चीन सरकार देश में चल रहे 33 साल में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार दिख रही है। चीन के बड़े शहरों में सादे ड्रेस में मौजूद पुलिस के लोग प्रदर्शनकारियों को किडनैप कर रहे हैं। चीन की सेंसरशिप मशीन भी एक्टिव हो गई है। उरुमकी और शंघाई जैसे शब्दों को सेंसर कर दिया गया है। प्रोटेस्ट सर्च करने पर पोर्न से जुड़े लिंक दिख रहे हैं।
भास्कर एक्सप्लेनर में आज हम उन 3 तरीकों के बारे में बताएंगे, जिनके जरिए जिनपिंग सरकार प्रोटेस्ट को दबा रही है...
पहला तरीका : सोशल मीडिया पर प्रदर्शन को छिपाने के लिए सेक्स बॉट का इस्तेमाल
चीन अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग की जीरो कोविड नीति के खिलाफ प्रदर्शन को दुनिया से छिपाने के लिए सेक्स बॉट का इस्तेमाल कर रहा है। चीन में पिछले शुक्रवार से प्रदर्शन की शुरुआत के बाद से स्पैम अकाउंट्स की बहार आ गई है।
इसे आप ऐसे समझ सकते हैं- यदि आप सोशल मीडिया पर चीन के बीजिंग या शंघाई शहर में प्रोटेस्ट नाम डालेंगे तो उससे जुड़ी सूचना के बजाय आपको पोर्न वीडियो के लिंक दिखेंगे। साथ ही कई यूजर्स को कॉल गर्ल या एस्कॉर्ट सर्विस से जुड़े बहुत सारे विज्ञापन दिखाई देने लगेंगे। इस तरह के विज्ञापनों की बाढ़ आंदोलन शुरू होने के बाद आई है। चीन ने 2009 से ही ट्विटर को बैन कर रखा है, लेकिन वहां पर यूजर्स इसे VPN के जरिए चलाते हैं।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के चीनी-अमेरिकी रिसर्चर मेंग्यू डोंग ने चीन की इस हरकत का दुनिया के सामने खुलासा किया है। डोंग ने स्पैम अकाउंट्स से जुड़े कई ट्वीट किए हैं। कई स्क्रीनशॉट के जरिए उन्होंने बताया कि कैसे आपको चीन के शहरों का नाम सर्च करने पर एस्कॉर्ट सर्विस से जुड़ी पोस्ट देखने को मिलेंगी। डोंग ने आगे लिखा कि दुख की बात है कि अगर कोई चीनी यूजर्स ट्विटर पर सर्च कर यह जानना चाहता हो कि बीती रात चीन में क्या हुआ, तो सबसे पहले nsfw (not suitable for work) पोस्ट दिखाई देंगे।
प्रदर्शन शुरू होते ही एक्टिव हो गए सालों पहले बंद बड़े अकाउंट्स
वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार रविवार को बड़ी संख्या में चीनी भाषा के ट्विटर अकाउंट की बाढ़ देखने को मिली। इन अकाउंट्स में अश्लील तस्वीरें और वीडियो हैं। इनमें से कई अकाउंट ऐसे हैं जो सालों पहले बने थे और सिर्फ एक-दो पोस्ट हुए थे, लेकिन चीन में प्रदर्शन शुरू होते ही ये हजारों अकाउंट्स फिर से एक्टिव हो गए हैं।
इन अकाउंट्स से हर दिन हजारों पोस्ट डाली जा रही हैं। इन पोस्ट में आपत्तिजनक तस्वीरों के ट्वीट में शहरों के नाम हैं, ताकि जब कोई शहरों के नाम सर्च करे तो उन्हें इस तरह के वीडियो देखने को मिलें। स्टैनफोर्ड इंटरनेट ऑब्जर्वेटरी के निदेशक एलेक्स स्टामोस ने भी इसे स्पॉट किया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि जानबूझकर किया गया हमला है, ताकि चीन में हो रहे विरोध प्रदर्शन को बाहरी हस्तक्षेप से बचाया जा सके।
चीन ने हॉन्गकॉन्ग में प्रोटेस्ट के समय भी ऐसा ही हथकंडा अपनाया था
दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं है, जब चीन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस तरह के हथकंडे अपना रहा है। हॉन्गकॉन्ग में 2019 के मास प्रोटेस्ट के दौरान ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर चीन ने इसे CIA की साजिश बताते हुए एक ब्लिट्ज शुरू किया था, यानी साजिश के नाम वाली पोस्ट की बाढ़ ला दी थी। इसकी वजह से ट्विटर और फेसबुक हजारों बीजिंग समर्थक पोस्ट से भर गए थे। इसके लिए फर्जी अकाउंट्स बनाए गए, जिन्हें बाद में ब्लॉक करना पड़ा।
वीबो पर उरुमकी और शंघाई जैसे शब्द बैन किए गए
चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वीबो पर शंघाई और उरुमकी जैसे शब्दों को बैन कर दिया गया है। वीबो पर जब ऐसे शब्द सर्च के लिए डालेंगे तो आपको सेंसर्ड सर्च दिखेगा। आंदोलन से पहले ऐसे की वर्ड डालने पर आपको इससे जुड़े लाखों रिजल्ट दिखाई देते थे। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि लोग जीरो कोविड नीति के खिलाफ चल रहे प्रदर्शनों के बारे में बात नहीं कर सकें। इसके साथ ही वीबो पर अब कोरे कागज को भी बैन कर दिया गया है।
दूसरा तरीका : सादे ड्रेस में खड़ी पुलिस लोगों को किडनैप कर रही है
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे सादे ड्रेस में खड़ी पुलिस प्रदर्शन करते ही लोगों को किडनैप कर ले रही है। इस रिपोर्ट में शंघाई में हुई इसी तरह की एक घटना के बारे में बताया गया है...
