उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक डेंगू मरीज की मौत हो गई। घरवालों का आरोप है कि मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स की कमी थी। अस्पताल ने पैसे लेकर प्लेटलेट्स की जगह मौसमी का जूस चढ़ा दिया। हालात बिगड़ने पर मरीज को दूसरे अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक उसके हाथ की नस फट चुकी थी।
डेंगू बुखार इस वक्त देश के कई हिस्सों में फैला हुआ है। इससे पीड़ित मरीज में प्लेटलेट्स तेजी से खत्म होने लगते हैं। ज्यादातर मामलों में प्लेटलेट्स बाहर से चढ़ाना पड़ता है। घबराहट में लोग प्रयागराज जैसी घपलेबाजी का शिकार हो जाते हैं, जिससे मरीज की जान तक जा सकती है।
भास्कर एक्सप्लेनर में हम प्लेटलेट्स से जुड़े 15 सवाल और आसान भाषा में उनके जवाब लेकर आए हैं। इत्मीनान से जानिए कि प्लेटलेट्स क्या होते हैं, ये शरीर में करते क्या हैं और इनके असली-नकली की पहचान कैसे कर सकते हैं?
सवाल-1: प्रयागराज में डेंगू मरीज को मौसमी जूस कैसे चढ़ा दी गई?
जवाब: प्रयागराज के प्रदीप पांडेय को डेंगू हुआ था। उन्हें ग्लोबल हॉस्पिटल एंड ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने कहा कि सिर्फ 13 हजार प्लेटलेट्स बचीं हैं। 8 यूनिट प्लेटलेट्स का फौरन इंतजाम करना पड़ेगा।
मृतक के परिजन सौरभ ने बताया, ‘तीन यूनिट प्लेटलेट्स SRN ब्लड बैंक से लाया था। उसे चढ़ाने पर मरीज को कुछ नहीं हुआ। पांच यूनिट प्लेटलेट्स ग्लोबल अस्पताल ने मंगाए। उन्हें चढ़ाते ही मरीज की हालत गंभीर हो गई। दूसरे अस्पताल में ले गए, लेकिन तब तक मरीज के हाथ की नस फट गई और मौत हो गई। बचे हुए एक यूनिट प्लेटलेट्स को देखकर डॉक्टरों ने बताया कि ये नकली है। उसमें प्लेटलेट्स की जगह केमिकल्स और मौसमी जूस भरा हुआ है।'
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सवाल 2: प्लेटलेट्स असली है या नकली इसे कैसे पता कर सकते हैं?
जवाब: आम आदमी के लिए असली या नकली प्लेटलेट्स की पहचान करना संभव नहीं है, क्योंकि असली और नकली प्लेटलेट्स की पैकेजिंग एक जैसी ही होती है। प्लेटलेट्स की पहचान केवल डॉक्टर या लैब में इसकी जांच के बाद ही की जा सकती है। इसलिए जरूरी है कि प्लेटलेट्स को किसी भी ब्लड बैंक के बजाय मान्यता प्राप्त ब्लड बैंकों से ही खरीदा जाए।
सवाल 3: क्या होते हैं प्लेटलेट्स?
जवाब: प्लेटलेट्स हमारे खून में पाए जाने वाले छोटे प्लेट जैसे सेल होते हैं। ये हमारे खून में फैले छोटे और रंगहीन सेल होते हैं। खून में मुख्य रूप से तीन सेल सेल होते हैं- रेड ब्लड सेल, वाइट ब्लेड सेल और प्लेटलेट। ये तीनों सेल खून के लिक्विड यानी प्लाज्मा में मौजूद रहते हैं। खून के सभी सेल में सबसे छोटे प्लेटलेट्स होते हैं। प्लेटलेट्स को थ्रोम्बोसाइट्स भी कहते हैं। खून में प्लेटलेट्स की कुल हिस्सेदारी महज 1%-2% ही होती है।
सवाल 4: शरीर में कैसे बनते हैं प्लेटलेट्स?
जवाब: रेड और वाइड ब्लेड सेल की तरह ही प्लेटलेट्स भी हमारे शरीर के बोन मैरो में बनते हैं। बोन मैरो हमारी हड्डियों में मौजूद स्पंज जैसे टिश्यू होते हैं। बोन मैरो में स्टेम सेल होते हैं, जिनसे खून के तीन अहम सेल रेड ब्लेड सेल, वाइट ब्लेड सेल और प्लेटलेट्स बनते हैं।
प्लेटलेट्स बौन मैरो में मौजूद बड़े मेगाकारियोसाइट्स नामक सेल के टूटने से बनते हैं। एक मेगाकारियोसाइट्स सेल के टूटने से करीब 1000 प्लेटलेट्स बनते हैं। रेड ब्लेड सेल ऑक्सीजन को पूरे शरीर में ले जाने का काम करते हैं। वाइट ब्लेड सेल इंफेक्शन से लड़ने का काम करते हैं। वहीं प्लेटलेट्स का मुख्य काम ब्लड क्लॉटिंग या खून का थक्का जमाना होता है।
सवाल 5: प्लेटलेट्स का काम क्या होता है?
