PoK में मां शारदा पीठ, जिसका राजनाथ ने किया जिक्र:अनोखा कश्मीरी मंदिर, जो अष्टमी को हिलने लगता था, पाक ने लगाई है भारतीयों के जाने पर रोक

8 महीने पहलेलेखक: अभिषेक पाण्डेय
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''पाक अधिकृत कश्मीर यानी PoK, भारत का हिस्सा था, भारत का हिस्सा है और रहेगा। ऐसा कैसे हो सकता है कि भगवान शिव के रूप में बाबा अमरनाथ हमारे साथ हैं और मां शारदा शक्ति LoC के दूसरी ओर हैं।"

ये बात रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में 23वें कारगिल विजय दिवस के लिए आयोजित एक समारोह में कही। उनके इस बयान के बाद मां शारदा शक्ति के उस मंदिर को लेकर चर्चा शुरू हो गई, जो 75 सालों से PoK में है। यह हिंदू धर्म की देवी सरस्वती का एक प्राचीन मंदिर है, जो अब खंडहर में बदल चुका है। देवी सरस्वती को शारदा भी कहा जाता है।

चलिए आज के भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं कि आखिर क्या है मां शारदा शक्ति पीठ का इतिहास, भूगोल समेत पूरी कहानी?

खबर में आगे बढ़ने से पहले एक पोल में हिस्सा लेते हैं:

कश्मीरी पंडितों की कुल देवी हैं मां शारदा, उनका तीर्थस्थल है शारदा पीठ
'नमस्ते शारदा देवी कश्मीर पुर वासिनी त्वम अहम् प्रथये नित्यं विद्याधनं चे दे ही माही।'

इसका अर्थ है- 'आपको प्रणाम, शारदा देवी, कश्मीर की निवासी, मैं आपकी हमेशा प्रशंसा करता हूं, मुझे ज्ञान का धन दो।' ये प्रार्थना कश्मीरी पंडितों की मां शारदा की रोज की पूजा का हिस्सा है। शारदा देवी कश्मीरी पंडितों की कुलदेवी हैं और शारदा पीठ कश्मीरी पंडितों के लिए एक तीर्थस्थल है। शारदा पीठ को 18 अष्टादश महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है।

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले का है शारदा पीठ
यह पीठ नीलम, मधुमती और सरगुन नदी की धाराओं के संगम के पास हरमुख पहाड़ी पर करीब 6500 फीट की ऊंचाई पर है, जो PoK के मुजफ्फराबाद से 140 किलोमीटर और कश्मीर के कुपवाड़ा से 30 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत और पाकिस्तान के बंटवारे से पहले शारदा पीठ, मार्तंड सूर्य मंदिर और अमरनाथ गुफा के साथ जम्मू-कश्मीर के तीन प्रमुख तीर्थस्थलों में शामिल था।

ये तस्वीर PoK स्थित शारदा पीठ की है। अब मंदिर खंडहर हालत में है और इसके अंदर किसी देवी की मूर्ति नहीं है। बिना किसी साज-सज्जा वाले मंदिर में अब बस पत्थरों के स्लैब ही बचे हैं। 2009 में प्रकाशित हुई किताब 'कल्चरल हेरिटेज ऑफ कश्मीरी पंडित्स' में कश्मीरी लेखक अयाज रसूल नाजकी ने शारदा पीठ से जुड़ी एक लोक कथा का जिक्र किया है। इस कथा के अनुसार- अच्छाई और बुराई के बीच युद्ध के दौरान देवी शारदा ने ज्ञान के पात्र की रक्षा की थी। शारदा देवी ये पात्र लेकर घाटी में गईं और उसे एक गहरे गड्ढे में छिपा दिया। इसके बाद उन्होंने उस पात्र को ढंकने के लिए खुद को एक ढांचे में बदल लिया। अब यही ढांचा शारदा पीठ के रूप में खड़ा है।
ये तस्वीर PoK स्थित शारदा पीठ की है। अब मंदिर खंडहर हालत में है और इसके अंदर किसी देवी की मूर्ति नहीं है। बिना किसी साज-सज्जा वाले मंदिर में अब बस पत्थरों के स्लैब ही बचे हैं। 2009 में प्रकाशित हुई किताब 'कल्चरल हेरिटेज ऑफ कश्मीरी पंडित्स' में कश्मीरी लेखक अयाज रसूल नाजकी ने शारदा पीठ से जुड़ी एक लोक कथा का जिक्र किया है। इस कथा के अनुसार- अच्छाई और बुराई के बीच युद्ध के दौरान देवी शारदा ने ज्ञान के पात्र की रक्षा की थी। शारदा देवी ये पात्र लेकर घाटी में गईं और उसे एक गहरे गड्ढे में छिपा दिया। इसके बाद उन्होंने उस पात्र को ढंकने के लिए खुद को एक ढांचे में बदल लिया। अब यही ढांचा शारदा पीठ के रूप में खड़ा है।

