इन दिनों देश की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी LIC IPO को लेकर काफी चर्चा में है। आज की पॉजिटिव खबर में हम जो चीजें आपको बताने जा रहे हैं, वो IPO से जुड़ी हुई नहीं, बल्कि नागपुर के LIC एजेंट भरत पारेख और उनके आइडिया की कहानी है।
भरत पारेख को अनूठे तरीके से मृत व्यक्ति के परिजनों को डेथ क्लेम दिलाने का एक्सपर्ट माना जाता है। इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि भरत पारेख की कमाई LIC के CEO से भी ज्यादा है। पारेख बताते हैं, कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही वो LIC से जुड़ गए थे। कॉलेज खत्म होने के बाद वो घर-घर जाकर पॉलिसी बेचा करते थे।
पारेख कहते हैं, मुझे याद है कि मेरे किसी किसी रिश्तेदार का निधन हो गया था। रिश्तेदार के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उन्हें ये अहसास हुआ कि जिस रिश्तेदार का निधन हुआ है, वह परिवार में कमाने वाला इकलौता सदस्य था।
पारेख को इस घटना के बाद मन में ये ख्याल आया कि इस परिवार की मदद कौन करेगा? इनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा? इस तरह के कई सवालों ने भरत पारेख को झकझोर दिया।
LIC एजेंट भरत पारेख ने पता किया कि उनके रिश्तेदार ने अपने परिवार के नाम एक पॉलिसी करवाई थी। यह लाइफ टाइम पॉलिसी थी, जिससे उस परिवार को आसानी से क्लेम मिल सकता था। उन्होंने ये ठान लिया था कि मैं इस पॉलिसी का क्लेम इन लोगों को दिलाकर ही रहूंगा।
भरत पारेख का मानना है कि मृतकों के परिवार वालों को इंश्योरेंस का क्लेम उठाने में बहुत समय लग जाता है। समय पर पैसा नहीं मिलता है। कुछ ऐसे भी परिवार हैं, जिन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं होती है।
भरत पारेख की टीम के मेंबर मनोज बताते हैं, उनकी टीम में 35 लोग शामिल हैं। भरत पारेख और उनकी टीम लोगों के अंतिम संस्कार में जाते हैं तो उनकी नजर मृतक के परिवार पर होती है। इसके लिए उनकी टीम श्मशान घाट पर भी रहती है।
अंतिम संस्कार के दौरान वह मृतक के रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं। बातचीत में पता लगाते हैं कि मृतक ने कोई बीमा करवा रखा है या नहीं। जानकारी मिलने पर वे उन्हें आश्वासन देते हैं कि मृतक के परिवार को बीमा का पैसा जल्द से जल्द मिल जाएगा। संपर्क करने के लिए वे मृतक के घर पर अपना विजिटिंग कार्ड रख आते हैं।
वो कहते हैं, तेरहवीं के बाद कुछ परिवार उन्हें खुद फोन करते हैं, लेकिन कई बार पारेख लोगों के घर जाकर सुनिश्चित करते हैं कि उनका डेथ क्लेम समय पर सेटल हो जाए।
उनकी टीम न्यूजपेपर में निकलने वाले शोक सन्देश के सेक्शन से भी ऐसे परिवारों से संपर्क करती है। पारेख बताते हैं कि उनका मकसद यही होता है कि मृतक के परिवार को समय पर डेथ क्लेम का पैसा मिल जाए और ये पैसा सही हाथों में जाए।
पारेख ने लिखी है किताब
पारेख ने 'Adding More to life' नाम से एक किताब भी लिखी है। इस बुक में वो एक महिला का जिक्र करते हुए लिखते हैं, महिला के पति की मृत्यु के बाद उसके पति का डेथ क्लेम सेटल कराया था। क्लेम 2 से 3 लाख रुपए का था। महिला ने पारेख से एक सवाल पूछा था, अब मुझे अगले महीने कितना पैसा मिलेगा? क्योंकि उसे डेथ क्लेम के इंश्योरेंस की कोई जानकारी नहीं थी। इस बात से पारेख को काफी रोना आया था कि लोग इस क्लेम के पैसे पर कितना निर्भर रहते हैं। उनके बच्चों का भविष्य और घर के जरूरतें भी कई बार इसी पैसे पर टिकी रहती हैं।
पारेख कहते हैं, कुछ लोग इंश्योरेंस, FD वगैरह करवा लेते हैं, लेकिन अपने परिवार को नहीं बताते हैं। इसलिए कई परिवार वालों को इस बात की जानकारी नहीं होती कि मृतक ने किसी प्रकार का इंश्योरेंस कराया था।
शुरुआत में कठिनाइयों का करना पड़ा सामना
इस काम को शुरू करने में आई चुनौतियों को लेकर मनोज बताते हैं, पहले ये पता लगाना मुश्किल था कि मृतक ने कोई पॉलिसी ले रखी है या नहीं। डेटा निकलना कठिन था, लेकिन अब दिक्कतें नहीं होती है।
भरत पारेख को मिली पहचान
भरत पारेख को जाने-माने LIC एजेंट के तौर पर जाना जाता है। वह अभी तक लगभग 2,500 करोड़ रुपए का बीमा बेच चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने तकरीबन 40,000 से ज्यादा लोगों की पॉलिसी भी बेची हैं। भरत पारेख बताते हैं कि 24 घंटे इस बात का ध्यान रखा जाता है कि सभी का क्लेम समय पर पूरा हो जाए।
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