असंसदीय शब्दों पर विवाद के बीच संसद भवन परिसर और उसके आसपास अब प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, अनशन और धार्मिक आयोजन करने पर रोक लगा दी गई है। यह आदेश राज्यसभा सेक्रेटरी जनरल पीसी मोदी की ओर से जारी किया गया है।
ऐसे में आज हम एक्सप्लेनर में बताएंगे कि संसद परिसर में धरना-प्रदर्शन पर रोक क्यों लगाई गई है। असंसदीय शब्द क्या होता है? ये कहां से आया है? इसका इस्तेमाल करने पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
सवाल 1 : संसद परिसर में धरना-प्रदर्शन पर रोक का आधार क्या है?
यह आदेश 14 जुलाई को जारी राज्यसभा पार्लियामेंट्री बुलेटिन पार्ट-2 के पेज नंबर 17 पर है। पार्लियामेंट की सिक्योरिटी सर्विस की ओर से संसद भवन परिसर और उसके आसपास प्रदर्शन, धरना, हड़ताल, अनशन और धार्मिक आयोजन करने पर रोक लगाने की बात कही गई है। इसमें सांसदों से इस पर सहयोग करने की बात भी लिखी गई है।
विपक्ष ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में तंज कसते हुए कहा है कि अब संसद परिसर में धरना करना भी मना है।
सवाल 2: असंसदीय शब्द होते क्या हैं?
दुनिया भर की सदन डिबेट के दौरान कुछ नियम और स्टैंडर्ड अपनाती हैं। ऐसे शब्दों या फ्रेज जिनका प्रयोग सदन में करना अनुचित माना जाता है, उन्हें ही असंसदीय कहते हैं। ब्रिटेन की संसद में इसे असंसदीय भाषा कहा जाता है। ऐसे ही नियम दुनिया भर के कई अन्य देशों की संसद में भी हैं।
ब्रिटिश संसद के मुताबिक, स्पीकर जब ये मानता है कि किसी खास शब्द से संसद की गरिमा या विनम्रता खत्म हो रही है तो इसे असंसदीय भाषा माना जाता है। स्पीकर ऐसे शब्द यूज करने पर सांसद से इसे वापस लेने के लिए कह सकते हैं।
भारतीय संसद से जुड़े कई नियमों को ब्रिटेन से लिया गया है, तो भारतीय संसद के संदर्भ में असंसदीय शब्द का कॉन्सेप्ट भी वहीं से आया है।
सवाल 3: असंसदीय शब्दों की पहचान और उन पर रोक की परंपरा कैसे शुरू हुई?
सबसे पहले ब्रिटेन ने 1604 में अनुचित भाषा या एक्सप्रेशन को सदन की कार्यवाही से हटाने का कदम उठाया था।
सदन में असंसदीय शब्दों को कार्यवाही से हटाने की परंपरा करीब 418 साल पुरानी है। इतिहासकार पॉल सीवार्ड के मुताबिक, ब्रिटेन के निर्वाचित सांसदों के सदन, यानी हाउस ऑफ कॉमन्स के जर्नल में पहली बार 1604 में असंसदीय शब्द के इस्तेमाल पर सदन के कार्रवाई करने का जिक्र मिलता है।
उस समय सदन इस बात पर सहमत हुई थी कि प्रसिद्ध वकील लॉरेंस हाइड का भाषण, जिसमें विषय के बजाय व्यक्तियों के बारे में बात की गई थी, को सदन के नियमों के तहत स्पीकर को हटा देना चाहिए।
हालांकि सीवार्ड का मानना है कि ये पहली बार नहीं था जब इस नियम का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन ये पहली बार था जब इस नियम को दस्तावेज के रूप में जर्नल में प्रकाशित किया गया।
उनका कहना है कि 16वीं सदी में ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स को चलाने के दो डिटेल मौजूद हैं, जिनमें से दोनों का ही मतलब है कि उचित व्यवहार की सामूहिक भावना को सदन ने खुद से लागू किया था, हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि स्पीकर को इसे लागू करने या इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार था।
अनपार्लियामेंट्री शब्द या भाषा पर रोक की परंपरा भी ज्यादातर ब्रिटेन और ब्रिटिश राज में रह चुके देशों में, यानी भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड और कनाडा जैसे कॉमनवेल्थ देशों में है।
सवाल 4: भारत में संसद और विधानसभाओं में बोलने की कितनी आजादी है? क्या हमारे यहां इस पर कोई पाबंदी है?
संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में कही गई किसी भी बात के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलैंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सांसदों को संसद में कुछ भी बोलने की छूट मिली हुई है।
एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो लोकसभा में प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस के रूल 380 के तहत स्पीकर के कंट्रोल में होता है। यानी संसद में कोई सांसद असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करता है तो उस पर स्पीकर को ही एक्शन लेने का अधिकार है।
सवाल 5: हमारी संसद या विधानसभाओं में असंसदीय शब्दों की पहचान की शुरुआत कब हुई? अब तक कितने शब्दों को असंसदीय करार दिया गया है?
