''पाक अधिकृत कश्मीर यानी PoK, भारत का हिस्सा था, भारत का हिस्सा है और रहेगा। ऐसा कैसे हो सकता है कि भगवान शिव के रूप में बाबा अमरनाथ हमारे साथ हैं और मां शारदा शक्ति LoC के दूसरी ओर हैं।"
ये बात रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में 23वें कारगिल विजय दिवस के लिए आयोजित एक समारोह में कही। उनके इस बयान के बाद मां शारदा शक्ति के उस मंदिर को लेकर चर्चा शुरू हो गई, जो 75 सालों से PoK में है। यह हिंदू धर्म की देवी सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर है, जो अब खंडहर में बदल चुका है। देवी सरस्वती को शारदा भी कहा जाता है।
चलिए आज के भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं कि आखिर क्या है मां शारदा शक्ति पीठ का इतिहास, भूगोल समेत पूरी कहानी?
खबर में आगे बढ़ने से पहले एक पोल में हिस्सा लेते हैं:
कश्मीरी पंडितों की कुल देवी हैं मां शारदा, उनका तीर्थस्थल है शारदा पीठ
'नमस्ते शारदा देवी कश्मीर पुर वासिनी त्वम अहम् प्रथये नित्यं विद्याधनं चे दे ही माही।'
इसका अर्थ है- 'आपको प्रणाम, शारदा देवी, कश्मीर की निवासी, मैं आपकी हमेशा प्रशंसा करता हूं, मुझे ज्ञान का धन दो।' ये प्रार्थना कश्मीरी पंडितों की मां शारदा की रोज की पूजा का हिस्सा है। शारदा देवी कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी हैं और शारदा पीठ कश्मीरी पंडितों के लिए एक तीर्थस्थल है। शारदा पीठ को 18 अष्टादश महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है।
भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले का है शारदा पीठ
यह पीठ नीलम, मधुमती और सरगुन नदी की धाराओं के संगम के पास हरमुख पहाड़ी पर करीब 6500 फीट की ऊंचाई पर है, जो PoK के मुजफ्फराबाद से 140 किलोमीटर और कश्मीर के कुपवाड़ा से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले शारदा पीठ, मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ गुफा के साथ जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल था।
इतिहास: कश्मीर के ताकतवर हिंदू राजा ने बनवाया था शारदा पीठ मंदिर
मंदिर के निर्माण की सटीक तारीख पता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि शारदा मंदिर हजारों साल पुराना है।
धार्मिक मान्यता: 18 महाशक्ति पीठों में से एक, माता सती का दायां हाथ गिरा था
शारदा पीठ को 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां माता सती का दायां हाथ गिरा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती की मृत्यु के बाद शोकाकुल भगवान शिव सती के शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूम रहे थे। सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से 51 हिस्सों में काट दिया था।
ये सभी हिस्से धरती पर जहां गिरे, वे सभी पवित्र स्थल बन गए और शक्ति पीठ कहलाए। इन सभी स्थानों पर माता शक्ति यानी मां पार्वती या दुर्गा के मंदिर बने।
शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे शंकराचार्य और कश्मीरी कवि कल्हण
छठी से 12वीं शताब्दी के दौरान शारदा पीठ न केवल एक मंदिर,बल्कि शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र भी था।
1947 तक कैसा दिखता था शारदा पीठ
1947 में देश के विभाजन से पहले मंदिर में जाने वाले आखिरी लोगों में शामिल एक कश्मीरी पंडित विद्वान पृथ्वीनाथ कौल बामजई ने शारदा मंदिर कैसा दिखता था, इसकी जानकारी दी थी, जो कुछ इस तरह है- मंदिर में कोई मूर्ति नहीं थी, लेकिन एक बहुत बड़ा चबूतरा था और बाहर एक शिवलिंग मौजूद था। मंदिर के मुख्य प्रांगण का व्यास 22 फीट यानी करीब 72 फीट था।
इसका प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर था। अन्य प्रवेश द्वारों के ऊपर तोरण बने थे, और ये तोरण 20 फुट ऊंचे थे। मुख्य द्वार पर पगडंडियां थीं। बरामदे के दोनों किनारों पर दो चौकोर आकार के पत्थर के स्तंभ थे, जो 16 फीट ऊंचे और करीब 2.6 फीट चौड़े थे। मंदिर के अंदर का निर्माण बहुत सादा और कम सजावट वाला था। मंदिर मधुमती नदी के दाहिने किनारे पर एक पहाड़ी पर स्थित है।
यहां पहले हर साल तीर्थ यात्रियों का एक सालाना मेला लगता था, जो 1947 में मंदिर के PoK में जाने के बाद बंद हो गया था।
खंडहर में कैसे तब्दील हो गया शारदा पीठ?
