रात 12 बजे हनुमान गढ़ी पर सन्नाटा पसरा हुआ था। सायरन बजाती गाड़ियां घूम रही थीं, लेकिन घरों से भजन कीर्तन और रामधुन की आवाजें आ रहीं थीं। पूरी रात अयोध्या के घरों में लोग सोये नहीं थे। देखा जाए तो अयोध्या में शाम सरयू घाट पर दीपावली के बाद सीधे भोर हुई है। कल अयोध्या सोई ही नहीं।
अयोध्या में सुबह 4 बजे से ही रिमझिम बारिश हो रही थी। इसके बावजूद सजावट का काम जोरों पर रहा। जमकर सफाई, सैनेटाइजेशन और फिर फूलों की खूबसूरत सजावट होती रही।
हनुमान गढ़ी से शुरू होकर साकेत महाविद्यालय तक नगर निगम ने 125 से ज्यादा कर्मचारियों को सजावट में लगाया था, जबकि इतने ही लोग साफ सफाई में जुटे हुए थे। लगभग 500 क्विंटल फूलों का इस्तेमाल हुआ।
हनुमान गढ़ी के बगल मोहल्ले में रहने वाले भानु प्रताप बताते हैं कि रात में मंदिरों के साथ साथ घर मे भी भजन कीर्तन चलता रहा। हम लोगों को सुबह का इंतजार था। सुबह 10 बजते ही लोग टीवी के सामने बैठ गए थे।
कहते हैं कि सरयू में अयोध्या की गंगा-जमुनी तहजीब कल-कल कर बहती हैं। कुुछ ऐसा ही नजारा कजियाना मोहल्ले का था। यहां रहने वाले इमरान अंसारी और कृष्णा मुरारी साथियों के साथ सुबह से ही घर की गली के मुहाने पर जमा हो गए थे। चर्चा सिर्फ राम मंदिर की ही हो रही थी। इमरान कहते हैं कि अयोध्या में रोजगार मिलने का फिलहाल यही तरीका है। इमरान का कहना है कि भले ही मंदिर हिंदुओं का बन रहा है, लेकिन उससे हमें भी रोजगार की उम्मीद है।
वो दोनों ये भी कहते हैं कि भले ही यहां मंदिर मस्जिद का इतना लंबा विवाद चला, लेकिन हम लोगों के बीच मनमुटाव कभी नहीं हुआ। कुटिया रायगंज मोहल्ले में छोटा सा जनरल स्टोर चलाने वाले इश्तियाक अंसारी कहते हैं, अयोध्या में तो राम से ही रोजगार है। राजनीतिक पार्टियों ने हमें अब तक लड़ाया ही है। इतने दिनों से विवाद चल रहा था, हिंदू-मुस्लिम दोनों इससे थक चुके थे।
इकबाल अंसारी सुबह उठे तो घर के सामने मीडिया वाले खड़े थे
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी जब सुबह उठे और लगभग 6 बजे दरवाजा खोला तो सामने मीडियाकर्मी खड़े मिले। हमेशा की तरह उन्होंने इस्तकबाल किया और बिना चाय पिये ही मीडिया के लिए लाइव पर बैठ गए। तकरीबन 7.30 पर हमसे बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने कार्यक्रम में जाने की तैयारी कर ली है। हमने पीएम को भेंट करने के लिए रामचरितमानस और रामनामी गमछा लिया है।
इकबाल ने बातचीत में ओवैसी के ट्वीट पर जबाव देते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आए 9 महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है, अब सारा विवाद खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा जब हम 28 साल तक बाबरी मस्जिद के पक्षकार बनकर जन्मभूमि जाया करते थे तो हमारा पास भी राम के नाम पर ही बना था। जो लोग मेरे जन्मभूमि जाने पर सवाल खड़े करते हैं, उनके लिए यही जवाब है। बहरहाल, अंसारी ने बताया कि उनका कोरोना टेस्ट नहीं हुआ है। हो सकता है जन्मभूमि पहुंचने से पहले टेस्ट हो जाए। हालांकि, उन्हें जन्मभूमि जाने का सही समय भी नहीं मालूम है। वह मीडियाकर्मियों से पूछते नजर आए कि कब जाना है और इसके लिए किससे बात करनी है।
हनुमान गढ़ी से लाइव रिपोर्ट
सुबह से ही हनुमान गढ़ी के मुख्य द्वार पर खड़े पुलिसकर्मियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़नी शुरू हो गई थी। आने-जाने वालों को रोका जा रहा था। हनुमान गढ़ी के भीतर ड्यूटी करने वालों को भी आईकार्ड देखकर ही जाने दिया जा रहा था। सुबह आंख खुली तो मुंह में मास्क लगाकर बगल के एक घर मे रहने वाले विशाल द्विवेदी घर के नीचे उतर आए खड़े होकर देखने लगे क्या हो रहा है। उनसे पूछा कैसी बीती रात। बोले देर रात नींद आई सुबह आंख खुली तब मैं नीचे आ गया। मुझे इस घड़ी का बड़ा इंतजार था। मैंने विध्वंस भी देखा और अब भूमि पूजन देखने का अवसर मिल रहा। इस घड़ी का सभी इंतजार कर रहे थे।
बाबा रामदेव का काफिला एनएसजी के एस्कॉर्ट में हनुमान गढ़ी की तरफ बढ़ा ही था कि मीडिया ने उनकी गाड़ी को रोक लिया। बाबा रामदेव गेट खोलकर बाहर निकले और मीडिया के सवाल का जबाव देते बोले- इस घड़ी का सबको इंतजार था। मैं इस समय यहां मौजूद हूं यह मेरा सौभाग्य है। बाबा रामदेव ने पहले यहां रुककर हनुमानजी के दर्शन किए। उसके बाद भूमि पूजन के लिए रवाना हुए।
मंदिर में अयोध्या के अगल-बगल रहने वाले चुनिंदा लोग ही दर्शन कर पाए। संख्या 50 से भी कम। 8 बजे तक सभी को हनुमान गढ़ी के द्वार से हटा दिया गया था। आरएएफ के जवानों के हवाले 100 मीटर के दायरे में सुरक्षा कर दी गई। केवल गाड़ियों का आना जाना चल रहा था। वो भी सिर्फ उनकी, जिनके जिम्मे सुरक्षा है।
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