8 मार्च को होली के साथ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस भी मनाया गया। इस बार संयुक्त राष्ट्र की तरफ से थीम थी...DigitALL: Innovation and technology for gender equality.
हमने डिजिटल दुनिया के सबसे चर्चित इनोवेशन ChatGPT से जानने की कोशिश कि आखिर AI का सबसे बड़ा शाहकार खुद इस फील्ड में महिला अधिकारों के बारे में क्या सोचता है?
ChatGPT यानी एक ऐसा चैटबॉट जो AI की मदद से आपके सभी सवालों का जवाब देने का दावा करता है।
हमने ChatGPT से सवाल पूछे…जवाब चौंकाने वाले हैं।
अगर आप ये मानते हैं कि तकनीकी तरक्की ही दुनिया को आगे ले जा रही है तो ये भी जानिए कि इस तरक्की में महिलाओं की भूमिका और उनकी स्थिति बहुत खराब है।
दुनियाभर में AI पर काम कर रहे लोगों में सिर्फ 22% महिलाएं हैं। फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बिगटेक कंपनियों में ये हिस्सेदारी और भी कम है।
खुद ChatGPT की वॉर्निंग है…अगर AI रिसर्च और उनके अल्गोरिदम डेटा में महिलाओं की हिस्सेदारी नहीं बढ़ाई तो AI भी शायद महिलाओं को उसी नजर से देखे और समझे जैसे कोई रूढ़िवादी पुरुष देखता है।
इसका असर…दुनिया में हर फील्ड में ऑटोमेशन और ऑटोमेशन में AI का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे आगे जाकर ये हालत भी हो सकती है कि रिक्रूटमेंट से इलाज तक हर जगह AI महिलाओं से भेदभाव करे।
जानिए, क्या है ChatGPT के चौंकाने वाले जवाब और क्यों ये वॉर्निंग महिला समानता के पैरोकारों को गंभीरता से लेनी चाहिए।
पहले जानिए, ChatGPT ने हमारे सवालों का क्या जवाब दिया
हमने ChatGPT से 3 सवाल पूछे। इन ग्राफिक्स में देखिए, उसके जवाबों का हिंदी अनुवाद…
ChatGPT की सलाह…बढ़ाओ महिलाओं की AI में भागीदारी
दुनिया के सबसे एडवांस्ड AI चैटबॉट की सलाह है कि महिलाओं की भागीदारी AI रिसर्च में बढ़ाई जाए। ऐसा करके ही AI को जेंडर समानता के बारे में समझाया जा सकता है।
अभी दुनिया में कई संस्थाएं ऐसी हैं जो महिलाओं को इस फील्ड में आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। कई संस्थाएं लड़कियों के विशेष स्कॉलरशिप प्रोग्राम्स भी चला रही हैं।
ChatGPT का कहना है कि अल्गोरिदम्स और डेटा सेट्स में महिलाओं का नजरिया तभी शामिल होगा जब रिसर्च और डेवलपमेंट में उनकी भागीदारी बढ़ेगी।
UN का मानना है…44% AI सिस्टम कर रहे हैं महिलाओं से भेदभाव
ChatGPT की वॉर्निंग दरअसल सही भी साबित होने लगी है। 2023 के महिला दिवस के लिए थीम तय करते समय UN Women की ओर से किया गया अध्ययन यही बताता है।
इस अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर की विभिन्न कंपनियों में AI रिसर्च पर काम कर रहे स्टाफ में महिलाएं सिर्फ 22% हैं।
यही नहीं, दुनिया के 133 AI बेस्ड सिस्टम्स का एक एनालिसिस बताता है कि इनमें से 44.2% सिस्टम्म महिलाओं के साथ भेदभाव करते हैं।
UN का मानना है कि ये स्थिति तभी सुधरेगी जब STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमैटिक्स की फील्ड में महिलाओं की संख्या बढ़ेगी।
भारत में STEM ग्रेजुएट्स में 43% लड़कियां…मगर रिसर्च और डेवलपमेंट में सिर्फ 14%
भारत में STEM फील्ड्स में ग्रेजुएशन के स्तर पर लड़कियों की संख्या अच्छी है। वर्ल्ड बैंक की 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में STEM ग्रेजुएट्स में से 43% लड़कियां होती हैं।
ये संख्या अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस जैसे विकसित देशों के मुकाबले भी काफी बेहतर है। अमेरिका में STEM ग्रेजुएट्स में लड़कियां 34% हैं।
UK में ये आंकड़ा 38%, जर्मनी में 27% और फ्रांस में 32% है। लेकिन ग्रेजुएशन से आगे रिसर्च के स्तर पर भारत में लड़कियों की संख्या कम हो जाती है।
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में STEM से जुड़े रिसर्च और डेवलपमेंट के काम में लड़कियां सिर्फ 14% हैं।
हम होममेकर्स का GDP में योगदान तो माप रहे हैं…मगर तकनीक में उनका रिप्रेजेंटेशन नहीं बढ़ रहा
SBI ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक भारत में होममेकर्स यानी गृहणियों का GDP में योगदान 22.7 लाख करोड़ का है। यह GDP का 7.5% है।
GDP में गृहणियों का योगदान मापना एक अच्छा कदम है। लेकिन देश में लैंगिक समानता पूरी तरह लाने के लिए तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं को आगे बढ़ाना जरूरी है।
लेकिन अभी इस मामले में भारत काफी पीछे दिखता है। स्टार्ट-अप्स के लिए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इको-सिस्टम होने के बावजूद भारत के यूनिकॉर्न्स (100 करोड़ डॉलर से ज्यादा वैल्युएशन वाले स्टार्ट-अप) में से सिर्फ 15% ऐसे हैं जिनके फाउंडर्स में महिलाएं हैं।
STEM से जुड़ी इंडस्ट्री में शीर्ष पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। भारत के टेक्नोलॉजी सेक्टर के वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी 20% से भी कम है।
ChatGPT की वॉर्निंग पर अगर हमने आज से ही गंभीरता से काम करना शुरू नहीं किया तो पहले ही रूढ़ियों में बंधे समाज का असर AI के सिस्टम्स पर भी आना तय है।
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