‘पार्थ फिरोज मेहरोत्रा’ और ‘उदय राज आनंद’ की मुलाकात 17 साल पहले हुई। इसके बाद दोनों में दोस्ती हुई और फिर प्यार। तबसे दोनों गे कपल के रूप में साथ रहते हैं।
दोनों मिलकर बच्चों की परवरिश भी कर रहे हैं। हालांकि, कानून उन्हें बच्चों को गोद लेने का अधिकार नहीं देता है क्योंकि भारत में समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता नहीं मिली है।
ऐसे में इन्होंने अपनी शादी को मान्यता दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद सुप्रीम अदालत ने भारत सरकार से 4 सप्ताह में समलैंगिक विवाह पर जवाब मांगा है।
आज भास्कर एक्सप्लेनर में 9 सवालों के जरिए समलैंगिक विवाह से जुड़े इस पूरे मामले को जानेंगे…
सवाल-1: सेम सेक्स में शादी को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचे गे कपल?
जवाब: जब पुरुष किसी पुरुष से या कोई महिला किसी महिला से शादी करे तो इसे सेम सेक्स मैरिज या समलैंगिक विवाह कहते हैं। 2018 से भारत में समलैंगिक संबंध बनाने की इजाजत है, लेकिन समलैंगिक शादी की नहीं। ऐसे में कई समलैंगिक जोड़ों ने सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दिलाने के लिए याचिका दायर की है।
25 नवंबर यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई हुई। पार्थ फिरोज मेहरोत्रा और उदय राज आनंद समेत कई गे कपल ने समलैंगिक विवाह को स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 में शामिल करने की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने इस मामले में सुनवाई के बाद भारत सरकार से समलैंगिक विवाह को लेकर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।
दरअसल, स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेन मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट और केरल हाईकोर्ट में भी 9 याचिकाएं दायर हैं।
सवाल-2: समलैंगिक विवाह को कानूनी अधिकार दिलाने के लिए गे कपल ने कोर्ट में क्या तर्क दिए?
जवाब: समलैंगिक शादी को मान्यता दिलाने के लिए कोर्ट में गे कपल ने जो कहा उसे नीचे ग्राफिक्स में पढ़िए…
सवाल- 3: समलैंगिक विवाह और समलैंगिक संबंधों में क्या अंतर होता है?
जवाब: सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता का कहना है कि भारत में IPC की धारा-377 के तहत 2018 से पहले समलैंगिक संबंध यानी लड़का-लड़का और के बीच शारीरिक संबंध बनाना अपराध के दायरे में आता था। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने सितम्बर 2018 में इस कानूनी प्रावधान को खत्म कर दिया।
इसके बाद से भारत में समलैंगिक संबंधों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज नहीं हो सकता। लेकिन समलैंगिक शादी को लीगल बनाने के लिए LGBTQ कम्युनिटी आज भी कोशिश कर रही है।
केरल हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट समेत कई अदालतों में इससे जुड़ी याचिकाएं दायर हुई हैं। भारत सरकार ने इन सभी मामलों की सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सुनवाई की मांग की है।
सवाल-4: भारत में समलैंगिक विवाह कानूनी है या गैर-कानूनी?
जवाब: समलैंगिक शादी गैर-कानूनी है। विराग गुप्ता के मुताबिक भारत में विभिन्न धर्मों में शादी की वैधता के लिए कई तरह के कानून हैं। हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिक्ख धर्म के लोगों के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम-1955 है जबकि ईसाईयों के लिए क्रिश्चयन मैरिज एक्ट-1872 है। इसी तरह मुस्लिम अपने धार्मिक कानून मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी करते हैं।
इन सभी कानूनों के अनुसार सिर्फ पुरुष और महिला के बीच ही शादी हो सकती है। समलैंगिक संबंधों को अपराधिक श्रेणी से बाहर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पास संवैधानिक शक्ति थी। इसके अनुसार 2018 का फैसला आया, लेकिन समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए कानून में बदलाव करना होगा। जो सरकार और संसद से ही संभव है।
सवाल-5: क्या संसद में कभी समलैंगिक विवाह को लेकर कोई बिल पेश हुआ है?
