भूत बनने का डरावना शौक:सियोल में 151 लोगों की जान ली, भारत में भी तेजी से बढ़ा प्रेत आत्मा वाला खेल

7 महीने पहलेलेखक: अनुराग आनंद/ शिवांकर द्विवेदी
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29 अक्टूबर यानी शनिवार को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में रात के 8 बजे थे। लाखों लोग इटावोन इलाके की एक पतली गली में भूत-पिशाच बने नजर आ रहे थे। 17 साल की किम सियो-जोंग भी अपनी दोस्त के साथ यहां आई थीं।

किम सियो-जोंग भारी भीड़ को देखकर घर लौटने के लिए सोच ही रही थी कि अचनाक भगदड़ मच गई। जोंग तो किसी तरह बचकर घर पहुंच गई, लेकिन सभी लोग इतने खुशनशीब नहीं थे। यहां 151 लोगों की मौत हुई, जबकि 2,000 लोगों के गायब होने की खबर है। भास्कर एक्सप्लेनर में भूतों-पिशाचों वाली इसी हैलोवीन पार्टी के बारे में जानते हैं…

सबसे पहले जानते हैं कि हैलोवीन क्या है?
हैलोवीन पश्चिमी देशों में मनाया जाने वाला ईसाइयों का त्योहार है। इस त्योहार में मृत आत्माओं की शांति के लिए भूत-पिशाचों की पूजा की जाती है।

इसे ऐसे समझें कि जिस तरह भारत में हिंदू समुदाय के लोग श्राद्ध के दौरान अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं। ठीक उसी तरह 31 अक्टूबर को ईसाई लोग भी ये त्योहार मनाते हैं।

इस त्योहार में लोग भूत बनने के लिए डरावनी और अजीबो-गरीब शक्ल बनाते हैं। देर रात तक लोग घरों से बाहर कहीं जमा होकर इसे सेलिब्रेट करते हैं।

बच्चे भूत की ड्रेस पहनकर अपने पड़ोसियों के घर जाते हैं। लोगों से पूछते हैं ट्रिक या ट्रीट? ट्रिक चुनने पर उसे डराया जाता है और ट्रीट चुनने पर ढेर सारी कैंडी और चॉकलेट बच्चों को उपहार में दी जाती है।

अब ग्राफिक्स में पढ़िए भारत में मृत आत्माओं की शांति के लिए कौन से पर्व मनाए जाते हैं…

भारत में इस पर्व को लेकर कई कंट्रोवर्सी भी हैं। इन्हीं में से एक है- पॉप स्टार हेइडी क्लम के काली बनने पर मचा बवाल...
हैलोवीन को सेलिब्रेट करने के लिए लोग अलग-अलग तरह के गेटअप लेते हैं, लेकिन कई बार अलग दिखने की होड़ में लोगों ने दूसरे कल्चर का अपमान भी किया है।

साल 2008 की बात है। हैलोवीन पार्टी में अमेरिकन पॉप स्टार हेइडी क्लम भारत में पूजी जाने वाली मां काली का रूप बनाकर सामने आई थी। उनका यह रूप काफी विवादों में रहा और उन पर हिंदुओं के अपमान करने का आरोप लगा।

हैलोवीन में पहने जाने वाले कपड़ों पर जापान, सऊदी अरब समेत कई दूसरे देशों के कल्चर के अपमान करने और उन्हें नीचा दिखाने का आरोप लग चुका है।

सऊदी अरब में इसी वजह से अब तक इस पर बैन था। साल 2018 में सऊदी पुलिस ने रेड कर कई लोगों को हैलोवीन पर्व सेलिब्रेट करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि, इस बार प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने वहां इस पर्व को मनाने की छूट दी है।

अब दिल्ली और मुंबई में भी मनाया जाने लगा है हैलोवीन
भारत में वैलेंटाइन डे और न्यू ईयर इवनिंग सेलिब्रेशन की तरह ही अब पश्चिमी देशों के पर्व हैलोवीन को भी मनाया जाने लगा है। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के होटल और रेस्टोरेंट में लोग अक्टूबर के आखिरी दिन हैलोवीन पर्व को धूमधाम से मनाते हैं।

ये तस्वीर मुंबई के पैलेडियम होटल में आयोजित हैलीवीन कार्यक्रम की है। पिछले साल आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में कई सेलिब्रिटी अपने बच्चों के साथ पहुंचे थे।
ये तस्वीर मुंबई के पैलेडियम होटल में आयोजित हैलीवीन कार्यक्रम की है। पिछले साल आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में कई सेलिब्रिटी अपने बच्चों के साथ पहुंचे थे।

भारत में हैलोवीन सेलिब्रेट करने को लेकर सोशल मीडिया और दूसरे पर प्लेटफॉर्म पर भी बहस होती रहती है। इसे भारत में वेस्टर्न कल्चर की घुसपैठ के तौर पर देखा जाता है। भारत में हैलोवीन मनाने का कल्चर केवल इलीट और अपर मिडल क्लास तक सीमित है। हॉलीवुड की तरह अब बॉलीवुड सेलेब्रेटीज के बीच हैलोवीन सेलिब्रेट करने की होड़ है।

यही वजह है कि इस दिन सोशल मीडिया स्टार किड्स के अलग-अलग गेट अप की तस्वीरों से पटा रहता है।

