पोरेशन के लिए दो संकरी बॉडी वाले एयरबस A320 जेट डील के लिए नेपाली बिजनेसमैन और अधिकारियों को 34 लाख यूरो यानी 3 करोड़ रुपए की रिश्वत दी थी।

अब नेपाल के हवाई हादसों का इतिहास जानिए
पिछले कुछ सालों में भले ही नेपाल की एयर इंडस्ट्री में तेजी आई हो, लेकिन यहां होने वाले विमान हादसों में कोई कमी नहीं आई है। खराब ट्रेनिंग और रखरखाव की वजह से नेपाल में ज्यादातर हादसे होते हैं।

  • 2019 में एयर डायनेस्टी कंपनी का हेलिकॉप्टर एक पहाड़ी से टकरा गया था। काठमांडू जा रहा यह हेलिकॉप्टर रास्ता भटकने के बाद क्रैश हो गया था। इसमें नेपाल के पर्यटन मंत्री रवीन्द्र अधिकारी और उद्यमी आंग छिरिंग शेरपा सहित 7 लोगों की मौत हो गई थी।
  • 12 मार्च 2018 को US-बांग्ला एयरलाइंस का एक 76-सीटर विमान त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 51 लोगों की मौत हो गई।
  • फरवरी 2016 में पोखरा से जोमसन के लिए एक विमान उड़ान भरने के 8 मिनट बाद लापता हो गया था, जिसमें 23 लोगों की जान चली गई थी। विमान का मलबा बाद में नेपाल के म्यागदी जिले में मिला था।
  • सितंबर 2012 में सिता एयर फ्लाइट 601 के क्रैश होने के बाद 19 लोगों की मौत हो गई थी। ये घरेलू विमान इमरजेंसी लैंडिंग करते समय काठमांडू में हादसे का शिकार हो गया था। इसी साल की शुरुआत में यहां एक और विमान हादसा हुआ था जिसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी।
  • 25 सितंबर 2011 को बुद्धा एयर का एक विमान 1900डी ललितपुर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। विमान में सवार सभी 22 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें 10 भारतीय नागरिक भी शामिल थे।
  • दिसंबर 2010 में तारा एयरलाइंस का एक विमान उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। चालक दल के तीन सदस्यों सहित सभी 22 लोगों की मौत हो गई थी। इसी साल एक और विमान हादसे में 14 लोगों की मौत हुई थी।
  • जुलाई 1992 में नेपाल में सबसे बड़ा और खतरनाक विमान हादसा हुआ था, जिसमें पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस का एक विमान काठमांडू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, इसमें सवार सभी 167 लोगों की मौत हो गई थी।

अब एक स्लाइड में नेपाल में होने वाले पिछले 10 विमान हादसों के बारे में जानिए…

नेपाल में हुए विमान हादसे की असली वजह क्या है?
रविवार को हुए विमान हादसे को लेकर सिविल एविएशन ऑथरिटी ऑफ नेपाल ने कहा है कि मैकेनिकल खराबी की वजह से यह दुर्घटना हुई। हालांकि असली वजह ब्लैक बॉक्स के जरिए ही पता चलेगी। ब्लैक बॉक्स मिलने को लेकर अभी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। ऐसे में जानते हैं कि ब्लैक बॉक्स क्या होता है और इसके डेटा को एनालाइज करने में कितना वक्त लगता है ...

  • ब्लैक बॉक्स का रंग काला नहीं, बल्कि ऑरेंज होता है। यह स्टील या टाइटेनियम से बनी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग डिवाइस है, जो विमान के क्रैश होने पर जांचकर्ताओं को उसकी वजह जानने में मदद करती है।
  • ब्लैक बॉक्स को फ्लाइट रिकॉर्डर भी कहते हैं। यह दो तरह के होते हैं। फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (सीवीआर)। दोनों डिवाइस को मिलाकर एक जूते के डिब्बे के आकार की यूनिट होती है।
  • एफडीआर हवा की स्पीड, ऊंचाई, ऊपर जाने की स्पीड और फ्यूल फ्लो जैसी करीब 80 गतिविधियों को प्रति सेकंड रिकॉर्ड करता है। इसमें 25 घंटे का रिकॉर्डिंग स्टोरेज रहता है।
  • सीवीआर कॉकपिट की आवाजें रिकॉर्ड करता है। पायलटों की आपसी बातचीत, उनकी एयर ट्रैफिक कंट्रोल से हुई बातचीत को रिकॉर्ड करता है। साथ ही स्विच और इंजन की आवाज भी इसमें रिकॉर्ड होती है।
  • आमतौर पर ब्लैक बॉक्स से निकलने वाले डेटा को 10-15 दिन में एनालाइज किया जाता है। इस बीच, हादसे से ठीक पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (एटीसी) से पायलटों की बातचीत को एनालाइज करते हैं।
  • जांच अधिकारियों को यह समझने में मदद करता है कि क्या पायलटों को पता था कि विमान हादसे की ओर बढ़ रहा है। यह भी समझ आ रहा है कि विमान को काबू करने में क्या उन्हें दिक्कत हुई।
  • इसके अलावा जांच अधिकारी एयरपोर्ट पर अलग-अलग डेटा रिकॉर्डर को भी देखते हैं। यह रनवे पर टच डाउन के पॉइंट और इस समय विमान की स्पीड बताते हैं।

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नेपाल में रविवार सुबह बड़ा विमान हादसा हुआ। यति एयरलाइंस के प्लेन ATR-72 में 5 भारतीय समेत 68 यात्री और 4 क्रू मेंबर सवार थे। नेपाल के स्थानीय मीडिया के मुताबिक, अब तक 42 लोगों के शव निकाल लिए गए हैं। सरकार ने मौतों का आंकड़ा 29 बताया है। चश्मदीदों का कहना है कि हादसे में कोई भी नहीं बचा। पूरी खबर पढ़ें

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