रूस में HIV एड्स और हेपेटाइटिस के मरीजों, रेपिस्टों और समलैंगिकों को सेना में भर्ती किया जा रहा है। अलग-अलग देशों की तीन रिपोर्ट में ये दावा किया गया है। ऐसे लोगों को रूसी सेना की ‘वैगनर’ टुकड़ी में शामिल किया जा रहा है, जिसे प्राइवेट आर्मी भी कहते हैं। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि पुतिन की प्राइवेट आर्मी ‘वैगनर’ क्या है और इसमें एड्स मरीजों की भर्ती क्यों की जा रही है?
सबसे पहले जानते हैं कि रूसी सेना में HIV मरीजों को भर्ती किए जाने की खबर आई कहां से…
यूनाइटेड किंगडम के रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट: 30 अक्टूबर की इस रिपोर्ट में पुतिन के शेफ मोगुल येवजेनी प्रिगोझिन के हवाले से दावा किया गया है कि यूक्रेन की प्राइवेट आर्मी में एड्स और हेपेटाइटिस-C के मरीजों की भर्ती की जा रही है।
यूक्रेन के अखबार की रिपोर्ट: यूरोपीय अखबार यूक्रेइंस्का प्रावदा की रिपोर्ट में 100 से ज्यादा एड्स और हेपेटाइटिस बीमारी से पीड़ित कैदियों के प्राइवेट आर्मी में भर्ती होने की बात कही गई है।
अमेरिकी न्यूज एजेंसी ‘द डेली बीस्ट’ की रिपोर्टः द डेली बीस्ट ने अपनी इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट में कहा है कि रूस में रेप के दोषी, समलैंगिक और संक्रामक रोगों से पीड़ित कैदियों को जबरन मोर्चे पर लड़ने के लिए भेजा जा रहा है।
रूसी प्राइवेट आर्मी को HIV मरीजों की सेना में भर्ती करने की नौबत क्यों आई?
रूस की खूंखार प्राइवेट आर्मी है वैगनर
वैगनर रूस की प्राइवेट आर्मी है, जो सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के इशारे पर काम करती है। वैगनर ग्रुप की शुरुआत रूसी सेना के एक पूर्व अधिकारी दिमित्री उत्कीन ने साल 2014 में की थी। ये वो वक्त था जब रूस क्रीमिया पर कब्जा करने की तैयारी कर रहा था। दिमित्री चेचन युद्ध के समय हीरो बनकर उभरे थे। उन्होंने रूसी खुफिया सेवा में भी काम किया था।
ऐसे में रिटायर होने के बाद उन्होंने इस प्राइवेट सेना की नींव रखी। इसमें पूर्व सेना के जवान और जेल से रिहा हुए खूंखार हत्यारों को शामिल किया गया था।
पुतिन के दोस्त येवगेनी के पैसे से ऑपरेट होता है वैगनर
यूरोपीय संघ और अमेरिकी ट्रेजरी विभाग दोनों ने दावा किया है कि रूसी प्राइवेट आर्मी वैगनर इस समय पुतिन के करीबी दोस्त और आईटी क्षेत्र के बड़े कारोबारी येवगेनी विक्टरोविच प्रिगोझिन के पैसे से चल रहा है। हालांकि, पुतिन और उसके दोस्त ने इस दावे को गलत बताया है।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दफ्तर क्रेमलिन ने कई मौकों पर कहा है कि प्राइवेट आर्मी वैगनर से रूस सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। जबकि अंग्रेजी अखबार डेली स्टार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि क्रेमलिन रूस में भाड़े के प्राइवेट आर्मी को बढ़ावा दे रहा है।
पुतिन के इशारे पर वैगनर ने कई मिशन अंजाम दिए
पुतिन के आदेश पर यह प्राइवेट पैरामिलिट्री संगठन दुनियाभर में क्रूर और भयानक मिशन को अंजाम दे चुका है। सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक यानी CAR की लड़ाई इसका उदाहरण है। यहां पुतिन के इशारे पर इन प्राइवेट लड़ाकों की फौज ने कथित तौर पर 100 से ज्यादा युद्ध अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया था। इन्होंने वहां के लोगों का न सिर्फ टॉर्चर किया बल्कि रेप और हत्या जैसी घटना को भी अंजाम दिया।
