कोरोना वायरस इन्फेक्शन की दूसरी लहर तेज हो चली है। इस बीच सोमवार को एक्सपर्ट कमेटी ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-V के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दे दी है। अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) इस पर फैसला लेगा। मंजूरी मिलने पर यह भारत के कोरोना टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीन बन जाएगी। इस बीच, रसियन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (RDIF) ने बयान जारी कर बताया कि भारत दुनिया का 60वां देश हो गया है जिसने स्पुतनिक-V को यूज के लिए मंजूरी दी है। ये दुनिया की दूसरी वैक्सीन है जिसे ज्यादा देशों में यूज किया जा रहा है।
भारत में 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ था और इसके लिए इसी साल की शुरुआत में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को मंजूर किया गया था। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इसका प्रोडक्शन कर रहा है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाया है।
पिछले हफ्ते रिपोर्ट आई थी कि ज्यादातर बड़े राज्यों में वैक्सीन डोज खत्म हो गए हैं। जिस रफ्तार से टीके लगाए जा रहे हैं, उस रफ्तार से बन नहीं रहे। इस वजह से तीसरी वैक्सीन को मंजूरी देना बेहद जरूरी हो गया है।
हर साल 85 करोड़ वैक्सीन तैयार होगी
RDIF ने बताया कि भारत में स्पुतनिक-V का ट्रायल 1600 लोगों पर किया गया था। इनकी उम्र 18 से 99 साल तक की थी। ट्रायल का रिस्पांस काफी बेहतर रहा। अब भारत सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। भारत में इसे डॉ. रेड्डी फार्मा करेगी। कंपनी का दावा है कि यहां हर साल 85 करोड़ वैक्सीन तैयार होगी। इससे करीब 40 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा सकती है।
आइए जानते हैं कि कितनी खास है स्पुतनिक-V?
भारत में कैसे हो सकती है गेमचेंजर?
91.6% इफेक्टिव है वैक्सीन, इम्यून रिस्पॉन्स तेजी से बढ़ाती है
इसके अलावा और कौन-सी वैक्सीन बन रही हैं?
1. जायकोव-डी (ZyCov-D)
कंपनीः जायडस कैडिला, अहमदाबाद ने यह वैक्सीन डेवलप की है। भारत बायोटेक की कोवैक्सिन के बाद यह दूसरी पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन होगी।
इफेक्टिवनेसः शुरुआती दो ट्रायल्स में सुरक्षित साबित हुई है। इफेक्टिवनेस के आंकड़े आने हैं।
क्षमताः 15 करोड़ डोज प्रतिवर्ष
स्टेटसः इस समय भारत में फेज-3 ट्रायल्स चल रहे हैं।
2. कोवोवैक्स (नोवावैक्स)
कंपनीः सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने नोवावैक्स के साथ डील की है।
इफेक्टिवनेसः ओरिजिनल वायरस स्ट्रेन के खिलाफ 96.4% इफेक्टिव है।
क्षमताः 4-5 करोड़ डोज प्रतिमाह
स्टेटसः 3 फरवरी को सीरम इंस्टीट्यूट को ब्रिजिंग स्टडी करने की अनुमति ली है। यह वैक्सीन नोवावैक्स ने तैयार की है और शुरुआती ट्रायल्स विदेशों में हुए हैं। इसकी पुष्टि के लिए भारत में ब्रिजिंग स्टडी होने वाली है।
3. BECOV2A, BECOV2B, BECOV2C, BECOV2D
कंपनीः बायोलॉजिकल E ने बेयर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर इसे बनाया है।
इफेक्टिवनेसः 2 डोज वाली वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स अभी शुरू नहीं हुए हैं।
क्षमताः 10 करोड़ डोज प्रतिवर्ष
स्टेटसः फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स भारत में हो चुके हैं। नतीजों के आधार पर कंपनी फेज-3 ट्रायल्स के लिए अनुमति मांगेगी।
4. BV154 (इंट्रा-नैजल वैक्सीन)
कंपनीः भारत बायोटेक ने वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर इस पर काम किया है।
इफेक्टिवनेसः ट्रायल्स पूरे नहीं हुए हैं।
क्षमताः पता नहीं।
स्टेटसः 3 फरवरी को भारत बायोटेक ने 175 वॉलंटियर पर फेज-1 ट्रायल्स के लिए मंजूरी हासिल की थी। अभी फेज-2 और फेज-3 ट्रायल्स होने हैं। साल के अंत तक मार्केट में आ सकती है।
5. HGCO19 (mRNA वैक्सीन)
कंपनीः जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स
इफेक्टिवनेसः फेज-3 ट्रायल्स अभी शुरू नहीं हुए हैं। अमेरिका में मॉडर्ना और फाइजर की वैक्सीन इसी प्लेटफॉर्म पर बनी है।
क्षमताः 36 करोड़ डोज प्रतिवर्ष
स्टेटसः 11 दिसंबर को फेज-1 और फेज-2 ट्रायल्स के लिए मंजूरी मिली थी। रेगुलेटर को डेटा सौंपना है। उसके बाद अगले फेज के ट्रायल्स शुरू होंगे।
6. जेनसेन फार्मा की Ad26.CoV2.S
कंपनीः बायोलॉजिकल E ने जॉनसन एंड जॉनसन की जैनसेन बायोफार्मास्युटिकल्स के साथ डील की है।
इफेक्टिवनेसः 66% अमेरिका और अन्य देशों में हुए ट्रायल्स के आधार पर।
क्षमताः 60 करोड़ डोज सालाना, जिसे 100 करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है।
स्टेटसः भारत में ब्रिजिंग स्टडी शुरू होने वाली है। अभी यह साफ नहीं है कि भारत इस वैक्सीन को भारत के टीकाकरण कार्यक्रम के लिए खरीदेगी या नहीं।
7. अरबिंदो फार्मा वैक्सीन
कंपनीः अरबिंदो फार्मा ने अमेरिकी सहायक कंपनी ऑरो वैक्सीन के साथ मिलकर इस वैक्सीन पर काम शुरू किया है। इसे प्रोफेक्टस बायोसाइंसेस ने विकसित किया है।
इफेक्टिवनेसः यह वैक्सीन इस समय प्री-क्लीनिकल ट्रायल्स में है। इस वजह से इफेक्टिवनेस नहीं पता।
क्षमताः पता नहीं।
स्टेटसः क्लीनिकल ट्रायल्स शुरू नहीं हुए हैं। लैबोरेटरी में जांच हो रही है।
कब मिलेगीः सब कुछ ठीक रहा तो इसके ट्रायल्स छह से सात महीने चल सकते हैं। यानी इस साल के अंत तक।
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