खुद्दार कहानी:एक्टर निखिल विजय की परवरिश पापा ने स्कूल कैब चलाकर की, कॉलेज ने ड्रामा से निकाला; आज OTT के स्टार

7 महीने पहलेलेखक: नीरज झा
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1990 से 2000 के बीच उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों के लोग रोजी-रोटी की तलाश में दिल्ली पलायन कर रहे थे। पापा भी महाराष्ट्र से दिल्ली आ गए थे। हमलोग बुराड़ी की अनऑथराइज्ड कॉलोनी में रहते थे। मेरी उम्र के साथ-साथ ये इलाका भी डेवलप हुआ। पापा ने स्कूल कैब चलाकर हमारी परवरिश की। आज भी वो कैब चलाते हैं।

लोगों को लगता है कि मैं नॉर्थ इंडियन हूं, लेकिन मेरा जन्म महाराष्ट्र के भंडारा जिले में हुआ है। उस वक्त तक पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो चुका था। आप मुझे दिल्ली वाला मराठी लड़का कह सकते हैं।

हमारे साथ खास बातचीत में एक्टर निखिल विजय अपनी ये स्टोरी शेयर करते हैं। ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म TVF (द वायरल फीवर) में बतौर इंटर्न जॉइन करने वाले निखिल आज OTT के स्टार हैं। उन्होंने अब तक 400 से अधिक कैरेक्टर प्ले किए हैं।

निखिल विजय ने फेमस वेब सीरीज गुल्लक का सीजन-वन लिखा है। जबकि ‘हॉस्टल डेज’, 'मैडम चीफ मिनिस्टर' जैसी सीरीज में एक्टिंग कर सुर्खियां बटोरी हैं।

गुल्लक सीजन वन को लेकर निखिल बताते हैं, 'इसके अधिकांश हिस्सों को मैंने जिया है। आइडिया क्लियर नहीं था, पर लंबे समय से दिमाग में चल रहा था।'

निखिल विजय कहते हैं, ‘OTT के बाद हम जैसे एक्टर्स को चांसेज मिलने लगे हैं। अब गांव कस्बों से आए एक्टर को भी रोल मिलना आसान हो गया है। पहले सिर्फ थिएटर था, जहां यदि आप पर्दे पर दिख रहे हैं, तभी एक्टर हैं। अब ऐसा नहीं है।’
निखिल विजय कहते हैं, ‘OTT के बाद हम जैसे एक्टर्स को चांसेज मिलने लगे हैं। अब गांव कस्बों से आए एक्टर को भी रोल मिलना आसान हो गया है। पहले सिर्फ थिएटर था, जहां यदि आप पर्दे पर दिख रहे हैं, तभी एक्टर हैं। अब ऐसा नहीं है।’

एक्टिंग की शुरुआत को लेकर निखिल बताते हैं, ‘स्कूल टाइम से ही ड्रामा में दिलचस्पी थी। नाटक में पार्टिसिपेट करता था। थिएटर कोटा के जरिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला। यकीन नहीं था कि एक दिन एक्टर बन जाऊंगा। अब 400 से ज्यादा कैरेक्टर प्ले करने के बाद लगता है कि मैं भी एक्टर बन सकता हूं।'

निखिल को ग्रेजुएशन के सेकंड ईयर में कॉलेज की ड्रामा सोसाइटी ने निकाला दिया था। जिसके बाद उन्हें बड़ा झटका लगा था। वे कहते हैं, कुछ गलती मेरी भी थी।

वो उस टाइम का एक किस्सा बताते हैं, 'सुबह 9 बजे से 7 बजे तक कॉल सेंटर में जॉब करता था। इसके बाद अपने सीनियर्स के स्टूडियो में जाकर फिल्म मेकिंग से रिलेटेड चीजों पर वर्क करता था।'

तो कभी घर वालों ने एतराज नहीं जताया? निखिल कहते हैं, 'घर वालों को विश्वास था कि मैं अच्छा ही करूंगा। हालांकि, मम्मी-पापा के मन में दुविधा तो बनी रहती थी। 2012-15 में कॉलेज पासआउट होने और कुछ महीने मीडिया इंडस्ट्री में काम करने के बाद 2016 में बतौर स्क्रिप्ट राइटर इंटर्न TVF ज्वाइन किया था। एक रोल के लिए जिस एक्टर को आना था, वो नहीं आया तो मुझे ऑफर मिल गया। यहीं से एक्टिंग की शुरुआत हुई।'

निखिल को राइटिंग से ज्यादा एक्टिंग पसंद है। वे बताते हैं, स्क्रिप्ट राइटिंग एग्जाम लिखने जैसा है। वहीं, एक्टिंग दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने जैसा।
निखिल को राइटिंग से ज्यादा एक्टिंग पसंद है। वे बताते हैं, स्क्रिप्ट राइटिंग एग्जाम लिखने जैसा है। वहीं, एक्टिंग दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने जैसा।

आप मुंबई कब गए? निखिल कहते हैं, 'TVF ज्वाइन करने के डेढ़ साल बाद 2017 के दिसंबर में मुंबई शिफ्ट हो गया। हाथ में पहले से काम था, इसलिए ज्यादा स्ट्रगल नहीं करनी पड़ी। काम को लेकर कभी इंतजार तो नहीं करना पड़ा, लेकिन कुछ महीनों के लिए कोई काम नहीं था, तो फिर से जॉब करने लगा था।'

निखिल अब सिर्फ बतौर एक्टर परफॉर्म करना चाहते हैं। वे कहते हैं, 'इंडस्ट्री में खुद को एक्टर बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। यहां बतौर हीरो के लिए सुंदरता की भी एक परिभाषा है। हालांकि, हम उस दौर में हैं, जहां लोग जेब में सिनेमा बनाने की क्षमता लेकर चल रहे हैं। सभी के पास स्मार्टफोन है।'

फिल्म इंडस्ट्री की चुनौती को लेकर निखिल बताते हैं, 'एक्टर होना कोई रॉकेट साइंस तो नहीं है, लेकिन मेहनत का काम है। किसी दूसरी इंडस्ट्री में रिजेक्शन बहुत कम मिलता है, लेकिन यहां हर रोज कई बार रिजेक्ट होना पड़ता है। यदि कोई महीने में तीन ऑडिशन दे रहा है, तो जरूरी नहीं है कि उसे कोई एक भी काम मिल जाए।'

निखिल अब TVF छोड़ चुके हैं। वे बॉलीवुड में काम करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अब तक निखिल ने दो बॉलीवुड फिल्मों में काम भी किया है।
निखिल अब TVF छोड़ चुके हैं। वे बॉलीवुड में काम करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, अब तक निखिल ने दो बॉलीवुड फिल्मों में काम भी किया है।

निखिल कहते हैं, 'एक ही तरह के फिक्स कैरेक्टर के ज्यादातर रोल ऑफर होते हैं, जिससे मैं बचना चाहता हूं। फिल्म इंडस्ट्री में काम मिलना सिर्फ टेलेंट और मेहनत पर ही निर्भर नहीं करता है। इसके लिए और भी फैक्टर्स ​​​​ होते हैं।

दरअसल, बॉलीवुड में किसी हीरो के सुंदर, हैंडसम दिखने की डिमांड है, ये पहले से भी चला आ रहा है। हर व्यक्ति सिनेमा हॉल में एक्टिंग देखने के लिए नहीं आता है। हालांकि, OTT के बाद स्टारवादी एक्टर्स की कैटेगरी में भी हम जैसे एक्टर एक्टिंग कर रहे हैं।

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