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आज की पॉजिटिव खबर:राजस्थान के दो युवाओं ने 6 महीने पहले मिट्टी से बने बर्तन और होम डेकोरेशन आइटम्स बेचने शुरू किए, अब हर महीने 1 लाख का बिजनेस

नई दिल्ली2 वर्ष पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र
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मिट्टी के बर्तन बेहद खास होते हैं। पर्यावरण और हेल्थ के लिहाज से इनका इस्तेमाल फायदेमंद होता है। आजकल इनकी डिमांड भी बढ़ी है, लेकिन असल दिक्कत इनकी मार्केटिंग को लेकर है। यह न तो कस्टमर्स को आसानी से मिल पाते हैं और न ही इन्हें बनाने वाले कारीगरों को मार्केटिंग के लिए सही प्लेटफॉर्म मिल पाता है।

कोरोना में तो इन कारीगरों की हालत और भी खराब हो गई है। कई कारीगरों को तो दो वक्त की रोटी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में जयपुर रहने वाले अभिनव और मेघा ने इन कारीगरों की परेशानियों को कम करने के लिए एक स्टार्टअप की शुरुआत की है। 6 महीने पहले शुरू हुआ यह स्टार्टअप भारत के साथ ही विदेशों में भी छोटे कारीगरों के बनाए प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहा है। इससे इनका बिजनेस भी हो रहा है और कारीगरों की कमाई भी। फिलहाल अभिनव और मेघा हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा का बिजनेस कर रहे हैं।

अभिनव और मेघा दोनों अभी ग्रेजुएशन सेकेंड ईयर में पढ़ाई कर रहे हैं। दोनों की उम्र करीब 20 साल है।

कॉलेज में प्रोजेक्ट वर्क के दौरान आया बिजनेस आइडिया

अभिनव और मेघा दोनों की उम्र 20 साल है और दोनों एक ही कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहे हैं।
अभिनव और मेघा दोनों की उम्र 20 साल है और दोनों एक ही कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहे हैं।

अभिनव बताते हैं कि पहले से हमारा इस तरह का कोई बिजनेस प्लान नहीं था। हमें कॉलेज में ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाने का प्रोजेक्ट वर्क मिला था। तब ज्यादातर स्टूडेंट्स मार्केट में उपलब्ध प्रोडक्ट्स को लेकर ही प्लेटफॉर्म डेवलप कर रहे थे, लेकिन मैंने कुछ नया करने का सोचा। चूंकि मैंने बचपन से ही मिट्टी से बर्तन तैयार करने वाले कारीगरों की परेशानियों को देखा था। इसलिए हमने तय किया कि उनके प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए हम एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डेवलप करेंगे।

साल 2020 में अभिनव और मेघा ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले राजस्थान के स्थानीय कारीगरों से मिलना शुरू किया। उनके काम और उनकी दिक्कतों को समझा। रिसर्च के बाद वे अपने प्लेटफॉर्म पर उनके प्रोडक्ट लिस्ट करने लगे।

अभिनव कहते हैं कि कॉलेज में हमारे प्रोजेक्ट की तारीफ की गई। हमारे रिलेटिव्स ने भी हमारे आइडिया को सपोर्ट किया। तब हमें रियलाइज हुआ कि इस प्रोजेक्ट वर्क को स्टार्टअप के रूप में तब्दील किया जा सकता है।

50 हजार रुपए की लागत से की स्टार्टअप की शुरुआत

अभिनव और मेघा ने करीब 200 कारीगरों को अपने स्टार्टअप के जरिए जोड़ा है। इससे उन्हें रोजगार मिल रहा है।
अभिनव और मेघा ने करीब 200 कारीगरों को अपने स्टार्टअप के जरिए जोड़ा है। इससे उन्हें रोजगार मिल रहा है।

करीब एक साल तक रिसर्च और फील्ड वर्क करने के बाद साल 2021 में अभिनव और मेघा ने अपने परिवार से 50 हजार रुपए लिए और 'मिट्टी हब' नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। वे स्थानीय कारीगरों के प्रोडक्ट को अपने प्लेटफॉर्म के जरिए बेचने लगे। इसका उन्हें पॉजिटिव रिस्पॉन्स भी मिला और कुछ ही दिनों के भीतर उन्हें अटल इन्क्यूबेशन सेंटर के लिए भी शॉर्ट लिस्ट कर लिया गया।

