05 सितंबर: उत्तर-पूर्व यूक्रेन में खार्किव प्रांत पर दोबारा कब्जे के लिए यूक्रेन ने काउंटर अटैक किया।
11 सितंबर: यूक्रेन ने खार्किव प्रांत के शहरों बालाक्लीया, कूपियांस्क और इजियम पर दोबारा कब्जा जमाया।
ये दोनों खबरें इसी महीने की हैं। 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू होने के बाद से ये रूसी सेना के लिए सबसे बड़ा झटका है।
भास्कर एक्सप्लेर में जानते हैं कि कैसे यूक्रेन ने पलटवार कर रूस से छीना 6 हजार वर्ग किलोमीटर का इलाका और कैसे अमेरिका और पश्चिमी देशों के हथियार रहे मददगार...
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने बयान में कहा है- 'सितंबर की शुरुआत से हमारे सैनिकों ने पूर्वी और दक्षिण यूक्रेन में करीब 6 हजार किलोमीटर का इलाका आजाद करा लिया है। हम और आगे बढ़ रहे हैं।'
दरअसल यूक्रेन ने सबसे बड़ा पलटवार उत्तर पूर्वी यूक्रेन के खार्किव प्रांत में किया है। उसने बालाक्लीया, कूपियांस्क और इजियम शहरों पर फिर से कब्जा जमा लिया है।
11 सितंबर को रूस के सरकारी चैनल रशियन स्टेट टीवी ने माना था कि खार्किव में दुश्मन सेनाओं की भारी तादाद की वजह से रूसी सेनाओं को पीछे हटना पड़ा। यूक्रेन ने इन शहरों पर कब्जा जमा लिया है। इससे पहले रूस ने कूपियांस्क और इजियम से अपनी सेना के पीछे हटने पर कहा था कि उसने अपनी सेना खेरसॉन भेजी है।
कूपियांस्क और इजियम पर यूक्रेन का कब्जा अहम है। डोनबास में रूसी सेना की सप्लाई के लिए ये दोनों हब माने जाते हैं। इतना ही नहीं यूक्रेन ने डोनबास के लाइमैन में भी रूस के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोल रखा है।
मैप के जरिए देखिए यूक्रेन ने किन इलाकों पर किया कब्जा
यूक्रेन की इस कामयाबी से रूस के पूर्वी यूक्रेन यानी डोनबास इलाके पर कब्जे की योजना को भी झटका लगा है। 2014 से ही डोनबास के लुहांस्क और डोनेट्स्क के एक बड़े इलाके पर रूसी समर्थित अलगाववादियों का कब्जा है।
इस जंग में रूस को सबसे ज्यादा कामयाबी डोनबास इलाके में ही मिली है, लेकिन यूक्रेन के हालिया जवाबी हमले ने उसके मिशन की रफ्तार रोक दी है। यूक्रेन ने दक्षिण में खेरसॉन में भी रूसी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वहां दोनों के बीच जंग जारी है। अप्रैल में राजधानी कीव से रूसी सेना को पीछे धकेलने के बाद ये यूक्रेन की सबसे बड़ी कामयाबी है।
यूक्रेन का पलटवार, जेलेंस्की की सेना की चाल को भांप नहीं पाया रूस
द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन ने पिछले कुछ दिनों से खेरसॉन इलाके में रूस के खिलाफ जबर्दस्त जंग छेड़ रखी है। वहां भारी संख्या में अपने सैनिकों की तैनाती की है। रूस को लगा कि यूक्रेन का एकमात्र मकसद फिलहाल खेरसॉन पर फिर से कब्जा करना है। इसलिए उसने पूर्वी यूक्रेन में खार्किव इलाके से अपनी ज्यादातर सेनाओं को हटाकर उन्हें दक्षिण में खेरसॉन की ओर भेज दिया।
इसके बाद यूक्रेन ने एक और चाल चली और खार्किव इलाके से HIMARS रॉकेट लॉन्चर्स जैसे अपने घातक हथियारों की संख्या घटा दी और उनकी जगह टैंक तैनात कर दिए।
इस तरह रूस यूक्रेन की चाल में फंस गया और उसका पूरा फोकस खेरसॉन की तरफ हो गया। इसके बाद रणनीति के तहत ही यूक्रेन ने खार्किव इलाके में रूस के खिलाफ जबर्दस्त हमला बोल दिया।
इस अचानक हमले के लिए रूसी सेनाएं तैयार ही नहीं थीं। साथ ही उनकी संख्या भी यूक्रेनी सैनिकों से काफी कम थी। नतीजा- महज 15 दिनों के अंदर यूक्रेन ने खार्किव के करीब 6 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा इलाके पर कब्जा जमा लिया।
BBC के मुताबिक, रूसी सेना के एक अधिकारी विटैली गैंचेव ने कहा- 'यूक्रेनी सेनाओं के जवाबी हमले में रूसी सेनाएं कम पड़ गई थीं। इस हमले में एक रूसी सैनिक के मुकाबले 8 यूक्रेनी सैनिक थे।'
कई एनालिस्ट का मानना है कि रूसी सेना ने खार्किव में अहम ठिकानों को खुला छोड़ दिया और अपनी सेना को खेरसॉन में भेजने की रणनीतिक गलती की।
एक अमेरिकी हथियार, जो यूक्रेन के लिए साबित हो रहा गेमचेंजर
जंग की शुरुआत से ही अमेरिका और पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की मदद की है। अमेरिका का एक हथियार हाल के दिनों में यूक्रेन के लिए गेमचेंर साबित हुआ है। इस हथियार का नाम है HARM.
