इन दिनों हमारे यहां वतन-परस्ती का सैलाब आया हुआ है। T-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान से भारत की हार के बाद एक देशप्रेमी ट्विटर यूजर ने विराट कोहली से अनुष्का शर्मा को तलाक देने की गुहार लगाई। इस भोले यूजर को यकीन है कि अनुष्का टीम इंडिया के कैप्टन के लिए बदकिस्मत हैं और उनके आने के बाद से ही विराट की परफॉर्मेंस खराब होती चली गई। आखिर में उसने देश के लिए अनुष्का को छोड़ देने की अपील की। गौर करें, पत्नी को छोड़ना- ऐसे जैसे कोई शराब या चोरी-चकारी छोड़ता हो। और छोड़ना भी किसलिए- क्योंकि उनकी नजर में पत्नी पति के लिए 'बदकिस्मत' है।
ट्रोलर्स अनुष्का को पनौती कहते हुए विराट से चिरौरी कर रहे थे कि उन्हें अपनी नहीं, तो देश की भलाई के लिए ही सही, अनुष्का को तलाक दे देना चाहिए। कम लोग ही होंगे, जिन्होंने टीम को उसकी परफॉर्मेंस के लिए लताड़ा। सबके लिए अनुष्का झक काली बिल्ली बनी हुई थीं, जिनके रास्ते काटते ही टीम हार गई।
ये पहली दफा नहीं, जब पत्नी की काल्पनिक बदकिस्मती, पति के हुनर पर भारी पड़ी। टेनिस-प्रेमियों के लिए गोरन इवानीसविच नाम कुछ अनजाना नहीं। इस क्रोशियाई टेनिस कोच को एक वक्त पर टेनिस का जादूगर भी माना जाता रहा, लेकिन जहां जादू है, वहां किस्मत भी है। इवानीसविच को जादू-टोने, किस्मत-बदकिस्मती पर यकीन था। यही वजह है कि हमेशा साथ फिरने वाली उनकी प्रेमिका विंबलडन के समय गायब रहीं।
बड़ी-बड़ी आंखों और सुतवां नाक वाली उनकी प्रेमिका तेतजाना ड्रेगोविक ने काफी बाद में राज खोला- मैं गोरन को खेलते नहीं देखना चाहती क्योंकि वो मानते हैं कि औरतें उनके लिए बुरी किस्मत लाती हैं। मैं उनकी बुरी किस्मत की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहती थी।
दरवाजे पर निकल पड़ी छींक की तरह औरतों के अपशुगनी होने की शुरुआत सैकड़ों साल पहले हो चुकी थी। तब व्यापार के लिए लोग एक से दूसरे देश जाया करते। बड़े-बड़े जहाजों में कभी रेशम होता, कभी शानदार मसाले। जहाज महीनों तक समुद्र में डोलने के बाद किनारे लगते। जाहिर है, इसके लिए तैयारियां भी युद्धस्तर पर होतीं। खाने के विशाल कनस्तर रखे जाते। समुद्री डाकू हमला बोल दें तो उनसे निपटने के इंतजाम भी होते। दवाएं रखी जातीं। मन बहलाने के लिए कम उम्र के लड़के भी रखे जाते। यहां तक कि कुत्ते-बिल्ली भी होते। बस, नहीं होती थीं तो औरतें।
माना जाता था कि औरत अगर जहाज पर बैठ जाए तो समुद्र देवता नाराज होकर हाहाकार मचा देते हैं। तो जहाज पर हर चीज होती, सिवाय औरतें के। यहां तक कि बीवियां अपने शौहरों को विदा कहने को बंदरगाह भी नहीं आ सकती थीं। उनके दर्शन मात्र से समुद्र पर गुस्से की झक सवार हो जाती और वो जहाज को चट्टानों से पटककर खत्म कर देता था।
