पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन इसके अध्यक्ष होंगे। कमेटी गठित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर किसी की प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए।
मामला सामने आने के बाद से ही केंद्र सरकार सवालों के घेरे में है। इस मामले में कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट ने अर्जियां दायर की थीं। इनकी मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच करवाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर किसी की प्राइवेसी की रक्षा होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा है? याचिका लागने वाले कौन हैं? इस मामले में सरकार का क्या कहना है? पेगासस क्या है? ये कैसे काम करता है? केंद्र सरकार क्यों इस मामले में घिरी हुई है? आइए जानते हैं…
सुप्रीम कोर्ट ने क्या आदेश दिया है ?
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पेगासस जासूसी कांड में तीन सदस्यों की कमेटी बनाई। कमेटी में अध्यक्ष जस्टिस आरवी रवींद्रन के साथ पूर्व IPS अफसर आलोक जोशी और डॉक्टर संदीप ओबेरॉय शामिल हैं। डॉक्टर ओबेरॉय इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन से जुड़े हैं। कोर्ट ने इस कमेटी से कहा है कि पेगासस से जुड़े आरोपों की जांच कर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपे। 8 हफ्ते बाद फिर इस मामले में सुनवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा के तर्क की निंदा की। कोर्ट ने कहा कि केंद्र हर मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बताकर मुक्त नहीं हो सकता है। केंद्र को यहां अपने पक्ष को रखना चाहिए। कोर्ट केवल मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकती है। इससे पहले केंद्र सरकार ने इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बताकर आधिकारिक एफिडेविट फाइल करने से इनकार कर दिया था।
कोर्ट ने किस आधार पर कमेटी बनाने का फैसला किया?
कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने अपने जवाब में पेगासस के इस्तेमाल से इनकार नहीं किया है। इसलिए हमारे पास याचिकाकर्ता की याचिका मंजूर करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी किन बातों की जांच करेंगी?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी इन बिंदुओं पर जांच करेगी...
कोर्ट ने किसकी याचिका पर ये आदेश दिया है?
कुछ समय पहले न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की जासूसी की। इन लोगों में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल थे। सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। इसके बाद ही सरकार के खिलाफ कई लोगों ने कोर्ट में याचिका लगाई थी।
याचिका लगाने वालों में एडवोकेट एमएल शर्मा, राज्यसभा सांसद और पत्रकार जॉन ब्रिटास, हिंदू ग्रुप के डायरेक्टर एन राम, एशियानेट समूह के फाउंडर शशि कुमार, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, पत्रकार रुपेश कुमार सिंह, प्रांजय गुहा ठाकुरता, इप्सा शताक्षी, एसएनएम आबिदी और प्रेम शंकर झा शामिल हैं। याचिका दायर होने के बाद 17 अगस्त को कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में नोटिस जारी किया था।
इस मामले में केंद्र सरकार का क्या कहना है?
मामला सामने आने के बाद सरकार ने सभी आरोपों को निराधार बताया। इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय ने कहा है कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है। सरकार पर जो जासूसी के आरोप लग रहे हैं वो बेबुनियाद हैं।
कोर्ट के नोटिस देने के बाद केंद्र ने कहा कि वो सारी जानकारी एक एक्सपर्ट कमेटी के सामने रखने को तैयार है। राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए वो इसे कोर्ट के सामने पब्लिक नहीं कर सकता है।
मामला क्यों सुर्खियों में आया?
दुनियाभर में इजराइली कंपनी एनएसओ (NSO) के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से 10 देशों में 50 हजार लोगों की जासूसी हुई। बीते जुलाई में खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय ग्रुप ने ये दावा किया। भारत में भी 500 से ज्यादा नाम सामने आए, जिनके फोन की निगरानी की गई। इनमें सरकार में शामिल मंत्री, विपक्ष के नेता, पत्रकार, वकील, जज, कारोबारी, अफसर, वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट शामिल हैं।
पेगासस क्या है?
इससे पहले पेगासस कब सुर्खियों में था?
इस मामले में सरकार की क्या भूमिका है?
पेगासस काम कैसे करता है?
एक बार आपके फोन में आने के बाद पेगासस के पास आपकी क्या-क्या जानकारी होती है?
पेगासस इतना फेमस क्यों है?
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