ऑस्कर में पहली बार भारत का ऐसा जलवा:3 नॉमिनेशन, 2 अवॉर्ड्स, 1 प्रेजेंटर; हम पर फोकस बढ़ाना क्या फीके पड़ते ऑस्कर की मजबूरी

3 महीने पहलेलेखक: आदित्य द्विवेदी
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सोमवार की सुबह ऑस्कर सेरेमनी से ऐसी खबर आई कि पूरा देश 'नाटू-नाटू' कर रहा है। इस बार ऑस्कर अवॉर्ड्स में भारत से 3 नॉमिनेशन हुए थे और दीपिका पादुकोण को खास प्रेजेंटर के तौर पर बुलाया गया था।

फिल्म RRR के गाने 'नाटू-नाटू' ने बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का अवॉर्ड जीता। 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म बनी। हालांकि, डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म 'ऑल दैट ब्रीथ्स' रेस से बाहर हो गई है। इस बार के ऑस्कर अवॉर्ड्स में एशियाई देशों के नॉमिनेशन की खूब चर्चा है।

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि ऑस्कर से अकसर अछूते रहने वाले एशियाई देशों का इस बार बंपर नॉमिनेशन क्यों हुआ? क्या ये ऑस्कर अवॉर्ड्स की घटती व्यूअरशिप और रेटिंग बढ़ाने की कवायद है?

इतिहास में पहली बार 4 एशियन ओरिजिन के एक्टर्स नॉमिनेट

ऑस्कर 2023 में एशियन ओरिजिन के चार एक्टर्स नॉमिनेट हुए हैं। करीब 94 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। इससे पहले 2004 में एशियन ओरिजिन के 3 एक्टर्स नॉमिनेट हुए थे।

इसके अलावा पहली बार ऑस्कर में किसी एशियन को बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला। ये खिताब मलेशिया-चीन मूल की मिशेल यिओह को फिल्म ‘Everything Everywhere All At Once’ के लिए मिला।

ऑस्कर में बतौर एक्ट्रेस नॉमिनेट होने वाली वो दूसरी एशियाई महिला हैं। इससे पहले 1936 में भारतीय मूल की एक्ट्रेस मर्ली ओबेरॉन नॉमिनेट हुई थीं, लेकिन अवॉर्ड नहीं जीत सकीं।

ऑस्कर में पहली बार एक साथ भारत के तीन नॉमिनेशन

ऑस्कर 2023 में पहली बार भारत से तीन नॉमिनेशन हुए। एसएस राजामौली की फिल्म RRR के गाने 'नाटू-नाटू' ने बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग का अवॉर्ड जीता। कार्तिकी गोंजाल्विस के डायरेक्शन में बनी'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म बनी। हालांकि, डॉक्यूमेंट्री फीचर फिल्म 'ऑल दैट ब्रीथ्स' रेस से बाहर हो गई है। इससे पहले 94 सालों में भारतीय मूल के लोगों को सिर्फ 5 अवॉर्ड्स मिले थे।

एशियाई देशों से बढ़ते नॉमिनेशन के पीछे है ऑस्कर से जुड़े विवाद और सेरेमनी के घटते दर्शक…

2015 में ऑस्कर में एक्टिंग अवॉर्ड के सभी 20 नॉमिनेशन व्हाइट लोगों के किए जाने के बाद खूब हंगामा हुआ था। अमेरिकन एक्टिविस्ट एप्रिल रेन ने #OscarsSoWhite नाम से सोशल मीडिया कैंपेन चलाया। इसके बाद इस तरफ ध्यान गया कि ऑस्कर आयोजित करने वाली एकेडमी में ज्यादातर गोरे और पुरुष सदस्य हैं।

अगले साल फिर नॉमिनेशन में डाइवर्सिटी की फिर कमी दिखी तो ऑस्कर के खिलाफ कैंपेन ने और जोर पकड़ा। ऑस्कर अवॉर्ड्स में एशियाई फिल्मों और एक्टर्स की अनदेखी के भी आरोप लगते रहे। इस दौरान ऑस्कर सेरेमनी की व्यूअरशिप की बुरी तरह घटती जा रही थी।

#OscarsSoWhite कैंपेन के बाद एकेडमी ने डाइवर्सिफिकेशन पर काम किया। 2020 में एकेडमी ने एनाउंस किया कि उसके मेंबर्स में 45% महिलाएं, 36% कम रिप्रेजेंट हुई एथनिक और रेशियल कम्युनिटीज होंगी, जिन्हें नॉमिनेशन में वोटिंग का अधिकार होगा।

इस हैशटैग और बदलाव का असर भी देखने को मिला। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना के एक थिंक टैंक ने 2008 से 2015 और 2016 से 2023 के बीच एक तुलनात्मक स्टडी की। इसके मुताबिक ऑस्कर में माइनॉरिटी और एथनिक ग्रुप के नॉमिनीज 8 प्रतिशत से बढ़कर 17 प्रतिशत हो गए। ऑस्कर में महिलाओं का नॉमिनेशन 21 प्रतिशत से बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया। शायद इसी का नतीजा है कि इस बार ऑस्कर में एशियाई नॉमिनेशन भी बढ़े हैं।

