पाकिस्तान एक बार फिर भारी मुसीबत में है। महंगाई 25% की रफ्तार से बढ़ रही है। विदेशी मुद्रा भंडार महज 41 हजार करोड़ बचा है, जिससे सिर्फ 3 हफ्ते का इम्पोर्ट बिल चुकाया जा सकता है। ये पिछले 8 सालों में सबसे कम है। इस मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान की उम्मीद भरी नजरें IMF, चीन और सऊदी अरब पर टिकी हुई हैं।
5 जनवरी 2023 को 'द गार्डियन' में लिखे एक लेख में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने दुनिया भर के देशों से मदद की अपील की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सऊदी अरब से कुछ दिनों में पैसे मिलेंगे। इसके ठीक बाद मंगलवार को सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान में 10 अरब डॉलर के निवेश पर विचार करने के लिए कहा है।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि पाकिस्तान और सऊदी अरब का रिश्ता कैसा है और क्या मुस्लिम भाईचारे के नाम पर एक बार फिर पाक को डूबने से बचा लेगा सऊदी अरब…
सऊदी अरब में हाजिरी लगाते हैं पाक के नए PM और सेना प्रमुख
पाकिस्तान का सेना प्रमुख बनने के डेढ़ महीने बाद ही जनरल सैयद असीम मुनीर 5 जनवरी 2023 को सऊदी अरब के दौरे पर गए।
इससे पहले मई 2022 में सऊदी अरब गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सऊदी से कुल 8 अरब डॉलर का राहत पैकेज लेने में कामयाबी हासिल हुई थी। इस समय सऊदी अरब ने पाकिस्तान को तेल के लिए दी जाने वाली वित्तीय राहत को भी दोगुना करने का वादा किया था।
अगस्त 2018 में इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद पहले ही महीने वह सऊदी अरब के दौरे पर गए थे। इमरान खान ने करीब 4 साल के कार्यकाल में कुल 32 विदेश यात्राएं कीं, इनमें 8 बार वो सऊदी अरब गए थे।
सऊदी अरब हर मुश्किल घड़ी में पाकिस्तान की मदद क्यों करता है?
सऊदी अरब की इतनी मदद के बावजूद उसे पाकिस्तान से कई बार निराशा हाथ लगी है…
सऊदी के 10 अरब डॉलर से इस बार पाकिस्तान का कुछ नहीं होने वाला
पाकिस्तान को इस समय किसी दूसरे देशों या संस्थाओं से कर्ज नहीं मिला है। वहीं, दूसरी तरफ कमजोर वित्तीय हालत की वजह से पाकिस्तानी रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। अगले कुछ महीने में पाकिस्तान को विदेशी कर्ज के तौर पर 30 अरब डॉलर से ज्यादा चुकाना है। यही वजह है कि पाकिस्तान के डिफॉल्टर होने की आशंकाएं बढ़ रही हैं।
ऐसे हालात में अगर सऊदी अरब पाकिस्तान को 10 अरब डॉलर की मदद कर भी देता है फिर भी पाकिस्तान को कर्ज तोड़ने के लिए 20 अरब डॉलर की और जरूरत होगी। इतना ही नहीं देश की अर्थव्यवस्था को गति देकर इकोनॉमी को मजबूत बनाने के लिए भी पाकिस्तान को पैसों की जरूरत होगी।
पाकिस्तान के निवार्सित होने वाले पत्रकार ताहा सिद्दीकी ने अलजजीरा में लिखे अपने एक लेख में कहा है कि सऊदी आर्थिक पैकेज और निवेश के वादों के जरिए आर्थिक रूप से तंगहाल पाकिस्तानी सरकार की वफादारी खरीदने की कोशिश करता है और अपने हिसाब से पाकिस्तानी सीमाओं पर नीतियां बनवाता है। हालांकि इस बार सऊदी का मदद पाकिस्तान के लिए ऊंट के मुंह में जीरा जैसा ही होगा।
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