जवाब: 1 अप्रैल 2022 को NCP सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में एक निजी सदस्य विधेयक यानी प्राइवेट मेंबर्स बिल पेश किया, जिसका मकसद स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समान लिंग के दो लोगों की शादी को वैधता प्रदान करना था। ये बिल सदन में पास नहीं पाया।
दरअसल, प्राइवेट मेंबर्स बिल एक ऐसा बिल होता है, जिसे किसी भी ऐसे सांसद द्वारा पेश किया जाता है, जो मंत्री नहीं है। ऐसे विधेयक कम ही पास हो पाते हैं। अब तक इस तरह के सिर्फ 14 बिल ही पास हो पाए हैं, जिनमें से 6 विधेयक 1956 में पास हुए थे। सुप्रिया सुले के लाए गए इस एक बिल को छोड़ दें तो समलैंगिक विवाह को लेकर संसद में कोई और बिल नहीं पेश हुए हैं।
सवाल-6: स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है, इसमें समलैंगिक विवाह को शामिल करने की बात क्यों हो रही है?
जवाब: विराग का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के अनुसार समलैंगिक जोड़ों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी के रजिस्ट्रेशन की मांग की है। भारत में दो अलग-अलग धर्मों के लोग स्पेशल मैरिज एक्ट-1872 के तहत शादी रजिस्टर करवा सकते हैं, लेकिन इस कानून के तहत सिर्फ पुरुष और महिला की ही शादी हो सकती है।
याचिका करने वालों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट इस कानून की जेंडर न्यूट्रल व्याख्या करती है तो इससे उनके शादी का रजिस्ट्रेशन हो सकता है। समलैंगिक विवाह को मान्यता मिलता है तो इससे बच्चों को कानूनी दर्जा मिलेगा। साथ ही कानूनी तौर पर संपत्ति के उत्तराधिकार को लेकर सारी बात साफ हो जाएगी। इससे समलैंगिक कपल को पासपोर्ट और नागरिकता संबंधी अधिकारों को हासिल करने में आसानी होगी।
सवाल-7: समलैंगिक विवाह को लेकर भारत सरकार का क्या तर्क है?
जवाब: इस मामले में भारत सरकार का कहना है कि भारतीय कानून व्यवस्था में सिर्फ जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच ही विवाह हो सकता है।
सरकार का मानना है कि समलैंगिक जोड़ों के पार्टनर की तरह रहने और यौन संबंध बनाने की तुलना भारतीय पारिवारिक इकाई से नहीं की जा सकती जिसमें एक जैविक पुरुष को पति, एक जैविक महिला को पत्नी और दोनों के बीच मिलने से संतान पैदा होने की बात है।
इसके साथ ही सरकार ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट विभिन्न धार्मिक समुदायों के रीति-रिवाजों से संबंधित व्यक्तिगत कानूनों से जुड़ा है। ऐसे में इसमें किसी भी तरह के बदलाव से देश के व्यक्तिगत कानूनों को मानने वालों की भावना आहत होगी। इससे दूसरी समस्या पैदा हो सकती है।
सवाल-8: दुनिया में समलैंगिक शादी का लीगल स्टेटस क्या है?
जवाब: समलैंगिक शादी के लीगल स्टेटस की बात करें तो दुनियाभर में तरह के देश हैं-
द गार्जियन रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 120 देशों में समलैंगिकता को अपराध नहीं माना जाता है, लेकिन सिर्फ 32 देशों में इस वक्त सेम सेक्स में शादी करने की अनुमति है।
इसका मतलब ये है कि दुनिया के 88 देश ऐसे हैं, जहां समलैंगिक संबंधों को इजाजत है लेकिन समलैंगिक शादी की नहीं। इसमें एक देश भारत भी है।
2001 में नीदरलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश था, जहां समलैंगिक शादी की अनुमति मिली थी। इसके अलावा यमन, ईरान समेत दुनिया के 13 देश ऐसे हैं, जहां सेम सेक्स में शादी तो छोड़िए यहां समलैंगिक संबंध बनाए जाने पर भी मौत की सजा दी जाती है।
सवाल-9: कितना पुराना है समलैंगिकों के अधिकारों का सफर?
जवाब: अब अगले ग्राफिक्स में समलैंगिकों के अधिकारों के पूरे सफर को जानिए…4
समलैंगिकों का कहानी तो आपने जान ली। आइए, अब आखिर में LGBTQ का मतलब भी समझते हैं…
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