सिंघु बॉर्डर पर गुरुवार रात एक युवक की बेरहमी से हत्या कर दी गई। युवक को 100 मीटर तक घसीटा गया, एक हाथ काट दिया और शव को किसान आंदोलन मंच के सामने लटका दिया गया। आरोप है कि युवक ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की थी। मृतक की शिनाख्त पंजाब के तरनतारन जिले के चीमा के लखबीर सिंह के रूप में हुई है।
आइए समझते हैं, निहंग शब्द का मतलब क्या होता है? निहंग सिख कौन होते हैं? आम सिखों से कितने अलग होते हैं ये? और इनकी शुरुआत किस तरह से हुई...
सबसे पहले निहंग शब्द का मतलब समझ लीजिए
निहंग शब्द के कई मतलब होते हैं, जैसे तलवार, कलम और मगरमच्छ। माना जाता है कि निहंग शब्द संस्कृत के नि:शंक से आया है, जिसका मतलब जिसे किसी बात की शंका या भय न हो। निहंग शब्द को पूर्ण योद्धा के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। इस शब्द का इस्तेमाल श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में भी हुआ है, लेकिन वहां इसका मतलब और संदर्भ अलग था।
निहंग कौन होते हैं?
सिख समुदाय के बीच नीले कपड़े पहने और हथियार रखने वाले इन सिखों को निहंग सिख कहा जाता है। निहंग सिखों को योद्धाओं के रूप में जाना जाता है। अपने आक्रामक रुख के कारण ये दुनिया भर में जाने जाते हैं।
निहंग आमतौर पर आधुनिक और पारंपरिक दोनों तरह के हथियारों से लैस होते हैं। इनमें कलाई के चारों ओर पहने जाने वाले लोहे के कंगन या जंगी कड़ा और पगड़ी के चारों ओर एक चक्र शामिल हैं। निहंग सिखों के पास तलवारें या कृपाण, भाले और हाथ में छोटा खंजर भी होता है। निहंग अपनी पूरी वेशभूषा में पीछे की ओर ढाल के तौर पर खाल और गले में चक्रम और लोहे की जंजीरें भी पहनते हैं।
निहंग सिखों की शुरुआत कैसे हुई?
सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह ने जब खालसा पंथ की स्थापना की, उसी के साथ ही निहंगों की भी शुरुआत हुई। खालसा के साथ ही योद्धाओं की एक आर्मी के तौर पर निहंगों को बनाया गया। उस वक्त इनका काम शस्त्र विधा में पारंगत होना और जब भी जरूरत पड़े तो युद्ध के लिए तैयार रहना था।
सिखों से किस तरह अलग होते हैं निहंग?
आम सिखों से पहनावा भी होता है अलग
आम सिखों के विपरीत निहंगों की पहचान ये होती है कि वो नीले रंग के कपड़े पहनते हैं। नीला रंग त्याग का प्रतीक है। सिर पर करीब एक फीट ऊंची पगड़ी पहनते हैं, जिसके ऊपर दुमाला लगी होती है। आमतौर पर पगड़ी सिर से भी ज्यादा बड़ी होती है। यानी निहंगों का पहनावा भी सिखों में पूरी तरह से अलग नजर आता है।
निहंगों के पहनावे के पीछे एक और किस्सा है। गुरु गोविंद सिंह के 4 पुत्र थे, जिनमें सबसे छोटे थे- फतेह सिंह। एक दिन तीनों बड़े भाई साथ युद्ध कला का अभ्यास कर रहे थे। तभी वहां फतेह सिंह भी पहुंचे और कहने लगे कि मुझे भी युद्ध कला सीखनी है। बड़े भाइयों ने कहा कि अभी तुम छोटे हो। ये बात सुनकर फतेह सिंह घर में गए और आज के निहंगों की तरह ही बड़ी पगड़ी और नीले रंग का चोला पहनकर बाहर आए और कहा कि अब तो मैं छोटा नहीं लग रहा हूं। कहा जाता है कि यहीं से निहंग पंथ की नीली वेशभूषा की शुरुआत हुई।
माना जाता है कि फतेह सिंह गुरु गोविंद सिंह के सबसे लाडले पुत्र थे, इसी वजह से निहंगों को ‘गुरु दी लाडली फौज’ भी कहा जाता है।
निहंग पहले भी रहे विवादों में?
ये पहली बार नहीं है, जब निहंगों पर इस तरह के आरोप लगे हैं। पहले भी उन पर हमले करने के आरोप लग चुके हैं। अप्रैल 2020 में निहंग सिखों ने पटियाला में एक पुलिस वाले पर हमला कर उसका हाथ काट दिया था। निहंग सिख गाड़ी में बैठकर मंडी में एंट्री ले रहे थे। वहां मौजूद पुलिस वालों ने उन्हें गेट पर रोका और कर्फ्यू पास दिखाने को कहा था। दरअसल उस समय लॉकडाउन की वजह से कर्फ्यू पास दिखाना जरूरी था। निहंगों ने बैरिकेड तोड़ते हुए गाड़ी आगे बढ़ा दी जिसे रोकने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया था। उसके बाद निहंगों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया था।
भास्कर ने इस मामले को और बेहतर तरीके से समझने के लिए गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ हिस्ट्री के रिटायर्ड प्रोफेसर सुखदेव सिंह सोहल से बात की है।
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