अमेरिका और ब्रिटेन ने आशंका जताई है कि रूस-यूक्रेन के खिलाफ केमिकल वेपन यानी केमिकल हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। यूक्रेन ने इस तरह के हमले की आशंका जताते हुए रूस को सावधान किया है कि अगर उसने ऐसा किया तो उसे और कड़े प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा।
रूस ने इसके पहले अमेरिका पर यूक्रेन में केमिकल और बॉयोलॉजिकल हथियार बनाने का आरोप लगाया था। केमिकल हथियारों का इस्तेमाल पहले विश्व युद्ध और उसके बाद कई बार हो चुका है, जिनमें लाखों लोगों की जान जा चुकी है।
चलिए जानते हैं क्या होते हैं केमिकल हथियार? कितने खतरनाक होते हैं? दुनिया में कहां-कहां हो चुका है इनका इस्तेमाल? इनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाला नियम क्या है?
क्या होते हैं केमिकल हथियार?
ऑर्गेनाइजेशन फॉर द प्रोहिबिशन ऑफ केमिकल वेपंस यानी OPCW के मुताबिक, केमिकल हथियार ऐसे हथियार होते हैं, जिनमें जहरीले केमिकल का इस्तेमाल जानबूझकर लोगों को मारने या नुकसान पहुंचाने के लिए होता है।
ऐसे सैन्य उपकरण जो खतरनाक केमिकल को हथियार बना सकते हैं, उन्हें भी केमिकल हथियार या रासायनिक हथियार माना जा सकता है।
केमिकल हथियार इतने घातक होते हैं कि ये पल भर में हजारों लोगों को मौत की नींद सुला सकते हैं और साथ ही उन्हें अलग-अलग बीमारियों के प्रभाव से तिल-तिल कर मरने को मजबूर कर सकते हैं।
केमिकल हथियार बायोलॉजिकल हथियार से अलग होते हैं। बायोलॉजिकल हथियार में बैक्टीरिया और वायरस के जरिए लोगों को मारा या बीमार किया जाता है। केमिकल हथियार सामूहिक विनाश के हथियारों की कैटेगरी में आते हैं।
केमिकल वेपन एजेंट्स को जानिए
केमिकल वेपन एजेंट्स यानी CWA ऐसे खतरनाक पदार्थ होते हैं, जिनसे केमिकल हथियार को बनाया जाता है। केमिकल वेपन एजेंट्स से शरीर को नुकसान न केवल युद्ध, बल्कि इंडस्ट्रियल एक्सीडेंट से भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए 1984 में भोपाल में फॉस्जीन और आइसोसाइनेट जैसे केमिकल से बने मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस लीक होने से हजारों लोगों की जान चली गई थी।
सबसे घातक केमिकल हथियार कौन से हैं?
केमिकल हथियारों में इस्तेमाल होने वाले केमिकल या गैसों यानी केमिकल वेपन एजेंट्स या तत्वों यानी CWA के आधार पर सबसे घातक केमिकल हथियार को पांच कैटेगरीज में बांट सकते हैं।
नर्व एजेंट: नर्व एजेंट्स को अक्सर नर्व गैस भी कहते हैं। इनसे सबसे घातक केमिकल हथियार बनते हैं। ये शरीर के नर्वस सिस्टम पर असर डालते हैं। स्किन या फेफड़ों के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं। इसकी छोटी सी डोज कुछ ही सेकेंड में किसी को भी मार सकती है। इनमें सरीन, सोमन, ताबुन और साइक्लोसरीन और VX शामिल हैं।
इनमें सबसे घातक: VX, सरीन और ताबुन
कैसे फैलते हैं: लिक्विड, एयरोसोल, वाष्प और धूल के रूप में
