सबसे पहले इस फोटो को देखिए
12 सितंबर 2022 : कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल से ये फोटो पोस्ट किया। लिखा, ‘BJP-RSS ने जो नुकसान पहुंचाया है, उसे ठीक करने और नफरत की बेड़ियों से इस देश को आजाद कराने के लिए कदम दर कदम हम अपने लक्ष्य पर पहुंचेंगे।’ कांग्रेस नेता राहुल की गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान यह ट्वीट किया गया।
इसके बाद से इस पर बवाल मचा हुआ है। BJP ने इसे हिंसा को उकसाने की कार्रवाई करार दिया है। दरअसल ये खाकी हाफ पैंट 90 साल से ज्यादा समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS का यूनिफॉर्म यानी गणावेश हुआ करता था।
ऐसे में आज एक्सप्लेनर में हम खाकी के RSS के यूनिफॉर्म बनने की कहानी बताएंगे...
साल 1925, विजय दशमी का दिन था। डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने नागपुर में विजय दशमी के ही दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी RSS की स्थापना की थी। हेडगेवार बाल गंगाधर तिलक से प्रभावित थे। हिंदू महासभा के राजनेता और नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता बीएस मुंजे इसके राजनीतिक संरक्षक थे। RSS को बनाने के लिए इसके सदस्यों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यूरोपीय दक्षिणपंथी ग्रुपों से प्रेरणा ली थी।
अपने गठन के वक्त ही RSS ने अपनी यूनिफॉर्म भी तय कर ली थी। इसमें खाकी हाफ पैंट, खाकी शर्ट, लेदर की बेल्ट, ब्लैक बूट, खाकी कैप और लाठी शामिल थी। माना जाता है कि खाकी हाफ पैंट अंग्रेजों के जमाने की पुलिस से लिया गया। उस वक्त दुनिया जंग का दौर चल रहा था। पुलिस के साथ सेना के जवानों की ड्रेस भी खाकी थी। इसके बाद ही धोती पहनने वाले RSS के सदस्यों को खाकी शर्ट और हाफ पैंट पहनने को कहा गया।
1930 : समाजवादी मुसोलिनी से प्रेरित होकर खाकी कैप काले रंग की हो गई
RSS ने अपनी यूनिफॉर्म में पहला बदलाव 1930 में किया। इस दौरान खाकी कैप को काले रंग की कैप में बदल दिया गया। उस वक्त लोग पूंजीवादी व्यवस्था से परेशान थे। ऐसे में इटली के समाजवादी नेता बेनिटो मुसोलिनी लोगों के लिए एक उम्मीद बनकर उभरे। उन्हें आम लोगों की जिंदगी को बदलने वाला नेता माना जाने लगा।
ऐसे में RSS भी उनसे प्रभावित हुआ। मुसोलिनी ब्लैक कलर की कैप पहनते थे। RSS ने भी अपनी कैप का कलर ब्लैक कर लिया। हालांकि, मुसोलिनी आगे चलकर तानाशाह बन गया।
1940: ब्रिटिश सेना की वर्दी न लगे इसलिए सफेद शर्ट अपना ली
RSS की यूनिफॉर्म में अगला बदलाव 1940 में हुआ। उस दौरान खाकी शर्ट को सफेद शर्ट से बदल दिया गया, क्योंकि RSS की यूनिफॉर्म ब्रिटिश सेना की वर्दी से मिलती जुलती थी। वहीं 1973 में भारी-भरकम मिलिट्री ब्लैक बूट्स को सामान्य जूते में बदल दिया गया। यानी RSS के सदस्य रैक्सिन के जूते भी पहन सकते हैं।
2011 में लेदर बेल्ट की जगह कैनवास ने ली
2011 में RSS ने लेदर की बेल्ट को हटाकर कैनवास की बेल्ट को अपना लिया। इस बदलाव पर RSS ने कहा था कि कैनवास बेल्ट सस्ती होती है और आसानी से मेंटेन हो सकती है।
2016 में खाकी हाफ पैंट की जगह ब्राउन फुल पैंट ने ली
2015 में पहली बार खबर आई की संघ में खाकी हाफ पैंट की जगह फुल पैंट लेगा। कुछ पुराने संघी इस बदलाव के खिलाफ थे। वहीं कई प्रचारकों का मानना था कि खाकी हाफ पैंट की वजह से युवा संघ में शामिल होने से हिचकते है।