कब और किस जहाज ने औरतों को बदकिस्मत बनाया, इसकी जानकारी कहीं नहीं मिलती। शायद रोम से हिंदुस्तान को बढ़ता कोई जहाज किसी रात तूफान में घिर गया हो, शायद उस जहाज पर कप्तान की कोई प्रेमिका या फिर दिल-बहलाने को औरतों की पूरी टोली रखी गई हो। शायद उस बदकिस्मत रात ने औरतों पर खराब किस्मतवालियों का ठप्पा लगा दिया। इसके बाद पुरुष कभी व्यापार तो कभी खोज के लिए समंदर-समंदर नापते रहे, और उनकी उदास बीवियां घर पर इंतजार करती रहीं।
बदकिस्मती की ये छाप औरतों के माथे पर गहराती ही चली गई। सोलहवीं से लेकर सत्रहवीं सदी के बीच स्कॉटलैंड में हजारों औरतों को डायन बताकर जेल में डाल दिया गया। उनकी गलती ये थी कि वे उस खेत के बगल में रहती थीं, जो लहलहा नहीं सकी, या फिर उस बच्चे की पड़ोसन थीं, जो हैजे से मर गया। सूखे खेत और मरे हुए बच्चे ने औरतों को शापित बना दिया।
माना गया कि वो डायनें हैं जो रात में बैठकर जंतर-मंतर करती और दूध देती गायों को भी बंजर बना देती हैं। पटापट औरतों को जेल में डाला जाने लगा। इसे सटानिक पैनिक (Satanic panic) कहा गया। ब्रिटिश किंग जेम्स 6 ने ऐसी भयानक इरादों वाली औरतों को जला देने का हुक्म दिया। उसने कहा कि दफनाने से वे मिट्टी को बंजर बना सकती हैं, समंदर में फेंकने से पानी जहर बन जाएगा और जेल में डालने पर भी वे अपनी बदकिस्मती से राज्य को तहस-नहस कर देंगी। लिहाजा उन्हें जलाना ही इकलौता इलाज है।
फिर तो औरतें ऐसे जलने लगीं, जैसे जलाऊ लकड़ियां जलाई जाती हैं। साल 1597 में सैकड़ों औरतों को जला दिया गया। वे भी जो कामयाब थीं और वे भी जिनके पति या प्रेमी नाकामयाब थे। वे भी नहीं छूटीं जो अकेली और खुद्दार थीं।
मार्गरेट बर्जेस ऐसी ही एक कामयाब महिला थी। स्कॉटलैंड में उनका लंबा-चौड़ा बिजनेस था। गहरे सुनहरे बालों वाली मार्गरेट को साल 1629 में मार दिया गया, क्योंकि उनके पैरों पर शैतान का निशान था। इस निशान की गवाही उन्हीं के एक नाबालिक नौकर ने दी थी, जो छिप-छिपकर मार्गरेट को नहाते देखा था। ऐसी खतरनाक औरत का छुट्टा घूमना ठीक नहीं था, तो उसे पकड़कर मार दिया गया। आज भी स्कॉटलैंड के एडिनबरा में मार्गरेट समेत सैकड़ों डायनों की यादें हैं, जिन्हें देखने के लिए दूर-दूर से विदेशी सैलानी आते हैं। उनके आगे नीले ऑर्किड और लाल गुलाब के गुलदस्ते सजाए जाते हैं।
स्कॉटलैंड भले ही भारत से 7 हजार किलोमीटर दूर है, लेकिन औरतों के मामले में दोनों ही हमखयाल हैं। हमारे यहां अब भी हर साल कई सैकड़ा औरतों के पैरों पर शैतानी निशान दिख जाता है। बस, फर्क ये है कि वहां इस निशान की गवाही मालकिन के नाबालिक नौकर ने दी थी, और हमारे यहां इसकी गवाही तरक्कीपसंद लोग देते हैं। वे ट्रोल करके कभी अनुष्का को बदकिस्मत बताते हैं तो कभी शमी की पत्नी को।
शायद कुछ सैकड़ा साल बाद हम बदकिस्मत औरतों की भी एक यादगार तैयार हो, जहां लोग लाल गुलाब या चंपा के फूल सजाएं। या फिर एक रास्ता ये भी हो सकता है कि बदकिस्मत औरतें बोलना शुरू कर दें। वे मर्दाना नाकामयाबी का ठीकरा अपने सिर लेने से इनकार कर दें। फिर चाहे वो अनुष्का हों या कोई आम लड़की।
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