इसके अलावा सीरिया के खशम शहर में 7 फरवरी 2018 को इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक के आतंकियों और प्राइवेट रूसी आर्मी के बीच जबरदस्त लड़ाई हुई थी। इस क्षेत्र में मजबूती से अपनी जड़ें जमा चुके आतंकियों को निकालना सीरिया सरकार के लिए मुश्किल था। ऐसे में रूसी प्राइवेट आर्मी वैगनर ने इस मिशन को सफल तरीके से अंजाम दिया और इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को मैदान छोड़कर भागना पड़ा था।
वैगनर आर्मी को 2015 में सीरिया और 2016 में लीबिया में सक्रिय पाया गया था। 2017 में रूसी प्राइवेट आर्मी को मध्य अफ्रीकी गणराज्य ने हीरे की खदानों की रक्षा करने का टेंडर दिया था। 2021 में पश्चिम अफ्रीका के देश माली में इस्लामी आतंकवादियों के खिलाफ सुरक्षा के लिए वैगनर के खूंखार जवानों की तैनाती की गई थी।
यूनाइटेड नेशन और फ्रांस की सरकार भी प्राइवेट रूसी सैनिक वैगनर पर मध्य अफ्रीकी गणराज्य में रेप और डकैती करने का आरोप लगा चुकी है। यही वजह है कि यूरोपीय यूनियन वैगनर पर पाबंदी लगा चुका है।
जंग शुरू होने से पहले रूस ने वैगनर को भेजा था यूक्रेन
किंग्स कॉलेज लंदन में युद्ध मामलों के एक्सपर्ट प्रोफेसर ट्रेसी जर्मन के मुताबिक 1,000 भाड़े के सैनिकों को डोनेट्स्क और लुहान्स्क में रूसी समर्थक उग्रवादियों को उकसाने के लिए भेजा गया था।
इसके अलावा ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने भी दावा किया है कि रूसी सैनिक यूक्रेन की जमीन जीतने के बाद वैगनर समूह को वहां सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपते हैं। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन जंग में टिके रहने के लिए रूस पूरी तरह से वैगनर पर निर्भर हो गया है।
रूसी वैगनर की तरह यूक्रेन के पास भी है प्राइवेट आर्मी ‘अजोव’
2014 में वैगनर की शुरुआत के बाद यूक्रेन ने रूस के इरादे को भांप लिया था। इसके बाद इसी साल यूक्रेन में भी प्राइवेट आर्मी अजोव की शुरुआत हुई। इसका उद्धेश्य पूर्वी यूक्रेन में रूस समर्थक विद्रोहियों के खिलाफ सेना के बजाय ‘अजोव’ के जवानों को उतारना था। शुरुआत में यह कट्टर राष्ट्रवादी लड़ाकों का रेजिमेंट था। बाद में इससे यूक्रेन के आम नौजवानों को भी जोड़ा जाने लगा।
2019 में अमेरिकी संसद अजोव को ‘आतंकवादी संगठन’ का दर्जा देने वाली थी, लेकिन बाद में ऐसा नहीं हुआ। जर्मनी के आंदोलनों में भी अजोव की भूमिका सामने आई थी। अगस्त 2022 में रूस के सबसे बड़े अदालत ने अजोव को आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
7 महीने से जारी जंग के बाद यूक्रेन में भी हो रही सैनिकों की कमी
रूस की तरह ही यूक्रेन में भी जंग लड़ने वाले पुरुष सैनिकों की संख्या में लगातार कमी हो रही है। DW की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के शहरों में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। सड़कों और बाजारों में पुरुष न के बराबर नजर आते हैं। देश में रहने वाले ज्यादातर पुरुष या तो सीमा पर हैं या फिर अपने व्यवसाय में लगे हैं। इसे दो बातों से समझा जा सकता है…
पहला: यूक्रेन सरकार ने महिलाओं और बच्चों को देश छोड़कर जाने की इजाजत तो दी है, लेकिन पुरुषों के देश छोड़ने पर पूरी तरह से पाबंदी है।
दूसरा: रूस की तरह ही यूक्रेन में भी 18 से 60 साल के उम्र के पुरुषों की सेना में जबरन भर्ती की जा रही है। यही नहीं अपनी इच्छा से यूक्रेन और बाहरी देशों के पुरुष भी वॉलंटियर सैनिक के तौर पर सेना में शामिल हो रहे हैं।
भास्कर एक्सप्लेनर के नॉलेज बढ़ाने वाले कुछ और ऐसे ही रोचक आर्टिकल हम नीचे पेश कर रहे हैं...
2. रूस की सड़कों से गायब हो रहे हैं पुरुष:कुछ जंग में गए तो कुछ डर से भागे; अकेली पड़ीं लाखों महिलाएं
3. यूक्रेन का ‘डर्टी बम’ क्या है: जिसके हमले की आशंका से डरा हुआ है रूस
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.