दिमाग को संक्रमित कर मांस खा गया ब्रेन-ईटिंग अमीबा:गर्म पानी से नाक के जरिए शरीर में घुसा; 11 दिन बाद शख्स की हुई मौत

3 महीने पहलेलेखक: ऋचा श्रीवास्तव
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10 दिसंबर 2022 की बात है। 50 साल का एक शख्स चार महीने तक थाईलैंड में रहने के बाद अपने देश साऊथ कोरिया लौटता है। उसी दिन शाम में उसे तेज बुखार, उल्टी और गर्दन में जकड़न की समस्या होती है। इसके बाद वह डॉक्टर के पास जाता है, जहां जांच के बाद पता चलता है कि वह शख्स ‘प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस’ यानी PAM बीमारी से पीड़ित है। दरअसल, इस बीमारी में ब्रेन-ईटिंग अमीबा इंसान के दिमाग को संक्रमित कर मांस खा जाता है।

ये कोई आम अमीबा नहीं हैं, जिसके संक्रमण को एंटीबायोटिक दवाओं से खत्म किया जा सके। ये इतना घातक होता है कि समय रहते शरीर से बाहर करके इसके संक्रमण को नहीं रोका जाए तो औसतन 5 से 10 दिन में इंसान की मौत हो सकती है।

आज भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या होता है और ये कैसे लोगों को अपना शिकार बनाता है?

सवाल- 1 : दिमाग को संक्रमित करने वाला ब्रेन-ईटिंग अमीबा क्या है?
जवाब
: साउथ कोरिया की ‘कोरिया डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन एजेंसी’ ने बताया कि इस ब्रेन-ईटिंग अमीबा का नाम ‘नेग्लरिया फाउलेरी’ है। ये अमीबा धीरे-धीरे दिमाग की टिश्यू को नष्ट कर देता है। संक्रमण फैलने से दिमाग में सूजन आने लगती है। ये जानलेवा हो सकती है।

सवाल- 2 : अब जानते हैं कि आखिर अमीबा होता क्या है?
जवाब
: अमीबा एक कोशिका वाला जीव है, जो खुद से ही अपना आकार बदल सकता है। ये आमतौर पर तालाबों, झीलों और धीमी गति से बहने वाली नदियों में पाए जाते हैं। दरअसल, अमीबा पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे पुराने यानी प्रिमिटिव जीवों में से एक है। नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के मुताबिक 40 करोड़ साल पहले पहली बार अमीबा स्कॉटलैंड में मिला था। ये एक एककोशिकीय जीव बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से अलग होता है।

सवाल- 3: ब्रेन-ईटिंग अमीबा कैसे इंसान को अपना शिकार बनाता है?
जवाब:
ब्रेन-ईटिंग अमीबा नाक के रास्ते मानव शरीर में घुसता है और फिर दिमाग तक जाता है। ये अमीबा आमतौर पर तब इंसान को अपना शिकार बनाता है, जब कोई पानी में तैरने के लिए जाता है या गोता लगाता है।

इसके अलावा कई मौकों पर गंदे या जमे पानी के इस्तेमाल से भी इस संक्रमण के फैलने की संभावना होती है। हालांकि, अब तक जल वाष्प या एरोसोल बूंदों के माध्यम से ‘नेग्लरिया फाउलेरी’ के फैलने का कोई सबूत नहीं मिला है।

सवाल- 4: PAM इंफेक्शन कैसे होता है और इसका लक्षण क्या है?
जवाब: सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी CDC का कहना है कि ब्रेन-ईटिंग अमीबा इंसानों के शरीर में घुसते ही इंफेक्शन फैलना शुरू कर देता है। इसके लक्षण 1 दिन से लेकर 12 दिनों के भीतर दिखने शुरू हो जाते हैं।

शुरुआत में ये मेनिनजाइटिस संक्रमण के समान होते हैं, जिसमें सिरदर्द, उल्टी और बुखार होते हैं। इसके बाद शख्स के गर्दन में अकड़न, दौरे आने शुरू हो जाते हैं। यहां तक कि इस संक्रमण की वजह से कई लोग कोमा तक में जा सकते हैं।

अमेरिकी सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि संक्रमण तेजी से फैलता है और औसतन 5 दिनों के भीतर संक्रमित शख्स की मौत हो सकती है।

सवाल- 5: दुनियाभर में ब्रेन-ईटिंग अमीबा के कितने मामले मिले हैं?

