9 मई 2023: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाईकोर्ट से पाक रेंजर्स ने गिरफ्तार किया और घसीटते हुए ले गए। इससे भड़के इमरान समर्थकों ने जमकर हिंसा की और आर्मी से जुड़े कई ठिकाने तक जला दिए।
पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने इसे ब्लैक-डे बताया। कहा कि हिंसा करने वालों पर ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि उनकी नस्लें याद रखेंगी। इमरान और उनके समर्थकों पर आर्मी एक्ट लगाने की बात होती है।
17 मई 2023: पाकिस्तान की पंजाब सरकार कहती है कि लाहौर के जमान पार्क इलाके में मौजूद इमरान खान के घर पर 40 आतंकी छिपे हैं। इन्हें 24 घंटे में सिक्योरिटी फोर्सेज के हवाले नहीं किया गया तो एक्शन लिया जाएगा।
इसके बाद रेंजर्स ने खान के घर को चारों तरफ से घेर लिया। सड़कें बंद कर दी हैं और इलाके की बिजली भी काट दी गई।
महज 9 दिनों में इमरान खान हर तरफ से घिर चुके हैं। पाकिस्तान में यह चर्चा है कि फौज ने इमरान को अल्टीमेटम दिया है- इमरान आर्मी एक्ट का सामना करें, पॉलिटिक्स छोड़ दें या फिर लंदन भाग जाएं।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि फौज ने इमरान को तबाह करने का क्या प्लान बनाया है और इमरान के पास क्या विकल्प मौजूद हैं?
11 मई को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने अल कादिर ट्रस्ट मामले में इमरान को जमानत दे दी। साथ ही इमरान को अन्य मामलों में भी गिरफ्तार नहीं करने का आदेश देकर उनका बचाव किया।
पाकिस्तान के सीनियर पॉलिटिकल एनालिस्ट जावेद सिद्दीकी के मुताबिक इन सभी घटनाओं को पाकिस्तान की सेना ने बहुत गंभीरता से लिया है।
इसके बाद ही शाहबाज सरकार और फौज ने मिलकर हिंसा फैलाने वाले सभी नागरिकों पर आर्मी एक्ट के तहत मुकदमा करने का फैसला किया है।
इन सभी पर सैन्य अदालतों में मुकदमा चलाया जाएगा। यह बहुत ही बेतुका है क्योंकि पाकिस्तान संविधान से चल रहा है, एक संवैधानिक सरकार है, संसद है, अदालतें हैं।
लीगल एक्सपर्ट इस फैसले को आश्चर्यजनक ढंग से देख रहे हैं। इसकी वजह यह है कि एक नागरिक पर मार्शल लॉ या सैन्य अदालतों के तहत मुकदमा कैसे चलाया जा सकता है?
ऐसा तभी किया जा सकता है जब कोई संविधान न हो या संविधान को निलंबित या रद्द कर दिया गया हो। इसलिए सिविल राइट्स ऑर्गेनाइजेशन के साथ ही दूसरे लोग भी इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं।
9 मई से पहले पाकिस्तान की सेना का एक धड़ा इमरान के पीछे खड़ा दिखाई दे रहा था। हालांकि, हिंसा के बाद खासकर अब कि स्थिति में कोई भी पाकिस्तानी सेना का अफसर आर्मी चीफ की मुखालफत नहीं करना चाह रहा है।
ऐसे में मुनीर के पास इमरान के ऊपर कार्रवाई करने का सबसे मुफीद मौका है।
आसिम मुनीर के पास इमरान को तबाह करने के 4 विकल्प हैं…
1. मिलिट्री कोर्ट में इमरान खान पर फैसला हो
पॉलिटिकल स्कॉलर हसन अस्करी बताते हैं कि मौजूदा शाहबाज सरकार को तनाव कम करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। यह सरकार स्थिति को और बिगाड़कर पॉलिटिकल एरीना से इमरान की पार्टी PTI को खत्म कर देना चाहती है।
अस्करी कहते हैं कि यह एकदम स्पष्ट है कि अगर आज चुनाव होते हैं तो PTI ही जीतेगी। इमरान की पार्टी भी पाकिस्तान में जल्द से जल्द आम चुनाव कराने की मांग कर रही है।
वह बताते हैं कि दोनों पक्षों के राजनीतिक नेता खून के प्यासे हैं और सत्ता में बैठे दल शांति स्थापित करने के बजाय इस संकट से राजनीतिक लाभ उठाने पर जोर दे रहे हैं।
पाकिस्तान के पॉलिटिकल एनालिस्ट का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पर इमरान खान को बचाने के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में उन पर आर्मी एक्ट के तहत केस दर्ज होने के बाद इमरान खान का मामला सेना के हाथ में चला जाएगा। इसके बाद उन्हें सजा मिलने तक राहत की उम्मीद न के बराबर रह जाएगी।
ऐसे में शाहबाज सरकार पाकिस्तान की सेना पर इमरान के खिलाफ आर्मी एक्ट के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाएगी। यह स्थिति इमरान के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
हिंसा भड़काने के मामले में आर्मी एक्ट के तहत इमरान को सजा-ए-मौत और आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई जा सकती है।
जावेद सिद्दीकी कहते हैं कि वर्तमान सरकार पाकिस्तान के लोगों के कानूनी और नागरिक अधिकारों की रक्षा नहीं कर रही है।
यह नाम से भले ही एक असैन्य सरकार है, लेकिन व्यावहारिक रूप से इसने अपनी सारी शक्तियों को सत्ता प्रतिष्ठान यानी पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
2. इमरान को लंबे समय के लिए गिरफ्तार किया जाए और अयोग्य ठहराया जाए
2017 में भ्रष्टाचार के मामले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अयोग्य ठहराया था। यह मामला पनामा पेपर्स के खुलासे से जुड़ा हुआ था। इमरान खान की पार्टी PTI ने ही इस मामले में नवाज के खिलाफ याचिका लगाई थी।
