अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 15 अक्टूबर को पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया। देखा जाए तो पाकिस्तान दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। उसके पास 5वीं सबसे बड़ी मिलिट्री है। परमाणु हथियार के मामले में छठे नंबर पर है; लेकिन पाकिस्तान के खराब आर्थिक हालात, राजनीति अस्थिरता और शिक्षा और जॉब के अभाव में तेजी से बढ़ती आबादी, साथ ही सेना का सत्ता पर अघोषित नियंत्रण ही पाकिस्तान को सबसे खतरनाक देश बनाता है।
आज भास्कर एक्सप्लेनर में हम उन 7 वजहों को बताएंगे कि क्यों पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है?
वजह-1 : पाकिस्तान ने चोरी से न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी हासिल की और खतरनाक देशों को बेचा
1971 की बात है। पाकिस्तान को एक शर्मनाक हार के साथ ही अपना पूर्वी हिस्सा यानी आज का बांग्लादेश गंवाना पड़ा था। वहीं दूसरी ओर भारत अपने दम पर मई 1974 में न्यूक्लियर एक्सप्लोसिव डिवाइस की टेस्टिंग कर रहा था।
17 सितंबर 1974 को पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जनक कहे जाने वाले अब्दुल कादिर खान उस वक्त के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को एक लेटर लिखते हैं। वह उन्हें परमाणु बम बनाने का ऑफर देते हैं। खान उस समय फिजिकल डायनामिक्स रिसर्च लेबोरेटरी नीदरलैंड में काम कर रहे होते हैं।
दिसबंर 1974 में भुट्टो खान से मिलते हैं और उन्हें पाकिस्तान के लिए परमाणु बम बनाने के लिए और प्रयास करने को कहते हैं। अगले साल यानी 1975 में खान जिस लेबोरेटरी के लिए काम कर रहे थे वहां से सेंट्रीफ्यूज की ड्राइंग यानी डिजाइन के साथ उस लिस्ट को भी चुरा लेते हैं जहां से इसके लिए इक्विपमेंट मिलते हैं।
चोरी करने के बाद 15 दिसंबर 1975 को अब्दुल कादिर खान नीदरलैंड से भाग आते हैं। इसके बाद खान की मदद से पाकिस्तान साल 1998 में परमाणु ताकत बनता है। यानी पाकिस्तान के परमाणु हथियार को बनाने की शुरुआत ही चोरी से हुई।
पाकिस्तान को परमाणु ताकत बनाने के बाद 1980 के दशक के मध्य में खान दुबई, मलेशिया और अन्य जगहों पर ब्लैक मार्केट के जरिए सेंट्रीफ्यूज, कॉम्पोनेंट्स और डिजाइन बेचने का काम करने लगते हैं। खान के कस्टमर्स में ईरान शामिल था, जिसने पाकिस्तानी मॉडल के आधार पर यूरेनियम-संवर्धन परिसर का निर्माण किया।
अब्दुल कादिर खान इसके साथ ही कम से कम 13 बार उत्तर कोरिया का दौरा करते हैं। माना जाता है कि खान ने अपने ब्लैक मार्केट के जरिए उत्तर को भी परमाणु टेक्नोलॉजी मुहैया कराई। साथ ही खान ने अपनी लेबोरेटरी में उत्तर कोरियाई लोगों की मदद से पाकिस्तान के लिए गोरी बैलेस्टिक मिसाइल बनाई।
खान यहीं नहीं रुके। उन्होंने लीबिया को भी परमाणु टेक्नोलॉजी बेची, जिसके बाद से लीबिया ने अपना परमाणु हथियार कार्यक्रम शुरू किया, लेकिन 2003 में अमेरिका ने बलपूर्वक इसे रोक दिया।
अब्दुल कादिर ने 2004 में सार्वजनिक रूप से माना था कि उन्होंने दुनिया के कई देशों को परमाणु तकनीक और सामग्री उपलब्ध करवाई है। उन्होंने ईरान, उत्तर कोरिया और लीबिया को भी परमाणु हथियार बनाने के लिए आवश्यक सामग्री और डिजाइन देने की बात कबूल की थी।
पाकिस्तानी सरकार ने ईरान और उत्तर कोरिया को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने के मामले में 31 जनवरी 2004 को अब्दुल कादिर खान को गिरफ्तार किया था। हालांकि, 5 फरवरी 2004 में उस वक्त के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उन्हें क्षमादान दे दिया था।
डिफेंस एक्सपर्ट पीके सहगल कहते हैं कि करगिल वॉर के समय से ही अमेरिकी राष्ट्रपति रहे बिल क्लिंटन के समय से सारे अमेरिकी राष्ट्रपति जानते हैं कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश है, क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद का ग्लोबल एपिसेंटर है।
