हम भारतीय लोग सड़क, बाजार, अस्पताल हर जगह भीड़ से होकर गुजरते हैं। ये हमें भले ही जनसंख्या के बल पर मजबूत होने का अहसास देती है, लेकिन अब यही भीड़ कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ी चुनौती बन गई है। ओमिक्रॉन को अब तक का सबसे तेजी से फैलने वाला वैरिएंट माना जा रहा है।
ऐसे में आपके शहर में एक किलोमीटर के दायरे में 7 हजार लोग रहते हैं तो वहां कोरोना किसी नदी के तेज बहाव की तरह फैल सकता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कोरोना भीड़ को जरिया बनाकर लोगों का शिकार करता है।
इसके खिलाफ लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग सबसे बड़ा हथियार है। सभी बड़े शहरों में कर्फ्यू के जरिए भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है, लेकिन क्या ये कोशिश कामयाब साबित हो रही है?
इस सवाल के जवाब को जानने के लिए हम जानते हैं कि भारत के 5 ज्यादा और कम भीड़-भाड़ वाले शहरों में कोरोना की स्थिति क्या है?
6 बड़े और भीड़-भाड़ वाले शहरों में संक्रमण की रफ्तार से पूरा मामला समझें
अमेरिकी इंजीनियर जोन फ्रुअन की रिसर्च के मुताबिक भीड़ सही समय पर नियंत्रित न हो तो यह किसी आपदा की वजह बन सकती है। इस रिसर्च की मुख्य बातों को समझते हैं-
जानिए आपके शहर में एक किलोमीटर के दायरे में कितने लोग रहते हैं- https://nriol.com/india-statistics/biggest-cities-india.asp
एक दिन में 5 शहरों से आए कोरोना के 28% मामले
भारत में सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ वाले पांच शहरों में मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकता और चेन्नई शामिल हैं। तीसरी लहर के दौरान देश में 11 जनवरी 2022 को कोरोना के 1.94 लाख केस सामने आए हैं। इनमें से करीब 56 हजार केस (करीब 28% संक्रमण के मामले) देश के 5 सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों में सामने आए हैं।
11 जनवरी (मंगलवार) को दिल्ली में 21,259 नए मामले मिले। यह इस दिन देश के कुल केस का 10% था। वहीं, मुंबई की बात करें तो रविवार को यहां 11,647 केस मिले। यह इस दिन देश भर में मिले केस का 6% था। मतलब ये कि सिर्फ दो भीड़-भाड़ वाले शहर से 16% कोरोना केस सामने आए। ऐसे में इन 5 शहर में रहने वाले लोग अब भी नहीं सतर्क हुए तो कोरोना और ज्यादा तबाही ला सकता है।
कपूरथला VS मुंबई से समझिए भीड़ में कोरोना ने कैसे मचाई तबाही
वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की 2017 की रिपोर्ट में मुंबई को ढाका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनघनत्व वाला शहर बताया है। मुंबई में एक किलोमीटर के दायरे में औसत 31.7 हजार लोग रहते हैं। इसी तरह दिल्ली में एक किलोमीटर के दायरे में औसत 11.31 हजार लोग रहते हैं।
अंतिम सेंसस के मुताबिक, कोलकता में 24 हजार, अहमदाबाद में 16 हजार, बेंगलुरु में करीब 17 हजार लोग प्रति वर्ग किलोमीटर के दायरे में रह रहे हैं। इन शहरों में भी कोरोना ने पहली और दूसरी लहर में जमकर कहर बरपाया है।
वहीं, कपूरथला भारत के सबसे कम जनघनत्व वाले शहरों में से एक है। जहां एक वर्ग किलोमीटर दायरे में औसतन 531 लोग रहते हैं। कम भीड़ होने के चलते कपूरथला में सिर्फ 0.04% कोरोना के मामले सामने आए। जबकि मुंबई में रहने वाले 6% से ज्यादा लोग सरकारी आंकड़े में संक्रमित हो चुके हैं।
भीड़ और कोरोना रोकने की सरकारी कोशिश कामयाब हो रही है?
रोजगार के बेहतर अवसरों व अच्छी शिक्षा के लिए प्रति मिनट 20 से 30 भारतीय शहर पहुंचते हैं, जिससे शहरों में भीड़ बढ़ रही है। देश की कुल जनसंख्या के 6% लोग 6 बड़े शहरों में रहते हैं।
यही वजह है कि इन शहरों में कम जगह में ज्यादा लोग रहने को मजबूर हैं, जबकि कोरोना से निपटने के लिए WHO की गाइडलाइन कहती है कि सोशल डिस्टेंसिंग के लिए दूसरे इंसान से 2 मीटर दूरी बनाए रखना जरूरी है। पहली और दूसरी लहर में हमने देखा कि भीड़ को सही समय पर नियंत्रित नहीं किया जाए तो महामारी को काबू करना नामुमकिन हो जाता है।
पहली और दूसरी लहर के दौरान बिना किसी मजबूत योजना के लॉकडाउन लगाया तो अचानक से प्रवासियों की भीड़ अपने घरों की तरफ लौटने लगी। किसी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन इस दौरान नहीं हुआ।
गलत मैनेजमेंट की वजह से भीड़ दे रही है संक्रमण को न्योता
कोरोना महामारी को फैलने में अक्सर जनसंख्या पर ठीकरा फोड़ा जाता है, जबकि इसमें प्रशासन की कमजोर व्यवस्था और बुनियादी सुविधाओं का अभाव भी अहम भूमिका निभाता है।
जानिए क्यों चीन में ज्यादा जनसंख्या होने के बाद भी कम फैला कोरोना?
ज्यादा जनसंख्या होने के बावजूद भी चीन में कोरोना ने भारत और अमेरिका से कम हाहाकार मचाया है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अमेरिका और भारत के शहरों में ज्यादा जनघनत्व होने की वजह से तेजी से कोरोना फैला है। वहीं, चीन के शहरों में बेहतर प्रशासन और मैनेजमेंट के चलते ज्यादा जनघनत्व होने के बाद भी संक्रमण को बेहतर तरीके से रोका जा सका। रिपोर्ट में इसकी वजह चीन में स्वास्थ्य सुविधाओं का सही होना और भीड़ को सही से मैनेज करना बताया गया है।
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