दान और पोर्न की वजह से चर्चा में रहे:145 कारों के मालिक; नब किशोर दास की कहानी और हत्या से जुड़े अनसुलझे सवाल

4 महीने पहले
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2021 की बात है। ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास से पत्रकार ने उनके बंदूकों से लगाव के बारे में पूछा। दास बोले- ये बंदूकें सुरक्षा के लिए नहीं, शौक के लिए रखा हूं। बंदूकों के शौकीन दास की उनकी ही सुरक्षा में तैनात सिपाही ने रविवार को गोली मारकर हत्या कर दी। उस वक्त वो ओडिशा के ब्रजराजनगर इलाके में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे।

नब किशोर दास अक्सर सुर्खियों में रहते थे। कभी शनि शिंगणापुर को सोने का कलश दान करके, कभी विधानसभा में अश्लील फिल्में देखने की वजह से, कभी कोरोना के दौरान अपने बेहतरीन काम की वजह से और कभी अपनी कारों और बंदूकों के शौक की वजह से।

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे नब किशोर दास की पूरी कहानी और उनकी हत्या से जुड़े अनसुलझे सवाल…

बीजद की लहर में भी कांग्रेस को जिताते थे नब किशोर दास

ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास संबलपुर जिले के रहने वाले थे और उन्होंने संबलपुर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी और लॉ की पढ़ाई की थी। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। संबलपुर के गंगाधर मेहर कॉलेज में छात्र संघ अध्यक्ष भी चुने गए।

कॉलेज खत्म करने के बाद वह झाड़सुगड़ा जिले में रहने लगे। झाड़सुगड़ा को ओडिशा के इंडस्ट्रियल बेल्ट के रूप में जाना जाता है। यहीं पर दास ने माइनिंग और ट्रांसपोर्टेशन का कारोबार शुरू किया। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मेंबर बनने से पहले दास ओडिशा NSUI और ओडिशा यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रहे। वो पूर्व मुख्यमंत्री जानकी बल्लभ पटनायक के भी काफी करीबी थे।

2004 में कांग्रेस के टिकट पर झाड़सुगड़ा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जिसमें वह बीजू जनता दल, यानी बीजद के किशोर मोहंती से हार गए। पांच साल बाद 2009 में एक बार फिर वे झाड़सुगड़ा विधानसभा सीट से चुनाव में उतरे और इस बार किशोर कुमार मोहंती को हराया।

उस दौरान उन्होंने अपने चुनाव अभियान में बॉलीवुड हस्तियों शक्ति कपूर और असरानी को प्रचार के लिए उतारा था। इसके बाद लगातार दूसरी बार 2014 में मोहंती को हराकर विधायक बने। लोगों को लेकर उनकी समझ और ऑर्गेनाइजेशनल स्किल्स के चलते वह कांग्रेस पार्टी और संबलपुर, सुंदरगढ़ और झाड़सुगड़ा में काफी लोकप्रिय हो गए।

2019 में जब दास ने कांग्रेस छोड़ी तो वे उस वक्त ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष थे। उस समय उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग चाहते हैं कि वह बीजद में शामिल हों। उन्होंने पत्र में लिखा था, 'मेरे क्षेत्र के लोग और वोटर्स चाहते हैं कि मुझे 2019 का विधानसभा चुनाव बीजद से लड़ना चाहिए। वे चाहते हैं कि क्षेत्र का विकास कराने के लिए मुझे ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से हाथ मिलाना चाहिए।’

नब किशोर दास 2019 में कांग्रेस से बीजद में शामिल हो गए थे।
नब किशोर दास 2019 में कांग्रेस से बीजद में शामिल हो गए थे।

145 कारों के मालिक, सबसे अमीर मंत्री

बीजद में शामिल होने के बाद से न सिर्फ दास का सियासी कद बढ़ा बल्कि उनकी संपत्ति में भी तेजी से इजाफा हुआ। साल 2021 के डिक्लेरेशन के मुताबिक, उनके पास 34 करोड़ रुपए की संपत्ति है।

इनमें 145 कारें शामिल हैं। 80 उनके नाम पर और 65 उनकी पत्नी के नाम पर, जिनकी कीमत 15 करोड़ रुपए थी। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बाद दास ओडिशा के सबसे अमीर मंत्री थे। दास के पास 55 हजार रुपए की एक रिवॉल्वर, 1.25 लाख रुपए की एक राइफल और 17,500 रुपए की डबल बैरल गन थी।

दास के पास नई दिल्ली, कोलकाता, भुवनेश्वर, झाड़सुगड़ा और ओडिशा के रायराखोल में 2.28 करोड़ रुपए से अधिक की कई संपत्तियां भी हैं।

नब किशोर दास को सुर्खियो में लाने वाले 3 किस्से...

