'बंगाल में 38 विधायकों के साथ हमारे अच्छे रिश्ते हैं...21 तो हमारे सीधे संपर्क में हैं...अभी म्यूजिक लॉन्च है..फिल्म की धमाकेदार रिलीज तो बाकी है।'
27 जुलाई को यह बात BJP नेता मिथुन चक्रवर्ती ने कोलकाता में कही थी। इसके बाद से कयास लगाए जाने लगे कि क्या BJP बंगाल में भी महाराष्ट्र जैसा खेला करने की तैयारी में है।
हमने मिथुन के बयान के बाद बंगाल में BJP की जमीनी हकीकत जानी तो सच्चाई कुछ और ही निकली। 2021 के विधानसभा चुनाव में बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से BJP ने 77 पर जीत दर्ज की थी।
नतीजों के बाद 77 में से 2 विधायक निशिथ प्रमाणिक और जगन्नाथ सरकार ने इस्तीफा दे दिया था। ये दोनों BJP से ही सांसद हैं। पार्टी ने इन्हें विधानसभा चुनाव लड़वाया था। जीत के बाद इन्होंने विधायकी छोड़कर संसद में रहने का निर्णय लिया।
इससे BJP के विधायकों की संख्या 75 हो गई। अब यह संख्या 69 पर आ चुकी है। 6 विधायक BJP छोड़कर TMC में जा चुके हैं। BJP के 18 में से 2 सांसद भी TMC में शामिल हो चुके हैं।
जबकि नतीजों के बाद TMC का एक भी विधायक-सांसद या बड़ा नेता BJP में शामिल नहीं हुआ। जो भी शामिल हुए थे, सब चुनाव के पहले ही शामिल हुए थे।
BJP में आना चाहते हैं ये नहीं बोला…
मिथुन चक्रवर्ती के बयान में कितनी सच्चाई है इस बात का अंदाजा BJP के ही बंगाल के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी के बयान से लगाया जा सकता है। जब शुभेंदु से मिथुन के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में मिथुन ही बता पाएंगे।'
BJP बंगाल के मुख्य प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि, 'मिथुन ने ये नहीं बोला कि TMC के विधायक बीजेपी में आना चाहते हैं। उन्होंने तो ये कहा कि TMC के विधायक संपर्क में हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है। मिथुन पहले TMC में ही थे इसलिए कई विधायकों के संपर्क में तो हैं।'
BJP से ही डरे हुए हैं विधायक
कृष्ण कल्याणी रायगंज विधानसभा से BJP के टिकट पर चुनाव जीते थे। 27 अक्टूबर 2021 को वे BJP छोड़कर TMC में शामिल हो गए। पिछले महीने उन्हें लोक लेखा समिति का चेयरमैन बनाया गया।
राय की ताजपोशी होते ही उनकी कंपनी कल्याणी सॉल्वेक्स प्राइवेट लिमिटेड को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत नोटिस भेजा गया है।
सवालों की लंबी फेहरिस्त उन्हें भेजी गई है। पार्थ चटर्जी के बाद वे TMC के ऐसे दूसरे नेता हैं, जिन पर ED ने शिकंजा कसा है।
बंगाल की राजनीति में गहरी पकड़ रखने वाले स्निग्धेंदु भट्टाचार्य कहते हैं कि, ‘ED के कारण BJP के विधायक अपनी ही पार्टी से डरे हुए हैं। कई TMC में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन वे ये बात जानते हैं कि पार्टी छोड़ते ही ED का डंडा उनके ऊपर चलेगा। इस कारण वे पार्टी छोड़ नहीं पा रहे।’
वहीं कुछ विधायक ऐसे भी हैं जो BJP में होते हुए भी TMC के फेवर में ही काम कर रहे हैं। आपसी बातचीत से गठबंधन कर लिया गया है, क्योंकि बंगाल में सत्तापक्ष से लड़ना बेहद मुश्किल है।
या तो दिल्ली का सामना करो या TMC का
भट्टाचार्य कहते हैं, ‘BJP ने कल्याणी के खिलाफ कार्रवाई करके बाकी विधायकों को साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी छोड़ी तो कार्रवाई होगी। BJP के लिए अपने जीते हुए विधायकों को बचाकर रखना चुनौती साबित होता जा रहा है।’
‘जो विधायक BJP नहीं छोड़ रहे उन्हें TMC का सामना करना पड़ रहा है। अब बंगाल में दो इक्वेशन हैं। पहला, जिन्हें ऐसा लग रहा है कि TMC के बजाय दिल्ली का सामना करना आसान है, वो BJP छोड़ रहे हैं।
दूसरी, जिन्हें ये लग रहा है कि दिल्ली से डर ज्यादा है, वो BJP में बने हुए हैं। ममता सरकार भी CID के जरिए BJP विधायकों पर अलग-अलग मामलों में शिकंजा कस रही है।’
CID अभी BJP विधायक नीलाद्री शेखर दाना की बेटी से पूछताछ कर रही है। आरोप हैं कि विधायक ने अपने प्रभाव से बेटी को कल्याणी एम्स में नौकरी दिलवाई।
परिवार बचाने के लिए पार्टी छोड़ी
6 विधायकों के पार्टी छोड़ने पर BJP प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य कहते हैं, ‘कुछ ने डर के कारण पार्टी छोड़ी। कुछ ने परिवार को बचाने के लिए ऐसा किया। कुछ को सत्तापक्ष का साथ ही रास आ रहा था इसलिए छोड़ गए।’
ED की कार्रवाई पर कहते हैं, ‘ऐसा कुछ नहीं है कि जो पार्टी छोड़ रहा है उस पर कार्रवाई की जा रही है। TMC ने BJP से गए विधायक को लोकलेखा समिति का अध्यक्ष बना दिया, जबकि यह पद विपक्ष के नेता को मिलता है।'
'आधिकारिक तौर पर कह दिया कि वो BJP से ही विधायक हैं। ये सब कुछ जनता देख रही है।’
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