उस वक्त सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह भैयाजी जोशी दोनों नए यूनिफॉर्म के पक्ष में थे और उनका मानना था कि हमें समय के साथ बदलना चाहिए।
मार्च 2016 में राजस्थान के नागौर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने यूनिफॉर्म में खाकी फुल पैंट को शामिल करने की घोषणा की। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा RSS की सर्वोच्च डिसीजन मेकिंग बॉडी है।
तब भैयाजी जोशी ने कहा था कि यह फैसला दिखाता है कि संगठन किसी चीज को लेकर रिजिड नहीं है और समय के साथ आगे बढ़ सकता है। आज की सोशल लाइफ में ट्राउजर एक जरूरत बन चुका है। ऐसे में हम रूढ़िवादी नहीं बने रह सकते।
उन्होंने कहा कि पैंट को इस तरह से डिजाइन किया जाएगा कि यह फिजिकल एक्सरसाइज के लिए आरामदायक हो। ब्राउन कलर को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध होता है और अच्छा दिखता है।
2016 में RSS ने अपने स्थापना दिवस यानी दशहरा के दिन खाकी हाफ पैंट को उतारकर ब्राउन फुल पैंट को अपना लिया। उस वक्त RSS ने अपने मोजे के रंग में बदलाव को भी मंजूरी दी थी। खाकी रंग के मोजे भी ब्राउन रंग से बदल दिया गया था। यानी अब RSS के कार्यकर्ता ब्राउन कलर के फुल पैंट के साथ सफेद शर्ट और काली टोपी पहनने लगे।
एकता और बंधुत्व की भावना के लिए यूनिफॉर्म की जरूरत पड़ी
RSS की वेबसाइट के मुताबिक फिजिकल एक्सरसाइज और परेड संघ की ट्रेनिंग का अहम अंग है। स्वयंसेवकों को फिजिकली और साइकोलॉजिकली मजबूत बनाने के लिए ऐसा किया जाता है। यूनिफॉर्म इसकी डिसिप्लिन को मेंटेन करता है। इससे अलग-अलग सोशल, इकोनॉमिक और एजुकेशनल बैकग्राउंड्स से आने वाले स्वयंसेवकों के बीच एकता और भाईचारा बना रहता है।
फ्री में नहीं मिलती यूनिफॉर्म
RSS की वेबसाइट के मुताबिक यूनिफॉर्म का उपयोग कुछ औपचारिक परेड और फंक्शन के लिए किया जाता है, न कि रोजाना के काम के लिए। रोजाना की शाखा में कोई भी संघ कार्यकर्ता सम्मान जनक ड्रेस पहनकर शामिल हो सकता है। RSS का यूनिफॉर्म स्थानीय संघ कार्यालयों में उपलब्ध होता है। स्वयंसेवक यहां से इसे खरीद सकते हैं। यह फ्री में नहीं मिलती है।
जून में कर्नाटक में NSUI कार्यकर्ताओं ने जलाए थे खाकी पैंट
इस साल जून में कांग्रेस के छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया यानी NSUI के कार्यकर्ताओं ने RSS के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्नाटक में स्कूली बच्चों के सिलेबस में RSS की विचारधारा को शामिल किया जा रहा है। इसके विरोध में उन्होंने कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश के घर के बाहर खाकी हाफ पैंट्स जलाई।
इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शन करने वाले कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। इस पर कर्नाटक के पूर्व CM और कांग्रेस नेता सिद्धारमैया भड़क गए। उन्होंने कहा कि NSUI कार्यकर्ताओं ने चड्ढियां जलाईं। तो! क्या ये कोई अपराध है? ये असामाजिक कैसे हो गया? क्या सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना कानून का उल्लंघन है?
सिद्धारमैया के बयान पर BJP नेता नारायणस्वामी ने कहा कि अगर उनको चड्ढी जलानी है तो वो अपने घर में जलाएं ना। मैंने तो सभी जिलों के कार्यकर्ताओं से कहा है कि सिद्धारमैया को चड्ढी भेजने में मदद करें। इसके बाद BJP और RSS के कार्यकर्ता कांग्रेस ऑफिस में चड्ढी भेजने लगे।
अब चलिए इस पोल में हिस्सा लेते हैं...
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