यूक्रेन में हार रहा है रूस? पुतिन के समर्थक भी उठाने लगे सवाल
यूक्रेन में रूसी सेना को मिली हालिया मात के बाद रूस के कट्टर समर्थक भी अपनी सेना की रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं। रूस के सोशल मीडिया चैनलों में अपनी सेना की आलोचनाओं से भरे कमेंट्स की बाढ़ सी आ गई है। रूसी समर्थक अपनी सेना पर गलतियां करने के आरोप लगा रहे हैं।
रूस समर्थक और चेचेन्या के ताकतवर नेता रमजान कादिरोव ने कहा-’अगर जल्द ही रणनीति में कोई बदलाव नहीं किया जाता है, तो मैं डिफेंस मिनिस्ट्री के नेताओं और देश की लीडरशिप से बात करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा।
2014 में डोनबास में रूस के आक्रमण की अगुवाई करने वाले एक रूसी समर्थक इगोर गिरकिन ने इस जंग में रूस की हार की भविष्यवाणी कर दी है। गिरकिन का कहना है, 'हम पहले ही हार चुके हैं, बाकी बस समय की बात है।'
पश्चिमी देशों के घातक हथियारों के दम पर रूस को टक्कर दे रहा यूक्रेन
HIMARS रॉकेट लॉन्चर सिस्टम: एनालिस्ट के मुताबिक, यूक्रेन को लॉन्ग रेंज रॉकेट्स की जरूरत थी, इसीलिए अमेरिका ने यूक्रेन को दर्जनों HIMARS दिए हैं। यूक्रेन के लिए ये हथियार बेहद मारक साबित हुए हैं।
M77 होवित्जर तोप: जुलाई में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका ने 100 से ज्यादा M77 होवित्जर तोपें यूक्रेन को भेजी हैं। हालांकि अभी यूक्रेन इस तोप के गोला-बारूद की कमी से जूझ रहा है।
TB2 ड्रोन: तुर्की के दिए ये हथियार यूक्रेन के सबसे मारक हथियारों में शामिल रहे हैं। इन ड्रोन की मदद से यूक्रेन ने रूसी सेना के हेलिकॉप्टरों, नेवी जहाजों और मिसाइल सिस्टम तक को तबाह किया है। इस ड्रोन का इस्तेमाल रूसी सेना का सटीक लोकेशन पता लगाकर उन पर हमले में भी किया गया है।
T-72M1 टैंक: यूक्रेन को पोलैंड और चेक रिपब्लिक से 230 से ज्यादा टैंक मिले हैं। यूक्रेन की सेना दशकों से T-72S टैंकों का इस्तेमाल कर रही है, इसलिए इन टैंकों के इस्तेमाल में उसे महारत हासिल है।
Nlaw लाइट एंटी-टैंक वेपन: ब्रिटेन ने यूक्रेन को कंधे से दागे जाने वाले 5 हजार Nlaw एंटी-टैंक वेपन दिए हैं। इससे एक ही शॉट में कई टैंक तबाह किए जा सकते हैं।
S-300 एयर डिफेंस सिस्टम: यूक्रेन को ये हथियार स्लोवाकिया ने दिए हैं। साथ ही अमेरिका ने उसे NASAMS नाम एडवांस्ड सरफेस-टु-एयर मिसाइल सिस्टम भी दिया है।
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