राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो गई है। सांसदी जाने से अब उन्हें सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ेगा। लोकसभा सचिवालय ने राहुल को 24 अप्रैल तक बंगला खाली करने का नोटिस भेजा है।
राहुल अभी लुटियंस दिल्ली में 12, तुगलक लेन वाले सरकारी बंगले में रहते हैं। 2004 में अमेठी से पहली बार सांसद बनने पर 2005 में उन्हें ये बंगला एलॉट किया गया था।
राहुल गांधी ने इसी साल 26 फरवरी को कांग्रेस के 85वें अधिवेशन में बताया था कि मेरे पास कोई घर नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि सरकारी बंगला खाली करने के बाद राहुल आखिर कहां रहेंगे? भास्कर एक्सप्लेनर में इसी सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे…
क्या राहुल के पास कोई घर है भी या नहीं?
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने जो एफिडेविट जमा किया, उसमें बताया कि दिल्ली के महरौली के सुल्तानपुर में 2.346 एकड़ में कृषि जमीन विरासत में मिली है।
इसकी कीमत 1.32 करोड़ रुपए है। इसमें प्रियंका गांधी आधे की हिस्सेदार हैं। सर्किल रेट के हिसाब से प्रति एकड़ इसकी कीमत 53 लाख रुपए है। इसी में एक फार्म हाउस बना है। इसकी कीमत 16 लाख रुपए है।
राहुल गांधी के पास गुरुग्राम में सिलोखेड़ा के सिग्नेचर टावर-2 में 2 कमर्शियल स्पेस यानी दुकानें भी हैं। इसकी मार्केट वैल्यू अभी 8 करोड़ 75 लाख रुपए है। इसे उन्होंने रेंट पर दे रखा है।
राहुल की मां सोनिया गांधी के पास कितने घर हैं?
सोनिया गांधी लगभग 3 दशक से दिल्ली के 10 जनपथ वाले सरकारी बंगले में रह रही हैं। यह बंगला उनके पति और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को 1990 में दिया गया था। राजीव गांधी की मौत के बाद यह बंगला सोनिया को एलॉट कर दिया गया।
2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने जो हलफनामा दिया था, उसके मुताबिक, सोनिया गांधी के पास दिल्ली की डेरामंडी में .625 एकड़ की कृषि जमीन है। इसकी कीमत 5.88 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
वहीं दिल्ली के महरौली स्थित सुल्तानपुर गांव में 2.6566 एकड़ कृषि जमीन है। इसकी कीमत 1.40 करोड़ रुपए से ज्यादा है। सोनिया के पास इटली में विरासत में मिली 23.2 लाख की संपत्ति भी है।
सरकारी बंगला खाली करने के बाद राहुल गांधी कहां रहेंगे?
राहुल को 27 मार्च को लोकसभा की हाउसिंग कमेटी ने बंगला खाली करने के लिए नोटिस भेजा था। राहुल ने इसके जवाब में 28 मार्च यानी मंगलवार को भेजे जवाब में लिखा, ‘मैं 4 बार लोकसभा सांसद चुना गया। यह लोगों का जनादेश है। मैं उन लोगों का शुक्रगुजार हूं। मेरी इस घर से कई अच्छी यादें जुड़ी हुई हैं। मैं नोटिस में दिए गए आदेशों का पालन करूंगा।’
लोकसभा की हाउसिंग कमेटी चाहे तो किसी सांसद की सांसदी जाने या मंत्री पद छिन जाने की स्थिति में भी सरकारी बंगले में रहने की अनुमति दे सकती है। इसके लिए सरकारी बंगले में रहने वाले शख्स को बाजार के रेट के हिसाब से किराया चुकाना होता है। राहुल गांधी के पास भी अतिरिक्त समय मांगने का अधिकार है। अब यह देखना होगा कि वह इसकी मांग करते हैं या बंगला खाली कर देते हैं।
जैसा की राहुल के जवाब से समझ में आ रहा है कि वो अब सरकारी बंगला छोड़ने का मन बना चुके हैं।
ऐसे में उनके पास 3 प्रमुख विकल्प हैं…।
46 साल पहले इंदिरा गांधी को भी अपना सरकारी आवास छोड़ना पड़ा था
साल 1977 की बात है। इंदिरा गांधी UP की रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव हार जाती हैं। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनती है। जनता सरकार इसी बीच इंदिरा गांधी का दिल्ली स्थिति 1 सफदरजंग रोड वाला बंगला खाली करने को कहती है।
उस समय इंदिरा गांधी के पास अपना कोई घर नहीं था। इंदिरा गांधी ने इलाहाबाद अब प्रयागराज की संपत्ति आनंद भवन को 1970 में ही पार्टी को दे दिया था। उनके पति फिरोज गांधी का दिल्ली के महरौली में एक फॉर्म हाउस था, जो उस वक्त बन रहा था।
इसके बाद इंदिरा गांधी अपने करीबी मोहम्मद युनूस के दिल्ली के12 विलिंगडन क्रीसेंट आवास में रहने चली जाती हैं।
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