आज की खुद्दार कहानी में बात हरियाणा के कैथल जिले के रहने वाले ऋषभ सिंगला की। ऋषभ एक बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता अगरबत्ती बेचकर परिवार का खर्च निकालते हैं। ऋषभ को पिता की आर्थिक मजबूरी का एहसास था। इसलिए वे बचपन से ही कुछ न कुछ करना चाहते थे ताकि अपने पिता की मदद कर सकें, लेकिन वे तय नहीं कर पा रहे थे कि क्या किया जाए।
ऋषभ और उनकी फैमिली खाटू श्यामजी को मानती है। वे अक्सर राजस्थान के खाटू श्यामजी मंदिर जाते रहते थे। उसी दौरान ऋषभ के एक मित्र ने उन्हें चॉकलेट का प्रसाद बनाकर बेचने का आइडिया दिया। ऋषभ तब ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे। उन्हें यह आइडिया पसंद आया, क्योंकि खाटू श्यामजी को भारी मात्रा में प्रसाद चढ़ता है। ऐसे में प्रसाद के रूप में चॉकलेट लोगों के लिए नया भी होगा और उन्हें पसंद भी आएगा।
इसके बाद ऋषभ ने चॉकलेट के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। फिर पड़ोस में रहने वाली एक महिला से उन्होंने चॉकलेट बनाने की ट्रेनिंग ली और 2018 में 10 हजार रुपए की लागत से अपने घर के किचन से ही स्टार्टअप की शुरुआत की। आज ऋषभ हर महीने 6 हजार से ज्यादा चॉकलेट सेल करते हैं। सालाना 7 से 8 लाख रुपए उनकी कमाई हो जाती है। इतना ही नहीं, उन्होंने 8-10 लोगों को रोजगार भी दिया है।
आसान नहीं रहा ऋषभ का सफर
हालांकि ऋषभ का यह सफर आसान नहीं रहा है। उन्हें इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। छोटी-छोटी चीजों के लिए स्ट्रगल करना पड़ा है। ट्रेनिंग के लिए कई शहरों का दौरा करना पड़ा है। संसाधनों के अभाव में वे और उनकी मां दिन रात काम करते थे ताकि ज्यादा से ज्यादा ऑर्डर हासिल हो सकें। उनकी मां घर के काम के साथ-साथ चॉकलेट तैयार करने में भी ऋषभ की भरपूर मदद करती थीं।
ऋषभ कहते हैं कि शुरुआत में हम आर्थिक रूप से कमजोर थे। महंगी मशीनें खरीद नहीं सकते थे। इसलिए घर में कड़ाही और एक छोटे से ओवन से चॉकलेट तैयार थे। ज्यादा डिमांड आती तो उसी से बार-बार तैयार करते थे। ऐसे में वक्त भी ज्यादा लगता था और मेहनत भी, लेकिन हम मजबूर थे, हमारा इतना बजट नहीं था कि दो ढाई लाख की मशीनें खरीद सकें। वे कहते हैं कि मैं दिन में काम भी करता था और कॉलेज भी जाता था। कॉलेज से लौटने के बाद देर रात तक काम करता था।
मुंबई में ली चॉकलेट बनाने की प्रोफेशनल ट्रेनिंग
25 साल के ऋषभ कहते हैं कि शुरुआत में मैंने इंटरनेट के जरिए चॉकलेट बनाने के बारे में जानकारी ली। इसके बाद पड़ोस की एक आंटी से ट्रेनिंग ली, लेकिन प्रोफेशनल लेवल पर काम के लिए मुझे बेहतर ट्रेनिंग की तलाश थी। मैंने कई संस्थानों में पता किया लेकिन फीस अधिक होने के चलते खाली हाथ लौट आया। इसके बाद जैसे तैसे करके मुंबई में एक चॉकलेट मेकर्स उन्हें ट्रेनिंग देने के लिए राजी हो गया। वहां से लौटने के बाद ऋषभ ने कमर्शियल लेवल पर चॉकलेट का कारोबार शुरू किया। उन्होंने श्याम जी चॉकलेट्स नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर की है।
