करिअर फंडाएग्जाम क्रैक न कर पाने के 4 कारण और सॉल्यूशन:बेसिक्स कमजोर, डेली कोचिंग नहीं करना

4 महीने पहले

हताश लोगों से, बस, एक सवाल, हिमालय ऊंचा या बछेंद्री पाल?

- शैलेय

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सब किया फिर भी नहीं हुआ

क्या आप अपने आस-पास किसी ऐसे स्टूडेंट को जानते हैं, जिसने कोचिंग करने के लिए बहुत सारा पैसा खर्च कर दिया, शहर की सबसे अच्छी कोचिंग क्लास ज्वाइन की फिर भी उसका कहीं सिलेक्शन नहीं हुआ?

आज हम चर्चा करेंगे ऐसा क्यों होता है कि सबसे अच्छी कोचिंग क्लासेस ज्वाइन करने के बाद भी अनेक स्टूडेंट्स का सिलेक्शन अपनी मनचाही एग्जाम या इंस्टीट्यूट में नहीं हो पाता।

एग्जाम नहीं निकल पाने के 4 प्रमुख कारण (और सॉल्यूशन)

1) पहले से बेसिक्स का कमजोर होना या क्षमता की कमी: किसी भी कैंडिडेट को यह समझना चाहिए कि कॉम्पिटिटिव एग्जाम की कोचिंग क्लासेस आपको सीमित समय में किसी परीक्षा विशेष की तैयारी करवाती हैं।

A) बढ़ते कॉम्पिटिशन के साथ-साथ कोचिंग क्लासेज अधिक-से-अधिक सर्विसेज प्रोवाइड करवा रहे हैं, जिनमें बेसिक्स के लिए अलग से क्लासेज इत्यादि भी शामिल है।

B) फिर भी यह समझने की बात है कि ऐसी 6 महीने या 1 साल की तैयारी सालों तक की जाने वाली स्कूली शिक्षा का पर्याय नहीं बन सकती – अर्थात कुछ चीजों के विकास के लिए समय लगता ही है।

C) उदाहरण के लिए मान लीजिए आप का मैथ्स शुरू से कमजोर है, और आप बिल्कुल बेसिक गलतियां करते हैं। तब शायद यह भरपाई 2 या 3 महीने की कोचिंग में ना हो पाए किन्तु अधिक समय जैसे 1 वर्ष (वह भी स्पेशली बेसिक मैथ्स की कोचिंग करने पर) यह समस्या हल हो सकती है। इसी प्रकार पहले से वीक इंग्लिश को ठीक करने के लिए भी टाइम लगता है। तो गलती कहां हुई? अपनी वीकनेस को समझने में।

D) एक और पक्ष: कुछ स्टूडेंट्स कोचिंग क्लासेज के साथ सफलता के लिए आवश्यक परिश्रम, अनुशासन इत्यादि भी नहीं कर पाते।

तो सबसे पहले ईमानदारी से अपना मूल्यांकन करें, फिर धीरे-धीरे अपने विकास के लिए आवश्यक कदम उठाना शुरू करें।

2) कोचिंग क्लासेस में नियमित नहीं रहना: यदि आप कुछ सीखने के लिए कोचिंग ज्वाइन करते हैं, और वहां नियमित नहीं रहने वाले हैं तो बेहतर है कि आप ना करें।

A) सभी विषयों में, टॉपिक्स और कॉन्सेप्ट्स एक दूसरे पर डिपेंड करते हैं। यदि आपने बीच की कुछ क्लासेज मिस कर दी हैं, तो आगे के टॉपिक्स समझना मुश्किल हो जाता है।

B) हालांकि आजकल मिस्ड क्लासेज की रिकॉर्डिंग प्रदान करने की सुविधा है, फिर भी यह पूरे कोर्स के दौरान एक या दो क्लास तक ही ठीक है, बहुत अधिक ऐसा होने से भी पूरी तैयारी फ्रेगमेंट अर्थात टुकड़ों में बंट जाती है।

C) कोचिंग क्लासेज में नियमित ना होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे, कॉलेज या स्कूल की पढ़ाई या एक्टिविटीज, जॉब या किसी टाइम स्लॉट का सूट न होना। क्लासेज स्टूडेंट्स की इन सभी समस्याओं को समझती है और उस अनुसार सॉल्यूशन भी देती है।