1. विधानसभा में पोर्न देखते पकड़े गए

साल 2015 में विधानसभा सत्र के दौरान दास पोर्न देखते पकड़े गए थे। उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष निरंजन पुजारी ने उन्हें एक हफ्ते के लिए सत्र से निलंबित कर दिया था।

इस मामले में दास ने कहा था, 'मैंने अपने जीवन में आज तक कोई भी एडल्ट वीडियो नहीं देखा है। यह इंटरनेट का इस्तेमाल करने के दौरान गलती से हो गया। जैसे ही मुझे पता चला, मैंने उसी समय इसे बंद कर दिया था।'

साल 2015 में ओडिशा में विधानसभा सत्र के दौरान पोर्न वीडियो देखते नब किशोर दास।
साल 2015 में ओडिशा में विधानसभा सत्र के दौरान पोर्न वीडियो देखते नब किशोर दास।

2. कोरोना के दौरान काम का सम्मान

बीजद में शामिल होने के बाद दास को ओडिशा सरकार में स्वास्थ्य मंत्रालय का जिम्मा मिला, पद पर वे अपने निधन तक बने रहे। जब 2020 में देश में कोरोना की पहली लहर आई तो वह केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के बजाय राज्य की बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना यानी BSKY लागू करवा रहे थे।

साथ ही राज्य में कोरोना को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क को लागू करवाने में वह हमेशा आगे रहे। कोरोना महामारी के दौरान किए गए उनके कामों की वजह से ओडिशा में केस लोड काफी कम रहा था। विश्व स्वास्थ्य संगठन, यानी WHO ने भी दास के कामों को सराहा था। 2022 में पटनायक कैबिनेट में फेरबदल के बाद भी वह स्वास्थ्य मंत्री के पद पर बने रहे।

2020 में WHO के लेख पर टिप्पणी करते हुए दास ने कहा था कि यह हमारे फ्रंटलाइन वर्कर्स और कोविड वॉरियर्स के लिए मनोबल बढ़ाने वाला है। दुनिया की हाइएस्ट हेल्थकेयर बॉडी से सराहना मिलना बहुत मायने रखता है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। यह हमारे संकल्प को और मजबूत बनाता है।

3. शनि शिंगणापुर को सोने का कलश दान किया

जनवरी 2023 में दास ने महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर को एक सोने का कलश दान किया था। मीडिया रिपोर्ट में इसकी कीमत 1 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई गई थी। हालांकि, बाद में दास ने बताया कि यह सिर्फ 10 लाख रुपए का था।

इस साल जनवरी में शनि शिंगणापुर मंदिर में सोने का कलश दान करते नब किशोर दास।
इस साल जनवरी में शनि शिंगणापुर मंदिर में सोने का कलश दान करते नब किशोर दास।

29 जनवरी को हत्या के दिन क्या-क्या हुआ?

ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब किशोर दास रविवार को झाड़सुगड़ा जिले के ब्रजराजनगर इलाके में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे थे। प्रोटोकॉल के तहत उनकी सुरक्षा में गांधी चौक पुलिस चौकी में तैनात ASI गोपाल कृष्ण दास की ड्यूटी लगी थी। जब दास कार्यक्रम स्थल पर गाड़ी से उतर रहे थे, तभी आरोपी ASI गोपाल ने सीने से सटाकर रिवॉल्वर से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि जब मंत्री आए थे तो भीड़ उन्हें लेने गई, उसमें कुछ सुरक्षाकर्मी भी थे। उसी दौरान एक आवाज आई और भीड़ में से पुलिस ऑफिसर दौड़ कर भागा। भागने के क्रम में भी उसने फायरिंग की। हमें लगा कि जिसने मारा, उसके लिए उसने फायरिंग की है। गोली सीने में लगी है।

घटना में मंत्री लहूलुहान हो गए। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। वहीं मौके पर मौजूद लोगों ने आरोपी ASI गोपाल दास को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया। नब किशोर दास को एयरलिफ्ट कर झाड़सुगड़ा से भुवनेश्वर एम्स लाया गया। जहां उनकी मौत हो गई।

डॉक्टरों के मुताबिक, नब दास को एक गोली लगी थी। इससे उनका दिल और फेफड़ा जख्मी हो गया था। नब किशोर दास की हत्या के मामले में जांच के लिए CID क्राइम ब्रांच का गठन किया गया। इस टीम में 7 सदस्यों के अलावा साइबर एक्सपर्ट, बैलिस्टिक एक्सपर्ट को भी शामिल किया गया है। टीम का नेतृत्व DSP रमेश डोरा ओपीएस कर रहे हैं।

