यह नया दौर है। जहां युवाओं को नौकरी से ज्यादा स्टार्टअप में बेहतर अवसर दिख रहे हैं। एक तरफ कोरोना लाखों लोगों के लिए काल बनकर आया, तो वहीं दूसरी तरफ इसी दौर में कई लोगों को कुछ अलग करने का अवसर भी मिला। जयपुर के अंकित भी उन्हीं में से एक हैं, जिनका काम लॉकडाउन में बंद हो गया। पहले अंकित ने कई जगह नौकरी भी की थी, लेकिन अच्छा अनुभव न होने के कारण उसे छोड़ना पड़ा।
लॉकडाउन के बाद अंकित को राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कुछ खास कारीगरों का साथ मिला। फिर उन्होंने शुरू किया ‘आर्ट एवेन्यू’ नाम से होम डेकोर एंड लाइफ स्टाइल गुड का स्टार्टअप। जिससे सालाना 10 करोड़ का बिजनेस हो रहा है। इससे 250 से ज्यादा कारीगरों को काम मिला है। ‘आर्ट एवेन्यू’ के हर कारीगर की सैलरी 25 हजार रुपए है।
ट्रेडिशनल टेक्नीक और मॉडर्न स्टाइल डिजाइन की मदद से जूट बैग, बेल्ट्स, बेडशीट, माक्रमे हैंगिंग और कारपेट सहित करीब 1000 तरह के होम डेकोर और लाइफ स्टाइल गुड्स बनाए जाते हैं। जो देश के कई शहरों के अलावा करीब 30 देशों में एक्सपोर्ट भी किए जाते हैं।
आज की पॉजिटिव स्टोरी में अंकित के एक्सपीरिएंस से जानते हैं कि इस तरह का स्टार्टअप कैसे शुरू किया जा सकता है और ये कितना फायदेमंद है…
‘आर्ट एवेन्यू’ की शुरुआत ऐसे हुई
मैं 35 साल हूं। जयपुर से हूं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन एंड टेक्नोलॉजी (NIFT) कोलकाता से फैशन मैनेजमेंट में मास्टर्स किया है। 2009 में पढ़ाई पूरी करने के बाद बेंगलुरु स्थित एक फैशन हाउस में काम किया। करीब 6 महीने के बाद किसी कारण नौकरी छोड़नी पड़ी। मैं वापस जयपुर आ गया। कुछ दिनों बाद दूसरी जगह नौकरी की जिसे एक ही महीने में छोड़ना पड़ा। उसके बाद मैंने बिजनेस करने की सोची।
कुछ समय घर पर बैठने के बाद फैमिली बिजनेस में हाथ आजमाया। जहां हम फैशन और लाइफ स्टाइल से ही जुड़ी कई चीजें विदेशी कंपनी को एक्सपोर्ट करते थे। कोरोना में मेरा काम भी ठप पड़ गया। लॉकडाउन में काफी रिसर्च करने के बाद समझ आया कि देश में ई-कॉमर्स बिजनेस में काफी स्कोप है। फैमिली और फ्रेंड्स से सलाह ली और स्टार्टअप शुरू करने का प्लान किया। मैंने स्टार्टअप के लिए D-to-C यानी डायरेक्ट टु कंज्यूमर प्लेटफार्म को चुना।
250 कारीगरों का साथ मिल रहा है
कोरोना ने हर तबके के लोगों की जिंदगियों को प्रभावित किया। खासकर छोटे-मोटे कारीगरों का काम तो पूरी तरह से बंद पड़ गया। मैं जब स्टार्टअप का प्लान कर रहा था तब संयोग से कई ऐसे कारीगरों के बारे में पता चला जो काफी कुशल थे, लेकिन उनके पास कोई काम ही नहीं था। जयपुर, आगरा, फतेहपुर, मेरठ और पानीपत के 30-35 कारीगर की एक टीम बनाई और काम करना शुरू कर दिया। फिलहाल मेरे पास 150 कारीगर हैं। इनमें 100 महिलाएं हैं। कुछ कारीगर मेरे फैक्ट्री से काम करते हैं, बाकी कारीगर, खासकर महिलाएं, अपने घर से।