D) उदाहरण के लिए, स्कूल या कॉलेज में एक्टिविटी या एग्जाम होने पर पूरे बैच को या बैच के कुछ स्टूडेंट्स को कुछ दिनों का ब्रेक दिया जाता है, जॉब्स वाले स्टूडेंट्स के लिए वीकेंड क्लासेस आयोजित की जाती है इत्यादि।

तो आप जिस भी कारण से कोचिंग में अनियमित है इसकी कोचिंग मैनेजमेंट से चर्चा करें, अधिकतर आप को उसका कुछ न कुछ समाधान अवश्य मिलेगा।

3) कोचिंग के संसाधनों का पूर्ण उपयोग न करना: आप में क्षमता भी है, आपके बेसिक्स भी अच्छे हैं, आप क्लासेज में नियमित भी है, लेकिन आपने कोचिंग क्लासेज की मॉक टेस्ट सीरीज के आधे टेस्ट और उनके एनालिसिस मिस कर दिए, डाउट क्लियरिंग सेशन अटेंड ही नहीं किए, होम-वर्क प्रैक्टिस मटेरियल पूरा साल्व ही नहीं किया।

A) आजकल, अधिकतर कोचिंग क्लासेस बार-बार फॉलोअप लेकर आप को यह सब करने के लिए इंसिस्ट करती रहती हैं, लेकिन यदि उसके बाद भी आप इन संसाधनों का उपयोग नहीं करते हैं तो यह आप की गलती है, जिसका नतीजा आपको परीक्षा में असफलता के रूप में देखना पड़ सकता है।

B) यदि आपने एक अच्छा कोचिंग क्लास ज्वाइन किया है, जो वर्षों से रिजल्ट दे रहा हैं तो वहां का पूरा सिस्टम (स्टडी मटेरियल, मॉक टेस्ट, फैकल्टी इत्यादि) उस परीक्षा का स्पेशलिस्ट है, इसका लाभ उठाएं।

4) कोचिंग क्लासेज में फीस जमा करने के बाद एक ग्राहक की तरह सोचना: यह सबसे गंभीर और एटीट्यूड से जुड़ी समस्या है।

A) कई स्टूडेंट्स फीस देने के बाद अपने आपको कोचिंग क्लास का ग्राहक और कोचिंग स्टाफ को सर्विस प्रोवाइडर की तरह का एटीट्यूड बना लेते हैं।

B) अगर स्टूडेंट की सोच ऐसा है, तो फिर वह सतही चींजों जैसे एसी क्यों चालू नहीं था, पानी ठंडा नहीं था, क्लास में फेकल्टी ने होमवर्क पूरा नहीं करने पर क्यों डांटा आदि में फंस कर रह जाते हैं। बड़ा गोल गया डस्टबिन में!

C) किसी और क्षेत्र में यह एटीट्यूड ठीक है लेकिन एजुकेशन के क्षेत्र में यह आप का बहुत नुकसान करता है।

D) कोचिंग क्लासेस को तो अधिक से अधिक सर्विस प्रोवाइड करने में खुशी ही होती है लेकिन यह आप को 'स्पून फीडर' (चम्मच से खाना खिलाता है) बना देता है।

आपकी बेहतरी इसमें है कि आप कोचिंग स्टाफ से अपने रिलेशन को टीचर- स्टूडेंट का बनाएं ना कि ग्राहक-सर्विस प्रोवाइडर का।

यहां मैं आपको एक मनोवैज्ञानिक राज बताता हूं: एक विनम्र स्टूडेंट को टीचर अपने बरसों की तपस्या से बनाए ज्ञान के खजाने से चार बातें ज्यादा ही सिखाता है, वर्ना केवल एजेंडा पूरा करना तो सबसे आसान है।

तो आज का करिअर फंडा है कि अपनी कोचिंग क्लास से बेस्ट निकाल पाना आप पर ही निर्भर करता है और अपने एटीट्यूड को पॉजिटिव रखकर आप बहुत बेहतर कर सकेंगे।

कर के दिखाएंगे!

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