प्रेत आत्माओं से बचने के लिए कद्दू को घर के बाहर लटकाते हैं लोग
हैलोवीन पर्व को मनाने का तरीका दूसरे पर्वों से बिल्कुल अलग है। इस दिन लोग ‘जैक ओ लैंटर्न’ बनाते हैं। दरअसल, जब कद्दू को खोखला करके उसमें आंख, नाक और मुंह बनाकर इसके अंदर मोमबत्ती जलाते हैं, तो इसे ही ‘जैक ओ लैंटर्न’ कहते हैं। लोग अपने घरों के बाहर इसे पेड़ों पर लटका देते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से प्रेत आत्मा दूर रहती है।

चलिए अब कंजूस और शैतान दोस्तों की कहानी के जरिए आपको हैलोवीन पर्व का कद्दू कनेक्शन बताते हैं…

2 हजार साल से भी पहले हुई इस पर्व की शुरुआत
इस पर्व को सबसे पहले करीब 2 हजार साल पहले यूरोप के सेल्ट समुदाय के लोगों द्वारा मनाया गया था। शुरुआत में इस पर्व को ‘समहिन’ के नाम से जाना जाता था।

सेल्टिक लोग इस पर्व को मनाने के पीछे ये भी तर्क देते थे कि त्योहार के दिन खेती-किसानी सीजन का अंत होता है और साथ ही अंधेरी सर्दी की शुरुआत होती है।

इसी समय पूर्वजों की आत्मा अपने परिवार वालों से मिलने के लिए धरती पर आती हैं। ऐसे में ये लोग आत्माओं के स्वागत में अच्छे-अच्छे पकवान और फल खाने के टेबल पर सजाते थे। ताकि वे आत्माएं खुश होकर उनकी फसल की रक्षा करें।

16वीं सदी में सेल्ट समुदाय के पर्व को नाम दिया गया 'हैलोवीन'
13 मई 609 ईसा पूर्व यानी आज से 2600 साल पहले पोप बोनिफेस IV ने ईसाइ शहीदों के सम्मान में ‘ऑल सेंट्स डे’ की शुरुआत की थी।

9वीं शताब्दी आते-आते ईसाइयों का प्रभाव सेल्टिक समुदाय पर बढ़ने लगा। इसका असर ये हुआ कि सेल्टिकों का ‘समहिन’ त्योहार और ‘ऑल सेंट्स डे’ एक साथ मर्ज हो गए। तब इन लोगों ने 31 अक्टूबर की शाम को मनाए जाने वाले इस भूत पर्व को हेजोल ईवनिंग का नाम दिया।

करीब 1700 साल पहले 16वीं सदी में इस त्योहार को पहली बार ‘हैलोवीन’ के नाम से जाना गया।

पश्चिमी देशों का लोकप्रिय त्योहार है हैलोवीन
हैलोवीन त्योहार ज्यादातर पश्चिमी देशों में मनाए जाते हैं। आयरलैंड में शुरू होने के बाद इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी और देखते ही देखते इसे एक दर्जन से ज्यादा देशों में सेलिब्रेट किया जाने लगा।

अब ग्राफिक्स में देखिए किन देशों में इस पर्व को सेलिब्रेट किया जाता है…

क्रिश्चियन के अलावा दूसरे धर्मों में हैलोवीन को लेकर क्या कहा गया है?
यहूदी: अमेरिकी लेखक अल्फ्रेड जे. कोलाच ने अपनी किताब ‘द ज्यूस बुक ऑफ व्हाई’ में लिखा है कि यहुदियों की पवित्र किताब ‘लैविटीकस 18:3’ में हैलोवीन पर्व मनाने की अनुमति नहीं है। हालांकि, इस समुदाय के कुछ प्रगतिशील लोगों का मानना है कि हैलोवीन नहीं मनाने की बात किसी धार्मिक ग्रंथों में नहीं लिखी गई है।

इस्लाम: शेख इदरीश पामर ने अपनी किताब ‘ए ब्रीफ इलस्ट्रेटेड गाइड टु अंडरस्टैंडिंग इस्लाम’ में लिखा है कि मुस्लिमों को हैलोवीन नहीं सेलिब्रेट करना चाहिए। नेशनल फतवा काउंसिल ऑफ मलेशिया ने भी इसे हराम बताया है। इसके पीछे तर्क है कि भूत-पिशाच बनकर मरे हुए लोगों का मजाक उड़ाया जाता है। हालांकि, भारत में मुस्लिम लोग जो शब-ए-बारात पर्व मनाते हैं। इस दिन मृत लोगों की कब्रों पर उनके परिवार के लोग रोशनी करके दुआ मांगते हैं।

भारत में नरक चतुदर्शी का पर्व दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन नरक के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी पूजा की जाती है।
भारत में नरक चतुदर्शी का पर्व दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन नरक के देवता यमराज की पूजा की जाती है। इस दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी पूजा की जाती है।

हिन्दू: हिन्दू धर्म में भी मृत पूर्वजों की पूजा की जाती है। पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं। गरूड़ पुराण में मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ नहीं किए जाने पर पूर्वजों के प्रेत-योनि में पैदा होने की बात कही जाती है। हमारे रिसर्च में हिंदुओं के इस पर्व में हिस्सा नहीं लेने की बात का जिक्र कहीं नहीं मिला है।

बौद्ध: जीएमओरिसर्च वेबसाइट दावा करती है कि बौद्ध धर्म में चीनी कैलेंडर के सातवें महीने में शुरुआती 14 दिन पूर्वजों के मृत आत्माओं की पूजा की जाती है। यही वजह है कि चीन में भी हैलोवीन पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है।

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