UP में विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद से ही BJP विधायकों में पार्टी छोड़ने की होड़ मची है। अब तक स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह समेत एक दर्जन विधायकों के बगावती सुर अपनाने से BJP को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसका प्रमुख कारण है इनमें से ज्यादातर नेता गैर यादव-OBC समुदाय से आते हैं। इन्हें अब तक BJP का मजबूत समर्थक माना जा रहा था।
गैर यादव और OBC समुदाय के नेताओं को BJP का समर्थन मिलने की गवाही आंकड़े भी देते हैं। 2017 में BJP को कुर्मी-कोरी के 57 फीसदी और यादव के अलावा अन्य OBC के 61 फीसदी वोट मिले थे। ऐसे में चुनाव के दौरान इन वोटरों में बिखराव की संभावना बढ़ गई है। इसका सीधा असर BJP पर पड़ सकता है।
BJP में रहे इन नेताओं के पार्टी बदलने का एक प्रमुख कारण विनिंग फैक्टर भी है। आइए जानते हैं कि इन विधायकों और मंत्रियों ने BJP को क्यों छोड़ा है? साथ ही इस चुनाव में इससे क्या असर पड़ेगा?
बगावत के सुर बुलंद होने में इन कारणों की अहम भूमिका
चुनाव के समय हर पार्टी में दलबदल करने वाले नेताओं की संख्या बढ़ जाती है। इसके पीछे कई जातिगत समीकरण के साथ सत्ता विरोधी लहर जैसे कारण भी अहम होते हैं। सत्ता में रहने वाली पार्टी नए चेहरों के साथ चुनाव में जाना चाहती है। ऐसे में कई पुराने विधायकों का टिकट कटना तय माना जाता है। ऐसे में कई विधायक पहले ही पाला बदलकर अपनी सीट बचाने की जुगत में लग जाते हैं।
इस सामाजिक समीकरण से सपा को फायदा
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही अन्य OBC नेताओं के जाने से BJP को मिलने वाले OBC वोटों में बिखराव तय माना जा रहा है। इनमें बृजेश प्रजापति (प्रजापति-OBC), भगवती सागर (कुरील-दलित), रोशन लाल वर्मा (लोध-OBC) और विनय शाक्य (मौर्य-OBC) से आते हैं। वहीं दारा सिंह चौहान नूनिया OBC से आते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस समुदाय BJP को जमकर वोट किया था। बसपा में रहते हुए चौहान ने अपनी छवि OBC नेता की बना ली थी। वे 1996 में राज्यसभा में भी पहुंचे थे।
इन लोगों ने भी बीजेपी छोड़ी
जय चौबे, संत कबीरनगर से विधायक
भगवती सागर, विधायक, बिल्हौर कानपुर
बृजेश प्रजापति, बांदा की तिंदवारी से विधायक
रोशन लाल वर्मा, तिलहर से विधायक
विनय शाक्य, विधुना से विधायक
मुकेश वर्मा, शिकोहाबाद से विधायक
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