रविवार के दिन शंघाई के उरुमकी रोड पर प्रदर्शनकारी इकट्ठा होते हैं। इसी दौरान एक युवक रोड की ओर बढ़ता है। वह कहता है कि मैनें फूल लिए हुए हैं। क्या यह क्राइम है? युवक फिर तेजी से चिल्लाता है, तभी दर्जनभर पुलिसवाले उसके पास आ जाते हैं। भीड़ से आवाज आती है- 'नहीं'! फिर भीड़ से तालियां बजने की आवाज आती है।
युवक की इस स्पीच के दौरान सादे ड्रेस में एक और अफसर चौराहे पर खड़ा नजर आता है। युवक सड़क पर फिर टहलता है और हुए गुस्से में कहता है- 'उरुमकी में लोग कैसे मरे? हम सब सच जानते हैं न? इसके बाद पुलिस वाले उसकी तरफ लपकते हैं। सबसे पहले सादे ड्रेस में खड़े 2 लोग उसे पकड़ते हैं। नीले रंग की जैकेट पहने हुआ व्यक्ति उसका बायां हाथ पकड़ता है।
दूसरा सादी ड्रेस वाला अफसर पीछे से उसे पकड़ता है। इसी बीच पुलिस उन लोगों को रोकती है जो उसे छुड़ाने या वीडियो बनाने की कोशिश करते हैं। अब युवक को जबरदस्ती पुलिस वैन में डालने की कोशिश होती है। युवक चिल्लाता है। लेकिन पुलिस वाले उसका बाल खींचते हुए उसे पुलिस वैन में ढकेल देते हैं। इस दौरान भीड़ से आवाज आती है- 'उसे जाने दो'। इसके बाद वैन युवक को लेकर चली जाती है। पुलिस अब तक इस तरह से दर्जनों लोगों किडनैप कर चुकी है।
वीडियो में देखिए कैसे सादे ड्रेस में मौजूद चीनी अफसर शंघाई में प्रदर्शन कर रहे युवक को पकड़ते हैं
इसके बाद जबरदस्ती युवक को पुलिस वैन में डाल दिया जाता है
पुलिस से बचने के लिए कोरे कागज से प्रदर्शन
चीन में हुए प्रदर्शनों की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं उनमें लोगों को सफेद कागज हाथों में लिए दिखाई दे रहे हैं। सफेद कागज लिए ये प्रदर्शनकारी खामोश रहते हैं। कई लोगों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन करने के लिए सोशल मीडिया पर भी कोरे कागजों की तस्वीरें साझा की हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है जब चीनी प्रदर्शनकारी सफेद कागज का इस्तेमाल अपनी बात कहने के लिए कर रहे हैं। चीन में यह सफेद कागज लोगों की आवाज दबाने का प्रतीक बन गया है। चूंकि उन कागजों पर कुछ लिखा नहीं है इसलिए कानूनन उन्हें किसी टिप्पणी के लिए सजा नहीं दी जा सकती।
तीसरा तरीका : घर से निकलने नहीं दिया जा रहा, सड़क चल रहे लोगों के फोन चेक किए जा रहे
शंघाई जैसे शहरों में पुलिस प्रदर्शनकारियों को घर से बाहर नहीं निकलने दे रही है। यदि किसी स्थान पर प्रोटेस्ट की सूचना मिल रही है तो वहां पर तुरंत भारी पुलिस बल पहुंच जा रहा है। बुधवार को सैकड़ों एसयूवी, वैन और चमकती रोशनी वाले बख्तरबंद वाहन शहर की सड़कों पर खड़े दिखे। वहीं शंघाई पुलिस सड़क पर चल रहे लोगों के फोन छीनकर उनकी तलाशी ले रही है। साथ ही सोशल मीडिया पर की पोस्ट के बारे में भी तलाशी ली जा रही है।
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