ऋषभ शुरुआत में नॉर्मल चॉकलेट तैयार करते थे। बाद में उन्होंने ऑर्गेनिक चॉकलेट बेचना शुरू कर दिया। अभी वे एक दर्जन से ज्यादा वैरायटी के चॉकलेट की बिक्री करते हैं। जिनमें नॉर्मल डार्क चॉकलेट, फाइबर चॉकलेट, चिया सीड चॉकलेट, अलसी चॉकलेट, ब्राह्मी चॉकलेट, लीची चॉकलेट, कोकोनट चॉकलेट, स्ट्रॉबेरी चॉकलेट आदि शामिल हैं। हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ट्रांसपोर्ट के जरिए उनकी चॉकलेट बड़ी बड़ी दुकानों और मार्केट तक पहुंचती है। इसके अलावा वे कुरियर के माध्यम से देशभर में चॉकलेट की डिलीवरी करते हैं। ऋषभ जल्द ही ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी लॉन्च करने वाले हैं।
कैसे तैयार करते हैं चॉकलेट?
वे बताते हैं कि सबसे पहले कोको बीन्स को भूना (रोस्ट) जाता है। फिर इनका छिलका निकाल लिया जाता है। इसके बाद इसे ग्राइंडर में पीसा जाता है। जिससे चॉकलेट का पेस्ट तैयार होता है। अलग-अलग चॉकलेट के लिए ग्राइंडिंग की प्रॉसेस और टाइमिंग अलग-अलग होती है। इसके बाद, पेस्ट में गुड़ का पाउडर मिलाया जाता है। ऋषभ इसमें चीनी का इस्तेमाल नहीं करते हैं और न ही किसी प्रकार के एडिटिव या प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल करते हैं। हर महीने वह लगभग 6000 चॉकलेट बार तैयार करते हैं। एक बार 50 ग्राम का होता है। वे बताते हैं कि हम केरल और कर्नाटक में कोको की खेती करने वाले किसानों से बीन्स खरीदते हैं।
मार्केटिंग के लिए क्या स्ट्रैटजी अपनाई?
ऋषभ कहते हैं कि शुरुआत में प्रसाद के रूप में लोग उनका चॉकलेट खरीदते थे, लेकिन जब उन्हें लगा कि वे चॉकलेट अच्छा तैयार कर रहे हैं और लोगों को पसंद भी आ रहा है तो उन्होंने आसपास की दुकानों में भी भेजना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शनी लगाकर मार्केटिंग शुरू कर दी। वे अपना स्टॉल लगाकर मार्केटिंग करने लगे। इसके साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया की भी मदद ली। वे अपने पेज पर चॉकलेट की तस्वीरें पोस्ट करने लगे। जिससे लोग देखने के बाद ऑर्डर करने लगे। कई लोग उनके वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़े हैं।
ऋषभ कहते हैं कि कोरोना और लॉकडाउन की वजह से उनका काम प्रभावित हुआ है। इस वक्त डिमांड कम हो गई है क्योंकि सप्लाई चेन प्रभावित हुआ है। फिर भी वे ट्रांसपोर्ट के जरिए अपने प्रोडक्ट की सप्लाई कर रहे हैं। वे कहते हैं कि धीरे-धीरे लोगों के बीच उनके प्रोडक्ट की लोकप्रियता बढ़ रही है। लोग ऑर्गेनिक की तरफ रुख कर रहे हैं, क्योंकि ये चॉकलेट हानिकारक नहीं होते हैं और हम इसमें कोई केमिकल भी नहीं मिलाते। यहां तक कि अंडा भी नहीं। इसलिए यह पूरी तरह शाकाहारी है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.