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आज की पॉजिटिव खबर:IIT से पढ़े बिहार के विकास ने बिना बिजली-फ्यूल के चलने वाली ऐसी मशीन बनाई, जिसमें पूरे हफ्ते ताजा रहेंगी सब्जियां, कंपनी का टर्नओवर 2 करोड़

नई दिल्ली2 वर्ष पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र
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किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने प्रोडक्ट को सुरक्षित रखना होता है। खास कर के हरी सब्जियां और फल। ये बहुत जल्द खराब हो जाते हैं। ज्यादातर किसानों के पास अपने प्रोडक्ट को सुरक्षित स्टोर करने की जगह नहीं होती है। इस वजह से उन्हें अपने प्रोडक्ट औने-पौने दामों पर बेचना पड़ता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए बिहार के मधुबनी जिले में रहने वाले विकास झा ने एक पहल की है। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक ऐसा सब्जी कूलर तैयार किया है, जो बिना इलेक्ट्रिक और फ्यूल के हफ्ते के सातों दिन हरी सब्जियों और फलों को सुरक्षित रख सकता है। इससे किसानों को अच्छा-खासा फायदा हो रहा है। पिछले दो सालों से विकास देशभर में इसकी मार्केटिंग कर रहे हैं। फिलहाल उनकी कंपनी का टर्नओवर 2 करोड़ रुपए है।

बचपन में ही तय कर लिया था कि किसानों के लिए कुछ करना है

विकास ने सबसे 2016 में ट्रेडल पंप तैयार किया था। यह पंप बिना किसी फ्यूल के चलता है।
विकास ने सबसे 2016 में ट्रेडल पंप तैयार किया था। यह पंप बिना किसी फ्यूल के चलता है।

विकास झा एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर 2016 में IIT मुंबई से मास्टर्स की डिग्री हासिल की। विकास बताते हैं कि घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। थोड़ी-बहुत जमीन थी, जिस पर पिता जी खेती करते थे, लेकिन इससे परिवार का खर्च नहीं चलता था। मेरी पढ़ाई के लिए भैया को 12वीं के बाद ही नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ा। तभी से मैंने तय कर लिया था कि आगे चलकर मैं किसानों के लिए कुछ करूंगा जिससे उनकी लाइफ बेहतर हो। इसीलिए इंजीनियरिंग के लिए मैंने एग्रीकल्चर सब्जेक्ट को चुना।

पढ़ाई के दौरान ही तैयार की बिना इलेक्ट्रिक और फ्यूल के चलने वाली सिंचाई मशीन

विकास बताते हैं कि हमने अपने प्रोडक्ट को इस तरह से डिजाइन किया है कि महिलाओं को भी इसे हैंडल करने में दिक्कत नहीं होगी। तस्वीर में दिख रही महिला ट्रेडल पंप चला रही है।
विकास बताते हैं कि हमने अपने प्रोडक्ट को इस तरह से डिजाइन किया है कि महिलाओं को भी इसे हैंडल करने में दिक्कत नहीं होगी। तस्वीर में दिख रही महिला ट्रेडल पंप चला रही है।

विकास कहते हैं कि IIT में पढ़ाई के दौरान ही मैंने खेती से जुड़े इनोवेटिव प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया था। मेरे प्रोफेसर सतीश अग्निहोत्री मुझे गाइड करते थे, उनका टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अच्छा-खासा अनुभव था। अलग-अलग राज्यों में जाकर हम किसानों से मिलते थे। उनकी दिक्कतों को समझते थे। इस दौरान हमें एक चीज समझ में आई कि किसानों को खेती के लिए लागत ज्यादा लग रही है जबकि मुनाफा कम हो रहा है। उनके ज्यादातर पैसे सिंचाई और खाद में खर्च हो जा रहे हैं।

इस परेशानी को दूर करने के लिए हमने 2016 में एक ट्रेडल पंप तैयार किया। यह पंप बिना इलेक्ट्रिक और फ्यूल के चलता है। इसे पैरों की मदद से चलाकर किसान तालाब या कुएं से अपनी फसल की सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था कर सकता है। इसके लिए IIT की तरफ से हमें फंड मिला था।

विकास और उनके साथियों ने अपनी इस मुहिम से ऐसी कई महिलाओं को जोड़ा है, जिनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं था।
विकास और उनके साथियों ने अपनी इस मुहिम से ऐसी कई महिलाओं को जोड़ा है, जिनके पास आमदनी का कोई जरिया नहीं था।

इस मशीन को तैयार करने और किसानों के बीच बांटने के बाद हमारे सामने एक नई मुसीबत आ गई। जब हमने गांवों का दौरा किया तो पता चला कि किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था तो हो गई, लेकिन उनके उत्पाद जंगली जानवर नष्ट कर दे रहे हैं। इससे उन्हें काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है। इस परेशानी को दूर करने के लिए हमने प्लान करना शुरू किया और जल्द ही एक पीक रक्षक मशीन तैयार की। यह सोलर की मदद से चलता है और अलग-अलग तरह की आवाज निकालता है, जिसकी वजह से जानवर खेत में नहीं आते हैं। इस मशीन का भी हमें किसानों से काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिला। कई राज्यों में हमारे प्रोडक्ट बिके।

किसानों के लिए प्रोडक्शन से ज्यादा स्टोरेज की समस्या थी

विकास के साथ काम करने वाले रिषभ बताते हैं कि अभी तक 300 से ज्यादा सब्जी कूलर हम किसानों के यहां इंस्टॉल कर चुके हैं।
विकास के साथ काम करने वाले रिषभ बताते हैं कि अभी तक 300 से ज्यादा सब्जी कूलर हम किसानों के यहां इंस्टॉल कर चुके हैं।

