आज कल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में रोज खाना पकाना मुश्किल टास्क है। ज्यादातर वर्किंग प्रोफेशनल्स को खाना पकाने के लिए टाइम नहीं मिल पाता है। कई लोग ऐसे भी हैं जो कोशिश तो करते हैं, लेकिन वे उस तरह का फूड नहीं तैयार कर पाते हैं, जैसा वे खाना चाहते हैं। कई बार खाने में नमक, तेल और मसाले की मात्रा कम ज्यादा हो जाती है। इससे बचने के लिए जो लोग मेस या होटल का खाना खाते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं।
जरा सोचिए अगर बिना खास मेहनत से कम वक्त में खुद-ब-खुद आपकी पसंद का खाना पककर तैयार हो जाए तो कैसा रहेगा? है न यूनीक आइडिया। गुजरात के रहने वाले यतिन वराछिया ने ऐसी ही एक मशीन तैयार की है जो चंद मिनटों में ऑटोमैटिक कोई भी खाना तैयार कर देती है। इस मशीन का नाम NOSH है। यह 120 तरह की स्वादिष्ट डिशेज तैयार कर सकती है।
घर से दूर रहने पर सही खाना नहीं मिलता था
यतिन गुजरात के एक छोटे से गांव कंटवा के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी बारहवीं तक की पढ़ाई गांव से की, फिर आगे की पढ़ाई के लिए वे बेंगलुरु चले गए। जहां उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान से साइंस में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उनकी नौकरी लग गई। कुछ साल तक उन्होंने बड़ी कंपनियों में काम किया।
इस दौरान यतिन को अक्सर बाहर जाना पड़ता था। ऐसे में उन्हें मनपसंद खाना नहीं मिल पाता था। शादी के बाद भी उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ा। पति-पत्नी दोनों ऑफिस जाते थे तो खाना बनाने का वक्त नहीं मिल पाता था। उन्होंने इस परेशानी को कम करने के लिए कुक भी रखा, लेकिन उन्हें उसका बनाया खाना पसंद नहीं आया।
34 साल के यतिन कहते हैं कि मैं इस परेशानी को दूर करने के लिए कोई स्थाई हल निकालना चाहता था। मैं चाहता था कि हम इस तरह की कोई मशीन तैयार करें जिसकी मदद से कम वक्त में बिना खास मेहनत के मनपसंद डिशेज तैयार की जा सकें। इसके बाद इस आइडिया को लेकर मैंने अपने कुछ दोस्तों से बात की। ज्यादातर दोस्तों को भी यही दिक्कत थी। उन्हें भी सही खाना नहीं मिल पाता था। कई लोग खाने के लिए तैयार पैकेज्ड फूड पर निर्भर थे, तो कुछ दोस्तों का कहना था कि बार-बार रेस्तरां का खाना खाने से उनका पेट खराब हो जाता है।
दोस्तों से बात की और फिर नए आइडिया पर काम शुरू हो गया
साल 2017 में यतिन और उनके दोस्त प्रणव रावल, अमित गुप्ता और सुदीप ने मिलकर एक ऐसी डिवाइस बनाने का सोचा, जो खाना पकाती हो और जिससे उनके जैसे लोगों की समस्या दूर हो सके। इसके लिए सबने मिलकर 15 लाख रुपए इन्वेस्ट किए। सरकार की तरफ से भी उन्हें सपोर्ट मिला। इसे लेकर सबने कई एक्सपेरिमेंट्स किए और 6 तरह के प्रोटोटाइप बनाने के बाद, उन्होंने इस मशीन को बनाया। इसे बनाने में करीब तीन साल का वक्त उन्हें लग गया।
मोबाइल ऐप के जरिए चलती है मशीन
यह मशीन एक माइक्रोवेव जैसी दिखती है। जिसमें तेल, मसाले और पानी के लिए अलग-अलग स्लॉट हैं। सब्जी, पनीर या मीट के लिए एक ट्रे लगाई गई है। इसमें रॉ मटेरियल ऐड करने के बाद आपको अपनी पसंद के हिसाब से डिश चुनना होता है और कुछ ही मिनटों में बिल्कुल हाथ के बने स्वाद जैसा खाना बनकर तैयार हो जाता है। ये मशीन भी खाना बनाने में उतना ही वक्त लेती है जितना एक आम इंसान। जैसे पोहा बनाने में ये मशीन 15 मिनट का समय लेती है और पनीर की डिशेश बनाने में 35 मिनट। सबसे खास बात ये है कि इस पूरे प्रोसेस में किसी व्यक्ति की जरूरत नहीं पड़ती। ये मशीन आपकी जरूरत और रेसीपी के हिसाब से खाना तैयार करके दे देती है।
यह मशीन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस है और मोबाइल ऐप के जरिए चलती है। जिससे यह मटर पनीर, फिश करी, पोहा, गाजर का हलवा, उपमा, बिरयानी, कढ़ाही पनीर, चिकन खुरचन, गार्लिक प्रॉन और पास्ता जैसी डिश तैयार कर सकती है। इसमें अपने स्वाद के अनुसार नई-नई रेसिपी भी ऐड की जा सकती हैं।
हालांकि, इस मशीन को बनाना इतना आसान नहीं था। इसे बनाने के लिए यतिन और उनके दोस्त अमित को कई सारे ट्रायल और एक्सपेरिमेंट्स करने पड़े। इस मशीन को हर डिश के हिसाब से भी तैयार करने में काफी मुश्किल हुई। जैसे सूजी को सेंकने के लिए हमें उसे हाथों से बहुत देर तक चलाना पड़ता है। या फिर कोई सब्जी हो जैसे कि प्याज उसे भी भूनने के लिए हाथों का इस्तेमाल होता है। तो इस तरह की चीजों को बनाने के लिए मशीन को उसी हिसाब से सेट करना पड़ा।
मशीन की मांग बढ़ रही, देशभर से ऑर्डर आ रहे
इस साल जून से उन्होंने मार्केटिंग का काम शुरू किया है। वे सोशल मीडिया और अपनी वेबसाइट के जरिए मार्केटिंग कर रहे हैं। अभी तक यतिन के पास मशीन के लिए 500 से ज्यादा ऑर्डर आ चुके हैं। इसकी कीमत 50,000 रुपए है, वहीं इसे प्री-ऑर्डर करने पर यह 40,000 रुपए में आती है। प्री ऑर्डर बुकिंग के लिए 1 हजार रुपए एडवांस पेमेंट करना होता है और बाकी अमाउंट डिलीवरी के टाइम देना होगा। इसकी पूरी प्रोसेस और जानकारी उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है।
अभी ऑर्डर करने पर ये मशीन आपको अगले साल के जनवरी तक मिल जाएगी। यानी, 4 से 5 महीने का वक्त लगेगा। इस मशीन के खाने का स्वाद बिल्कुल हाथ से बने खाने जैसा ही होता है। इसके लिए किसी तरह के सुपरविजन की जरूरत नहीं पड़ती।
यतिन के साथ फिलहाल 15 लोगों की टीम काम करती है, जो मशीन की प्रोसेसिंग से लेकर उसके पैकेजिंग तक का काम देखती है। वे कहते हैं कि यह मशीन यूजर फ्रेंडली है, जिसे आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है। साथ ही अगर किसी को किसी तरह की दिक्कत आती है तो हम सपोर्ट भी प्रोवाइड कराते हैं।
आइडिया और इनोवेशन में दिलचस्पी है तो यह स्टोरी भी आपके काम की है
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