आपने अक्सर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या चर्चित नेताओं के आसपास एक ग्लास का घेरा देखा होगा। इस घेरे को देखकर आपको लगता होगा कि ये उनकी सुरक्षा के लिए है, लेकिन ऐसा नहीं है, दरअसल, ये शीशे का घेरा टेलीप्रॉम्प्टर होता है, जो प्रधानमंत्री या किसी भी बड़े नेता को स्पीच देने में मदद करता है। हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में PM नरेंद्र मोदी की स्पीच के दौरान हुई तकनीकी दिक्कत की वजह से टेलीप्रॉम्प्टर फिर से सुर्खियों में है।
चलिए जानते हैं कि क्या होता है टेलीप्रॉम्प्टर? प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति कैसे करते हैं इसका यूज? क्यों मोदी को लेकर हो रही इसकी चर्चा?
क्या होता है टेलीप्रॉम्प्टर?
टेलीप्रॉम्प्टर या ऑटोक्यू एक ऐसा डिस्प्ले डिवाइस होता है, जो किसी व्यक्ति को स्पीच या स्क्रिप्ट को पढ़ने में मदद करता है। दरअसल, टेलीप्रॉम्प्टर में एक मॉनिटर लगा होता है। ये मॉनिटर आमतौर पर कैमरे के ठीक नीचे होता है। इस मॉनिटर में टेक्स्ट या शब्द दिखते हैं। ये नीचे से ऊपर की ओर चलते रहते हैं।
स्पीकर या रीडर इन्हीं शब्दों को देखकर स्पीच देता है या स्क्रिप्ट पढ़ता है। दर्शकों को ऐसा लगता है कि स्पीकर को सब कुछ याद है, जबकि वह टेलीप्रॉम्प्टर में देखकर स्पीच या स्क्रिप्ट पढ़ रहा होता है।
आपने लाल किले पर प्रधानमंत्री के संबोधन के दौरान उनके चारों ओर ग्लास का पैनल देखा होगा। लोगों को लगता है कि ये उनकी सुरक्षा के लिए बनाया गया बुलेट प्रूफ पैनल है, लेकिन वास्तव में ये टेलीप्रॉम्टर होता है, जिसमें ग्लास पर आ रहे शब्दों को पढ़कर PM अपना भाषण देते हैं।
कैसे काम करता है टेलीप्रॉम्प्टर
टेलीप्रॉम्प्टर में डिस्प्ले स्क्रीन स्पीच देने वाले व्यक्ति के सामने और अधिकतर प्रोफेशनल वीडियो कैमरा के नीचे होती है।
खास बात ये है कि टेलीप्रॉम्प्टर को कोई और ऑपरेट कर रहा होता है, जो स्पीच देने वाले व्यक्ति के पढ़ने की स्पीड के हिसाब से टेलीप्रॉम्प्टर पर आ रहे शब्दों की स्पीड को कंट्रोल करता है और उन्हें जरूरत के हिसाब से रोकता या आगे बढ़ाता है।
PM नरेंद्र मोदी जैसे बड़े नेताओं के मामले में कई बार टेलीप्रॉम्प्टर का कंट्रोल खुद स्पीकर के हाथों में होता है और वह जरूरत के हिसाब से टेलीप्रॉम्प्टर पर आ रहे शब्दों को रोक सकते हैं या आगे-पीछे कर सकते हैं।
सबसे पहले अमेरिका में हुआ था टेलीप्रॉम्प्टर का उपयोग
टेलीप्रॉम्प्टर का सबसे पहले प्रयोग 1948 में अमेरिका में किया गया था और यह ह्यूबर्ट श्लाफली (Hubert Schlafly) के दिमाग की उपज थी। शुरुआत में एक हाफ सूटकेस साइज की डिवाइस के ऊपर प्रिटेंड पेपर के रोल के जरिए स्पीकर इसे पढ़ता था। समय बीतने के साथ ही टेलीप्रॉम्प्टर में प्रिंटेड पेपर रोल की जगह साफ-सुथरे ग्लास की स्क्रीन ने ले ली।
किसी राष्ट्राध्यक्ष ने इसका उपयोग पहली बार 1952 में किया था, जब ड्वाइट डी आइजनहावर टेलीप्रॉम्प्टर के जरिए देश को संबोधित करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बने थे।
कितनी होती है टेलीप्रॉम्प्टर की कीमत?