साथ ही पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता है। इस वजह से परमाणु हथियार पाकिस्तान में रह रहे आतंकवादियों के हाथ लग सकते हैं। पाकिस्तान एक ऐसा देश हैं जो न्यूक्लियर ब्लैकमेल करता है। पाकिस्तान ने पैसे लेकर न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी को सीरिया, ईरान, इराक, लीबिया से लेकर उत्तर कोरिया को बेचा है। ऐसे में पाकिस्तान वाकई दुनिया के लिए सबसे खतरनाक देश साबित हो सकता है।
पाकिस्तान की 'नो फर्स्ट यूज' परमाणु नीति नहीं है। यह केवल पाकिस्तान के हाई कमान पर निर्भर करता है कि उन्हें कब और किस स्थिति में परमाणु हमला करना है। 1999 में पाक विदेश मंत्री ने ‘नो फर्स्ट यूज' वाली परमाणु पॉलिसी को नकारते हुए कहा था, 'हम अपने देश की सुरक्षा की दिशा में हर जरूरी हथियार का इस्तेमाल कभी भी कर सकते हैं।'
वजह-2 : डेमोक्रेसी न के बराबर, ज्यादातर समय सैन्य तानाशाहों का राज
1947 में पाकिस्तान के बनने के बाद से अब तक पाकिस्तान में 3 दशक से ज्यादा समय तक सैन्य तानाशाहों का राज रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में 4 सैन्य सरकारें बनीं और सत्ता का कंट्रोल जनरल अयूब खान, जनरल याह्या खान, जनरल जिया-उल-हक और जनरल परवेज मुशर्रफ के पास था।
देखा जाए पाकिस्तान में पहली बार तख्तापलट के बाद से हर बार एक ही कॉमन रिएक्शन सुनने को मिलता रहा हैं। जिसमें चुनी हुई नागरिक सरकार की अक्षमता, भ्रष्टाचार और देश के लिए खतरे के दावे को सबसे ऊपर दिखाया जाता है। डिफेंस एक्सपर्ट कहते हैं पाकिस्तानी सेना चाहती है कि सभी मामलों में उसकी सलाह से ही सरकारें चलाई जाएं।
यही वजह है कि पाकिस्तानी में 75 साल में 31 प्रधानमंत्री बने, लेकिन एक भी PM 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। एक्सपर्ट कहते हैं कि पाकिस्तान में काफी लंबे अर्से तक रहे सैन्य शासन ने सेना को सरकार के समूचे तंत्र में पैंठ बनाने का मौका दिया है। राजनीतिक दलों, न्यायपालिका, नौकरशाही और मीडिया- आज सभी वर्गों में सेना के समर्थक हैं। इसलिए सेना के साथ मतभेद रखने वाले लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए राजनीतिक नेता को सत्ता से बेदखल करने के लिए अब किसी तरह की फौजी बगावत की जरूरत नहीं रह गई है।
2013 में जब पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में पहली बार पांच साल के नागरिक शासन के बाद तय समय पर चुनाव हुए तो बहुत से लोगों को लगा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र आ गया है, लेकिन 28 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अयोग्य ठहराया जाना, सीधे तौर पर इस बात की याद दिलाता है कि पाकिस्तान को आज भी ‘आभासी सरकार’ यानी डीप स्टेट ही चला रहा है और सरकार को अपदस्थ करने के लिए सैन्य बगावत के अलावा और भी तरीके हो सकते हैं।
पीके सहगल कहते हैं कि मुर्शरफ के नीचे जो रेडिकिलाइज अफसर थे वो आज सेना में ब्रिग्रेडियर और जनरल बन गए हैं। उनके हाथ में टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन हैं। ऐसे में ये ब्रिग्रेडियर और जनरल टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन को आतंकियों के हाथों बेच सकते हैं और देश छोड़कर भाग सकते हैं। साथ ही पाकिस्तान में लगातार राजनीतिक अस्थिरता बनी रहती है। ऐसे में साफतौर पर दिख रहा है कि पाकिस्तान दुनिया का सबसे खतरनाक देश बना हुआ है। यहां पर कभी भी कुछ भी हो सकता है।
वजह-3 : ISI ने ओसामा बिन लादेन से लेकर दाऊद तक को शरण दी