इतिहास: कश्मीर के ताकतवर हिंदू राजा ने बनवाया था शारदा पीठ मंदिर

मंदिर के निर्माण की सटीक तारीख पता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि शारदा मंदिर हजारों साल पुराना है।

  • कुछ इतिहासकारों की मानें तो शारदा पीठ का निर्माण 5 हजार साल पहले हुआ था। वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि इसका निर्माण 273 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक के समय में हुआ था।
  • एक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण पहली सदी में कुषाण वंश के शासन के दौरान हुआ था। वहीं कुछ मान्यताओं के अनुसार, शारदा क्षेत्र में बौद्धों का काफी प्रभाव था। हालांकि रिसर्चर्स इस दावे के समर्थन में सबूत नहीं तलाश पाए हैं।
  • शारदा मंदिर पर केस स्टडी करने वाले फैज उर रहमान का कहना है कि शिक्षाविदों का मानना है कि शारदा पीठ का निर्माण कश्मीर पर शासन करने वाले कर्कोटा राजवंश के ताकतवर हिंदू शासक ललितादित्य मुक्तपीड ने कराया था। ।
  • ललितादित्य ने कश्मीर पर 724 ईस्वी से 760 ईस्वी तक शासन किया था। इस दावे को इसलिए भी सही माना जाता है कि क्योंकि राजा ललितादित्य बड़े-बड़े मंदिरों के निर्माण में माहिर थे।
  • शारदा पीठ मंदिर आर्किटेक्चर, डिजाइन और कंस्ट्रक्शन स्टाइल में अनंतनाग स्थित मार्तंड सूर्य मंदिर से काफी मिलता-जुलता है। मार्तंड मंदिर का निर्माण भी ललितादित्य ने ही कराया था।
  • इसका सबसे पुराना लिखित जिक्र छठी से आठवीं सदी के दौरान नीलमत पुराण में मिलता है। नीलमत पुराण, कश्मीर के इतिहास के बारे में सबसे प्राचीन पुस्तक है।
  • 11वीं सदी में कश्मीरी कवि बिल्हण ने शारदा पीठ के अध्यात्म और शिक्षा की अहमियत के बारे में लिखा था।
  • 11वीं सदी में भारत आने वाले फारसी विद्धान अल-बरूनी ने मुल्तान सूर्य मंदिर, स्थानेश्वर महादेव मंदिर और सोमनाथ मंदिर के साथ ही शारदा पीठ का जिक्र भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे चर्चित मंदिरों के रूप में किया था।
  • 12वीं सदी में प्रसिद्ध कश्मीरी कवि कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी में शारदा पीठ का जिक्र एक प्रमुख पूजा स्थल के रूप में किया गया था।
  • 16वीं सदी में अकबर के नवरत्नों में शामिल रहे अबुल फजल ने शारदा पीठ को पत्थरों का मंदिर और महान पूजा स्थल बताया था। फजल के अनुसार, ''शुक्ल पक्ष की हर आठवीं तिथि को मंदिर हिलने लगता है और सबसे ज्यादा असाधारण प्रभाव पैदा करता है।''
कार्कोटा वंश के ललितादित्य कश्मीर के प्रतापी हिंदू राजा थे, उन्हें कश्मीर का सिकंदर कहा जाता है। उन्होंने कश्मीर पर 724 ईस्वी से 760 ईस्वी तक शासन किया था। उन्होंने कई प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया था, जिनमें कश्मीर में स्थित दो प्रसिद्ध मंदिर मर्तांड सूर्य मंदिर और शारदा सिद्धपीठ शामिल हैं। ललितादित्य ने कश्मीर पर हमला करने वाले अरब हमलावरों को चार बार हराते हुए पीछे धकेल दिया था। उन्होंने अरबों, तिब्बतियों, कम्बोजों और तुर्कों को पराजित किया था। उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार तिब्बत के पठार से आगे चीन तक और पश्चिम में कैस्पियन सागर तक किया था। उनका राज्य तुर्किस्तान से लेकर तिब्बत तक फैला था। भारत में उनका शासन पूर्व में बंगाल, ओडिशा से लेकर दक्षिण में कोंकण तक फैला था।
कार्कोटा वंश के ललितादित्य कश्मीर के प्रतापी हिंदू राजा थे, उन्हें कश्मीर का सिकंदर कहा जाता है। उन्होंने कश्मीर पर 724 ईस्वी से 760 ईस्वी तक शासन किया था। उन्होंने कई प्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया था, जिनमें कश्मीर में स्थित दो प्रसिद्ध मंदिर मर्तांड सूर्य मंदिर और शारदा सिद्धपीठ शामिल हैं। ललितादित्य ने कश्मीर पर हमला करने वाले अरब हमलावरों को चार बार हराते हुए पीछे धकेल दिया था। उन्होंने अरबों, तिब्बतियों, कम्बोजों और तुर्कों को पराजित किया था। उन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार तिब्बत के पठार से आगे चीन तक और पश्चिम में कैस्पियन सागर तक किया था। उनका राज्य तुर्किस्तान से लेकर तिब्बत तक फैला था। भारत में उनका शासन पूर्व में बंगाल, ओडिशा से लेकर दक्षिण में कोंकण तक फैला था।

