'जो लोग प्रधानमंत्री मोदी या उनकी सरकार पर सवाल उठाते हैं, उस पर हमला किया जाता है। BBC के साथ भी यही हुआ। मेरे फोन की जासूसी होती है। विपक्ष के खिलाफ केस दर्ज किए जाते हैं। भारत में विपक्षी नेता के तौर पर यह एक ऐसा दबाव है, जो लगातार झेलना पड़ता है।'
यह बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी का है। यह 7वीं बार है जब राहुल गांधी ने विदेशी धरती से मोदी सरकार की आलोचना की है। दरअसल, राहुल ब्रिटेन के 7 दिनों के दौरे पर हैं।
राहुल के बयान पर BJP ने ऐतराज जताया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल विदेशी धरती पर भारत को बदनाम कर रहे हैं।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि राहुल गांधी ने कब-कब विदेशी धरती से मोदी सरकार की आलोचना की है? एक्सपर्ट से जानेंगे कि आखिर इसका मकसद क्या है?
6 साल में वो 7 मौके जब राहुल गांधी ने विदेशी धरती से मोदी सरकार पर हमला बोला
1. मई 2022 ब्रिटेन : भारत की आवाज दबा दी गई है
लंदन में ‘आइडियाज फॉर इंडिया’ सम्मेलन हो रहा था। राहुल गांधी इस सम्मेलन में BJP सरकार पर हमला बोलते हैं। राहुल कहते हैं, ‘आवाज के बिना आत्मा का कोई मतलब नहीं है, भारत की आवाज दबा दी गई है। कांग्रेस अब भारत के लिए लड़ रही है। यह एक वैचारिक लड़ाई है। पाकिस्तान की तरह ED, CBI जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके राज्यों और संस्थानों को खोखला किया जा रहा है।’
राहुल ने आगे कहा था कि भारत की स्थिति इस वक्त ठीक नहीं है, BJP ने पूरे देश में केरोसिन छिड़क दिया है। एक चिंगारी और हम सब एक बड़े संकट में पहुंच जाएंगे। ये जिम्मेदारी भी कांग्रेस की है वो लोगों को एक साथ लेकर आए और लोगों का गुस्सा और जो आग लोगों के बीच है उसे शांत किया जाए। राहुल ने इस दौरान भारत की तुलना पाकिस्तान से की थी।
उन्होंने कहा कि जो रूस यूक्रेन में कर रहा है ठीक वही पैटर्न चीन भारत में डोकलाम और लद्दाख में दिखा रहा है। चीन ने भारत में डोकलाम और लद्दाख में अपनी सेना तैनात कर रखी है और अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को भारत का हिस्सा मानने से इंकार करता है।
2. अगस्त 2018 ब्रिटेन और जर्मनी : लोगों की समस्याएं सुलझाने के बजाय उनके गुस्से का फायदा उठाया जा रहा
राहुल गांधी उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष थे और जर्मनी के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में रोजगार की बड़ी समस्या है, लेकिन प्रधानमंत्री उस पर बात नहीं करना चाहते। चीन हर रोज 50 हजार लोगों को रोजगार देता है, जबकि भारत में रोजाना 400 लोगों को ही रोजगार मिलता है।
राहुल गांधी ने इस दौरान मोदी की तुलना ट्रंप जैसे पॉपुलर नेताओं से की। उन्होंने कहा कि लोगों की रोजगार जैसी समस्याएं सुलझाने के बजाय ये नेता उनके गुस्से का फायदा उठाते हैं। ऐसा करके ये लोग देश को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को अब सरकारी लाभ नहीं मिलता। गरीबों की योजनाओं का पैसा अब महज चंद बड़े कॉरपोरेट को दिए जा रहे हैं।
राहुल गांधी ने आतंकी संगठन IAS के बनने का जिक्र करते हुए आगाह किया या कि अगर विकास की प्रक्रिया से लोगों को बाहर रखा गया, तो इसी तरह के हालात देश में पैदा हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को बाहर रखना 21वीं सदी में बेहद खतरनाक है। अगर 21वीं सदी में आप लोगों को नजरिया नहीं देते हैं तो कोई और देगा।
राहुल ने कहा कि चीन के साथ डोकलाम में गतिरोध नहीं हुआ होता, अगर प्रधानमंत्री मोदी खुद सावधान रहते। उन्होंने कहा कि डोकलाम कोई अलग मुद्दा नहीं था। यह एक प्रक्रिया का हिस्सा था। यदि प्रधानमंत्री सावधानी से पूरी प्रक्रिया पर नजर रखते तो इसे रोका जा सकता था।
3. मार्च 2018 मलेशिया : नोटबंदी का प्रस्ताव मैं कचरे के डिब्बे में फेंक देता
मलेशिया दौर के समय राहुल गांधी ने 2016 में हुई नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा था। राहुल ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि मैं प्रधानमंत्री होता और कोई मुझे नोटबंदी करने के प्रस्ताव की फाइल देता, तो मैं उसे कचरे के डिब्बे में, कमरे से बाहर या कबाड़खाने में फेंक देता।’
उन्होंने कहा, ‘मैं इस तरह इसे लागू करता, क्योंकि मेरे हिसाब से नोटबंदी के साथ ऐसा ही किया जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।’