जवाब: 1965 में पहली बार मिलने के बाद से लेकर अब तक 56 सालों में दुनिया में ‘नग्लेरिया फ्लोवेरी’ यानी ब्रेन ईटिंग अमीबा इन्फेक्शन के 381 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 154 केस अकेले यूनाइटेड स्टेट्स में पाए गए हैं। 2022 में पहली बार साउथ कोरिया में इससे जुड़ा केस पाया गया है।

CDC के मुताबिक अमेरिका में इससे संक्रमित हुए 154 लोगों में केवल चार लोग ही जिंदा बचे हैं। अमेरिका के अलावा भारत, पाकिस्तान और थाईलैंड में भी इससे जुड़े मामले सामने आ चुके हैं।

अब एक ग्राफिक में जानिए ब्रेन-ईटिंग अमीबा से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा जोखिम कहां होता है…

सवाल- 6: ब्रेन-ईटिंग अमीबा किसी इंसान को अपना शिकार कैसे बनाता है?
जवाब
: यूनाइटेड स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी CDC का कहना है कि ब्रेन-ईटिंग अमीबा किसी इंसान को 6 स्टेप में अपना शिकार बनाता है। अब नीचे स्टेप-बाय- स्टेप इस इंफेक्शन के फैलने के बारे में जानिए…

1. ये अमीबा सबसे पहले नेजल कैविटी यानी नाक के छेद से शरीर के अंदर जाता है।

2. इसके बाद नेजल म्युकोसा यानी नाक के अंदर पाए जाने वाले सेमी-लिक्विड के जरिए गंध या खुशबू को पहचाने वाली नर्व या ओल्फेक्ट्री नर्व से चिपक जाता है।

3. ओल्फेक्ट्री नर्व दिमाग की सबसे निचली हड्डी यानी क्रिबीफॉर्म प्लेट से जुड़ी होती है। इस रास्ते से अमीबा खुशबू को पहचाने वाली नर्व तक पहुंचता है।

4. इसके बाद ये दिमाग की कैविटी यानी ब्रेन कैविटी में पहुंचकर चिपक जाता है और धीरे-धीरे ब्रेन टिश्यू को नुकसान पहुंचाने लगता है।

5. दिमाग में अमीबा ट्रोफोजोइट बना लेता है। इसका मतलब है की इंसान के दिमाग को चूसकर अमीबा अपना पेट भरता है।

6. एक बीमार व्यक्ति से दूसरे इंसान में ये संक्रमण छींकने-खांसने या किसी और कांटेक्ट से नहीं फैलता।

सवाल- 7: क्या कोरोना की तरह पूरी दुनिया में इस अमीबा का संक्रमण फैल सकता है?
जवाब: 2010 के बाद से अमेरिका में गर्म महीनों में जुलाई से लेकर सितंबर के बीच में 14 साल तक की उम्र के बच्चों में इस संक्रमण के ज्यादा केस मिले हैं। ऐसे में CDC का कहना है कि भले ही ब्रेन ईटिंग अमीबा का इन्फेक्शन रेयर है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से इसके संक्रमण का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।

ग्रीनहाउस गैस जैसे- कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से पृथ्वी का तापमान बढ़ता है। इससे प्राकृतिक तौर पर पाए जाने वाली नदी-तालाबों और झीलों के तापमान बढ़ने से इस अमीबा के रहने के लिए अनुकूल स्थिति बन जाती है। ऐसे में इन तालाबों में नहाने से कोई भी इंसान ब्रेन ईटिंग अमीबा का शिकार हो सकता है।

सवाल- 8: ब्रेन-ईटिंग अमीबा एक से दूसरे इंसान में कैसे फैलता है और इसका मोर्टेलिटी रेशियो क्या है?
जवाब: अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि वर्तमान में ‘नेग्लरिया फाउलेरी’ एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने का कोई प्रमाण नहीं है। यह किसी के खांसने, छींकने और सांस के जरिए भी नहीं फैल सकता है।

अमेरिका में अब तक पाए गए 154 केस में 150 लोगों की मौत हुई है। 2012 से 2021 तक सिर्फ अमेरिका में हर साल इस बीमारी के 5 केस मिले हैं। इस दौरान मिलने वाले 31 केस में 28 लोगों की मौत हुई है।

अब तक मिले केसेस में डेथ रेट 97% से ज्यादा रहा है। 1962 से 2021 तक संक्रमित हुए लोगों में सिर्फ 4 लोगों को बचाया जा सका है। संक्रमण के 5 दिनों के अंदर संक्रमित लोगों की मौत हो जाती है। कोई सटीक इलाज न मालूम होने की वजह से इस बीमारी के इलाज के लिए भी बैक्टीरियल मेंनिनजाईटिस का ट्रीटमेंट किया जाता है।

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