धार्मिक मान्यता: 18 महाशक्ति पीठों में से एक, माता सती का दायां हाथ गिरा था

शारदा पीठ को 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यहां माता सती का दायां हाथ गिरा था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती की मृत्यु के बाद शोकाकुल भगवान शिव सती के शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूम रहे थे। सृष्टि को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को सुदर्शन चक्र से 51 हिस्सों में काट दिया था।

ये सभी हिस्से धरती पर जहां गिरे, वे सभी पवित्र स्थल बन गए और शक्ति पीठ कहलाए। इन सभी स्थानों पर माता शक्ति यानी मां पार्वती या दुर्गा के मंदिर बने।

माना जाता है कि कुल 51 शक्ति पीठ हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत में है, लेकिन कुछ शक्ति पीठ बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, और श्रीलंका में भी हैं। इन शक्ति पीठों में से 18 को अष्टादश महाशक्ति पीठ कहा जाता है। PoK स्थित शारदा पीठ भी इनमें से एक है। तस्वीर में जर्जर हालत में शारदा पीठ नजर आ रहा है। इस मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों की चौड़ाई लगभग 10 फीट है। इनमें से हर एक सीढ़ी करीब एक फुट ऊंची है और 2 से 3 फीट गहरी है।
माना जाता है कि कुल 51 शक्ति पीठ हैं, जिनमें से ज्यादातर भारत में है, लेकिन कुछ शक्ति पीठ बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, और श्रीलंका में भी हैं। इन शक्ति पीठों में से 18 को अष्टादश महाशक्ति पीठ कहा जाता है। PoK स्थित शारदा पीठ भी इनमें से एक है। तस्वीर में जर्जर हालत में शारदा पीठ नजर आ रहा है। इस मंदिर की ओर जाने वाली सीढ़ियों की चौड़ाई लगभग 10 फीट है। इनमें से हर एक सीढ़ी करीब एक फुट ऊंची है और 2 से 3 फीट गहरी है।

शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे शंकराचार्य और कश्मीरी कवि कल्हण