2023 में ऑस्कर की रेटिंग और व्यूअरशिप बढ़ने की उम्मीद

एकेडमी ने भारतीय और एशियाई लोगों के नॉमिनेशन बढ़ाकर एक बड़ी ऑडियंस को ऑस्कर से जोड़ने की कोशिश की है। दीपिका पादुकोण का प्रेजेंटेशन और नाटू-नाटू की लाइव परफॉर्मेंस से इस सेरेमनी को ज्यादा हैपनिंग बनाने की भी कोशिश हुई है। इसका पॉजिटिव असर दर्शकों की संख्या और रेटिंग पर देखने को मिल सकता है।

comScore में सीनियर मीडिया एनालिस्ट पॉल के मुताबिक, 'इस साल अवतार, एल्विस और टॉप गनः मेवरिक तीन ब्लॉकबस्टर फिल्में नॉमिनेट हुई थीं। इनमें से दो फिल्मों ने तो 4100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का कारोबार किया है।'

सबसे ज्यादा देखे गए ऑस्कर अवॉर्ड्स उन सालों के हैं जब ब्लॉकबस्टर फिल्में नॉमिनेट हुई थीं। जैसे- 1993 (गांधी), 1998 (टाइटैनिक), 2004 (लॉर्ड ऑफ द रिंग्स)। 2021 में लॉकडाउन की वजह से कोई बड़ी फिल्म नहीं थी, इसलिए इस साल की व्यूअरशिप और रेटिंग डाउन थी।

अब आखिर में ऑस्कर अवॉर्ड्स के बारे में कुछ बातें जान लेते हैं…

ऑस्कर अवॉर्ड की नींव 1927 में रखी गई थी। अमेरिका के MGM स्टूडियो के प्रमुख लुईस बी मेयर ने अपने तीन दोस्तों एक्टर कॉनरेड नागेल, डायरेक्टर फ्रैड निबलो और फिल्ममेकर फीड बिटसोन के साथ मिलकर एक ऐसा ग्रुप बनाने का प्लान बनाया, जिससे पूरी इंडस्ट्री को फायदा मिले। एक ऐसा अवॉर्ड शुरू किया जाए जिससे फिल्म मेकर्स को मोटिवेशन मिले। इस आइडिया को आगे बढ़ाने के लिए लोगों को जोड़ना जरूरी था।

इसके लिए हॉलीवुड के 36 सबसे नामी लोगों को लॉस एंजलिस के एंबेसेडर होटल में बुलाया गया। उनके सामने "इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर ऑफ आर्ट एंड साइंस" बनाने का प्रस्ताव रखा गया। सारे लोग राजी हो गए। मार्च 1927 तक इसके अधिकारी चुने गए। जिनके अध्यक्ष हॉलीवुड एक्टर और प्रोड्यूसर डगलस फेयरबैंक्स बने। आज भी यही एकेडमी ऑस्कर अवॉर्ड्स देती है।

11 मई 1927 में 300 जानी मानी हस्तियों की दावत रखी गई जिनमें से 230 लोगों ने 100 डॉलर में एकेडमी की ऑफिशियल मेंबरशिप ली। शुरुआत में अवॉर्ड को 5 कैटेगरी प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, एक्टर, टेक्नीशियन और राइटर में बांटा गया। इस अवॉर्ड का नाम रखा गया था एकेडमी अवॉर्ड्स।

1956 तक ये अवॉर्ड सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों के लिए ही था। 1957 में एकेडमी ने बेस्ट फॉरेन लेंग्वेज की कैटेगरी बनाई, जिसके बाद भारत समेत सभी देश अपनी फिल्मों का नॉमिनेशन भेजने लगे।

एकेडमी के पास इस समय करीब 10 हजार मेंबर हैं। ये सभी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग ही हैं। एकेडमी गैर-फिल्मी लोगों को मेंबरशिप नहीं देती है। इसका मतलब है सिर्फ फिल्म बनाने वाले ही फिल्में अवॉर्ड के लिए चुनते हैं।

एकेडमी की मेंबरशिप दो तरह से होती है। पहला अगर किसी एक्टर, डायरेक्टर या टेक्नीशियन को किसी फिल्म के लिए ऑस्कर नॉमिनेशन मिला हो तो उसे एकेडमी खुद मेंबरशिप दे देती है।

अगर किसी ऐसे व्यक्ति को मेंबरशिप चाहिए जिसे कभी ऑस्कर नॉमिनेशन नहीं मिला हो तो एकेडमी के दो मेंबर उसके नाम की सिफारिश करते हैं। अगर एकेडमी उसे लायक पाती है तो मेंबरशिप मिल जाती है। जैसे, किसी डायरेक्टर को मेंबरशिप चाहिए तो उसे कम से कम दो फिल्में डायरेक्ट करने का अनुभव हो, उसकी आखिरी फिल्म 10 साल के भीतर बनी हो।

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