अंग्रेजी, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में ऐसे हजारों शब्द और फ्रेज हैं, जो असंसदीय हैं। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के मुताबिक, असंसदीय शब्दों की डिक्शनरी पहली बार 1954 में जारी की गई थी। इसके बाद इसे 1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी किया गया। 2010 के बाद से इसे हर साल जारी किया जा रहा है।
इस बार जारी बुकलेट में 1100 पेज हैं। ये लिस्ट लोकसभा-राज्यसभा के साथ ही विधानसभा की कार्यवाहियों के दौरान असंसदीय घोषित किए गए शब्दों को मिलाकर बनती है। असंसदीय शब्दों की ताजा लिस्ट 2021 की है। ये लिस्ट हर साल अपडेट होती है।
इस असंसदीय शब्दों की डिक्शनरी काे 1999 में पहली बार किताब की शक्ल दी गई। पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी जीसी मल्होत्रा ने 2012 में बताया था कि इस किताब को तैयार करते वक्त आजादी से पहले केंद्रीय विधानसभा, भारत की संविधान सभा, प्रोविजनल संसद, पहली से दसवीं लोकसभा और राज्य सभा, राज्य विधानसभाओं, और यूनाइटेड किंगडम की तरह राष्ट्रमंडल संसदों की बहसों में असंसदीय घोषित किए गए शब्दों और फ्रेज से लिया गया था। आम तौर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया जनवरी-फरवरी से शुरू होती है।
सवाल 6: लोकसभा, राज्यसभा या विधानसभाओं में असंसदीय शब्दों की पहचान की प्रक्रिया क्या है? कौन और कैसे तय करता है कि यह शब्द असंसदीय हैं?
अगर स्पीकर को लगता है कि सदन की कार्यवाही के दौरान इस्तेमाल किए गए शब्द या फ्रेज में ऐसी जानकारी है, जिसे पब्लिश करना जनहित में नहीं है, तो स्पीकर को ऐसे शब्दों या फ्रेज या एक्सप्रेशन को कार्यवाही से हटाने का अधिकार है।
सवाल 7: अगर किसी शब्द को लोकसभा स्पीकर ने असंसदीय घोषित किया है तो क्या राज्यसभा में वह असंसदीय हो जाएगा? विधानसभाओं में क्या होता है?
वैसे असंसदीय शब्दों की लिस्ट लोकसभा निकालती है, लेकिन ये राज्यसभा के लिए भी लागू होती है।
संसद में जिन शब्दों को असंसदीय घोषित कर दिया जाता है, उसी नियम को देश की सभी राज्यों की विधानसभाएं भी फॉलो करती हैं।
सवाल 8: किसी शब्द को असंसदीय करार दिए जाने के बावजूद अगर सदन का कोई सदस्य इनका इस्तेमाल करता है तो क्या होगा?
किसी शब्द को असंसदीय करार देने और कार्यवाही से हटाने का अधिकार स्पीकर के पास होता है।
लोकसभा में प्रोसीजर एंड कंडक्ट ऑफ बिजनेस रूल 380 (एक्जंप्शन) के मुताबिक, यदि स्पीकर को लगता है कि किसी डिबेट में असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, तो वे उस शब्द को सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दे सकते हैं।
रूल 381 के मुताबिक, सदन की कार्यवाही का जो हिस्सा हटाना होता है, उसे मार्क किया जाएगा और कार्यवाही में एक फुटनोट इस तरह से डाला जाएगा: ‘स्पीकर के आदेश पर इसे हटाया गया।’
सवाल 9 : असंसदीय शब्दों की नई बुकलेट कब जारी की गई है? इनमें कौन-कौन और कितने शब्द हैं?
लोकसभा सचिवालय ने हिंदी और अंग्रेजी असंसदीय शब्दों की सूची बुधवार यानी 13 जुलाई को जारी की है।
हिंदी के असंसदीय शब्द
शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष, खालिस्तानी, खून से खेती, जुमलाजीवी, गद्दार, गिरगिट, ठग, घड़ियाली आंसू, अपमान, असत्य, भ्रष्ट, काला दिन, कालाबाजारी, खरीद-फरोख्त, दंगा, दलाल, दादागिरी, दोहरा चरित्र, बेचारा, बॉबकट, लॉलीपॉप, विश्वासघात, संविधानहीन, बहरी सरकार, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, उचक्के, अहंकार, कांव-कांव करना, काला दिन, गुंडागर्दी, गुलछर्रा, गुल खिलाना, गुंडों की सरकार, चोर-चोर मौसेरे भाई, चौकड़ी, तड़ीपार, तलवे चाटना, तानाशाह और दादागिरी।
अंग्रेजी के असंसदीय शब्द
Anarchist, Bloodshed, Bloody, Betrayed, Ashamed, Abused, Cheated, Chamcha, Chamchagiri, Chelas, Childishness, Corrupt, Coward, Criminal, Crocodile tears, Disgrace, Donkey, Drama, Eyewash, Fudge, Hooliganism, Hypocrisy, Incompetent, Mislead, Lie and Untrue
सवाल 9 : असंसदीय शब्दों की ताजा लिस्ट अभी क्यों जारी की गई है?
संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होना है, इसीलिए ये लिस्ट नए सत्र से ठीक पहले जारी की गई है। यानी इस सत्र में सांसद ऊपर लिखे गए शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
सवाल 11 : विपक्षी सांसद असंसदीय शब्दों की नई लिस्ट के खिलाफ आवाज क्यों उठा रहे हैं?
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि असंसदीय शब्दों की सूची में वही शब्द रखे गए हैं जिनका इस्तेमाल सदन में सरकार को घेरने के लिए विपक्ष करता रहा है।
आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा बोले, ‘ये जानकर अच्छा लगा कि सरकार उन विशेषणों से अवगत है जो उसके कामकाज का सटीक और सही वर्णन करते हैं।’
देखा जाए तो सूची में जो नए शब्द इस बार जोड़े गए हैं वो सभी शब्द 2021 में संसद के दोनों सदनों, अलग-अलग राज्य विधानसभाओं और कॉमनवेल्थ देशों की संसद में इस्तेमाल किए गए हैं।
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