अभिनव कहते हैं कि सालों से कारीगर मिट्टी के बर्तन बनाते आ रहे हैं। इनके प्रोडक्ट लुक और क्वालिटी दोनों ही लेवल पर बेहद खास होते हैं। इसीलिए इनकी डिमांड बड़े शहरों में भी खूब है। बस जरूरत है, उन्हें सही प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने की। जब लोगों की डिमांड बढ़ी तो अभिनव और मेघा ने अपने स्टार्टअप का दायरा बढ़ाना शुरू किया। उन्होंने एक के बाद एक कई कारीगरों से संपर्क किया। उन्हें अपने साथ जोड़ा।

होम डेकोर से लेकर किचन के इस्तेमाल के हर प्रोडक्ट की करते हैं मार्केटिंग

अभिनव स्थानीय कारीगरों से ही प्रोडक्ट तैयार करवाते हैं। उन्होंने राजस्थान के साथ ही यूपी और हरियाणा के भी कारीगरों को अपने साथ जोड़ा है।
अभिनव स्थानीय कारीगरों से ही प्रोडक्ट तैयार करवाते हैं। उन्होंने राजस्थान के साथ ही यूपी और हरियाणा के भी कारीगरों को अपने साथ जोड़ा है।

अभिनव बताते हैं कि हमने सिर्फ मिट्टी के बर्तनों को ही टारगेट करके रखा है, क्योंकि ज्यादातर लोगों को खासकर के बड़े शहरों में इनकी अच्छी डिमांड है। फिलहाल हम लोग किचन सेट, बर्तन, टेबलवेयर, प्लांटर और होमडेकोर के प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं।

इसके लिए हमने सोशल मीडिया पर भी फोकस किया है। जल्द ही हम रिटेलरशिप मार्केट में भी जगह बनाएंगे। अभी हम अपनी वेबसाइट के जरिए देशभर में मार्केटिंग कर रहे हैं। कुछ कूरियर कंपनियों से भी हमने टाइअप किया है। कुछ प्रोडक्ट हमने विदेशों में भी भेजे हैं।

कैसे करते हैं काम, क्या है इनका बिजनेस मॉडल?

अभिनव गांव-गांव जाकर मिट्टी से बर्तन तैयार करने वाले कारीगरों से मिलते हैं। उनके काम को समझते हैं।
अभिनव गांव-गांव जाकर मिट्टी से बर्तन तैयार करने वाले कारीगरों से मिलते हैं। उनके काम को समझते हैं।

फिलहाल अभिनव के साथ राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, दिल्ली सहित कई राज्यों के 200 से ज्यादा कारीगर जुड़े हैं। ये सभी कारीगर मिट्टी से बर्तन तैयार करते हैं। अभिनव अपने ग्राहकों की डिमांड के मुताबिक इन कारीगरों से प्रोडक्ट बनवाते हैं और फिर अपने प्लेटफॉर्म के जरिए उसकी मार्केटिंग करते हैं। इससे इन कारीगरों की अच्छी कमाई हो जाती है।

अभिनव की टीम में ज्यादातर स्टूडेंट्स शामिल हैं। इनको अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया है। कोई कारीगरों से प्रोडक्ट कलेक्ट करता है तो कोई उसे वेबसाइट पर लिस्ट करता है। इसके बाद ऑर्डर मिलने पर उसकी पैकेजिंग और डिलीवरी की जाती है।

आप कैसे कर सकते हैं ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म की शुरुआत?

अभिनव के मुताबिक ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म डेवलप करना कोई मुश्किल टास्क नहीं है। आप दो से तीन हजार रुपए में खुद की वेबसाइट तैयार कर सकते हैं। आजकल कई ऐसे सर्विस प्रोवाइडर हैं, जिनके जरिए वेबसाइट बनाने पर कोडिंग की भी जरूरत नहीं होती है। आप टेम्पलेट और थीम्स के जरिए खुद वेबसाइट डेवलप कर सकते हैं। गूगल पर इस संबंध में कई वीडियो उपलब्ध हैं।

वेबसाइट बनाने के बाद आपको अपने स्टार्टअप को रजिस्टर कराना होगा। यह काम आप खुद भी कर सकते हैं या फिर किसी प्रोफेशनल CA की मदद ले सकते हैं। 10 से 15 हजार रुपए के भीतर आपका स्टार्टअप रजिस्टर हो जाएगा। इसके बाद आप स्टार्टअप इंडिया के पोर्टल की मदद से खुद को स्टार्टअप इंडिया अभियान से जोड़ सकते हैं। अगर आपका आइडिया अच्छा रहा तो आपको फंड और इन्क्यूबेशन मिल सकता है।

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