छठी से 12वीं शताब्दी के दौरान शारदा पीठ न केवल एक मंदिर,बल्कि शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र भी था।

  • शारदा पीठ के परिसर में शारदा यूनिवर्सिटी थी, जहां पढ़ने के लिए देश-विदेश से छात्र आते थे।
  • माना जाता है कि शारदा यूनिवर्सिटी की वजह से ही उस समय उत्तर भारत में शारदा लिपि का विकास और प्रचार हुआ। शारदा लिपि की वजह से ही पहले कश्मीर का नाम शारदा देश पड़ गया, इसका मतलब होता है शारदा यानी सरस्वती का देश।
  • शारदा यूनिवर्सिटी में करीब 5 हजार छात्र पढ़ते थे और वहां दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी थी। उस समय शारदा यूनिवर्सिटी की गिनती नालंदा और तक्षशिला जैसे शिक्षा के चर्चित केंद्रों में होती थी।
आदि शंकराचार्य भारत के एक महान दार्शनिक और धर्म प्रवर्तक थे। माना जाता है कि शारदा पीठ के पास स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालों में आदि शंकराचार्य और कश्मीरी कवि कल्हण जैसे चर्चित लोग भी शामिल थे।
आदि शंकराचार्य भारत के एक महान दार्शनिक और धर्म प्रवर्तक थे। माना जाता है कि शारदा पीठ के पास स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में पढ़ने वालों में आदि शंकराचार्य और कश्मीरी कवि कल्हण जैसे चर्चित लोग भी शामिल थे।

1947 तक कैसा दिखता था शारदा पीठ

1947 में देश के विभाजन से पहले मंदिर में जाने वाले आखिरी लोगों में शामिल एक कश्मीरी पंडित विद्वान पृथ्वीनाथ कौल बामजई ने शारदा मंदिर कैसा दिखता था, इसकी जानकारी दी थी, जो कुछ इस तरह है- मंदिर में कोई मूर्ति नहीं थी, लेकिन एक बहुत बड़ा चबूतरा था और बाहर एक शिवलिंग मौजूद था। मंदिर के मुख्य प्रांगण का व्यास 22 फीट यानी करीब 72 फीट था।

इसका प्रवेश द्वार पश्चिम की ओर था। अन्य प्रवेश द्वारों के ऊपर तोरण बने थे, और ये तोरण 20 फुट ऊंचे थे। मुख्य द्वार पर पगडंडियां थीं। बरामदे के दोनों किनारों पर दो चौकोर आकार के पत्थर के स्तंभ थे, जो 16 फीट ऊंचे और करीब 2.6 फीट चौड़े थे। मंदिर के अंदर का निर्माण बहुत सादा और कम सजावट वाला था। मंदिर मधुमती नदी के दाहिने किनारे पर एक पहाड़ी पर स्थित है।

यहां पहले हर साल तीर्थ यात्रियों का एक सालाना मेला लगता था, जो 1947 में मंदिर के PoK में जाने के बाद बंद हो गया था।

खंडहर में कैसे तब्दील हो गया शारदा पीठ?

14वीं सदी में कश्मीर के सुल्तान रहे जैनुल अबादीन ने इस मंदिर को काफी दान दिया था, लेकिन कुछ इतिहासकारों का कहना है कि भारत में मुस्लिम शासन के दौरान शारदा पीठ को लगातार नजरअंदाज किया गया और मंदिर के विकास को दबाने की कोशिशें हुई थीं। इसी से धीरे-धीरे ये जर्जर होता गया।

गुलाब सिंह डोगरा वंश के संस्थापक और जम्मू-कश्मीर रियासत के पहले महाराजा थे। उन्होंने 1846 में शारदा पीठ का जीर्णोद्धार कराया था और वहां एक पुजारी की नियुक्ति की थी।
गुलाब सिंह डोगरा वंश के संस्थापक और जम्मू-कश्मीर रियासत के पहले महाराजा थे। उन्होंने 1846 में शारदा पीठ का जीर्णोद्धार कराया था और वहां एक पुजारी की नियुक्ति की थी।