जवाब: प्लेटलेट्स खून बहने से रोकने का काम करते हैं। जब शरीर में कहीं से भी खून निकलता है या चोट लग जाती है तो प्लेटलेट्स चोट की जगह पर इकट्ठा होकर खून का थक्का जमाने या क्लॉटिंग का काम करते हैं, जिससे खून बहना बंद हो जाता है। इसीलिए प्लेटलेट्स को हमारे शरीर का नेचुरल बैंडेज भी कहा जाता है।
सवाल 6: आखिर प्लेटलेट्स कैसे जमा देते हैं खून?
जवाब: खून का थक्का जमाने के दौरान प्लेटलेट्स के काम करने के तरीके को 3 स्टेप से समझिए:
एडहेशन या चिपकाव: ये पहला कदम होता है, जिसमें प्लेटलेट्स उस जगह पर पहुंचते हैं, जहां से खून बह रहा है। मान लीजिए, आपकी अंगुली कट गई है और आपकी एक नस फट गई है, तो उससे खून निकलेगा। खून बहने से रोकने के लिए, उस फटी हुई नस में मौजूद प्लेटलेट्स चोट की जगह पर पहुंचने लगते हैं। वे और मदद के लिए एक केमिकल सिग्नल भेजते हैं।
एग्रीगेशन या जुड़ाव: ये अगला स्टेप है, इसमें और ज्यादा प्लेटलेट्स पहले के प्लेटलेट्स के सिग्नल का जवाब देते हुए एकदूसरे से जुड़कर एक क्लॉट या थक्का जमाना शुरू कर देते हैं।
कोएगुलेशन या एकत्रीकरण: ढेरों प्लेटलेट्स चोट की जगह पर इकट्ठा होकर खून की नस को बंद कर देते हैं, जिसे कोएगुवेशन कैसकेड कहा जाता है। खून का थक्का जमाने में फाइब्रिन नामक प्रोटीन प्लेटलेट्स की मदद करता है। फाइब्रिन ही चोट पर पपड़ी बनाता है।
सवाल 7: हमारे शरीर में होने चाहिए कितने प्लेटलेट्स?
जवाब: आमतौर पर खून की एक बूंद या प्रति माइक्रोलीटर खून में 1.5 लाख से 4.5 लाख प्लेटलेट्स होने चाहिए। वैसे हमारे शरीर में अरबों की संख्या में प्लेटलेट्स होते हैं। हर दिन हमारे शरीर में करीब 100 अरब प्लेटलेट्स बनते हैं। यानी हर सेकेंड करीब 10 लाख प्लेटलेट्स। लेकिन प्लेटलेट्स की लाइफ काफी कम होती है और ये महज 7-10 दिनों तक ही जिंदा रहते हैं।
इसीलिए शरीर में लगातार नए प्लेटलेट्स का निर्माण होता रहता है। यही वजह है कि प्लेटलेट्स डोनेट करने के बाद उसे 5 दिन के अंदर ही चढ़ाना जरूरी होता है। प्लेटलेट्स डोनेट करने के 72 घंटे के अंदर ही शरीर में उस प्लेटलेट्स को रिप्लेस करने वाले नए प्लेटलेट्स बन जाते हैं। इसी वजह से आप हर हफ्ते प्लेटलेट्स डोनेट कर सकते हैं।
सवाल 8: लो प्लेटलेट्स काउंट या शरीर में प्लेटलेट्स की कमी क्या होती है?
जवाब: प्रति माइक्रोलीटर खून या एक बूंद खून में प्लेटलेट्स की संख्या को प्लेटलेट्स काउंट या PLT कहा जाता है। प्रति माइक्रोलीटर खून में 1.5 लाख से 4.5 लाख प्लेटलेट्स काउंट को हेल्थी माना जाता है। इससे कम या ज्यादा प्लेटलेट्स होना हेल्थ के लिए अच्छा नहीं होता।
प्लेटलेट्स काउंट को तीन कैटेगरी में बांट सकते हैं:
लो रेंज: प्रति माइक्रोलीटर खून में 1.5 लाख से कम प्लेटलेट्स होना लो रेंज यानी प्लेटलेट्स की कमी होती है। 20 हजार से कम प्लेटलेट्स की संख्या जानलेवा हो सकती है।
नॉर्मल रेंज: प्रति माइक्रोलीटर खून में 1.5 लाख से 4.5 लाख प्लेटलेट्स नॉर्मल यानी सामान्य होते हैं।
एलिवेटेड रेंज: प्रति माइक्रोलीटर खून में 5 लाख से 10 लाख प्लेटलेट्स की संख्या ज्यादा मानी जाती है।
सवाल 9: प्लेटलेट्स की कमी से होती है कौन सी दिक्कत?