इस वक्त इमरान के खिलाफ भी पूरे पाकिस्तान में करीब 121 केस दर्ज हैं। इनमें देशद्रोह, ईशनिंदा, हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले केस शामिल हैं। जिस अल कादिर ट्रस्ट केस में इमरान 9 मई को गिरफ्तार किए गए थे उसकी जांच NAB कर रही है।
ऐसे में संभावना है कि इमरान को इन मामलों में गिरफ्तार कर लंबे समय तक जेल में रखा जाए और बाद नवाज शरीफ की तरह ही अयोग्य ठहरा दिया जाए। अयोग्य होने पर इमरान चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।
3. पार्टी में फूट करा दी जाए या चुनाव आयोग बैन लगा दे
इमरान खान के एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बाद भी यह तीसरा विकल्प हकीकत बनता जा रहा है। PTI के अल्पसंख्यक शाखा प्रमुख और नेशनल असेंबली के पूर्व सदस्य जय प्रकाश ने शुक्रवार पार्टी छोड़ने की घोषणा की है।
इससे पहले इमरान खान के करीबी और पूर्व फेडरल मंत्री आमिर महमूद कियानी, जलवायु परिवर्तन पर PM के पूर्व सलाहकार मलिक अमीन असलम, केपी मोहम्मद इकबाल वजीर, महमूद मौलवी, संजय सागवानी और करीम गबोल जैसे PTI के कई महत्वपूर्ण नेताओं ने पार्टी से अलग होना शुरू कर दिया है।
बताया जा रहा है कि सेना PTI के सभी प्रमुख नेताओं का गिरफ्तार कर उन्हें हिंसा को गलत ठहराने और पार्टी छोड़ने का दबाव बना रही है।
इसके साथ ही आर्मी और शाहबाज सरकार इमरान खान की पार्टी PTI पर बैन लगवाने की तैयारी भी कर रही है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की केयरटेकर सरकार ने गुरुवार को पाकिस्तान के चुनाव आयोग को 9 मई को संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए आतंकवादी हमलों में PTI के शामिल होने के सबूत सौंपे हैं।
दरअसल पंजाब सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त सिकंदर सुल्तान राजा और चुनाव आयोग के सदस्यों के लिए मुख्यमंत्री आवास में एक ब्रीफिंग रखी थी। इसमें चुनाव को तस्वीरों, वीडियो और मैसेज सबूत के तौर पर पेश किया गया।
4. इमरान पर दबाव बनाया जाए ताकि वो देश छोड़कर लंदन जैसी जगह पर चले जाएं
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने एक और विकल्प है कि वह पाकिस्तान की राजनीति को फिलहाल अलविदा कर चुपचाप लंदन चले जाएं। पाकिस्तान में चर्चा है कि फौज ने शाहबाज सरकार के जरिए यह प्रस्ताव इमरान तक पहुंचा दिया है।
बताया जा रहा है इमरान खान पार्टी के करीबी नेताओं के साथ इस विकल्प पर सलाह ले रहे हैं। इमरान खान को प्रस्ताव स्वीकार करने की समय सीमा दी गई हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह समय सीमा कब खत्म होगी।
पाकिस्तान के पूर्व PM, जिन्हें आर्मी के खिलाफ स्टैंड लेना भारी पड़ा है
ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तान की आर्मी को ये बिल्कुल पसंद नहीं है कि कोई भी पॉलिटिकल लीडर इतना पॉपुलर बन जाए कि वह मिलिट्री एस्टैब्लिशमेंट को ओवर शैडो करन लगे। पाकिस्तान के कई पूर्व PM को आर्मी के खिलाफ स्टैंड लेना काफी भारी पड़ा है।
जुल्फिकार अली भुट्टो : 5 जुलाई 1977 को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक ने देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। एक साल बाद ही हक ने पूर्व PM जुल्फिकार भुट्टो को गिरफ्तार करवा जेल में डलवा दिया।
18 दिसंबर 1978 को हत्या के एक विवादित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनको दोषी माना। 4 अप्रैल 1979 को रावलपिंडी की सेंट्रल जेल में भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया।
बेनजीर भुट्टो : बेनजीर को पाक के सैन्य तानाशाह ने हाउस अरेस्ट में रखा। हाउस अरेस्ट खत्म होने के कुछ ही हफ्तों बाद 2007 में इनकी हत्या कर दी गई। वैसे तो बेनजीर भुट्टो की हत्या में पाकिस्तानी तालिबान का हाथ बताया जाता है।
लेकिन 2017 में एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के तानाशाह जनरल रहे परवेज मुशर्रफ ने स्वीकार किया था कि शायद बेनजीर भुट्टो के कत्ल में पाकिस्तान का एस्टैब्लिशमेंट शामिल था। पाकिस्तान में एस्टैब्लिशमेंट शब्द का इस्तेमाल फौज के लिए किया जाता है।
नवाज शरीफ : 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ तख्तापलट करते हैं और PM शरीफ को गिरफ्तार कर लेते हैं। उस वक्त भी शरीफ को फांसी देने की बात आई थी, लेकिन सऊदी अरब और अमेरिका के दबाव के बाद ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद शरीफ को देश छोड़कर सऊदी जाना पड़ा।
सऊदी अरब के साथ हुए समझौते के तहत नवाज शरीफ को अगले 10 सालों के लिए निर्वासन में रहना था। साथ ही 21 सालों तक पाकिस्तान की राजनीति में भाग नहीं लेना था।
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