भारत में आमतौर पर अच्छे टेलीप्रॉम्प्टर की कीमत 1.5 से 2 लाख रुपए से शुरू होती है, जो अधिकतम 16-17 लाख रुपए तक हो सकती है।
कहां होता है टेलीप्रॉम्प्टर का उपयोग?
वैसे टेलीप्रॉम्प्टर का इस्तेमाल टेलीविजन न्यूज रूम और मीडिया इंडस्ट्री में होता है, लेकिन अब नेताओं के भाषण देने के लिए भी इसका खूब इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही फिल्मों में डायलॉग बोलने से लेकर सोशल मीडिया के लिए कंटेंट क्रिएट करने वाले लोग भी इसका धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं।
तीन तरह के होते हैं टेलीप्रॉम्प्टर
टेलीप्रॉम्प्टर तीन तरह के होते हैं- प्रेसिडेंशियल या कॉन्फ्रेंस टेलीप्रॉम्प्टर, कैमरा-माउंटेड टेलीप्रॉम्प्टर, फ्लोर या स्टैंड टेलीप्रॉम्प्टर। हालांकि इन तीनों का काम एक ही होता है।
प्रेसिडेंशियल या कॉन्फ्रेंस टेलीप्रॉम्प्टर
प्रेसिडेंशियल या कॉन्फ्रेंस टेलीप्रॉम्प्टर का प्रयोग PM और राष्ट्रपति करते हैं। इसमें एक स्टैंड पर एक ग्लास स्क्रीन लगी होती है और मॉनिटर नीचे की तरफ होता है। मॉनिटर को रिफ्लेक्ट करने के लिए ग्लास स्क्रीन को ऊपर की ओर इस तरह झुकाया जाता है कि स्पीकर को ग्लास पर स्पीच के शब्द दिख जाएं, जिसे पढ़कर वह आसानी से स्पीच दे पाता है।
इस तरह के टेलीप्रॉम्प्टर को आमतौर पर प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के दोनों ओर लगाया जाता है। इसमें दोनों तरफ के ही टेलीप्रॉम्प्टर में एक ही टेक्स्ट आते हैं।
इस टेलीप्रॉम्प्टर में आ रहे शब्दों को केवल स्पीकर ही देख पाता है और अन्य लोग केवल स्क्रीन या स्पीकर को ही देख पाते हैं। ऐसे में टेलीप्रॉम्प्टर की मदद से PM मोदी या कोई भी बड़ा नेता बड़े आराम से स्पीच दे पाता है।
कैमरा-माउंटेड टेलीप्रॉम्प्टर
कैमरा माउंटेड टेलीप्रॉम्प्टर में ग्लास स्क्रीन के पीछे एक कैमरा लगा होता है। स्पीच या स्क्रिप्ट पढ़ते समय स्पीकर कैमरे की ओर देखता है। दर्शकों के साथ जुड़े रहने के दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार, बिजनेस एग्जिक्यूटिव और शिक्षक कैमरा-माउंटेड टेलीप्रॉम्प्टर का उपयोग करते हैं।
फ्लोर स्टैंड टेलीप्रॉम्प्टर
फ्लोर या स्टैंड टेलीप्रॉम्प्टर प्रेसिडेंशियल टेलीप्रॉम्प्टर की तरह ही दिखते और ऑपरेट होते हैं। इस डिवाइस का उपयोग अक्सर फिल्मों की शूटिंग के दौरान होता है। इसमें प्रोडक्शन क्रू को वॉल-माउंट या स्टैंड-माउंट करने का ऑप्शन मिलता है।
PM मोदी खूब देते हैं टेलीप्रॉम्प्टर की मदद से स्पीच
भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अपनी स्पीच देने के लिए टेलीप्रॉम्प्टर की मदद लेते हैं।
दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में वर्चुअल मीटिंग के दौरान भी मोदी टेलीप्रॉम्प्टर के जरिए ही स्पीच दे रहे थे, जिसमें कथित तौर पर तकनीकी खराबी आने के बाद उनके भाषण में रुकावट आई।
इसे लेकर कई यूजर्स ने PM मोदी को सोशल मीडिया में जमकर ट्रोल किया और उन्हें टेलीप्रॉम्प्टर में देखकर स्पीच पढ़ने वाला नेता तक करार दिया।
अमेरिकी राष्ट्रपति भी देते रहे हैं टेलीप्रॉम्प्टर के जरिए भाषण
दुुनिया में सबसे पहले टेलीप्रॉम्प्टर का यूज अमेरिका में हुआ था। अमेरिकी राष्ट्रपति 1952 से ही इसका उपयोग करते आ रहे हैं।
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