डायनासोर की तरह खत्म हो जाएंगे इंसान:सूरज के पीछे छिपा ग्रहों का हत्यारा एस्टेरॉयड, पृथ्वी की राह पर बढ़ने से वैज्ञानिक भी चिंतित

7 महीने पहलेलेखक: नीरज सिंह
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1.5 किलोमीटर चौड़ा एक एस्टेरॉयड यानी उल्कापिंड पृथ्वी की राह में आने को है। यह इतना खतरनाक है कि इसकी टक्कर से धरती पर जीवन खत्म हो सकता है। फिलहाल ये सूरज के पीछे छिपा है। पिछले 8 सालों में वैज्ञानिकों के नजर में आए एस्टेरॉयड में सबसे बड़ा और खतरनाक है। इसलिए ही इसे प्लैनेट किलर यानी ग्रहों का हत्यारा कहा जा रहा है। इसका साइंटिफिक नाम 2022 AP7 है। भास्कर एक्सप्लेनर में इससे जुड़े हर सवाल का जवाब जानिए…।

सवाल-1 : उल्कापिंड या एस्टेरॉयड होते क्या हैं?

जवाब : एस्टेरॉयड ग्रहों की तरह सूरज के चारों ओर घूमने वाली चट्‌टानें होती हैं। हालांकि ये ग्रहों के मुकाबले बहुत छोटे होते हैं। इन्हें प्लैनेटॉइड्स या माइनर प्लैनेट्स भी कहा जाता है। एस्टेरॉयड कई बार ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण से बंधकर उनके चंद्रमा बन जाते हैं और उनका चक्कर लगाने लगते हैं। जैसे ज्यूपिटर के कुछ चंद्रमा।

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक एस्टेरॉयड हमारे सौर मंडल के बनने के दौरान बने थे। इनका आकार इतना छोटा होता है कि इन पर गुरुत्वाकर्षण बहुत कम होता है। इसी वजह से न ही इनका आकार गोल हो पाता है, न ही इन पर कोई वातावरण होता है। कोई भी दो एस्टेरॉयड एक जैसे नहीं होते हैं। अब तक लाखों एस्टेरॉयड का पता चल चुका है, जिनके आकार सैकड़ों किलोमीटर से लेकर कुछ मीटर तक है।

वैज्ञानिकों ने अब तक 10 लाख से अधिक एस्टेरॉयड की पहचान की है।
वैज्ञानिकों ने अब तक 10 लाख से अधिक एस्टेरॉयड की पहचान की है।

सवाल-2 : धरती के लिए ये इतने खतरनाक क्यों होते हैं?

जवाब : सभी एस्टेरॉयड पृथ्वी के लिए खतरनाक नहीं होते हैं, क्योंकि ये सभी एस्टेरॉयड पृथ्वी के रास्ते पर नहीं होते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती के आस-पास अलग-अलग आकार के करीब 30,000 एस्टेरॉयड हैं।

इनमें एक किलोमीटर से ज्यादा व्यास वाले एस्टेरॉयड 850 से ज्यादा हैं। इन सब को नियर अर्थ ऑब्जेक्ट्स कहा जाता है। इनमें से किसी के भी धरती से अगले 100 साल में टकराने की आशंका नहीं है। ऐसे में अगर अचानक कोई ऐसे एस्टेरॉयड को खोज लिया जाता है तो वो अपने आकार के हिसाब से खतरनाक होगा।

सवाल-3 : क्या पहले भी धरती से टकरा चुके हैं?

जवाब : ज्यादातर एस्टेरॉयड बहुत छोटे होते हैं और वे पृथ्वी के वातावरण में आते ही उसके घर्षण से खत्म हो जाते हैं और इनके बारे में हमें पता भी नहीं चल पता है, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिनके गिरने से कई बड़े गड्‌ढे तक बन जाते हैं।

माना जाता है कि करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर से डायनासोर का खात्मा भी एस्टेरॉयड, यानी क्षुद्र ग्रहों के टकराने की वजह से ही हुआ था। यानी एक भारी-भरकम क्षुद्र ग्रह के टकराने से विशालकाय डायनासोर लुप्त हो सकते हैं तो फिर एक दूसरी टक्कर से पृथ्वी पर जीवन भी नष्ट हो सकता है।

महाराष्ट्र : एस्टेरॉयड गिरने से बनी लोनार लेक

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में 5.70 लाख साल पहले एस्टेरॉयड के गिरने से ही एक 490 फीट गहरा गड्ढा बन गया था। इसे लोनार क्रेटर के नाम से जानते हैं। यह 1.13 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। अब यहां पर झील बन गई है जिसे लोनार लेक कहते हैं।

महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में एस्टेरॉयड के गिरने से बनी लोनार लेक।
महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में एस्टेरॉयड के गिरने से बनी लोनार लेक।

रूस : टुंगुस्का में 8 करोड़ पेड़ नष्ट हो गए थे

30 जून 1908 को साइबेरिया के टुंगुस्का में एक क्षुद्र ग्रह धरती से टकराने से पहले जलकर नष्ट हो गया था। इसकी वजह से करीब 100 मीटर बड़ा आग का गोला बना था। इसकी चपेट में आकर 8 करोड़ पेड़ नष्ट हो गए थे।

30 जून 1908 को साइबेरिया के टुंगुस्का में एस्टेरॉयड के टकराने के बाद नष्ट हुए पेड़।
30 जून 1908 को साइबेरिया के टुंगुस्का में एस्टेरॉयड के टकराने के बाद नष्ट हुए पेड़।

