गुजरात में 27 साल से जमे BJP के अंगद पांव को इस बार फिर कोई नहीं डिगा सका। BJP ने 156 सीटें जीतकर पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी ने मैराथन रैलियां कीं, बड़े-बड़े रोड शो किए। अरविंद केजरीवाल भी चुनाव के दौरान गुजरात में डेरा जमाए रहे, लेकिन राहुल गांधी ने सिर्फ 2 रैली का कैमियो किया।
भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि गुजरात में क्या थी राहुल गांधी को लेकर कांग्रेस की चुनावी रणनीति, ये कैसे फेल हुई और आने वाले चुनावों में कांग्रेस को क्या नुकसान हो सकते हैं?
सबसे पहले देखिए ये तीन ग्राफिक्स...
ऊपर दिए गए तीन ग्राफिक्स से साफ जाहिर है कि गुजरात चुनाव से राहुल गांधी गायब रहे। कांग्रेस ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुजरात चुनाव का सीनियर ऑब्जर्वर बनाया। गुजरात चुनाव के दौरान ही कांग्रेस अध्यक्ष पद का हंगामा हुआ। इसी दौरान सचिन पायलट के साथ गहलोत की लड़ाई खुलकर सामने आई। इसके बावजूद कांग्रेस ने अशोक गहलोत पर भरोसा बनाए रखा।
नतीजे सामने हैं...
सोची-समझी रणनीति के तहत गुजरात चुनाव से दूर रहे राहुल गांधी
अशोक गहलोत ने एक इंटरव्यू में बताया कि 'राहुल गांधी को गुजरात चुनाव प्रचार में शामिल होने की जरूरत नहीं है। वो फिलहाल भारत जोड़ो यात्रा पर फोकस कर रहे हैं, इसलिए गुजरात में मौजूद रहना संभव नहीं है।' कांग्रेस के एक और सीनियर लीडर के मुताबिक कांग्रेस ने सोची समझी रणनीति के तहत गुजरात चुनाव को वन मैन शो नहीं होने दिया। बल्कि कार्यकर्ताओं और लोकल नेताओं को चेहरा बनाया।
वरिष्ठ पत्रकार अजय झा लिखते हैं इस वक्त राहुल गांधी का पूरा फोकस 2024 लोकसभा चुनाव पर है। गुजरात में मोदी बनाम राहुल का फायदा BJP को मिलता। राहुल ने इसे भांप लिया। वो लोकसभा चुनाव से पहले एक और हार का अपयश नहीं लेना चाहते थे।
राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई के मुताबिक राहुल गांधी खुद को 2024 के लिए प्रोजेक्ट कर रहे हैं। अगर वो गुजरात में शामिल होते तो हार का ठीकरा उनके सिर ही मढ़ दिया जाता। इसलिए जान-बूझकर ये चुनाव लोकल नेताओं के चेहरे पर लड़ा गया।
कांग्रेस की बगैर राहुल गांधी के चुनाव लड़ने की स्ट्रैटजी के फायदे-नुकसान
सीनियर एडिटर शेखर गुप्ता लिखते हैं कि राजनीति बहुत निर्दयी होती है। ये आपको सुस्ताने, अपने जख्म भरने या स्ट्रैटजिक टाइमआउट का मौका नहीं देती। जब आपके विपक्षी मोदी और केजरीवाल जैसे नेता हों तो बिल्कुल भी नहीं। ऐसा नहीं हो सकता कि आप गुजरात चुनाव से ब्रेक लें और 2024 चुनाव में अचानक कमाल कर देंगे।
राजनीतिक एक्सपर्ट राशिद किदवई के मुताबिक राहुल गांधी के बगैर राज्यों के चुनाव में कांग्रेस को नुकसान भले हो सकता है, लेकिन इससे कांग्रेस अपने पैर पर खड़े होने की कोशिश कर रही है।
राशिद किदवई कहते हैं कि इस स्ट्रैटजी के कुछ फायदे भी हैं। मसलन हिमाचल प्रदेश में भी राहुल गांधी ने कोई रैली नहीं की। वहां क्षेत्रीय नेताओं ने अपनी बात रखी और पूर्ण बहुमत हासिल किया। आने वाले कर्नाटक चुनाव में भी कांग्रेस इसी स्ट्रैटजी पर रहने वाली है। राहुल गांधी अपनी प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगाएंगे।
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