यह वीडियो रविवार को हमले के वक्त का है। ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब दास ने गोली लगने के 7 घंटे बाद दम तोड़ा।
यह वीडियो रविवार को हमले के वक्त का है। ओडिशा के स्वास्थ्य मंत्री नब दास ने गोली लगने के 7 घंटे बाद दम तोड़ा।

नब किशोर दास की हत्या से जुड़े 5 अनसुलझे सवाल…

1. गोली मारने वाला ASI कुछ साल पहले स्वास्थ्य मंत्री का PSO था। अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि ASI ने दास पर हमला क्यों किया।

2. ASI की पत्नी जयंती दास ने स्थानीय पत्रकारों को बताया कि उनके पति मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित थे। सात-आठ साल से पूर्वी ओडिशा के ब्रह्मपुर में इलाज करवा रहे थे। वह कभी-कभी अपनी दवाएं लेना बंद कर देते थे। उनकी पत्नी ने दास से निजी दुश्मनी होने से इनकार किया है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, ASI ने एक महीने पहले मंत्री के साथ थोड़ी देर की बातचीत भी की थी। आखिर ऐसा क्या हुआ कि ASI ने मंत्री को गोली मार दी?

3. MKCG मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में साइकेट्री डिपार्टमेंट के हेड डॉ. चंद्रशेखर त्रिपाठी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि गोपाल दास को बायपोलर डिसऑर्डर था। PTI के मुताबिक, त्रिपाठी ने बताया कि गोपाल दास लगभग 8 से 10 साल पहले पहली बार मेरे क्लीनिक पर आए थे। उन्हें बहुत जल्द गुस्सा आ जाता था और इसका इलाज चल रहा था। इस तरह का व्यवहार होने के बावजूद उसे ब्रजराजनगर में पुलिस चौकी का प्रभारी क्यों बनाया गया?

4. पुलिस के मुताबिक, गोपाल दास को एक दिन पहले बंदूक जारी की गई थी और रविवार को उन्हें मंत्री की सुरक्षा ड्यूटी सौंपी गई थी। आखिर क्यों मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित होने के बावजूद गोपाल दास को सर्विस रिवॉल्वर जारी की गई?

5. खुफिया विभाग की विफलता पर सवाल उठ रहा है। गोपाल ने अपने ही चौकी इलाके में मंत्री को गोली मार दी और प्रोटोकॉल में तैनात अन्य अफसर उसकी मानसिक स्थिति तक नहीं भांप पाए?

कौन है हत्या करने वाला ASI गोपाल?

नब किशोर दास की हत्‍या का आरोपी ASI गोपाल दास।
नब किशोर दास की हत्‍या का आरोपी ASI गोपाल दास।

नब किशोर दास की हत्‍या का आरोपी ASI गोपाल दास ओडिशा के गंजाम जिले के जलेश्‍वरखंडी का रहने वाला है। 1992 में बरहमपुर में बतौर कॉन्स्टेबल करियर की शुरुआत की। 12 साल पहले गोपाल दास को असिस्‍टेंट सब-इंस्‍पेक्‍टर की रैंक पर प्रमोट कर झाड़सुगड़ा भेजा गया था। उसकी वर्तमान पोस्टिंग गांधी चौक आउटपोस्‍ट के इंचार्ज के रूप में है।

ASI गोपाल दास की पत्नी और डॉक्टर ने बताया कि वह मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित है। वहीं झाड़सुगड़ा जिले के सीनियर अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि ASI का इलाज चल रहा था। हालांकि, अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि उसे छुट्टी लेने से कभी मना नहीं किया गया। एक अधिकारी को एक साल में 20 कैजुअल लीव लेने की अनुमति है। गोपाल ने 2021 में 19 और पिछले साल 11 लीव ली थीं।

झाड़सुगड़ा के एक पुलिस अधिकारी ने टाइम्‍स ऑफ इंडिया को बताया कि गोपाल दास को बढ़‍िया इन्वेस्टिगेशन के लिए 18 मेडल मिले हैं। वह अपने करियर में 8 बार कैश अवॉर्ड भी जीत चुका है। ASI गोपाल दास के सर्विस रिकॉर्ड के अनुसार, उसे केवल एक बार ही हल्‍की सजा हुई। चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। हालांकि, सर्विस बुक में ASI की मानसिक बीमारी का कोई जिक्र नहीं है।

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