भास्कर एक्सप्लेनर:क्या है नो फ्लाई जोन, जिसे यूक्रेन में नहीं लागू करना चाहता NATO, क्यों है इससे विश्व युद्ध का खतरा?

एक वर्ष पहलेलेखक: हिमांशु पारीक
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रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए 20 दिनों से ज्यादा बीत चुके हैं। इस लड़ाई में सैकड़ों लोग मारे गए हैं और लाखों बेघर हो चुके हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की लगातार NATO देशों से यूक्रेन को नो-फ्लाई जोन (NFZ) घोषित करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन NATO देश लगातार इस मांग को अस्वीकर करते रहे हैं।

NATO देशों का कहना है कि यूक्रेन पर नो-फ्लाई जोन बनाने का मतलब होगा विश्वयुद्ध को निमंत्रण देना। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी सभी देशों को यूक्रेन पर नो-फ्लाई जोन घोषित न करने की चेतावनी दी है।

इस एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे कि नो-फ्लाई जोन क्या होता है? किसी देश को नो फ्लाई जोन घोषित करने का क्या मतलब है? साथ ही जानेंगे कि NATO देश यूक्रेन पर ऐसा करने से क्यों बच रहे हैं?

क्या होता है नो-फ्लाई जोन (NFZ)?

जैसा कि नाम से स्पष्ट है, किसी भी निश्चित सीमा में हवाई उड़ानों पर प्रतिबंध लगाना उस इलाके को नो फ्लाई जोन घोषित करना होता है। शक्तिशाली सेना वाले देश अकेले या कुछ देश मिलकर एक सीमा में नो फ्लाई जोन बना सकते हैं। इस जोन की लगातार पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है।

यूनाइटेड नेशन चार्टर के सातवें अध्याय में किसी क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए नो-फ्लाई जोन बनाए जाने का जिक्र है। वैसे कुछ NATO देश बिना UN की सहमति के भी नो फ्लाई जोन नीति का इस्तेमाल कर चुके हैं।

नो फ्लाई जोन मुख्य रूप से युद्ध पीड़ित इलाकों में लगाए जाते हैं। इनका उद्देश्य दुश्मन वायुसेना के हमलों से किसी इलाके की सुरक्षा करना होता है।

नो फ्लाई जोन घोषित करने वाले देश ये तय करते हैं कि वे उस इलाके में किस देश और किस तरह की उड़ानों पर पाबंदी लगा रहे हैं। इसके बाद ये देश अपनी सेनाओं के जरिए उस नो फ्लाई जोन पर नजर रखते हैं। नो-फ्लाई जोन में किसी प्रतिबंधित एयरक्राफ्ट के घुसने पर उसे मार गिराया जा सकता है।

यूक्रेन क्यों कर रहा है नो-फ्लाई जोन की मांग?
जेलेंस्की अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करने की मांग कर रहे हैं। रूसी वायुसेना यूक्रेन में लगातार बमबारी कर रही है। ऐसे में NATO अगर यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करता है तो वहां के एयरस्पेस की सुरक्षा NATO देशों के हाथों में आ जाएगी। यूक्रेन में नो फ्लाई जोन बनने पर NATO देश यूक्रेन की सीमा में उड़ने वाले किसी भी रूसी विमान को तुरंत खत्म कर सकेंगे। नो

फ्लाई जोन बनने से रूस के लिए यूक्रेन पर हवाई हमला करना आसान नहीं रह जाएगा। इससे यूक्रेनी नागरिकों को युद्ध क्षेत्र से बच निकलने के लिए पर्याप्त समय भी मिल जाएगा।

यूक्रेन में नो-फ्लाई जोन बनाने से क्यों बच रहे हैं NATO देश?
भले ही जनता की सुरक्षा के लिए जेलेंस्की की नो-फ्लाई जोन की मांग जायज हो पर इससे तीसरा विश्व युद्ध होने का डर है। इससे पहले NATO देश कई देशों में नागरिकों की सहायता के लिए नो-फ्लाई जोन बना चुके हैं, लेकिन यूक्रेन में ऐसा करने का मतलब होगा रूस से भिड़ना, इसी वजह से वे इससे बच रहे हैं।

यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित करने से यूक्रेन को होगा कितना फायदा?
जेलेंस्की यूक्रेन को नो फ्लाई जोन बनाना तो चाहते हैं पर इससे उन्हें शायद ही बहुत फायदा मिले। दरअसल, रूस ने यूक्रेन में लड़ाई के लिए अब तक अपनी वायुसेना से ज्यादा थल सेना और तेज रफ्तार मिसाइलों का इस्तेमाल किया है। ऐसे में NATO यूक्रेन में नो फ्लाई जोन बना भी दे तो रूसी हमले को रोक पाना मुश्किल होगा।

एक अमेरिकी डिफेन्स ऑफिसर के मुताबिक, 'रूस पश्चिमी यूक्रेन को निशाना बनाने के लिए अपनी सीमा में ही उड़ रहे फाइटर जेट्स की मदद से तेज रफ्तार मिसाइलों की बौछार कर रहा है। काफी दूर से किए जा रहे इस तरह के हमलों पर नो फ्लाई जोन बनाए जाने का भी कोई असर नहीं होगा।'

यूक्रेन में नो फ्लाई जोन बनाने से क्यों है विश्व युद्ध का खतरा?
NATO अगर यूक्रेन में नो फ्लाई जोन घोषित करता है तो NATO की सेना यूक्रेन की हवाई सीमाओं में एक्टिव हो जाएंगी। उसे यूक्रेन पर उड़ने वाले किसी भी रूसी हवाई जहाज को मारना पड़ेगा, जिसके बाद NATO देशों और रूस के बीच सीधी लड़ाई हो सकती है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन भी साफ कर चुके हैं कि जो कोई देश यूक्रेन में नो-फ्लाई जोन घोषित करेगा तो रूस इस लड़ाई में उसे अपना दुश्मन मानेगा। यानी ये लड़ाई सीधेतौर पर रूस और अमेरिका के बीच शुरू हो जाएगी, जिसमें और देशों के जुड़ने से विश्व युद्ध का खतरा पैदा हो जाएगा।

NATO महासचिव जेंस स्टोलनबर्ग का कहना है, 'यूक्रेन में नो फ्लाई जोन बनाना पूरे यूरोप में बड़ा युद्ध शुरू कर देगा, इस कारण हमें यूक्रेन में नो फ्लाई जोन न बना पाने का दर्दभरा फैसला लेना पड़ रहा है।'

कोई भी NATO देश अगर रूस के खिलाफ युद्ध लड़ता है तो NATO के आर्टिकल-5 के हिसाब से सभी NATO देश रूस पर मिलकर हमला करेंगे। जिसके बाद रूस के साथी देश भी उसकी मदद के लिए आगे आएंगे और स्थिति विश्व युद्ध की पैदा होगी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वे किसी भी सूरत में इस जंग में अपनी सेना नहीं उतारना चाहते।

दुनिया में किसी भी हिस्से को नो फ्लाई जोन घोषित करना एक महंगा सौदा भी है, क्योंकि इसके बाद उस इलाके में लगातार वायुसेना को पेट्रोलिंग करनी होती है जिसमें काफी खर्च होता है।

कब हुई नो फ्लाई जोन की शुरुआत?
नो-फ्लाई जोन एक मॉडर्न रणनीति है जिसका उपयोग 1990 के दशक में शुरू हुआ

  • 1991 के खाड़ी युद्ध के समय उत्तरी इराक में कुर्द और दक्षिणी इराक में शिया लोगों पर सद्दाम हुसैन की सुन्नी सरकार हवाई हमले कर रही थी। वहां की जनता को बचाने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने उस समय इराक में नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया था।
  • दुनिया का यह पहला नो फ्लाई जोन 2003 तक चला था। हालांकि, उस समय के UN महासचिव बुतरस घाली ने एक इंटरव्यू में इसे अवैध करार दिया था।
  • बोस्निया और हर्जेगोविना की लड़ाई के समय UN ने NATO देशों के सहयोग से बोस्निया में 1993 से 1995 तक नो फ्लाई जोन घोषित किया था। इसे ऑपरेशन 'Deny Flight' के नाम से जाना जाता है।
  • 2011 में लीबिया में गृह युद्ध चल रहा था। इस दौरान UN ने NATO देशों को लीबिया में नो फ्लाई जोन बनाने की सहमति दी थी, ताकि नागरिकों को गद्दाफी की सेना से बचाया जा सके।
  • इसके अलावा ओलिंपिक जैसे महत्वपूर्ण इवेंट्स के दौरान भी कई बार सुरक्षा के लिए आसपास के क्षेत्र को कुछ समय के लिए नो-फ्लाई जोन घोषित कर दिया जाता है।
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