1947 में पाकिस्तान की कश्मीर पर कब्जे की कोशिश पूरी तरह नाकाम रही। इस युद्ध में पाकिस्तानी आर्मी, एयरफोर्स, नेवी, इंटेलिजेंस ब्यूरो और मिलिट्री इंटेलिजेंस की नाकामी के चलते खुफिया एजेंसी की जरूरत पड़ी। 1948 में ब्रिटिश आर्मी ऑफिसर मेजर जनरल विलियम कावथोर्न ने ISI का गठन किया।
देखा जाए तो ISI खुफिया एजेंसी के बजाय आतंक की एजेंसी के तौर पर ज्यादा जानी जाती है। इसमें भी अमेरिका का बड़ा हाथ है। 80 के दशक में जब अमेरिका की जासूसी एजेंसी CIA ने अफगानिस्तान में सोवियत यूनियन की फौजों को खदेड़ने के लिए वहां मुजाहिदीनों को तैयार करना शुरू किया तो उसके इस काम में सबसे ज्यादा मदद ISI ने की। यानी यहां से उसने आतंकियों को तैयार करने की ट्रेनिंग ली।
यही लड़ाके आगे चलकर संगठित होकर तालिबान के रूप में दुनिया के सामने आए। ISI हमेशा इन आरोपों का नकारता रहा है। 2011 में जब पाकिस्तान के एबटाबाद में कुख्यात आतंकवादी ओसामा बिन लादेन मारा गया था, तब ISI की दोहरी भूमिका को लेकर सवाल उठे थे। अमेरिकी एजेंसियों ने कहा था कि ISI को लादेन के पाकिस्तान में होने की पूरी जानकारी थी, लेकिन इसे छुपाया गया।
यहां तक कि कभी ISI को बढ़ावा देने वाले अमेरिका ने 2011 में एक लीक डॉक्युमेंट में ISI को आतंकवादी संगठन कहा था। जून 2010 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने तालिबान के फील्ड कमांडर्स के हवाले से कहा था कि ISI के एजेंट तालिबान की सुप्रीम काउंसिल मीटिंग में शामिल होते थे।
1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम को भी पाकिस्तान में ISI को प्रोटेक्शन हासिल है। दाऊद का नाम इंटरपोल की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में शामिल है। उस पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और एक आपराधिक गिरोह ऑपरेट करने का आरोप है। अमेरिका ने 2003 में इसे ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया था।
भारत में प्रॉक्सी वॉर और आतंकवाद फैलाने में ISI का बड़ा रोल है। ISI आतंकियों को ट्रेनिंग से लेकर, हथियार और पैसे देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इन लड़ाकों को पूरी तरह ट्रेन्ड करने के बाद ISI इन्हें पाकिस्तानी सेना को सौंप देती है। पाकिस्तानी सेना इनका इस्तेमाल LAC पर भारत के खिलाफ करती है। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकवादी गुटों को भी ISI ने ही बनाया है।
वजह-4 : आतंकवाद के खिलाफ एक्शन न लेने की वजह से FATF ने ग्रे लिस्ट में रखा
मई 2019 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद को बैन कर उसके सरगना मसूद अजहर को इंटरनेशनल टेररिस्ट करार दिया था। उस वक्त जानकारी सामने आई थी कि पाकिस्तान पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बैन किए गए लोगों वाला तीसरा देश है।
UN ने पाकिस्तान के कुल 146 नागरिकों को बैन किया है। ये इराक और अफगानिस्तान के बाद सबसे ज्यादा संख्या है। UN ने बैन किए लोगों की पूरी डिटेल्स दी थी। इसमें 26/11 के मास्टमाइंड हाफिज सईद, लश्कर ए तैयबा का जकी उर रहमान लखवी और हक्कानी के नाम भी शामिल थे। अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद का नाम भी इस लिस्ट में है। 2019 में अमेरिका यात्रा के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से स्वीकार किया था कि उनके देश में 30 से 40 हजार आतंकी हैं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान में 40 आतंकी संगठन सक्रिय रहे हैं।
डिफेंस एक्सपर्ट पीके सहगल कहते हैं कि UN ने जिन आतंकियों को बैन कर रखा है, उनमें से कई आतंकियों को पाकिस्तान ने शह दे रखी है। FATF से बचने के लिए इन आतंकियों को समय-समय पर जेल में तो डाल दिया जाता है, लेकिन जेल में भी उन्हें हर तरह की सुविधा मिलती है। आज पाकिस्तान को अपने ही पाले हुए आतंकियों से खतरा है। उन्हें तालिबान से खतरा है। तहरीक ए तालिबान से खतरा है। इन्हें पाकिस्तान ने ही पाला और अब ये आतंकी संगठन उसके लिए ही खतरा भी बन गए हैं।