4. मार्च 2018 सिंगापुर : कुछ लोग चुनाव जीतने के लिए नफरत और हिंसा का सहारा ले रहे
सिंगापुर के ली कुआन यी स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के पैनल डिस्कशन में बोलते हुए राहुल ने कहा था कि भारत की परिकल्पना ही इसमें है कि भले ही व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति या भाषा से संबंध क्यों न रखता हो, उसे अपने घर जैसा महसूस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग चुनाव जीतने के लिए नफरत और हिंसा का सहारा ले रहे हैं। जबकि हमारा दृष्टिकोण लोगों को जोड़ने का है।
राहुल ने कहा था कि अगर आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे अपने देश की किस बात पर गर्व होता है तो यह बहुलवाद का विचार है। यह विचार है कि भारत में लोग जो चाहें कह सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं, और उन्हें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा था कि लोग इंसाफ के लिए न्यायपालिका के पास जाते हैं, लेकिन पहली बार चार जज इंसाफ के लिए लोगों के पास आए। राहुल ने आरोप लगाया कि व्यवस्था पर और न्यायपालिका पर बहुत ही आक्रामक और संगठित हमला हो रहा है।
अगर आप प्रेस से, उद्योग जगत के लोगों से बात करेंगे तो वे भी आपको बताएंगे कि हम डरा हुआ महसूस करते हैं। इसलिए आमतौर पर डर का माहौल है।
5. जनवरी 2018 बहरीन : सरकार जॉब क्रिएट करने में नाकाम रही
कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार विदेश दौरे पर बहरीन पहुंचे थे। राहुल ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था कि देश में आज विचित्र स्थिति है। सरकार जॉब क्रिएट करने में नाकाम रही है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं और गुस्से में दिखाई दे रहे हैं।
सरकार इससे बचने के लिए जातीय व धार्मिक उन्माद पैदा करवा रही है। देश में बांटने वाली ताकतें तय कर रही हैं कि लोगों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
देश में विघटन की स्थिति पैदा हो रही है। दलितों को पीटा जा रहा है, पत्रकारों को धमकाया जा रहा है। उनका विश्वास है कि आम चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी को हराकर फिर नया भारत बनाएगी।
6. सितंबर 2017 अमेरिका : आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही
साल 2017 के सितंबर में अपने दो हफ्ते के अमेरिकी दौरे के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बर्कले की मशहूर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि संसद को अंधेरे में रखकर नोटबंदी लाई गई, नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई।
उन्होंने कहा था कि आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है। हिंसा का मतलब मुझसे बेहतर कौन जान सकता है क्योंकि इसमें मैंने अपनी दादी और पिता को खोया है। अहिंसा की विचारधारा आज खतरे में है, हालांकि यही एक ऐसी विचारधारा है जो मानवता को आगे ले जा सकती है।
राहुल ने कहा था, ‘हमने सूचना का अधिकार दिया, लेकिन मोदी सरकार ने इसे दबा दिया। अब सरकार में क्या हो रहा है, लोगों को नहीं पता। सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं, उदारवादी पत्रकारों को गोली मार दी जा रही है।
राहुल ने कहा था कि भारत में 30 हजार युवा हर दिन जॉब मार्केट में आते हैं, मगर उनमें से सिर्फ 450 को ही रोजगार मिल पाता है। यह परिस्थिति आज भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। रोजगार की समस्या इसलिए पनप रही है, क्योंकि आजकल सिर्फ टॉप 100 कंपनियों पर ही फोकस किया जा रहा है। अगर रोजगार बढ़ाने हैं तो छोटी और मझोली कंपनियों को भी बढ़ावा देना होगा।
पॉलिटिकल एक्सपर्ट से राहुल द्वारा विदेश में सरकार की आलोचना करने का 5 मकसद जानिए
1. विपक्ष का काम ही है आलोचना करना : राशिद किदवई
2. सोशल मीडिया के जमाने में देश-विदेश की बात करना जायज नहीं
3. देश में रहेंगे तो सरकार की आलोचना करेंगे और विदेश में जाएंगे तो सरकार की तारीफ ऐसा कोई नियम नहीं : अभय दुबे
4. राहुल को कोई फायदा नहीं मिलने वाला
5. भारतीय संघ और भारत सरकार के बीच का भेद मिटाने की कोशिश हो रही
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