चोकिंग एजेंट: ये घातक केमिकल तत्व श्वसन अंगों पर असर डालते हैं। ये नाक, गले और खासतौर पर फेफड़ों में जलन पैदा करते हैं। ये फेफड़ों के जरिए शरीर में घुसते हैं और इससे फेफड़ों में पानी बनने लगता है, जिससे पीड़ित का दम घुट जाता है। इनमें क्लोरीन, क्लोरोपिक्रिन, डिफोसजीन, फॉस्जीन आदि गैसें शामिल हैं।
इनमें सबसे घातक: फॉस्जीन और क्लोरीन
कैसे फैलते हैं: गैस के रूप में
ब्लड एजेंट: ये घातक केमिकल ब्लड सेल पर असर डालते हैं और शरीर में ऑक्सीजन ट्रांसफर को रोक देते हैं, जिससे व्यक्ति का दम घुट जाता है। ये सांसों के जरिए प्रवेश करते हैं। इनमें हाइड्रोजन साइनाइड, सायनोजेन क्लोराइड और आर्सिन गैसें शामिल हैं।
इनमें सबसे घातक: हाइड्रोजन साइनाइड, आर्सिन
कैसे फैलते हैं: गैस के रूप में
ब्लिस्टरिंग एजेंट: केमिकल हथियारों में इनका सबसे ज्यादा यूज होता है। इनमें सल्फर मस्टर्ड, नाइट्रोजन मस्टर्ड, लेविसाइट और फॉस्जीन ऑक्सीम शामिल हैं। ये स्किन और फेफड़ों के जरिए शरीर में एंट्री करते हैं। ये घातक केमिकल ऑयली पदार्थ होते हैं, जो आंखों, श्वसन अंगों और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। इससे घातक फफोले पड़ जाते हैं या शरीर में जलने जैसे घाव बन जाते हैं। इससे आदमी अंधा हो सकता है या मौत भी हो सकती है।
इनमें सबसे घातक: सल्फर मस्टर्ड
कैसे फैलते हैं: लिक्विड, एयरोसोल, वाष्प और धूल के रूप में।
रॉयट कंट्रोल एजेंट: ये सबसे कम घातक केमिकल एजेंट्स हैं। इनका यूज आंखों, मुंह, गले, फेफड़े या स्किन में अस्थायी जलन पैदा करने के लिए होता है। आंसू गैस और पेपर स्प्रे इस तरह के हल्के केमिकल हथियार के उदाहरण हैं। ये फेफेड़ों और स्किन के जरिए शरीर में घुसते हैं और इससे आंखों में आंसू आना, आंखों, स्किन, नाक और मुंह में जलन होती है। कई बार इससे सांस लेने में भी दिक्कत होती है। इसका इस्तेमाल भीड़ को नियंत्रित करने में होता है।
आंसू गैस: ब्रोमोएसीटोन, पेपर स्प्रे: कैप्साइसिन
कैसे फैलते हैं: लिक्विड, एयरोसोल के रूप में
केमिकल हथियार के इस्तेमाल की हजारों साल पुरानी घटना
केमिकल हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल 429 ईसा पूर्व में हुआ था। तब प्लाटिया की घेराबंदी दौरान स्पार्टन सैनिकों ने शहर की दीवार के बाहर एक बड़ा लकड़ी का ढेर लगाया और उस पर तारकोल और सल्फर डालकर आग लगा दी थी। इससे नीली लपटें निकलीं और तीखी बदबू पैदा हुई। सल्फर जलाकर स्पार्टन सैनिकों ने जहरीली सल्फर डाई ऑक्साइड गैस रिलीज की, जिससे जल्द ही प्लाटिया के लोग अपनी जगह छोड़कर भाग गए।
पहले और दूसरे विश्व युद्ध में हुआ था इस्तेमाल
आधुनिक समय में कब हुआ इस्तेमाल?
रूस का क्या है केमिकल हथियारों से कनेक्शन?
रूस ने वैसे तो 2017 में ही अपने केमिकल हथियारों को नष्ट करने का दावा किया था। लेकिन, उसके बाद से मॉस्को में हुए दो केमिकल हमलों ने इन दावों को सवालों के घेरे में ला दिया।
केमिकल हथियार पर प्रतिबंध के लिए क्या है कानून, कौन से देश हैं इसमें शामिल?
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