हमारा काम करने का तरीका ट्रैडीशनल है, लेकिन हम मॉडर्न डिजाइन का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से कारीगरों की कला को जीवित रखने के साथ लोगों को बेहतरीन प्रोडक्ट मिल रहा है। यहां काम करने वाले कारीगरों की कमाई 25 हजार रुपए हर महीने होती है। अंकित के अनुसार इस तरह के काम में कारीगरों का बड़ा रोल होता है। उनकी वजह से बिजनेस की ग्रोथ तेजी से हो रही है।
होम डेकोर-लाइफ स्टाइल स्टार्टअप चुनने की वजह
फैशन इंडस्ट्री में काफी अच्छा स्कोप है। हमारे देश में इसकी मार्केट बड़ी है। आपको आपके टारगेट कस्टमर के बारे में पता होना चाहिए। इससे मार्केट में जगह बनाने में आसानी होगी। पढ़ाई के बाद फैशन हाउस में जॉब करना मेरे लिए फायदेमंद रहा। मुझे समझ आया कि जिन प्रोडक्ट की हम लोकल होने की वजह से वैल्यू नहीं करते, उसकी डिमांड विदेशों में ज्यादा है। मैं लेटेस्ट फैशन से खुद को अपडेट रखता हूं। इससे लोगों की पसंद और नापसंद का अंदाजा लगाना आसान होता है।
आज के समय में हर व्यक्ति अच्छा दिखना चाहता है और वो अपने घर को भी खूबसूरती से सजाना चाहता है। ऑनलाइन की मदद से घर बैठे-बैठे एक सिंगल क्लिक में आप आसानी से शॉपिंग कर लेते हैं। इन्हीं कई बातों की वजह से मुझे कॉन्फिडेंस था कि ये बिजनेस अच्छा चलेगा। अंकित ने लोगों के फैशन टेस्ट को देखते हुए कई प्रोडक्ट्स तैयार किए। फ्रेंड्स और रिलेटिव की राय लेने के बाद खुद की वेबसाइट के जरिए सेल शुरू कर दिया।
हैंडीक्राफ्ट और सस्टेनेबल प्रोडक्ट तैयार होते हैं
बिजनेस प्लानिंग के दौरान मेरा फोकस सस्टेनेबल प्रोडक्ट्स की तरफ था। जिनसे कम से कम पॉल्यूशन हो और जो नेचर को बिना नुकसान पहुंचाए आसानी से डी-कंपोज हो सके। फिलहाल हम जूट और कोस्टल एरिया में मिलने वाले समुद्री घास (sea grass) से प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं। इसके अलावा रीसाइकिल कॉटन का भी इस्तेमाल किया जाता है। प्रोडक्ट में कैमिकल फ्री डाई का ही इस्तेमाल होता है। हमारे प्रोडक्ट की खासियत उनकी यूनीक डिजाइन है, जिसे कारीगर अपने हाथों से बनाते हैं। ये सुंदर होने के साथ मजबूत भी होते हैं।
फिलहाल अंकित की कंपनी में करीब 1000 तरह के प्रोडक्ट तैयार हो रहे हैं। इनमें किलिम बैग, जूट बैग, प्रिंटेड कारपेट, माक्रमे सेट, जूट स्टोरेज बास्केट, बेड शीट, पिलो, कुशन और कई तरह के फर्नीचर शामिल हैं। जिसकी डिमांड देश के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, रूस, जर्मनी, स्पेन और फ्रांस सहित 30 देशों में हैं।
इस तरह का बिजनेस कैसे कर सकते हैं?
अंकित के अनुसार भारत में कारीगरों की कमी नहीं। विडंबना ये हैं कि यहां के लोग कारीगरों के काम की इज्जत नहीं करते। इस तरह के बिजनेस में वही लोग आएं जिन्हें कारीगरों से लगाव और उनके काम की कद्र हो। जो अपनी कमाई के साथ कारीगरों के मुनाफे का भी ध्यान दें। कारीगरों की कला ही इस बिजनेस की जान है।
इसके अलावा इन बातों का ध्यान रखें …
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