जवाब: प्लेटलेट्स की कमी को थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहते हैं। लो प्लेटलेट्स काउंट के प्रमुख लक्षणों में खरोंच लगने पर ठीक न होना, घाव से खून बहने पर न रुकना, मसूढ़ों, नाक से बार-बार खून बहना शामिल है। प्लेटलेट्स कम होने पर इंटरनल ब्लीडिंग यानी शरीर के अंदरूनी अंगों में खून बहने का खतरा रहता है।
प्लेटलेट्स की संख्या कम होने से आपको बिना वजह और खुद से ही ब्लीडिंग होने का खतरा रहता है। ऐसा होने पर खून रुकना बहुत मुश्किल होता है। इस स्थिति से बचने के लिए मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है।
सवाल 10: प्लेटलेट्स ज्यादा होने से क्या होता है?
जवाब: कई बार बोन मैरो बहुत ज्यादा प्लेटलेट्स प्रोड्यूस करने लगते हैं। इस स्थिति को थ्रोम्बोसाइटिसिस कहते हैं। इस स्थिति में प्रति माइक्रोलीटर खून में प्लेटलेट्स की संख्या 10 से 20 लाख तक पहुंच जाती है। प्लेटलेट काउंट ज्यादा होने पर ब्लड क्लॉट होने यानी खून का थक्का जमने का खतरा रहता है। कई बार इससे कैंसर होने का भी खतरा रहता है। हालांकि कुछ लोगों को इससे कोई समस्या नहीं होती है।
सवाल 11: डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम क्यों हो जाता है?
जवाब: डेंगू बोन मैरो पर असर डालता है। बोन मैरो में ही प्लेटलेट्स बनता है। इसीलिए डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम हो जाता है।
सवाल 12: डेंगू होने पर प्लेटलेट्स कम होने पर कौन सा खतरा होता है?
जवाब: प्लेटलेट्स काउंट कम होने से नाक और मसूड़ों से खून आना, मल और मूत्र से खून आना, पीरियड में भारी ब्लीडिंग, स्किन पर चकत्ते और लाल धब्बे जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। कई बार इंटरनल ब्लीडिंग का भी खतरा रहता है और इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
सवाल 13: डेंगू होने पर प्लेटलेट्स क्यों चढ़ाया जाता है?
जवाब: डेंगू होने पर प्लेटलेट्स तेजी से घटता है। प्लेटलेट्स की कमी से खुद से ब्लीडिंग शुरू होने का खतरा रहता है, जोकि जानलेवा स्थिति होती है। प्लेटलेट्स काउंट 20 हजार से कम होने पर व्यक्ति को प्लेटलेट्स चढ़ाना पड़ता है।
सवाल 14: क्या सभी डेंगू के मरीजों को चढ़ाना पड़ता है प्लेटलेट्स?
जवाब: नहीं, डेंगू के सभी मरीजों को प्लेटलेट्स नहीं चढ़ाया जाता है। एडल्ट डेंगू प्लेटलेट स्टडी के मुताबिक, डेंगू होने पर केवल 5% मरीजों को ही प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है।
इस स्टडी के अनुसार, डेंगू से पीड़ित करीब 90% मरीजों का प्लेटलेट काउंट करीब 1 लाख होता है, जबकि केवल 10-20% मरीजों का ही प्लेटलेट्स 20 हजार या उससे कम होता है, जोकि खतरनाक स्थिति होती है। ऐसे मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ता है और उन्हें आमतौर पर प्लेटलेट्स चढ़ाया जाता है। लेकिन इनमें से भी केवल 5% मरीजों को ही ब्लीडिंग या अन्य दिक्कतों की वजह से प्लेटलेट्स चढ़ाए जाने की जरूरत पड़ती है, जबकि बाकी के मरीज कुछ दिन बाद खुद से ही ठीक हो जाते हैं।
सवाल 15: प्लेटलेट्स कम हैं या ज्यादा, इसे किस टेस्ट से जान सकते हैं?
जवाब: डॉक्टर प्लेटलेट्स की संख्या, साइज और हेल्थ को कंप्लीट ब्लड काउंट यानी CBC टेस्ट से पता करते हैं। CBC से न केवल प्लेटलेट्स बल्कि रेड और वाइट ब्लड सेल के बारे में भी जानकारी मिलती है। इसके लिए सबसे पहले डॉक्टर या लैबोटोरियन आपका खून निकालता है और फिर इसे टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है। वहीं ब्लड में मौजूद रेड ब्लड सेल, वाइट ब्लेड सेल और प्लेटलेट्स का लेवल चेक होता है। CBC से डॉक्टर को कई मेडिकल कंडिशन की जानकारी मिलती है।
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