रूस : चेल्याबिंस्क में एस्टेरॉयड के शॉक वेव से 1 लाख खिड़कियों के शीशे टूट गए थे

15 फरवरी 2013 को रूस के चेल्याबिंस्क में एक एस्टेरॉयड टकराया था। हालांकि यह पृथ्वी से 24 किलोमीटर पहले ही नष्ट हो गया था। 5 मंजिला बिल्डिंग (करीब 60 मीटर) जितने बड़े इस स्टेरॉयड से 550-किलोटन विस्फोट जितना शॉक वेव पैदा हुआ था। इस दौरान एक लाख खिड़कियों में लगे शीशे टूट गए थे। इस दौरान एक हजार से अधिक लोग घायल हो गए थे। जबकि अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा में जो परमाणु बम गिराया था वो 15 किलोटन का था। यानी चेल्याबिंस्क में जो एस्टेरॉयड टकराया था वो हिरोशिमा से 36 गुना ज्यादा ताकतवर था।

15 फरवरी 2013 को रूस के चेल्याबिंस्क में धरती की ओर बढ़ता एस्टेरॉयड।
15 फरवरी 2013 को रूस के चेल्याबिंस्क में धरती की ओर बढ़ता एस्टेरॉयड।

सवाल-4 : वैज्ञानिकों ने अब कौन सा एस्टेरॉयड खोजा है?

जवाब : कई देशों की वैज्ञानिकों की एक टीम ने सूरज के पीछे छिपे 3 एस्टेरॉयड तलाशे हैं। इनमें से एक प्लैनेट किलर है। यह अंतरिक्ष के उस इलाके में है जहां सूरज बहुत तेज चमकता है। इसी वजह से वहां किसी भी चीज को देखना मुश्किल है।

लैटिन अमेरिकी देश चिली के विक्टर एम ब्लांको टेलिस्कोप में डार्क मैटर की स्टडी के लिए इस्तेमाल होने वाले हाइटेक इक्विपमेंट की मदद से इस प्लैनेट किलर एस्टेरॉयड को देखा गया। इसे देखने के लिए वैज्ञानिकों को सूर्यास्त के समय हर रोज सिर्फ 2 से 10 मिनट का समय मिलता था। केवल इसी दौरान सूरज की रोशनी बहुत हल्की रहती थी।

कई ऑब्जरवेटरी यानी बड़ी दूरबीनों को ऑपरेट करने वाले अमेरिकी रिसर्च ग्रुप NOIRLab ने बताया कि यह एस्टेरॉयड पिछले 8 सालों में खोजा गया सबसे बड़ा चट्‌टानी आब्जेक्ट है जो काफी खतरनाक है। 31 अक्टूबर को यह रिसर्च द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में पब्लिश हुई है।

सवाल-5 : नए एस्टेरॉयड को प्लैनेट किलर क्यों कहा जा रहा है?

जवाब : वॉशिंगटन के कार्नेगी इंस्टीट्यूशन फॉर साइंस के अंतरिक्ष विज्ञानी स्कॉट शेपर्ड इस रिसर्च के प्रमुख ऑथर हैं। शेपर्ड कहते हैं कि 2022 AP7 का रास्ता पृथ्वी की ऑर्बिट से गुजरता है जो इसे खतरनाक किलर एस्टेरॉयड बनाता है।

सवाल-6 : क्या ये एस्टेरॉयड धरती से टकराने वाला है?

जवाब : स्कॉट शेपर्ड का कहना है कि पृथ्वी से टकराने का खतरा अगली सदी तक बना रहेगा। यों तो अगली सदी तक इसके टकराने की संभावना है, लेकिन शेपर्ड कहते हैं कि कई ग्रहों का गुरुत्वाकर्षण खेल को बिगाड़ सकता है और ऐसे एस्टेरॉयड का रास्ता बदल सकता है। ऐसे में लंबे समय के लिए सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती है।

सवाल-7 : अगर धरती से टकरा गया तो क्या होगा?

जवाब : अंतरिक्ष विज्ञानी स्कॉट शेपर्ड कहते हैं कि यदि इस एस्टेरॉयड की धरती से टक्कर हुई तो इसके विनाशकारी नतीजे होंगे। शेपर्ड बताते हैं कि एस्टेरॉयड के टक्कर से इतनी धूल उड़ेगी की धरती पर सूरज की रोशनी नहीं पहुंचेगी। धीरे-धीरे पृथ्वी पर इतनी ठंडी हो जाएगी कि जीवन बचाना मुश्किल हो जाएगा।

सवाल-8 : क्या एस्टेरॉयड को धरती से टकराने से रोका जा सकता है?

जवाब : हां। यदि हम किसी एस्टेरॉयड का पता पहले से लगा ले तो हमें इससे बचने के लिए थोड़ा वक्त मिल सकता है। इस तरह के एस्टेरॉयड से बचने के लिए कोई अंतरिक्ष यान इसकी तरफ भेजा जा सकता है, जो इससे टकराकर अंतरिक्ष में ही खत्म कर दे। या उसका रास्ता बदल दे। यदि समय कम हो, तो कोई बम भी इस एस्टेरॉयड पर फेंका जा सकता है।

सितंबर 2022 के आखिर में नासा ने प्रयोग के तौर पर एक एस्टेरॉयड को अपने यान DART यानी डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट से टक्कर मारी। इस टक्कर को प्लैनेटरी डिफेंस टेस्ट नाम दिया गया। इसके जरिए वैज्ञानिक यह परखना चाहते थे कि भविष्य में धरती के लिए खतरा बनने वाले एस्टेरॉयड का रास्ता किस तरह बदला जा सकता है। प्रयोग काफी हद तक सफल रहा।

कुछ इस तरह DART डाइमॉरफस एस्टेरॉयड से टकराया था।
कुछ इस तरह DART डाइमॉरफस एस्टेरॉयड से टकराया था।

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