भास्कर एक्सप्लेनर:दो साल बाद अमेरिका दौरे पर जाएंगे मोदी, UN में संबोधन से पहले QUAD की मीटिंग में लेंगे हिस्सा, जानें चीन के खिलाफ बने संगठन के बारे में सबकुछ

2 वर्ष पहलेलेखक: जयदेव सिंह
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क्वाड देशों के बीच 24 सितंबर को इन-पर्सन (जिसमें नेता मौजूद रहेंगे) समिट होने जा रही है। वॉशिंगटन में होने वाली इस समिट की मेजबानी पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन करेंगे। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई PM स्कॉट मॉरीसन और जापानी PM योशिहिदे सुगा भी शामिल होंगे। पीएम मोदी 25 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भाषण भी देंगे। प्रधानमंत्री के रूप में ये मोदी का 7वां अमेरिका दौरा होगा। इससे पहले मोदी सिंतबर 2019 में अमेरिका के दौरे पर गए थे।

कोरोना के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये दूसरा विदेश दौरा है। इससे पहले वो इसी साल 26-27 मार्च को बांग्लादेश के दौरे पर गए थे।

क्वाड क्या है? इसमें कौन से देश शामिल हैं? इस बार की समिट का एजेंडा क्या होगा? क्वाड देशों को चीन से क्या दिक्कत है? कोरोना से पहले मोदी हर साल कितने विदेश दौरे करते थे? कब-कब मोदी के 2 विदेश दौरों के बीच 3 महीने से ज्यादा का गैप रहा? आइए जानते हैं…

क्वाड क्या है?

  • क्वाड यानी क्वॉडर्लैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग चार देशों का समूह है। इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान शामिल हैं। इन चारों देशों के बीच समुद्री सहयोग 2004 में आई सुनामी के बाद शुरू हुआ।
  • क्वाड का आइडिया 2007 में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दिया था। हालांकि, चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया ग्रुप से बाहर रहा। दिसंबर 2012 में शिंजो आबे ने फिर से एशिया के डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड का कंसेप्ट रखा। जिसमें चारों को शामिल कर हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर के देशों से लगे समुद्र में फ्री ट्रेड को बढ़ावा देना था। आखिरकार नवंबर 2017 में चारों देशों का क्वाड ग्रुप बना। इसका उद्देश्य इंडो-पेसिफिक के समुद्री रास्तों पर किसी भी देश, खासकर चीन, के प्रभुत्व को खत्म करना है।
  • आज ये सभी लोकतंत्रिक देश सुरक्षा, अर्थव्यसव्था और स्वास्थ्य के मुद्दों एक व्यापक एजेंडे पर काम करते हैं।

इस बार की समिट का एजेंडा क्या होगा?

सितंबर में होने वाली समिट के पहले 12 मार्च को क्वाड की वर्चुअल बैठक हुई थी। इस बैठक में तय हुए एजेंडों पर इस बैठक में बात होगी। इसके अलावा कोविड-19, जलवायु परिवर्तन, नई तकनीकें, साइबरस्पेस और इंडो-पैसेफिक क्षेत्र को मुक्त रखने जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा।

12 मार्च को हुई वर्चुअल मीटिंग में चारों देशों ने वैक्सीन बनाने के अपने संसाधनों को साझा करने पर सहमति जताई थी। इसका मतलब यह है कि चारों देशों के पास वैक्सीन बनाने की जो क्षमताएं हैं, उन्हें और बढ़ाया जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि US इंडो पैसेफिक में सभी सहयोगियों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा था कि अमेरिका क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए एक नया मैकेनिज्म लाने जा रहे हैं।

क्वाड देशों को चीन से क्या दिक्कत है?

  • अमेरिका की पॉलिसी पूर्वी एशिया में चीन को काबू करने की है। इसी वजह से वह इस ग्रुप को इंडो-पेसिफिक रीजन में प्रभुत्व फिर से हासिल करने के अवसर के तौर पर देखता है। यूएस ने तो अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी में रूस के साथ-साथ चीन को भी स्ट्रैटेजिक राइवल कहा है।
  • ऑस्ट्रेलिया को अपनी जमीन, इंफ्रास्ट्रक्चर, पॉलिटिक्स में चीन की बढ़ती रुचि और यूनिवर्सिटियों में बढ़ते उसके प्रभाव पर चिंता है। चीन पर निर्भरता इतनी ज्यादा है कि उसने चीन के साथ कॉम्प्रेहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप जारी रखी है।
  • जापान पिछले एक दशक में चीन से सबसे ज्यादा परेशान रहा है, जो अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के लिए सेना का इस्तेमाल करने से भी नहीं झिझक रहा। महत्वपूर्ण यह है कि जापान की इकोनॉमी एक तरह से चीन के साथ होने वाले ट्रेड वॉल्यूम पर निर्भर है। इस वजह से जापान चीन के साथ अपनी आर्थिक जरूरतों और क्षेत्रीय चिंताओं में संतुलन साध रहा है।
  • भारत के लिए चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत स्ट्रैटेजिक चुनौती है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर कब्जा कर लिया है और वहां मिलिट्री असेट्स विकसित किए हैं चीन हिंद महासागर में ट्रेड रूट्स पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाला है।

कोरोना से पहले हर साल कितने विदेश दौरे करते थे मोदी?

मोदी को प्रधानमंत्री बने 7 साल 3 महीने हो चुके हैं। उन्होंने 26 मई 2014 को पहली बार और 30 मई 2019 को दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, 2014 से नवंबर 2019 तक वो 59 बार विदेश दौरे पर गए।

कोरोना से पहले 2019 में ही उन्होंने 11 विदेश दौरे किए। इस दौरान 35 दिन विदेश में रहे। 2020 ऐसा पहला साल बीता जब उन्होंने एक भी विदेश यात्रा नहीं की। 16 महीने के ब्रेक के बाद 26-27 मार्च 2021 को मोदी बांग्लादेश के दौरे पर गए।

अपने अब तक के 60 दौरों में उन्होंने 107 देशों (इनमें 2 या उससे ज्यादा दौरे भी शामिल हैं) की यात्रा की है। इस दौरान वो सबसे ज्यादा छह बार अमेरिका के दौरे पर गए। इस दौरान वो कुल 231 दिन विदेश में रहे हैं।

कोरोना से पहले कब-कब मोदी के दौरों पर लगा बड़ा ब्रेक?

कोरोना आने से पहले सिर्फ चार मौके ऐसे आए जब प्रधानमंत्री मोदी ने लगातार तीन महीने से ज्यादा समय तक कोई विदेश दौरा नहीं किया। इनमें सबसे लंबा गैप नवंबर 2016 से मई 2017 के बीच रहा। इसका एक कारण ये भी था कि, उस समय उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव भी थे। इन 5 राज्यों में मोदी ने नवंबर 2016 से लेकर मार्च 2017 के बीच 38 दौरे किए थे। इसमें से सबसे ज्यादा 27 दौरे अकेले उत्तर प्रदेश में किए थे। चुनाव में भाजपा ने यहां की 403 सीटों में से 325 सीटें जीती थीं। भाजपा 5 में से 4 राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। अकेले पंजाब में उसे सरकार गंवानी पड़ी थी।

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