14वीं सदी में कश्मीर के सुल्तान रहे जैनुल अबादीन ने इस मंदिर को काफी दान दिया था, लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना है कि भारत में मुस्लिम शासन के दौरान शारदा पीठ को लगातार नजरअंदाज किया गया और मंदिर के विकास को दबाने की कोशिशें हुई थीं। इसी से धीरे-धीरे ये जर्जर होता गया।
साथ ही ये मंदिर जिस इलाके में है, वहां काफी भूकंप आते हैं। मंदिर के खंडहर होने की एक वजह यहां आने वाले भूकंपों को भी माना जाता है। अक्टूबर 2005 में PoK में आए एक जोरदार भूकंप में मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था।
1947 के बाद इस मंदिर के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK में जाने के बाद से इसकी देखरेख का जिम्मा पाकिस्तान ऑर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के पास है, लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिए कोई काम नहीं किया है।
उठती रही है भारतीयों को शारदा पीठ के दर्शन की अनुमति देने की मांग
1947 में देश की आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर को लेकर हुए युद्ध के बाद ये मंदिर PoK में चला गया। इसके बाद भारतीय तीर्थयात्रियों के यहां जाने पर रोक लग गई। उसके बाद से ये मंदिर निर्जन हो गया है यानी वहां काफी कम लोग जाते हैं।
भारतीय तीर्थयात्रियों को शारदा पीठ जाने की अनुमति दिए जाने की मांग अतीत में भी उठ चुकी है। ये मांग नवंबर 2019 में करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद और तेज हो गई। करतारपुर कॉरिडोर बनने से भारतीय सिखों के पाकिस्तान स्थित गुरद्वारा दरबार साहिब जाने का रास्ता खुल गया।
साल 2007 में देश के पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान सरकार से शारदा पीठ के जीर्णोद्धार की मांग की थी। 2019 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में पाकिस्तानी सरकार के भारतीयों के शारदा पीठ दर्शन के लिए एक कॉरिडोर बनाने की खबरें आई थीं, लेकिन बाद में पाकिस्तानी सरकार ने इस दिशा में आगे कोई प्रयास नहीं किया।
रेफरेंस लिंक
https://www.indiatoday.in/fyi/story/sharada-peeth-all-you-need-to-know-1399896-2018-11-30
https://www.dawn.com/news/1398483/heritage-goddess-of-the-mountains
https://catalogue.nla.gov.au/Record/4699170 https://www.thequint.com/explainers/explainer-sharada-peeth-shrine-pok-kashmiri-pandit-demand#read-more
https://www.news18.com/blogs/india/lt-gen-syed-ata-hasnain/sharda-peeth-an-iconic-shrine-too-far-14405-1187972.html http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache%3Ahttps%3A%2F%2Findianexpress.com%2Farticle%2Fwhat-is%2Fwhat-is-sharada-peeth-5474669%2F&rlz=1C1CHZN_enIN994IN994&oq=cache%3Ahttps%3A%2F%2Findianexpress.com%2Farticle%2Fwhat-is%2Fwhat-is-sharada-peeth-5474669%2F&aqs=chrome..69i57j69i58.3638j0j4&sourceid=chrome&ie=UTF-8
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