साथ ही ये मंदिर जिस इलाके में है, वहां काफी भूकंप आते हैं। मंदिर के खंडहर होने की एक वजह यहां आने वाले भूकंपों को भी माना जाता है। अक्टूबर 2005 में PoK में आए एक जोरदार भूकंप में मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था।

1947 के बाद इस मंदिर के पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी PoK में जाने के बाद से इसकी देखरेख का जिम्मा पाकिस्तान ऑर्कियोलॉजिकल डिपार्टमेंट के पास है, लेकिन पाकिस्तानी सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिए कोई काम नहीं किया है।

कुछ इतिहासकार अब शारदा पीठ के आसपास किसी यूनिवर्सिटी के अवशेष नहीं मिलने का हवाला देते हुए शारदा यूनिवर्सिटी के दावे को नकारते हैं। इस पर ये तर्क दिया जाता है कि जहां शारदा पीठ हैं, वहां भूकंप बहुत आते हैं। ऐसे में संभव है कि ढह गई शारदा यूनिवर्सिटी के मलबे का इस्तेमाल आसपास के लोगों ने अपने घर और अन्य कंस्ट्रक्शन में कर लिया हो।
कुछ इतिहासकार अब शारदा पीठ के आसपास किसी यूनिवर्सिटी के अवशेष नहीं मिलने का हवाला देते हुए शारदा यूनिवर्सिटी के दावे को नकारते हैं। इस पर ये तर्क दिया जाता है कि जहां शारदा पीठ हैं, वहां भूकंप बहुत आते हैं। ऐसे में संभव है कि ढह गई शारदा यूनिवर्सिटी के मलबे का इस्तेमाल आसपास के लोगों ने अपने घर और अन्य कंस्ट्रक्शन में कर लिया हो।

उठती रही है भारतीयों को शारदा पीठ के दर्शन की अनुमति देने की मांग

1947 में देश की आजादी के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर को लेकर हुए युद्ध के बाद ये मंदिर PoK में चला गया। इसके बाद भारतीय तीर्थयात्रियों के यहां जाने पर रोक लग गई। उसके बाद से ये मंदिर निर्जन हो गया है यानी वहां काफी कम लोग जाते हैं।

भारतीय तीर्थयात्रियों को शारदा पीठ जाने की अनुमति दिए जाने की मांग अतीत में भी उठ चुकी है। ये मांग नवंबर 2019 में करतारपुर कॉरिडोर के उद्घाटन के बाद और तेज हो गई। करतारपुर कॉरिडोर बनने से भारतीय सिखों के पाकिस्तान स्थित गुरद्वारा दरबार साहिब जाने का रास्ता खुल गया।

साल 2007 में देश के पूर्व गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने पाकिस्तान सरकार से शारदा पीठ के जीर्णोद्धार की मांग की थी। 2019 में कई मीडिया रिपोर्ट्स में पाकिस्तानी सरकार के भारतीयों के शारदा पीठ दर्शन के लिए एक कॉरिडोर बनाने की खबरें आई थीं, लेकिन बाद में पाकिस्तानी सरकार ने इस दिशा में आगे कोई प्रयास नहीं किया।

रेफरेंस लिंक

https://www.indiatoday.in/fyi/story/sharada-peeth-all-you-need-to-know-1399896-2018-11-30

https://www.dawn.com/news/1398483/heritage-goddess-of-the-mountains

https://catalogue.nla.gov.au/Record/4699170 https://www.thequint.com/explainers/explainer-sharada-peeth-shrine-pok-kashmiri-pandit-demand#read-more

https://www.news18.com/blogs/india/lt-gen-syed-ata-hasnain/sharda-peeth-an-iconic-shrine-too-far-14405-1187972.html http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache%3Ahttps%3A%2F%2Findianexpress.com%2Farticle%2Fwhat-is%2Fwhat-is-sharada-peeth-5474669%2F&rlz=1C1CHZN_enIN994IN994&oq=cache%3Ahttps%3A%2F%2Findianexpress.com%2Farticle%2Fwhat-is%2Fwhat-is-sharada-peeth-5474669%2F&aqs=chrome..69i57j69i58.3638j0j4&sourceid=chrome&ie=UTF-8

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