आतंकवाद के खिलाफ एक्शन न लेने की वजह से 2008 में पाकिस्तान को पहली बार FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। इसके तहत उसे टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर कार्रवाई करनी थी। 2009 में वह इस लिस्ट से बाहर हो गया था।
2012 में पाकिस्तान को एक बार फिर FATF की ग्रे लिस्ट में डाला गया था। हालांकि, 2015 में फिर वह बाहर निकलने में कामयाब रहा था। पाकिस्तान जून 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल हुआ था। अक्टूबर 2018, 2019, 2020 और 2021 और 2022 में हुए रिव्यू में भी पाकिस्तान को राहत नहीं मिली थी। पाकिस्तान इस दौरान FATF की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिलनी जारी है।
वजह-5 : भारत को छोड़कर सभी पड़ोसी पाकिस्तान से दुखी हैं
पीके सहगल बताते हैं कि भारत को छोड़कर पाकिस्तान से उसका हर पड़ोसी दुखी है। अफगानिस्तान साफ-तौर पर पाकिस्तान को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। ईरान भी उसे अपना बड़ा दुश्मन मानता है।
हिंदुस्तान में आए दिन पाकिस्तानी फेक करेंसी के माध्यम से हमारी इकोनॉमी को तबाह करने में लगा रहता है। ड्रग्स के माध्यम से भारतीय युवाओं को बर्बाद करने की कोशिश करता रहता है। ड्रोन के सहारे हथियार भेजकर जान-माल का नुकसान करना चाहता है।
बांग्लादेश में बड़े पैमाने आए दिन जो सरकार के खिलाफ विरोध होता है उसे पाकिस्तान ही शह देता है। दुनियाभर में जहां भी आतंकी एक्टिविटिज हो रही है उनमें डायरेक्ट और इनडायरेक्ट तौर पर पाकिस्तान का कनेक्शन पाया जाता है।
वजह-6 : आतंकवाद के नाम पर अमेरिका से 13 साल में 86 हजार करोड़ रुपए लिए
पाकिस्तान की सेना समय-समय पर दूसरे देशों से भी आतंकवाद के खात्मे के नाम पर फंड लेती रही है। 11 सितंबर 2001 में न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमलों के बाद से दुनिया में बहुत कुछ बदला। वहीं पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों पर जमी बर्फ भी पिघली। पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी देश बन गया।
इसके बदले में अमेरिका ने पाक सेना को आतंक के खात्मे के लिए खूब पैसे दिए। 2002 से 2015 तक अमेरिका ने पाकिस्तान की सेना को 11.4 अरब डॉलर यानी 86 हजार करोड़ रुपए दिए थे। हालांकि 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर रोक भी लगा दी थी।
वजह-7 : हर साल 1000 से ज्यादा हिंदू और ईसाई लड़कियों का अपहरण
मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस यानी MSP के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण कर लिया जाता है। इसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करा दिया जाता है।
पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 से 25 साल के बीच होती है। मानवाधिकार संस्था ने यह भी कहा कि आंकड़े इससे ज्यादा भी हो सकते हैं, क्योंकि ज्यादातर मामलों को पुलिस दर्ज नहीं करती है। अगवा होने वाली लड़कियों में से अधिकतर गरीब तबके से जुड़ी होती हैं। जिनकी कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं होता है।
पाकिस्तान का सिंध सूबा अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए बदनाम है। इसी सूबे से पाकिस्तान में सबसे ज्यादा हिंदू और ईसाई लड़कियों के जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कर निकाह कराने की खबरें आती है।
भास्कर एक्सप्लेनर के कुछ और ऐसे ही रोचक आर्टिकल हम नीचे पेश कर रहे हैं...
ब्रिज टूटते ही भड़के पुतिन:8 साल से क्रीमिया पर कब्जे की लाइफ-लाइन था
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.