कभी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक रहे राज ठाकरे के सुर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी को लेकर बदले नजर आ रहे हैं। मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग को लेकर महाराष्ट्र में शिवसेना को घेरने वाले राज ठाकरे ने इसी मुद्दे पर हाल ही में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ की है। कभी मोदी के विरोध में कांग्रेस के समर्थन में प्रचार कर चुके राज ठाकरे की राजनीति में आए हालिया बदलाव को उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी MNS और बीजेपी के बीच बढ़ती नजदीकियों के रूप में देखा जा रहा है।
ऐसे में जानते हैं कि आखिर राज ठाकरे ने कट्टर हिंदुत्व की राह क्यों पकड़ी है? वे क्यों बीजेपी के करीब जा रहे हैं? राज ठाकरे की पार्टी MNS से संभावित गठबंधन के पीछे बीजेपी की क्या मंशा है? कैसे राज के बदले तेवर शिवसेना की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं?
महाराष्ट्र की राजनीति में कभी मराठी मानुष और कट्टर हिंदुत्व की समर्थक माने जाने वाली शिवसेना की हिंदुत्व के मुद्दों पर पकड़ ढीली होने से राज ठाकरे को फ्रंट-फुट पर खेलने का मौका मिल गया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज ठाकरे का हिंदुत्व एजेंडा अचानक नहीं, बल्कि सोच-समझकर उठाया गया कदम है और ये MNS के राजनीतिक विस्तार का हिस्सा है।
माना जा रहा है कि हिंदुत्व आधारित राजनीति से MNS की गैर-मराठी वोटरों के बीच भी स्वीकार्यता बढ़ेगी। मुंबई में 26% मराठी वोटर्स हैं, जबकि बाकी 64% में उत्तर भारतीय, गुजराती और अन्य शामिल हैं। साथ ही इसकी एक और बड़ी वजह MNS की उत्तर भारतीय विरोधी पार्टी होने की इमेज को धोने की कोशिश भी है। इसीलिए वह जल्द ही अयोध्या जाने वाले हैं।
शिवसेना की नरमी से हुई राज ठाकरे की वापसी?
कुछ वर्षों तक खामोश रहने के बाद राज ठाकरे को हालिया राजनीतिक अवसर का फायदा उठाने का मौका नजर आया। ये अवसर उन्हें शिवसेना से ही मिला, जो राज्य में कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार चला रही है।
शिवसेना के कभी अपने धुर विरोधी रहे दलों कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाने से उसके अपने समर्थक भी असहज हुए थे। साथ ही कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन की वजह से शिवसेना को हिंदुत्व पर अपने रुख को भी नरम करना पड़ा।
शिवसेना हाल के दिनों में लाउडस्पीकर से अजान पर रोक लगाने के विवाद से लेकर हनुमान चालीसा के पाठ के मुद्दे पर दोराहे पर खड़ी नजर आई है।
लाउडस्पीकर के मुद्दे पर शिवसेना को घेर रहे राज ठाकरे
राज ठाकरे ने हाल के दिनों में कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए शिवसेना सरकार को परेशानी में डाल दिया है। हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने की मांग की थी। इस मांग के बाद उन्होंने 16 अप्रैल को हनुमान जयंती के मौके पर पुणे में MNS कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में हनुमान चालीसा का पाठ किया।
राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे सरकार को राज्य की सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने के लिए 3 मई तक का समय देते हुए ऐसा न करने पर मस्जिदों के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का अल्टीमेटम दिया है।
मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के विरोध में राज ठाकरे 1 मई को औरंगाबाद में एक रैली करने वाले हैं।
आखिर बीजेपी क्यों आना चाहती है राज ठाकरे के करीब?
राजनीतिक हलकों में इन दिनों राज ठाकरे की MNS और बीजेपी के बीच गठबंधन की चर्चा है। पिछले कुछ महीनों में राज ठाकरे पूर्व CM देवेंद्र फडणवीस से लेकर राज्य बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल समेत कई बीजेपी नेताओं से मिल चुके हैं।
राज ने कहा ‘यूपी में योगी, महाराष्ट्र में भोगी’
राज ठाकरे ने हाल ही में उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए जाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए उद्धव ठाकरे पर तंज कसा था।
उन्होंने कहा था, ''धार्मिक स्थलों विशेषकर मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को हटाने के लिए मैं योगी सरकार को तहे दिल से बधाई देता हूं। दुर्भाग्य से महाराष्ट्र में कोई योगी नहीं है, यहां सभी भोगी हैं।''
यूपी में पिछले कुछ दिनों में 6031 धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए जा चुके हैं, जबकि 35 हजार से ज्यादा की आवाज कम की गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जून के पहले हफ्ते में राज ठाकरे यूपी के दौरे पर जाने वाले हैं, जहां वह योगी से मुलाकात के बाद अयोध्या भी जाएंगे।
योगी आदित्यनाथ की तारीफ को राज ठाकरे के बीजेपी की ओर झुकने के प्रबल संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
राज ठाकरे की कामयाबी और पतन की कहानी
राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति के फायरब्रांड नेता और शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे के भतीजे हैं। यानी वे महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे के चचेरे भाई हैं।
पहले मोदी का समर्थन, फिर कांग्रेस के पाले में गए थे राज ठाकरे
राज ठाकरे 2010 से ही नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के जोरदार समर्थक थे। 2014 लोकसभा चुनावों में एक ओर राज ठाकरे 'नरेंद्र भाई के अगला PM बनाने' के लिए उनका प्रचार कर रहे थे। तो वहीं दूसरी ओर राहुल गांधी को 'आत्मविश्वास की कमी' वाला नेता बताकर कांग्रेस पर निशाना साध रहे थे।
लेकिन अक्टूबर 2014 में हुए विधानसभा चुनावों में MNS के खराब प्रदर्शन के बाद राज ठाकरे ने अपनी राजनीति की दिशा बदलनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे उन्होंने बीजेपी से किनारा और कांग्रेस की तरफ झुकना शरू कर दिया।
इसके बाद के वर्षों में राज ठाकरे पीएम मोदी और बीजेपी पर हमलावर हो गए और राहुल गांधी और कांग्रेस की तारीफ करने लगे।
गुजरात में हुए 2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के बाद राज ठाकरे ने एक कार्टून के जरिए मोदी-शाह की जोड़ी पर तंज कसते हुए राहुल की तारीफ की थी।
2019 लोकसभा चुनावों में राज ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन में नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रचार किया, लेकिन इसका फायदा न तो कांग्रेस-एनसीपी को हुआ और न ही राज ठाकरे की MNS को।
MNS 2019 लोकसभा चुनाव तो नहीं लड़ी थी, लेकिन कुछ महीनों बाद हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में केवल 1 सीट जीत सकी।
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