विकास बताते हैं कि किसानों के लिए हमने ट्रेडल पंप और पीक रक्षक की व्यवस्था तो कर दी, उनका प्रोडक्शन भी बढ़ गया, लेकिन उनकी आमदनी उतनी नहीं बढ़ी, जितना हम सोच रहे थे। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह थी कि उन्हें मार्केट में सही रेट नहीं मिलने के अभाव में अपने प्रोडक्ट को कम कीमत पर बेचना पड़ता था। किसानों के लिए यह बड़ी समस्या थी। खास कर के उन किसानों के लिए जो फल और सब्जियों की खेती करते थे। स्टोरेज की सुविधा नहीं होने की वजह से उनके प्रोडक्ट जल्द ही खराब हो जा रहे थे। इसलिए किसान अपने प्रोडक्ट को मार्केट से वापस घर लाने की बजाय कम कीमत पर ही बेच देते थे।

इस परेशानी को दूर करने के लिए हमने काफी रिसर्च और स्टडी की। तब हमारे पास ठीक-ठाक बजट हो गया था। IIT मुंबई की तरफ से भी हमें 7 लाख रुपए का फंड मिला था। इसके बाद हमने साल 2019 में हमने एक सब्जी कूलर मशीन तैयार की। यह मशीन बिना इलेक्ट्रिक और फ्यूल के काम करती है और 6 से 7 दिनों तक सब्जियों को और करीब 10 दिनों तक फलों को सुरक्षित रखती है। इसे चलाने के लिए 24 घंटे में सिर्फ 20 लीटर पानी की जरूरत होती है। इसमें एक बार में 100 किलो प्रोडक्ट रखा जा सकता है। इसकी कीमत करीब 50 हजार रुपए तक होती है।

साल 2019 में लॉन्च किया स्टार्टअप, देशभर में मार्केटिंग

इस सब्जी कूलर में हरी सब्जियां 7 दिनों तक ताजी रह सकती हैं। जबकि फल करीब 10 दिनों तक खराब नहीं होंगे।
इस सब्जी कूलर में हरी सब्जियां 7 दिनों तक ताजी रह सकती हैं। जबकि फल करीब 10 दिनों तक खराब नहीं होंगे।

विकास कहते हैं कि इस प्रोडक्ट को तैयार करने के बाद किसान काफी खुश हुए। हम जहां भी जाते थे, हमारे प्रोडक्ट की काफी डिमांड होती थी। इसके बाद हमने 2019 में RuKart नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। इसके बाद हमने इसकी मार्केटिंग पर फोकस किया। हमने अलग-अलग राज्यों में जाकर किसानों को अपने प्रोडक्ट के बारे में जानकारी दी और उन्हें इसकी अहमियत बताई। धीरे-धीरे किसानों के बीच हमारा प्रोडक्ट पॉपुलर हो गया और इसकी डिमांड बढ़ गई।

फिर हमने अलग-अलग राज्यों में अपने डीलर्स रखने शुरू किए। जो हमारे प्रोडक्ट को किसानों तक पहुंचाते हैं। इसके साथ ही ऑनलाइन लेवल पर हम अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया के माध्यम से मार्केटिंग करते हैं। इसके लिए हमने कई कूरियर कंपनियों से टाइअप किया है। जो देश में कहीं भी किसानों के पास 10-15 दिन के भीतर मशीन पहुंचा देते हैं। अब तक हम लोग 300 से ज्यादा सब्जी कूलर मशीन देशभर में इंस्टॉल कर चुके हैं। इसी तरह एक हजार से ज्यादा हमने पीक रक्षक मशीन की मार्केटिंग की है।

फिलहाल विकास के साथ कोर टीम में 35 से 40 लोग काम करते हैं। जबकि 300 से ज्यादा लोग उनकी कंपनी के जरिए रोजगार से जुड़े हैं। इसमें 100 से ज्यादा महिलाएं भी शामिल हैं।

विकास की टीम ने हाल ही में सब्जी कूलर का नया मॉडल लॉन्च किया है। इसे कहीं इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं है। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है।
विकास की टीम ने हाल ही में सब्जी कूलर का नया मॉडल लॉन्च किया है। इसे कहीं इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं है। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है।

कैसे काम करती है यह मशीन?

विकास की कोर टीम में काम कर रहे ऋषभ बताते हैं कि फिलहाल हमारे पास दो तरह की मशीन है। पहली मशीन सीमेंटेड मॉडल बेस्ड है जबकि दूसरी मशीन प्लग एंड प्ले मॉडल पर बनी है। सीमेंटेड मॉडल को इंस्टॉल करने के लिए हम ऐसी जगह का चयन करते हैं जो हवादार हो और जहां धूप नहीं आती हो। इसके लिए हम स्क्वायर शेप में एक सीमेंट की वॉल तैयार करते हैं। जिसके अंदर इंसुलेटर मटेरियल और नाइट्रोजन बॉल लगा होता है। इसके अंदर पानी के लिए चारों तरफ स्पेस बना होता है। जबकि दूसरी मशीन के लिए सीमेंट की वॉल बनाने की जरूरत नहीं है, वह पहले से ही पूरी तरह तैयार होती है। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से ले जाया जा सकता है।

काम करने की प्रोसेस को लेकर वे कहते हैं कि सबसे पहले बॉक्स के अंदर सब्जी रख दी जाती है। इसके बाद उसमें पानी भर दिया जाता है। यह कूलर इवैपोरेशन टेक्नोलॉजी पर काम करता है। यह बाहर की गर्मी को अंदर आने से रोकता है और अंदर की सब्जी की गर्मी को बाहर पहुंचाता है। जिससे सब्जी का जरूरी तापमान मेंटेन रहता है। इस प्रोसेस में हर दिन 20 लीटर पानी की खपत होती है।

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